Main Kayar To Nahin in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | मैं कायर तो नहीं

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मैं कायर तो नहीं

मैं कायर तो नहीं

मैं कंप्यूटर साइंस में बी टेक कर चुका था . बेंगलुरु की मल्टीनेशनल कंपनी में एक साल पहले ही प्लेसमेंट मिल चुका था , पर जॉइनिंग में अभी एक महीना बाकी था .मुझे बचपन से दो चीजें बहुत अच्छी लगती थीं - जंगल और पहाड़ . मेरा गाँव रांची के पास एक पहाड़ी इलाके में था इसलिए इनके प्रति मन में लगाव रहना स्वाभाविक था . रांची के आस पास के जंगलों और पलामू नेशनल पार्क घूम चुका था . बहुत दिनों से जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क देखने की इच्छा थी . मैंने सोचा कि नौकरी ज्वाइन करने के पहले वहां घूम आऊं .


भाभी ने चलते समय मुझे ढेर सारे स्नैक्स , मिठाईयां ,फ्रूट्स ,ड्राई फ्रूट्स और खस्ता कचौरियां दिए थे जो तीन चार दिनों तक आराम से खायी जा सकती थीं . साथ में जिंजर वाटर के अलावा कुछ दवाईयां और फर्स्ट एड किट भी देते हुए कहा था “ जंगल में इमरजेंसी में ये काम आएंगे , इन्हें रख लो . “


मेरा प्लान भैया और भाभी के साथ जाने का था पर अंतिम क्षणों में भाभी की तबीयत खराब होने से उन दोनों का प्रोग्राम रद्द हो गया था . उनके ट्रेन के टिकट तो कैंसल हो गए पर फारेस्ट में रेस्ट हाउस बुकिंग रह गया था , बुकिंग मैंने अपने ही नाम से कराया था . मुझे रास्ते में एक दिन दिल्ली रुकना था . एक सुबह दिल्ली से रामनगर की बस में टू सीटर पर खिड़की वाली सीट पर बैठा था , तभी एक लड़की आकर बगल में बैठी . मैंने मुस्कुरा कर उसका अभिनंदन किया . जबाब में वह भी मुस्कुरायी .


हालांकि लड़की का रंग सांवला था पर कुल मिला वह बहुत अच्छी दिखती थी . उसके मुस्कुराते चेहरे पर दो मोटी कजरारी आँखें , धनुष के आकार की भौंहें , सफ़ेद सुव्यवस्थित दंतपंक्तियाँ , सुराहीदार गर्दन , लम्बी तीखी नाक , सुडौल वक्ष , काली घटा से बाल और बलखाती चाल देख कर मैं तो मुग्ध हो गया था . मैं सोच रहा था कि कैसे बातचीत का सिलसिला शुरू किया जाए .

जंगल भ्रमण के अपने आनंद होते हैं और साथ में उतनी ही कठिनाईयां भी . अलग अलग प्रकार के वनस्पति और पशु पक्षी देखने को मिलते हैं . पिंजरे में बंद शेर , बाघ आदि को तो कितनी बार देख चुका था , अब उन्हें अरण्य में विचरण करते देखने की इच्छा थी . नहीं भी देखने को मिले फिर भी तपती गर्मी और लू से कुछ दिन राहत तो मिलती . बस खुलने के कुछ ही देर बाद वह बोली “ इफ यू डोंट माइंड , मुझे विंडो सीट पर बैठने दें , लंबा सफर है , मुझे पहाड़ी घुमावदार रास्तों में मिचली आती है . “


मैंने उसे कहा “ इट्स माय प्लेजर , प्लीज टेक योर सीट . “ बोलकर मैं एक किनारे खड़ा हो गया


“ थैंक्स “


“ आप भी कॉर्बेट नेशनल पार्क घूमने जा रही हैं ? “


“ जी “


“ और अकेले ही ? “


“ जी , एक और फ्रेंड साथ आने वाली थी पर लास्ट मोमेंट में उसने अपना इरादा बदल दिया . “


