Dharna - 2 in Hindi Classic Stories by Deepak Bundela AryMoulik books and stories PDF | धरना - 2

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धरना - 2

धरना -2

किचिन में आते हुए प्रिया और निखिल को देखते हुए सुपरवाइज़र ने फ़ौरन उनके पास आकर पूछा
क्या हुआ सर...?
आपके यहां कोई सूरज नाम का आदमी...
हा हा... सर हैं ना.... क्यों कोई बदतमीज़ी की उसने
नहीं नहीं... हम उसके बारे में जानकारी लेने आये थे...
किस बारे में मेम...?
असल में उसे हम जानते हैं... काफ़ी सालो बाद इस तरह मिला तो...
ओह... आप रुकिए मैं अभी उसे बुलवाए देता हूं...
और उसने अपने मोबाइल से फोन मिलाया और अपने कान पर लगा कर दूसरी तरफ से उत्तर का इंतज़ार करने लगा था....
अ... हा.... पवन... वो तुम्हारा दोस्त सूरज कहा हैं.... अच्छा..... कब.... ओह.... ठीक हैं.. ठीक हैं.... कोई ज्यादा परेशानी.... ओह... ok....ok....!
ओह सॉरी सर... उसकी अचानक तबियत खराब हो गई थी इसीलिए वो जल्दी चला गया...
इतना सुनते ही निखिल और प्रिया दोनों एक दूसरे को देखते हैं निखिल को प्रिया के कही बात पर अब पूरा यकीन हो जाता हैं...
अच्छा आप सूरज के घर का पता दे सकते हैं...
ओह सॉरी सर वो कहा रहता हैं ये तो मैं नहीं जानता... लेकिन हा ये नम्बर उसके दोस्त का हैं जिसने उसे यहां नौकरी पर लगवाया था वो उसके बारे में ज़रूर जानता होगा...
और वो पवन का नम्बर देता हैं प्रिया और निखिल दोनों अपने अपने मोबाइल में नंबर सेब कर लेते हैं... और दोनों सुपरवाइज़र को धन्यवाद दे कर वहां से निकल आते हैं...
क्या सोच रही हो प्रिया..?
कुछ नहीं निखिल मैं बस यही सोच रही हूं के सूरज ऐसा विहेव क्यों किया...? एक तो हम इतने सालों बाद मिले और उसने इस तरह से....
प्रिया....मुझें लगता हैं शायद उसके हालत ठीक नहीं इसलिए वो कतरा रहा हो...
लेकिन वो तो हमसे अच्छे हालातों का था...
अब हो सकता कोई वजह रही हो... जब तक मिलेंगे नहीं कैसे कुछ मान ले...
हा निखिल तुम सही कह रहे हो...
और दोनों बातें करते करते जश्न के समंदर की भीड़ में समां चुके थे.... रात गहराती जा रही थी पार्टी का शुरुर पूरे शबाब पर था....

मेम साब मेम साब.... उठिये....
ओफ.... प्रिया कसमसाते हुए दूसरी तरफ करबट ले कर लेटी रही.... और उसनिंदी आवाज़ में उसने काम वाली से पूछा था...
निखिल कहा हैं...?
पता नहीं मेम साब मैं जब आई तो वो साब नहीं थे...
टाइम क्या हो रहा हैं अभी...?
10 बज रहा हैं मेमसाब...
ओह.... अम्मा तुम मेरे लिए एक कप चाय बना दो..
वोतो पहलेइच से बनी रखी हैं... लगता हैं साब बना कर रख गये हैं.
तो तुम उसी को गर्म करके ला दो...
और काम वाली किचन की तरफ चली जाती हैं
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सूरज क्या सोच रहे हो.... पूछते हुए पवन सूरज के पास आकर बैठा था
कुछ नहीं भाई.... सोच रहा हूं दुनिया कितनी छोटी हैं सोचा था यहां मुंबई में कौन पहचानेगा मुझें लेकिन यहां भी पिछली ज़िन्दगी के लोग पीछा नहीं छोड़ रहे...
देख भाई हालांकि मुझें पूछना तो नहीं चाहिए लेकिन ऐसी क्या वजह हैं जो तुम उन लोगों से दूर भाग रहे हो...?
सूरज अपनी उदास भरी निगाहों से पवन को देखता हैं..
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वसुंधरा चुप थी... उसकी आंखो में आंसू भरे हुए थे... प्रिया बोले जा रही थी...
जिस इंसान में दूसरों के लिए हद तक गुज़र जाने का ज़ज़्वा होता हैं वो कभी गलत नहीं हो सकता वसुंधरा... तुझें याद हैं ना....उसने तुम्हारे ही लिए नहीं अपने ग्रुप के सभी लोगों के लिए कितना कुछ किया हैं... मेरे लिए तो उसने जो किया मैं उसे ज़िन्दगी में कभी भूल ही नहीं सकती... तुझे पता हैं जबसे सूरज को देखा हैं मैं ठीक से सो नहीं पाई हूं....
हा प्रिया... शायद मेरा निर्णय गलत था.... सूरज ने हम सभी के लिए बहुत कुछ किया... मैं नौकरी की चाह में अंधी हो चुकी थी... लेकिन में क्या करती...
चलो मना तुमने अपने भविष्य के लिए नौकरी को चुना.. तुम दोनों एक दूसरे को प्यार तो करते थे फिर तुमने शादी क्यों नहीं की सूरज से...
नौकरी के बाद मेने उसे बहुत ढूँढा लेकिन उसका कोई पता नहीं चला फिर मज़बूरी वश मुझें रोहन से शादी करनी पड़ी...
ये जानते हुए की सूरज तुम्हे और तुम सूरज को प्यार करते थे... कही तेरे दिल में रोहन के लिए पहले से ही तो प्यार नहीं था...?
नहीं प्रिया ऐसा बिलकुल नहीं था... मैं जानती थी रोहन मुझें चाहता था बस इतना ही... लेकिन कभी मेने ऐसा नहीं सोचा था... जब मैं एक साल के बाद ट्रेनिंग से लौटी तो सूरज का कोई पता नहीं चला... मुझ में उस वक़्त कितना उत्साह था सूरज से मिलने का लेकिन जब वो नहीं मिला तो मैं कितना टूट चुकी थी.... तब रोहन ही था मेरे करीब..
रोहन और तुम दोनों ही तो थे ट्रेनिंग पर...
हा लेकिन रोहन और मेरा डिपार्टमेंट अलग अलग था.. लेकिन मेस एक ही था बस रात को खाने के समय मुलाक़ात होती थी...
लेकिन तुमने फिर कभी सूरज के लापता होने की वजह जानने की कोशिश नहीं की...
मैं करती भी क्या.... 3 महीने की छुट्टियों के बाद मेरी यहां पोस्टिंग जो हो गयी थी...
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निखिल पवन के मोबाईल नम्बर की कम्पनी से पता निकलवा कर जनता चॉल की गलियों में पता खोज रहा था.... और प्रिया से फोन पर बात करता जा रहा था..
प्रिया... जनता चॉल का चप्पा चप्पा छान मारा पर पवन नाम के शख्स का कोई पता नहीं चला...
निखिल आप मत परेशान होओ... अगर अब हमारी किस्मत में फिर से सूरज से मिलना होगा तो वो ज़रूर मिलेगा.... आप लौट आओ...

अगला भाग पार्ट -3 में