DHARNA - 3 in Hindi Classic Stories by Deepak Bundela AryMoulik books and stories PDF | धरना - 3

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धरना - 3

निखिल कुछ देर वही खड़ा रहता हैं.... कुछ सोचता हैं...
जनता चॉल की बस्ती को निहारता हैं... और फिर वहां से निकल पड़ता हैं...
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लेकिन अब जो हुआ प्रिया, उसे भूल जाना ही बेहतर हैं
तुम वेबजह उसकी खोज में मत पड़ो....

ओह वसुंधरा... तुम्हारी सोच और नज़रिया में दोनों को समझ गयी मैं ... लेकिन ये मत भूलो कि उसके हम पर कितने एहसान हैं... वो सख्स जो कभी हम लोगों के लिए हर वक़्त हर हाल में खड़ा रहता था आज वो गुमनामी की जिंदगी को जी रहा हैं... तो क्या हमारा फर्ज़ कुछ नहीं बनता...

वो वक़्त कुछ और था प्रिया ऐसे तो हमारी जिंदगी में कई लोग आकर मदद कर देते हैं तो क्या हम जिंदगी भर के लिए उनसे रिश्ता जोड़ ले...?

वसु तुझे याद हैं ना वो दिन जब तेरे बाबा का आप्रेसन होना था.... तब उसने किस तरह से रात दिन कैसे कैसे मेहनत कर कर के पैसे जुटाए थे... इतना कह कर प्रिया चुप हो जाती हैं.... मैं जाते जाते सिर्फ इतना ही कहूंगी वसुंधरा कि तुम सही में बहुत सेल्फिश हो... लेकिन हा इतना याद रखना इस एटीटूट का तुम्हे एक ना एक दिन बहुत बुरा परिणाम मिलेगा... और प्रिया वहां से उठकर चली जाती हैं....

वसुंधरा अपना मुंह बिचका कर कॉफी पीने में लग जाती हैं....
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कुछ लोग जिंदगी में अपने लिए नहीं जीते औरों के लिए जीते हैं.... इसके चलते सूरज भाई तुमने तो सब कुछ खो दिया... क्या मिला तुम्हे ये गुम नाम भरी जिंदगी... और एक बहन जो आज भी गांव में तुम्हारी लौट आने की राह देख रही हैं... कि सूरज भईया आएंगे और उसके हांथ पीले करवाएंगे... वाह भाई वाह... क्या ज्ञानी और इंसानियत की मूरत से पाला पड़ा हैं... और पवन सूरज के पैरों में गिर जाता हैं...

पवन... ये क्या कर रहे हो भाई... सूरज अपने पैरों को अपनी तरफ खींचते हुए बोला था...

बस आप जैसे धर्मात्मा को नमन कर रहा हूं....

तुम मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो...

नहीं भाई सही में... और पवन सूरज के दोनों पैर पकड़ कर बोलता हैं... आपने जिसकी मोहब्बत में इतना कुछ कर लिया क्या मैं उनके बारे में जान सकता हूं जरा मैं भी तो जानू उनके बारे में...

अरे पवन भाई तुम भी कहा की बात लेकर बैठ गये... इन सब बातों को तो दस साल गुजर गये...

वो मै नहीं जानता बस एक बार उनका चेहरा देखने को मिल जाए....

अच्छा... चेहरा देख कर क्या करोगे क्या उसका भविष्य बचोगें....

उम्म... हां... बस ऐसा ही समझो...

अच्छा फिर ठीक हैं...
सूरज वहां से उठता हैं और अपने बैग मेसे एक बड़ा सा एनवलप निकलता हैं और पवन के पास आता हैं उस एनवलप में 5-6 फोटो निकालता हैं जिसमे कॉलेज के टाइम के फोटो हैं एक फोटो में 6-7 लोग खडे हैं जिसमे वसुंधरा भी ख़डी हैं सूरज पवन को बताता हैं

ये देखो पवन भाई...
पवन फोटो हांथ में लेकर गौर से देखता हैं...
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क्या सोच रही हो प्रिया....?
निखिल ने प्रिया से लिपटते हुए पूछा था
कुछ नहीं निखिल....
अब इतना भी मत सोचो... अब सूरज के लिए हम से जितना बन पढ़ रहा हैं कर ही रहे हैं...
वो तो ठीक हैं... लेकिन मैं तो वसुंधरा के बारे में सोच रही हूं... कितनी बदल गयी हैं... पहले तो फिर भी ठीक थी... लेकिन जब से वो कलेक्टर क्या बन गयी उसके अंदर की इंसानियत ही मर गयी...
यही दुनिया हैं प्रिया हर इंसान एक जैसा नहीं होता... जब तुमने बताया कि वो सूरज हैं तब से तो मेरे भी दिमाग ने काम करना बंद कर दिया हैं... हर समय बस उसी का ही ख्याल आता हैं... वो हैं तो हम सब से अलग ही... लेकिन वसु को ऐसा नहीं करना चाहिए था...
और तुम देखो ना वसुंधरा रोहन से आज भी अलग ही हैं क्या लाइफ बना ली उसने अपनी... जबकि रोहन दूसरी शादी के बाद कितना खुश हैं...
हा ये बात तो हैं कि वसु सेल्फिश ज्यादा हैं... जो वो शुरू से ही रही ये तो सूरज था जिसके कारण वो अपने ग्रुप में थी.. वरना पूरी क्लास में उसे कोई पसंद ही नहीं करता था...
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कुछ गलत कहा क्या मेने इनके बारे में.... पवन ने सूरज से पूछा था.
हां दोस्त तुम बिलकुल सही कह रहे हो...
लेकिन फिर भी तुम...
हां भाई क्या करे इश्क़ जब होता हैं ना तो खराबियाँ दिखाई नहीं देती.. मैं ये बात बहुत अच्छे से जानता था लेकिन उससे मोहब्बत जो करता था...
फिर तुमने शादी क्यों नहीं की..?
कैसे करता दोस्त... जिस दिन वो ट्रेनिंग से लौट रही थी तब मैं उसे रिसीव करने स्टेसन पर गया था मैं स्टेसन 4-5 मिनट लेट पहुंचा था... गाड़ी जा चुकी थी मैं वसु को मौजूद भीड़ में खोज रहा था तभी सामने स्टॉल पर दो जोड़ो पर मेरी नज़र पड़ी.... वो वसुंधरा और रोहन हैं जिनकी केमिस्ट्री एक पति पत्नी की तरह दिखाई दे रही थी.. वो सीन देख कर मेने अपने कदम पीछे कर लिए थे...
लेकिन दोस्त ये तुम्हारी नज़रों का धोखा भी तो हो सकता था...
नहीं दोस्त जिसे मैं बचपन से जानता हूं उसे देख मैं धोखा नहीं खा सकता... उसकी मांग मैं भरा सिन्दूर और गले का मंगल सूत्र वो तो झूठ नहीं बोल सकते...
हूं... पवन चुप था... सूरज पवन को देख मुस्कुरा रहा था...
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