“ और आप अपने इरादे पर अडिग रहीं . ब्रेव लेडी . “


“ ऐसा कुछ भी नहीं है , बस एक बार प्रोग्राम बन गया तो बन गया . “


“ अपने साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ और मैं भी आपकी तरह सोच कर निकल पड़ा . “


जब पहाड़ियां शुरू हुईं तो मेरे साथ बैठी लड़की को कुछ उल्टी हुई . जब तक वह अपना बैग खोलती मैंने कुछ टिशू पेपर्स उसे दिए . उसके बाद एक टैबलेट दे कर उसे जिंजर वाटर से घोंटने को कहा .


उसने कहा “ थैंक्स , यू फेवर्ड मी अ लॉट और अभी तक हमारा इंट्रोडक्शन भी नहीं हुआ है . मैं शोभना तिवारी फ्रॉम बनारस . “


“ मैं गोपाल मुंडा फ्रॉम रांची . “


दवा से उसे कुछ आराम हुआ और थोड़ी देर में उसे नींद आई और मेरे कंधे पर उसका सिर था . जब कभी बस हिचकोले खाती और उसकी नींद टूटती वह जग जाती और ‘ सॉरी ‘ बोल सीधी हो बैठ जाती . पर कुछ मिनटों के अंदर फिर उसका सिर मेरे कंधे पर होता . इसी तरह सोते जागते दोपहर के बाद हम रामनगर पहुंचे . पर बस कुछ , देर से पहुंची और तब तक कार्बेट पार्क की आखिरी बस जा चुकी थी . शोभना चिंतित थी कि कहीं एक


रात रामनगर में ही न बितानी पड़े . मैं शोभना के साथ एक चाय दुकान पर गया , दोनों ने चाय और स्नैक्स लिए . मैंने कुछ और सवारियों के साथ मिल कर एक जीप ठीक किया .


मैं और शोभना आगे की सीट पर थे . घने जंगलों के बीच संकरे बलखाते रास्तों से बस निकल पड़ी . झूमती हुई हवा जब तन को छूती तो पूरे शरीर में एक सुहावनी गुदगुदी हो जाती . करीब एक घंटे में हम धनगड़ी गेट पहुंचे , यही कार्बेट पार्क का मेन गेट था . हमारे प्रवेश शुल्क देने के बाद हमारी जीप आगे बढ़ी . जब मैंने ड्राइवर से ढिकाला के रेस्ट हाउस का नाम बता कर वहां छोड़ने को कहा शोभना बोली “ मुझे भी वहीँ जाना है . “


“ यह तो अच्छी बात है , हमारा साथ आगे भी बना रहेगा . आपका रूम नंबर कौन सा है ? “


“ मेरा रिजर्वेशन कंफर्म नहीं है पर एम एल ए साहब का लेटर है , उन्होंने कहा है केयर टेकर कोई न कोई इंतजाम कर देगा . “


रेस्ट हाउस पहुँचने पर शोभना को कोई रूम नहीं मिल सका . केयर टेकर ने अपनी असमर्थता बता कर कहा “ अभी पीक सीजन चल रहा है , कोई भी रूम एक सप्ताह के बाद ही खाली हो सकता है . आई ऍम सॉरी , मैं एम एल ए साहब से बात कर माफ़ी मांग लूँगा . “


मैंने जो कमरा बुक कराया था उसमें तीन बेड थे . मैंने केयर टेकर से पूछा “ शोभना मेरे साथ ही आयी है . इन्हें अपने रूम में एडजस्ट कर लूँ ? “


“ अगर आप दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है . “


मैंने शोभना से कहा “ मेरे भैया और भाभी भी आने वाले थे इसलिए तीन बेड का कमरा बुक किया था , दो बेड खाली ही पड़े रहेंगे . अब रात होने वाली है , दूसरे रेस्ट हाउस में भी कमरा मिलने की कोई उम्मीद नहीं है . तुम अगर ठीक समझो तो कम से कम आज रात इसी में रहो . कल सुबह फिर कहीं ट्राई कर लेना . “


