oukaat in Hindi Women Focused by shilpi krishna books and stories PDF | औकात

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औकात

' औकात '

"तुम्हारी औकात हैं इतने महंगे कपड़े लेने की , कभी माँ - बाप ने इतने महंगे कपड़े पहनाये हैं तुम्हे .....?" राजीव ने हिकारत से रश्मि से कहा । वो दोनो शॉपिंग करने मार्केट आयें थे , मॉल में रश्मि क़ो एक सूट पसँद आया था जिसकी कीमत पांच हजार थी उसने वो सूट राजीव क़ो दिखाया तों राजीव उस सूट की कीमत देख कर भड़क गया । ऐसी बात नही थी की राजीव वो सूट खरीदना अफोर्ड नही कर सकता था , लेकिन उसे हर बात में रश्मि क़ो नीचा दिखना बहुत पसंद था । राजीव एक अमीर बिजनेस मैन था वहीं रश्मि के पापा एक टीचर थे औऱ उनकी माली हालत भी राजीव जैसी सम्पन्न नही थी । इसी बात क़ो लेकर राजीव हमेशा रश्मि क़ो टोंट करता था । आज़ भी उसने वहीं किया । रश्मि खून का घूँट पीकर रह गयी । रश्मि वो सूट छोड़कर आगे बढ़ गयी , आज़ उसे राजीव का यूँ टोंट कसना बहुत बुरा लगा था । राजीव ने अपने लिये दो महंगी शर्ट खरीदी , रश्मि ने शर्ट का टैग देखा पर कुछ बोली नही । उन्होंने औऱ भी कुछ एक दो समान लिये मॉल से औऱ बिलिंग कराने काउंटर पर आयें ।
"आपके हुए पूरे बीस हजार पांच सौ ....औऱ कुछ तों नही लेना हैं ना आपने ...." बिलिंग काउंटर पर बैठे लड़के ने कम्पूटर से हिसाब लगा कर बताया ।
" अरे हाँ मैं तों भूल ही गया ..मेरी मिसेज क़ो भी एक सूट पसंद आया था ...जाओ रश्मि वो सूट लें आओ ....वरना तुम्हारा मुंह बना ही रहेगा ...." राजीव ने रश्मि क़ो कहा ।
फ़िर उस लड़के से मुखातिब होकर कहने लगा ।
"अरे बीबी क़ो खुश रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी हैं ....अगर बीबी नाराज़ हो गयी तों खाना भी नही मिलेगा ...." राजीव ने भोंडेपन से कहा औऱ हंसने लगा ।
" नही मुझे वो सूट नही चाहिये ....भइया आप बिल बनाइये ..." रश्मि ने कहा ।
".अरे जाओ लें आओ तुम भी क्या याद करोगी किस खुले दिल वालें रईस से पाला पड़ा हैं ...." राजीव ने व्यंगात्मक स्वर में कहा ।
" नही .....मुझे नही चाहिए ...."रश्मि ने दृढ़ता से कहा औऱ वहीं खड़ी रही ।
" तुम तों मेरी बातों का बुरा मान गयी मैं तों मज़ाक कर रहा था ...जाओ लें आओ मैं कुछ नही कहूंगा ....." राजीव ने रश्मि क़ो मनाने की कोशिश की ।
"आप बिलिंग करवा कर गाड़ी के पास आ जाइयेगा , मैं वहीं जा रही हूं ..."इतना कह कर रश्मि मॉल के बाहर निकल गयी , वो राजीव से बहस नही करना चाहती थी , राजीव खिसियानी हँसी हँस कर बिलिंग करवाने लगा ।
" क्या हुआ मेरी बात तुम्हे ज्यादा बुरी लग गयी क्या ....अरे इतना तुम पर खर्च करता हूं दो बात मैने बोल दिया तों इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात हैं ...? राजीव ने गाड़ी चलाते हुए कहा ।
" देखिये इतने दिनो से आप मुझ पर हर बात पर टोंट कसते हैं , मेरी औकात मुझे बताते हैं तों एक बात आज़ मैं आपको बता दूँ की अब मेरी औकात आपकी औक़ात जैसी ही हैं क्यूंकि अब मैं आपकी बीबी हूं , तों जितनी भी आपकी औक़ात रहेगी कम या ज्यादा उतनी ही मेरी भी औक़ात रहेगी , हम एक दूसरे के पूरक हैं औऱ रही बात मेरे माँ बाप की तों मैं ये कहना तों नही चाहती लेकिन अब आपने मजबूर किया हैं तो मुझे कहना पड़ रहा हैं की आपके माँ बाप की औक़ात भी मेरे माँ बाप जितनी भी नही हैं , जिन्होने आपको मैनर्स नही सिखाये , आप मेरे माँ बाप की औक़ात पे उंगली नही उठा रहे हैं बल्कि अपनी परवरिश पे उंगली उठा रहे हैं ......".इतने दिन से भरी हुई रश्मि ने अपना गुस्सा निकाल लिया , राजीव का चेहरा एकदम फक पड़ गया था , उसे ये उम्मीद नही थी की रश्मि उसे यूँ सब कुछ सुना देगी । उसके चेहरे पर शर्मिन्दगी का भाव था ।
"आई एम सॉरी ...." उसने धीरे से रश्मि से कहा औऱ गाड़ी चलाने लगा । रश्मि ने मुसकुरा कर उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया । आज़ उसका दिल हल्का हो गया था , उसे विश्वास था की राजीव अब उसे ताना नही मारेगा ।
- शिल्पी कृष्णा