Stokar - 21 in Hindi Detective stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | स्टॉकर - 21

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स्टॉकर - 21




स्टॉकर
(21)



रॉबिन को इस शहर में आए हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे। वह मेघना से दोबारा पहले की तरह जान पहचान बढ़ाने की कोशिश कर रहा था। पर मेघना अब उससे दूरी बनाए रखने का प्रयास करती थी।
शिव और रॉबिन के बीच दोस्ती तो थी पर शिव ने कभी उसे टंडन सदन आने की दावत नहीं दी थी। उन दोनों की मुलाकात अक्सर बाहर ही होती थी। ऐसे में रॉबिन का मेघना से नज़दीकी बढ़ाना कठिन हो रहा था।
रॉबिन किसी भी तरह से मेघना से दोस्ती बढ़ाने की फिराक में था। पर मेघना उसकी कोई भी कोशिश सफल नहीं होने दे रही थी। रॉबिन जानता था कि वह स्टेफिट जिम में रोज़ जाती है। एक दिन वह मेघना से मिलने जिम पहुँच गया।
जब मेघना वर्कआउट के बाद जिम से बाहर निकल रही थी तब रॉबिन अचानक उसके सामने खड़ा हो गया।
"क्या बात है मेघना ? मैं तुमसे दोस्ती करने की इतनी कोशिश कर रहा हूँ। पर तुम मुझसे किनारा किए रहती हो। याद है ना हम दोनों के बीच पहले क्या था ?"
रॉबिन की बात सुन कर मेघना को गुस्सा आ गया।
"हमारे बीच जो कुछ भी था वह पहले ही खत्म हो चुका है। अब मैं शिव टंडन की पत्नी हूँ। बेहतर होगा कि तुम मुझसे दूरी बना कर रखो।"
मेघना का जवाब सुन कर रॉबिन झल्ला उठा।
"आखिर क्यों तुम मुझसे इतनी बेरुखी से पेश आ रही हो। हमारा रिश्ता टूटने में सिर्फ मेरी गलती थी क्या ?"
"मैं फिर कह रही हूँ कि हमारे बीच जो भी था खत्म हो चुका है। मुझे इस बात से अब कोई लेना देना नहीं है कि इसका ज़िम्मेदार कौन था। आज का सच ये है कि मैं शिव टंडन की बीवी हूँ। मैं उसे बहुत चाहती हूँ। नहीं चाहती हूँ कि अतीत का हमारा रिश्ता मेरे वर्तमान पर काले बादल की तरह छा जाए। सो प्लीज़ लीव मी....."
कह कर मेघना आगे बढ़ गई। पर रॉबिन ने दोबारा उसका रास्ता रोक लिया। मेघना ने आपत्ति जताई।
"ये क्या बद्तमीजी है रॉबिन। एक बार में समझ नहीं आता है कि मैं क्या कह रही हूँ।"
रॉबिन ढीट की तरह उसकी राह रोके खड़ा था। मेघना उससे बच कर निकलने की कोशिश कर रही थी। पर खुद को बेबस पा रही थी। तभी अंकित वहाँ आ गया।
"क्या हुआ मैम ? आपको कोई परेशानी है ?"
मेघना ने रॉबिन की तरफ देखा। अंकित ने उससे कहा।
"सर....आप मैम को तंग क्यों कर रहे हैं ? लेट हर गो ?"
रॉबिन ने उसे डपटते हुए कहा।
"बच्चे तुम इस सबसे दूर रहो। वरना चोट खा जाओगे।"
मेघना के सामने खुद को बच्चा कहा जाना अंकित को चुभ गया। उसने भी जवाब दिया।
"मैं बच्चा नहीं हूँ अंकल जी। आप अपनी फिक्र कीजिए। कहीं आप चोट ना खा जाएं।"
अंकित ने रॉबिन को परे धकेल दिया। वह लड़खड़ा गया। मौका पाते ही मेघना अपनी कार में बैठ कर निकल गई।
रॉबिन चुपचाप खड़ा रहा। वह समझ गया था कि अंकित से उलझना उसके लिए ठीक नहीं है।
उस दिन तो रॉबिन सफल नहीं हो पाया था पर उसने हार नहीं मानी थी। वह मेघना की गतिविधियों पर नज़र रखने लगा। उसे सही मौके की तलाश थी। जब वह मेघना को अपने साथ कुछ देर बात करने के लिए मना सके।