कुछ पल सोचने के बाद शोभना मेरे रूम में रहने के लिए तैयार हुई . जंगल के हिसाब से कमरा अच्छा और आरामदेह था , साथ में अटैच बाथ भी था . डिनर के बाद कुछ देर तक हम बातें करने लगे . मेरे बगल की बेड पर वह अधलेटी बात कर रही थी . मैंने पूछा “ तुम क्या करती हो ? “


“ इसी साल बी एच यू से बी टेक किया है . अगले महीने पूना की एक कंपनी में ज्वाइन करने जा रही हूँ . “


“ वैरी गुड , हमारी केमिस्ट्री काफी मिलती जुलती है . “ बोल कर मैंने भी अपनी पढ़ाई और नौकरी की बात बतायी .


हम दोनों ने कुछ देर तक पारिवारिक और इधर उधर की बातें की . इसके बाद वह बोली “ मैं बाथरूम से चेंज कर आ रही हूँ और फिर सोने जाऊंगी . “


शोभना दूसरे छोर की बेड पर सोने चली गयी , हमारे बीच एक बेड खाली पड़ा रहा . अब हमारे बीच सन्नाटा पसरा था . पास में राम गंगा के बहने की आवाज आ रही थी . रह रह कुछ जंगली जानवरों और पक्षियों की आवाजें भी आ रही थीं , कुछ मधुर भी थीं तो कुछ डरावनी . अभी हम दोनों करवटें बदल रहे थे . शोभना बोली

“ ये आवाज डरावनी लग रही है , सोने नहीं देगी . “


“ जंगल में ऐसी आवाजें तो मिलेंगी शोभना . सोने की कोशिश करो , सुबह जल्दी निकलना है फॉरेस्ट घूमने . ‘


“ तुम जरा चौकीदार से पूछो “ ये आवाज बिल्कुल निकट से आती लग रही है . कैसी आवाज है ये ? ‘


मैंने वाचमैन को बुला कर पूछा तो वह बोला “ यह बार्किंग डीयर की आवाज है , वह अपने साथी को प्यार करने के लिए बुला रहा है . डरने की कोई बात नहीं है , आपलोग सो जाएँ .”


इतना बोल कर वह चला गया . मैंने शोभना से कहा “ डर लग रहा है तो मेरे पास वाले बेड पर आ कर सो जाओ . “


“ नो , इट्स ओके . “ बोल कर चादर से अपना मुंह ढक कर वह सो गयी


सुबह नाश्ते के दौरान मैंने उसे कहा “ तुम्हारा क्या प्रोग्राम है ? मेरा मतलब है कि यहीं रुकोगी या किसी और रेस्ट हाउस में ट्राई करना है ? “


शोभना के बोलने के पहले ही केयर टेकर बोल उठा “ मैडम , कोई रूम मिलने की संभावना नहीं है . किस्मत से आपको इतना अच्छा कमरा शेयर करने को मिल गया है . “


वह मेरी ओर देखने लगी थी , मैंने कहा “ शोभना , मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है . मेरे लिए तो अच्छा ही है कोई कंपनी देने वाला मिल गया है . “


पर वह खामोश थी . मैंने उसकी ख़ामोशी को स्वीकृति समझते हुए कहा “ यहाँ से थोड़ी दूरी पर ही हाथी स्टैंड है , मैंने पहले से ही दो दिनों के लिए एक हाथी बुक किया हुआ है . तुम भी मेरे साथ चल सकती हो . “


एक ढाबे से मैंने मिनरल वाटर ख़रीदा . पानी , कैमरा , दूरबीन और कुछ स्नैक्स भी मैंने बैकपैक में रख लिया . हम दोनों हाथी स्टैंड तक पहुंचे .


