Horror castle - 4 in Hindi Horror Stories by Sanket Vyas Sk, ઈશારો books and stories PDF | भूत बंगला.... - भाग ४

Featured Books
Categories
Share

भूत बंगला.... - भाग ४

आगे हमने भाग ३ में देखा की चेतन वो तांत्रिक की बातें और उनके प्लान में बूरा फँस चुका है और वो चेतन को अमावस्या को पूजा-वीधी करेंगे एसा कहता है... अब आगे

अमावस्या के अगले दिन चेतनने तडामार तैयारी कर दी और सीधा वो फिर प्राची के घर बाईक पर जा रहा था तब बीचमें कोई दादीमां जो रोड क्रॉस कर रहे थेउनको दिक्कत होती देख बाईक खडी करके वो दादीमां को रोड क्रॉस करवाने मे मदद करने गया, उनके पास जाकर चेतन दादीमां से कहने लगा, "दादीमां मैं आपकी मदद करता हूँ आप मेरा हाथ पकड लो, रोड को क्रॉस करने में आसानी होगी। "दादीमां हाथ पकडते है और अचानक ही चेतन के शरीर में अजीब सी कंपन होने लगती हैं। उसी समय प्राची अपने घरके मंदिर के सामने हाथ जोडकर प्रार्थना कर रही होती है की "मां मेरे चेतन को कुछ हो गया है, उनको तुम शक्ति देना और उन्होने बंगले में से बूरे साये को निकालने का प्रयास जो कर रहे हैं उसमे पूरी सहायता करना।" प्राची की बात शायद भगवानजी ने सून ली और वो अच्छी शक्ति के रुप में उस दादीमां के भीतर आ जाते हैं जिनका हाथ पकडते ही चेतन को जिस चीज से अभिमंत्रित किया था उसका प्रभाव तुरंत ही खत्म हो जाता है। वो बूरा प्रभाव दूर हो जाने पर चेतन पहले था वैसा हो जाता है और दादीमां को रोड क्रॉस करवाके चल पडता है तब दादीमां उसे कहते है कि "बेटा जो भी काम तू करने जा रहा है उसमें तुम्हें अच्छी सफलता मिलेंगी" और वो चले जाते हैं। चेतन स्माईल करके वहा से सीधा प्राची के पास पहुँच जाता है और वहाँ पहुँचते ही प्राची को मंदिर के आगे खडी देख वो हंसते हुए कहता हैं,"ओय प्राची ऐसे प्रार्थना करनै से बंगले में से तेरा भूत नहीं भाग जाएगा उसके लिए तुम्हें उसे वहा ही ढूँढना पड़ेगा। वहा मेंने दो तांत्रिक को बुला रखा है वो उसको भगा देंगे, चल में तुम्हें लेने को आया हूँ, हमें वहा वो पूजा करने बैठना है। प्राची चेतन को पहले की तरह बात करते देख खुश तो हुई मगर सोचने लगी अचानक ही एसा परिवर्तन आया कुछ तो सच ही में गडबड हैं और मन ही मन कहती है "चेतन तुम चिंता मत करो मैने जो सोचा है वो मैं कर दूंगी" और चेतन से कहती हैं,"चेतन चलो मुझे उस बंगले में ले चलो।"
दोनो बंगले में पहुँचते हैं, अमावस्या का दिन हैं, वो दो तांत्रिक तो अपने प्लान के मुताबिक बलि कैसे देनी हैं वो तैयारी कर चुके होते हैं। वहा पहुंचने से पहले प्राचीने थोडी जांच-पडताल की, उसे मामला थोडा अजीब सा लगा और चेतनने भी वो सब देखा मगर वो कुछ बोला नहीं क्योंकि वो पहले की तरह हो गया था और ये सब मामले में वो पडना कम चाहता था। पूजा-वीधी करने वो बैठ गए और तांत्रिक ने पूजा करने की शुरुआत की तभी ही अचानक धूपसली के धुए से प्राची को वोही आत्मा का चेहरा नजर आया जो उसे पहले आग की ज्वाला में नजर आया था और वो कुछ दिखाना चाहती थी ऐसा प्राची को लगते ही वो बिना कुछ बोले बिना हिचकिचाते उसे चुपचाप देखती रही, वो आत्मा दिखा रही थी की कोई तांत्रिक लोग है वो कोई लड़की की बली दे रहे हैं और प्राची तुरंत ही वहां से खडी हो जाती हैं और कहने लगती है की "मुझे ये पूजा में नहीं बैठना, आप लोग कीसी लडकी की बली दे रहे हो या फिर बली देने वाले हो, एसा काम जो करते हैं उनके पास पूजा मुझे नहीं करवानी, मुझे यहाँ बिलकुल ही नहीं बैठना।" चेतन उसे पूछने लगता हैं,"प्राची उन्होने कोई बली नहीं दी और वो बली देना एसा कुछ करते नहीं है और नाही यहा एसा कुछ करने वाले है, यह तो वो पूजा करने को आए हैं जिससे तुम्हें वो बुरी आत्मा दिखी थी वो फिर नज़र ना आए, तुम नाहक ही डर रही हो।" प्राची उसे कहती हैं,"नहीं जो भी हो, मुझे अब ईस पूजा में नहीं बैठना। " और प्राची वहा से थोडी दूर जाकर बैठ जाती हैं और वहां से भी भी वो धूपसली के धुए में देखती हैं की चेतन जेसा कोई बंदा स्मशान में बैठा हैं जिसके सामने मनुष्य की खोपड़ी हैं उसके आसपास नींबू रखे हुए हैं मगर वो वहां दूर ही चुपचाप बैठी रहती है। वहाँ तांत्रिक के दिमाग मे भूचाल सा मच जाता है की "आज हमें किसी भी तरह से बली तो देनी ही है और जीसकी बली देनी हैं वो क्यों अभी एसा कर रही हैं ? हमारा प्लान उसको मालूम पड गया है क्या ?" दोनोक्षके दिमाग मे टेन्सन मच गई है।
- संकेत व्यास (इशारा)