मेघना क्लब में किटी पार्टी के लिए आई थी। रॉबिन क्लब की पार्किंग में मेघना के आने की राह देख रहा था। पार्टी समाप्त होने पर जब मेघना पार्किंग में अपनी कार की तरफ बढ़ी तो रॉबिन फिर उसके सामने आकर खड़ा हो गया। मेघना को अच्छा नहीं लगा। पर क्लब में उसे जानने वाले कई लोग थे। वह तमाशा नहीं चाहती थी। दूसरों को दिखाने के लिए उसने अपने होंठों पर मुस्कान चिपका ली। धीरे से रॉबिन से बोली।
"पिछली बार जो हुआ उससे भी सबक नहीं मिला।"
"नहीं.... मेरा मकसद सबक सीखना नहीं है। मैं बस तुमसे कुछ बात करना चाहता हूँ।"
"पर मैंने कहा ना कि मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं है।"
"पर मुझे तो है। प्लीज़ बस कुछ देर के लिए मुझसे बात कर लो।"
रॉबिन ने उसका हाथ पकड़ लिया। मेघना कुछ कहती तभी उसकी नज़र किटी की अपनी सहेली दीप्ती मसंद पर पड़ी। वह उसी तरफ आ रही थी। मेघना ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा।
"पुराना दोस्त है मेरा। कॉलेज के टाइम का।"
दीप्ती मुस्कुरा कर अपनी कार में बैठ कर चली गई। मेघना समझ गई कि यहाँ और अधिक देर ठहरी तो कोई ना कोई तमाशा खड़ा हो जाएगा। पर वह ऐसे जा भी नहीं सकती थी। उसने रॉबिन से कहा।
"ठीक है....पर यहाँ कोई बात नहीं होगी। मेरे साथ कार में बैठो।"
रॉबिन उसके साथ कार में बैठ गया। मेघना उसे पास के एक रेस्टोरेंट में ले गई। वहाँ बैठ कर उसने कहा।
"जो कहना है कहो और जाओ।"
"सारा जब से...."
मेघना ने उसे टोंकते हुए कहा।
"मेरा वर्तमान नाम मेघना है। कॉल मी मेघना।"
"ठीक है....जब हमारा रिश्ता टूटा तब मुझे बहुत अफसोस हुआ था। पर गलती मेरी थी। इसलिए उसे सुधारना चाहता हूँ। दोबारा उस रिश्ते को शुरू करने का प्रयास कर रहा हूँ। मेघना सच मानो पहले तो तब भी जैसे तैसे मैंने खुद को रोका हुआ था। पर कोलकाता में उस कार्यक्रम में जब मैं दोबारा तुमसे मिला तबसे खुद पर काबू रखना मुश्किल हो गया है। मैं रात दिन बस तुम्हारे खयाल में डूबा रहता हूँ। दार्जिलिंग में अपना सब कुछ छोड़ कर सिर्फ तुम्हारे लिए यहाँ आया हूँ।"
मेघना चुपचाप उसकी बात सुन रही थी। कुछ क्षण उसके चेहरे को ताकने के बाद बोली।
"रॉबिन तुम मेरे लिए अपना सब कुछ छोड़ कर यहाँ आए हो। तो मेरी एक बात मानो। वापस लौट जाओ। अब तुम्हारी दाल यहाँ नहीं गलेगी।"
"मेघना तुम इतनी कठोर कैसे हो सकती हो। एक बार भी तुम्हें हमारे बीते हुए पलों की याद नहीं आती है।"
"नहीं आती है। मैं सब कुछ भूल गई हूँ। बेहतर है तुम भी भूल जाओ।"
कह कर मेघना उठने लगी। रॉबिन ने उसका हाथ खींच कर बैठा दिया। इस बार वह गिड़गिड़ाने की जगह गुस्से में बोला।
"क्यों भूल जाऊँ ? जब तक मुझसे फायदा उठा सकती थी उठा लिया। अब उस शिव टंडन से चिपक गई। शर्म नहीं आती...."
मेघना उसका यह इल्ज़ाम सुन कर सुलग उठी।
"हाऊ डेयर यू.....मैंने तुम्हारा फायदा उठाया। मैं तो तुमसे शादी करना चाहती थी। पर तुम सिर्फ मेरे जिस्म से खेलना चाहते थे। अपनी रखैल बना कर रखना चाहते थे। इसलिए तुम्हें छोड़ दिया। तुम शिव की बराबरी नहीं कर सकते हो। उसने मुझे पत्नी का दर्ज़ा दिया है।"
"क्या बार बार पति पति कर रही हो। मैं कब तुमसे कह रहा हूँ कि तुम शिव को छोड़ कर मेरे पास आ जाओ। बस इतना कह रहा हूँ कि थोड़ा ध्यान मुझ पर भी दे दिया करो।"
रॉबिन ने जिस बेशर्मी से यह बात कही थी उसे सुन कर मेघना को बहुत बुरा लगा। उसने बिना किसी की परवाह किए उसे एक तमाचा रसीद कर दिया। रॉबिन कुछ करने की सोंचता उससे पहले ही मेघना उठ कर बाहर चली गई।