एक युवा जोड़ी जिसने पहले से कोई हाथी बुक नहीं किया था , उसको हाथी पर दो सीटों की जरूरत थी . एक हाथी पर चार सीटें थीं और मेरे हाथी पर दो सीटें खाली थीं . उन्होंने मुझसे दो सीटें देने के लिए रिक्वेस्ट किया और बदले में आधा पैसा देने की पेशकश की . मैंने उन्हें कहा कि पैसे देने हों तो आपलोग महावत को टिप में दे दें .


उबड़ खाबड़ , ऊँचे नीचे पहाड़ी रास्तों से गुजरने समय हाथी पर संतुलन बनाना आसान नहीं है . मेरी पीठ के पीछे शोभना बैठी थी और रह रह कर हमारी पीठें टकराती थीं . मुझे तो उसका स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था . हाथी के हिलने से जब कभी दोनों की पीठें जोर से रगड़ खातीं तो शोभना मुड़ कर शिकायत भरी नजरों से मुझे देखने लगती . मैंने एक बार कहा “ देखो , इट्स नेचुरल और हमारे साथ वाली जोड़ी के साथ भी ऐसा हो रहा है . मैं जानबूझ कर ऐसा नहीं कर रहा हूँ . “


मैं अपनी दूरबीन से पशु पक्षी और जंगल के नज़ारे देखता और बीच बीच में दूरबीन शोभना को भी दे देता . मेरी आँखें दूरबीन से जंगलों और झाड़ियों के बीच छिपे बाघ को देखने के लिए तरस रही थीं . दोपहर का समय हो आया था पर बाघ न दिखा और हाथी का शिफ्ट खत्म हो गया . महावत ने कहा कि अगर किस्मत ने साथ दिया तो कल हमलोग बाघ देख सकेंगे .


उस दिन हाथी से उतरते समय शोभना अपना संतुलन खो बैठी और प्लेटफार्म पर गिर पड़ी . गिरते समय उसका वजन बायें हाथ पर पड़ा और वह दर्द के कराह उठी . मैंने उसे सहारा देकर उठाया . अपने बैग से दवा निकाल कर उसकी कलाई से लेकर ऊपर एल्बो तक स्प्रे किया जिससे उसे तुरंत आराम मिला . फिर मैंने उसे एक पेनकिलर टैबलेट भी दिया . मैं उसे ले कर ढाबे में गया जहाँ दोनों ने लंच किया और फिर रेस्ट हाउस चले आये . उस दिन दुबारा बाहर निकल कर घूमने की हिम्मत नहीं हुई .


मैं लेटे लेटे जिम कॉर्बेट की लिखी किताब “ मैन ईटर्स ऑफ़ कुमाऊं “ पढ़ रहा था और शोभना किनारे वाले बेड पर सो रही थी . शाम को अपने रूम के बाहर कुर्सी पर बैठे हम दोनों चाय पी रहे थे . केयर टेकर ने शोभना के हाथ देख कर कहा “ किस्मत अच्छी थी , कोई फ्रैक्चर नहीं है वरना अभी तक हाथ सूज गया होता . सिर्फ स्प्रेन हैं , “


मैंने कहा “ गनीमत है कि चोट पैर में नहीं लगी वरना जंगल में अमंगल हो जाता . मैडम का घूमना फिरना बंद हो जाता . “


मैंने अपने फर्स्ट एड किट से क्रेप बैंडेज निकाल कर उसकी कलाई पर बाँध दी . उस रात डिनर के बाद हम जल्दी ही सो गए . दूसरे दिन सुबह फिर वहीँ हाथी स्टैंड जाना था . कल वाली जोड़ी ने भी आज अपने साथ घूमने के लिए अनुरोध किया था , वे भी स्टैंड पर मिल गए . मैंने शोभना को सहारा दे कर हावदा में चढ़ाया और इस बार उसे अपने बगल में बैठने को कहा और चुटकी लेते हुए कहा “ आज मेरी पीठ नहीं टकराएगी , तुम इत्मीनान से बैठो . “


उसने हँसते हुए कहा “ मैं अब समझ गयी हूँ तुम्हारा इरादा बुरा नहीं था . “


उस दिन हमारे साथ कुछ और हाथी भी थे जिन पर कुछ विदेशी सैलानी थे . मैंने देखा कि महावत बहुत देर से नीचे जमीन पर गौर से देखे जा रहा था तो मैंने पूछा “ नीचे क्या देख रहे हो ? “


“ साहब मुझे लगता है आज हमारी किस्मत अच्छी है , बाघ के पंजों के निशान हैं . शायद कहीं आसपास में ही देखने को मिले . यहीं कहीं छिपा होगा . “

सुन कर हमें ख़ुशी भी हुई और साथ में सभी के रोंगटे भी खड़े हो गए क्योंकि अभी तक हमने जू के पिंजरों में बंद या सर्कस के बाघ देखे थे . आज खुले में वह खूंखार जानवर न जाने क्या तमाशा दिखलाये . महावत ने मुझसे दूरबीन ले कर दूर तक निगाहें दौड़ाईं . फिर दूरबीन मुझे देते हुए बोला “ नीचे नदी में देखिये , वहां क्या है ? “


मैंने अपनी दूरबीन से देखा कि शायद पानी पीने के बाद एक बाघ गर्मी से छुटकारा पाने के लिए पानी में बैठा था . दूरबीन से देखने पर बाघ हमारे बिल्कुल पास दिख रहा था जबकि वह हमसे दूर नीचे नदी में था . शोभना ने भी दूरबीन से यह दृश्य देखा और डर के मारे लगभग मुझसे लिपट गयी थी . फिर तुरंत अपने को सहज करते हुए मुझसे अलग हो कर कहा “ सॉरी , मैं इतने नजदीक से बाघ को देख कर बहुत डर गयी थी . “


“ इसमें सॉरी की क्या बात है , मुझे इससे कोई प्रॉब्लम नहीं हुआ बल्कि सच कहूँ तो मुझे अच्छा लगा . “


मेरे चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान को उसने भांप लिया था और शर्मा गयी . महावत ने ढाढ़स बढ़ाते हुए कहा “ आपलोग निश्चिन्त रहें . आज तो हमारे काफिले में विदेशी भी हैं और साथ में बंदूकधारी गार्ड भी है . “


इसी बीच एक गार्ड ने हवाई फायर किया और बाघ पानी से निकल कर घने जंगलों में ओझल हो गया . बाघ के दर्शन से सभी खुश थे . दोपहर तक मैं और शोभना दोनों अपने रेस्ट हाउस के रूम में वापस आ गए . हमने सोचा आज के लिए इतना काफी है .


अगली सुबह दोनों आराम से उठे . शोभना अब ज्यादा फ्रैंक हो गयी थी . सुबह की चाय पीते समय शोभना ने कहा “ वैसे अभी तक तुमने मेरे लिए बहुत कुछ किया है , सारा खर्च तो तुम ही कर रहे हो . “


“ सब कुछ प्री बुक्ड है . मैंने तो सिर्फ खाने पर कुछ रूपये खर्च किये हैं . “


“ मैं किस तरह रिटर्न करूँ ? “


“ तुम्हारा साथ ही एक बेहतरीन रिटर्न है मेरे लिए . मैं सोच रहा था कि आज वाच टावर से जंगल का नजारा लिया जाए . इसके लिए मैंने जीप बुक कर रखी है . वैसे तुम्हारे हाथ का क्या हाल है ?”


“ ऑलमोस्ट ठीक है , कुछ मामूली सा दर्द रह गया है . “


अगले दो दिनों तक शोभना मेरे साथ रही . हमने वाच टावर पर खड़े होकर विशाल जंगल , पहाड़ और नदियों की सुंदरता देखी . सनराइज पॉइंट जा कर वहां से सूर्योदय का सुहावना दृश्य देखा .