मेघना का तमाचा रॉबिन के लिए एक बहुत बड़ा अपमान था। वह अंदर ही अंदर सुलग रहा था। पर इस बार वह जोश की जगह होश से काम लेना चाहता था। वह मेघना पर नज़र रखने लगा। उसे पूरी उम्मीद थी कि उसके हाथ कुछ ना कुछ ऐसा ज़रूर लगेगा जो उसके काम का होगा।
कुछ महीनों की कोशिश के बाद उसके हाथ एक मौका लगा। मेघना ने एक नया जिम ज्वाइन किया। था। जब वह बाहर निकल रही थी तब अंकित उसी तरह उसके सामने आकर खड़ा हो गया जैसे रॉबिन ने स्टेफिट जिम के बाहर उसका रास्ता रोका था। इस बार अंकित कुछ कहना चाह रहा था। पर मेघना सुनने को तैयार नहीं थी।
दूर खड़े रॉबिन ने देखा कि मेघना अंकित की तरफ ऊंगली उठा कर उसे किसी चीज़ की चेतावनी दे रही है। अंकित को धमकाने के बाद वह चली गई। अंकित गुस्से और हताशा में वहीं खड़ा था।
"कहते हैं इतिहास अपने आप को दोहराता है।"
अपने कंधे पर हाथ का स्पर्श महसूस कर अंकित ने पलट कर देखा। रॉबिन खड़ा मुस्कुरा रहा था।
"बस आज मेरी जगह तुम हो। यही है मेघना की असलियत। पहले नज़दीक आने देती है। फिर मन भर जाने पर धक्का मारती है।"
अंकित उसकी बात समझ रहा था। पर बोला कुछ नहीं। चुपचाप आगे बढ़ गया। रॉबिन उसके पीछे आया। उसे रोक कर बोला।
"हो सकता है कि हम एक दूसरे के काम आ जाएं।"
रॉबिन ने अपने वॉलेट से एक छोटा सा कागज़ का टुकड़ा निकाल कर उस पर कुछ लिखा।
"ये मेरे फार्म हाउस का पता है। ज़रूरत समझो तो मिलने आ जाना।"
रॉबिन उसके जवाब की प्रतीक्षा किए बिना आगे बढ़ गया। अंकित के मन में आया कि वह कागज़ का टुकड़ा वहीं फेंक दे। पर अगले ही पल उसका विचार बदल गया। उसने वह कागज़ अपने वॉलेट के सुपुर्द कर दिया।
मेघना के दोस्ताना व्यवहार से अंकित को हमेशा यही लगता था कि वह उसे चाहती है। उसका हंस कर बात करना। कभी कभी प्यार से उसके गाल पर हाथ फेर देना। यह सब अंकित को अपने नज़दीक बुलाने के इशारे मालूम पड़ते थे।
उस दिन वह उसके फ्लैट पर भी आई थी। जिस बेफिक्री के साथ वह वहाँ आराम से बैठी थी। उसे देख कर अंकित ने सोंचा था कि आज वह उसे पूरा मौका देने के लिए आई है। पर जब उसने पहल की तो वह नागिन की तरह फुफकार उठी।
अंकित समझ नहीं पाया कि मेघना इस तरह से क्यों पेश आ रही है। पहले उसने सारे इशारे दिए कि वह उसकी तरफ खिंचा चला आए। पर जब वह उसके प्यार में दीवाना होकर उसके पास आया तो उसे दुत्कार रही है।
अंकित ने मेघना को अपने दिल का हाल बताना चाहा। पर वह कुछ सुनने को तैयार नहीं थी। उसने जिम में उसकी शिकायत कर दी। खुद जिम छोड़ कर नया जिम ज्वाइन कर लिया। मालिक इतने बड़े क्लांइट के चले जाने पर गुस्सा हुआ। अंकित की नौकरी चली गई।
आज फिर जब वह उसे अपनी बात समझाने आया था तो बजाए कुछ सुनने के उसे धमकी देने लगी कि अपने पति शिव टंडन से शिकायत कर देगी।

तीन दिन बाद अंकित रास्ते में कहीं जा रहा था। तभी कुछ गुंडों ने उसे बेतहाशा मारना शुरू कर दिया। कुछ देर पीट लेने के बाद उसे पास खड़ी एक कार में ले गए। उसे भीतर धकेल दिया।
अंदर शिव टंडन बैठा था। उसने गंभीर आवाज़ में अंकित को धमकी दी।
"तुम अगर अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आए तो अंजाम बहुत बुरा होगा। मेघना को परेशान करना बंद कर दो।"
धमकी के बाद अंकित को बाहर धकेल दिया गया। कार आगे बढ़ गई। वह कुछ समय तक सड़क पर अपमान में जलता पड़ा रहा।
अंकित ने रॉबिन के फार्म हाउस पर जाने का फैसला कर लिया।