अगले दिन हम दोनों रामनगर के लिए लौट चले . रामनगर से दिल्ली तक शोभना मेरे साथ रही . अब तक हम दोनों अच्छे दोस्त हो चुके थे . मुझे उसका साथ अच्छा लग रहा था . उसके वदन के स्पर्श की सुखद अनुभूति

मेरी साँसों और यादों में बसी थी . मुझे तो उसका साथ अच्छा लग रहा था पर उसके मन को मैं नहीं समझ पाया था .

दिल्ली से रांची तक राजधानी एक्सप्रेस में टू टीयर में मेरा नीचे का बर्थ था . शोभना को मुगलसराय तक जाना था और वहां से वह बनारस चली जाती , पर उसका ए सी थ्री टीयर में आर ए सी था जो कन्फर्म नहीं हो सका . उसे मैंने अपने बर्थ पर बुला लिया और कंडक्टर को इसकी सूचना दे दी . पैंट्री बॉय को भी उसका डिनर यहीं देने को कह दिया था .


सफर के दौरान शोभना ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के मध्यम ब्राह्मण परिवार की लड़की थी . उसकी बड़ी बहन ने विजातीय लड़के से लवमैरेज किया था जिसके चलते माता पिता ने उसे रिश्ता तोड़ लिया था . मेरे मन में एक मिनट के लिए ख्याल आया कि मैं तो रांची का आदिवासी हूँ , मुझे दोस्ती से आगे इससे कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए . डिनर के बाद शोभना मेरे बर्थ पर कंबल ओढ़ कर पसर गयी और जल्द ही नींद की आगोश में खो गयी . मैं खिड़की पर सर टिकाये उसी कंबल में कुछ दूर तक पैर फैला कर रात भर ऊंघता रहा न ठीक से सो सका न जाग सका .कभी मेरे पैर गलती से उसके पैर में सट जाते तो उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती , तो कभी मैंने जानबूझ कर भी ऐसा किया फिर भी शोभना पर कुछ असर नहीं हुआ .


सुबह तड़के राजधानी मुगलसराय पहुँचती है . मैंने विंध्याचल स्टेशन पार करने के बाद उसे उठाने की कोशिश की क्योंकि मुगलसराय जल्द ही आने वाला था , उसने कहा “ स्टेशन आने दो न . वहां ट्रेन काफी देर तक रूकती है . “

कुछ देर बाद सिग्नल नहीं मिलने से ट्रेन आउटर पर खड़ी थी तब मैंने उसे उठाया . उसने मुझे बैठे देख कर कहा “ तुम क्या रात भर यूँ ही बैठते आये हो ? “


“ तो क्या करता , तुम्हारे कंबल में घुस कर सो जाता ? “


“ आई ऍम सो सॉरी . जंगल की सैर ने बुरी तरह थका डाला था . “


थोड़ी देर में मुगलसराय आ गया . वह अपना बैगपैक छोड़ कर नीचे जाने लगी तो मैंने कहा “ अपना सामान तो लेती जाओ . “


“ मैं नीचे से तुम्हारे लिए कॉफी लेकर आती हूँ . “


मुझे भी चाय कॉफ़ी की सख्त जरूरत थी , जंगल की सैर और रात भर की अनिद्रा के चलते काफी थकान महसूस हो रही थी . टी स्टॉल कोच के सामने ही था , वह जल्द ही दो कॉफ़ी लेकर आयी और बोली - इसे पी लो , अच्छा लगेगा . “


“ अच्छा तो बहुत कुछ लगता है , पर जरुरी नहीं कि हमें वह मिले . “

“ फिलॉसफी छोड़ो और जल्दी पीओ . ट्रेन छूटने वाली है . हम कांटेक्ट में रहेंगे . थैंक्स फॉर आल द हेल्प्स . इस ट्रिप में तुमने बहुत मदद की . थैंक्स गॉड तुम मिल गए वरना पता नहीं मेरा क्या हाल होता . मुझे वे पल हमेशा याद रहेंगे . “

हम दोनों ने अपने कॉन्टेक्ट्स आदान प्रदान किये . ट्रेन सरकने लगी थी . उसने बैगपैक उठाया और यूरोपियन स्टाइल में मेरे गाल को चूमा और बाय कह नीचे उतर गयी . जब तक ट्रेन प्लेटफार्म छोड़ती तब तक मैं दरवाजे पर खड़ा हाथ हिला कर उसे विदा करता रहा और वह भी प्रत्युत्तर देती रही .


शोभना के साथ बिताये पांच दिन और ख़ास कर वो गुड बाय किस मेरी यादों में , मेरी आँखों , में मेरे सपनों में बस गए थे . मैंने अपनी भाभी से सारी बातें बतायीं . भाभी ने कहा कि अगर मैं उसे चाहता हूँ तो उससे सम्पर्क बढ़ा कर उसके मन को टटोलूं . मैंने बेंगलुरु में नौकरी ज्वाइन किया और शोभना ने पूना में . दोनों अक्सर फोन या लैपटॉप पर बातें करतें . दोनों के लंच का समय एक ही था , प्रायः हम एक दूसरे उसी समय में बात करते .

करीब एक साल बाद एक दिन किसी अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में अपनी अपनी कंपनी की तरफ से दोनों गए थे . उससे अचानक मिलकर बहुत ख़ुशी हुई . अब तो वह पहले से भी स्मार्ट और आकर्षक हो गयी थी . मैंने हिम्मत कर उसे कहा “ बहुत सुन्दर लग रही हो . जी करता है तुम भी बेंगलुरु में शिफ्ट कर जाती तो हम दोनों मिलकर अपने लिए कुछ सोचते . पर सिर्फ मेरे चाहने से क्या होगा . “


“ तुम्हारा साथ मुझे भी अच्छा लगता है . पर मैंने अपनी दीदी के बारे में तुम्हें बताया था न , उसके चलते पापा मम्मी बहुत तनाव में रहते हैं . मैं उन्हें और परेशान नहीं करना चाहती हूँ . शायद समय के साथ हालात कुछ बदले , तब तक जस्ट वेट एंड वाच .”


शोभना के इस कथन ने ‘ मेरा साथ उसे भी अच्छा लगता है ‘ मेरे दिल में कुछ उम्मीद जगायी .शोभना वापस चली गयी . इस बीच हमारी बातें होते रहीं . करीब दो महीने बाद उसने बताया कि उसकी शादी ठीक हो गयी है .उसके माता पिता ने एक सजातीय एन आर आई से उसकी शादी तय कर दी है .उसने शादी के अवसर पर मुझे बनारस आने को कहा .


शादी की रस्म से कुछ पहले हम दोनों बात कर रहे थे .मैंने कहा “ तुम तो अब शादी कर अमेरिका चली . मेरे लिए नो मोर वेट , मेरे हिस्से ओनली वाच रह गया .”


“ मैं बेबस थी गोपाल .बट तुम मेरे बेस्ट फ्रेंड हो और उम्मीद है रहोगे .”


शादी के बाद शोभना कैलिफ़ोर्निया चली गयी . हमारी बातें और चैटिंग होते रहतीं .अक्सर वह अपने पति रमन से भी मेरी बातें शेयर करती थी . छः मास के अंदर ही उसने मुझे बताया कि वहां कैलिफ़ोर्निया में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है . मैंने इसका मतलब पूछा तो उसने लिखा - वेट एंड वाच , बाद में बताऊंगी .

फिर इसके बाद उससे मेरी कोई बात नहीं हुई , उसने मुझे कोई मेसेज भी नहीं किया . मेरे मेल भी बाउंस हो रहे थे . शायद उसने फोन नंबर और मेल आई डी बदल दिया था . मैं चाह कर भी उससे सम्पर्क नहीं कर सका और मैंने उम्मीद छोड़ दी .यहाँ मुझे अभी तक मन लायक कोई हमसफ़र नहीं मिल सकी थी , कुछ मुझे पसंद नहीं थी तो कुछ ने मुझे नकार दिया .

कुछ महीने बाद मुझे शोभना का मेसेज मिला - मैं जल्द ही इंडिया आ रही हूँ . इससे ज्यादा कुछ नहीं लिखा था . एक दिन मैं कंपनी के काम से दिल्ली जा रहा था .दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रीपेड टैक्सी की लाइन में मैं खड़ा था . पंक्ति में मुझसे कुछ आगे एक लड़की दिखी जो जानी पहचानी लगी . मैं उसके करीब गया तो उसे देख कर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा . वो शोभना ही थी . मैंने कहा “ हाय शोभना . तुम अचानक यहाँ .”


मैंने उसे लाइन से अलग बुलाया और कहा “ व्हाट अ प्लीजेंट सरप्राइज .”


“ कोई प्लीजेंट वजह नहीं है .मैं सब कुछ छोड़कर अमेरिका से इंडिया आई हूँ .”


“ पर अचानक यह सब कैसे हुआ और तुमने अपना फोन नंबर हाईड क्यों कर रखा है ? ‘


“ अचानक नहीं हुआ है . मैं अभी बनारस जा रही हूँ , बाद में बात करुँगी .”


“ ठीक है , कम्पनी का काम खत्म होते ही मैं बनारस आऊंगा . तुम अपना पता और कॉन्टेक्ट्स दे दो . “


मैंने उसका पता ठिकाना ले लिया और अपना सेल नंबर भी उसे दे दिया . तीन दिन बाद मैं उसके घर बनारस पहुंचा . उस समय उसके मम्मी पापा किसी रिश्तेदार के यहाँ गए हुए थे . सिर्फ उसकी दादी घर में थीं .शोभना ने मेरा परिचय उनसे कराया तो वह बोलीं “ ओ , तुम्ही गोपाल हो . शोभना तुम्हारी चर्चा अक्सर किया करती थी .सच कहूं तो तुम्हारी बहुत तारीफ करती है अभी भी .”


मैंने दादी से कहा “ अगर आप इजाजत दें तो हम दोनों थोड़ी देर के लिए बाहर जा सकते हैं . “


“ हाँ , चले जाना जितनी देर जी चाहे घूमना फिरना . जब तक तुमलोग लौटोगे तब तक शोभना के पापा भी आ जाएंगे .उन्हें तुमसे कुछ जरूरी बातें करनी हैं .पर थोड़ी देर में लंच तैयार हो जायेगा . खाना खा कर ही जाना . “

फिर दादी ने कुक को आवाज दिया “ महाराज जी , खाना तैयार होने में और कितना समय लगेगा .”


कुक की आवाज आयी “ माँ जी , बस सब्जी रह गयी है .आधे घंटे के अंदर तैयार हो जायेगा .”


“ दादी , अगर बुरा न मानें तो लंच आज हम दोनों किसी रेस्टॉरेंट में कर लेंगे .”

“ ठीक है , जाओ बच्चों .”

कुछ देर बाद हम दोनों रेस्टोरेंट के एक केबिन में बैठे थे . मैंने लंच आर्डर कर दिया . शोभना से पूछा “ अब बताओ , तुम्हारा सब कुछ छोड़ कर अमेरिका से वापस इंडिया आने का मामला क्या है ? “

“ कुछ दिन तक मेरे और मेरे पति रमन के साथ रिश्ता बहुत अच्छा रहा , अच्छा क्या रहा , सच कहूं तो रमन के प्यार के नाटक को मैं हकीकत समझ बैठी थी . रमन को अक्सर रात में एक लड़की का फोन आता और वह रॉंग

नंबर कह कर फोन काट देता था . एक दो रात वह घर से भी गायब रहा .मेरे पूछने पर बहाना बना देता कि इंडिया के क्लाएंट के साथ अर्जेंट मीटिंग थी .मैं भी समझती कि उसने ठीक कहा होगा क्योंकि उस समय इंडिया में दिन होता था .एक रात जब वह बाथरूम में था उसे एक लड़की का मेसेज आया .फोन की लाइट जल उठी तो मैंने देखा लिखा था - अब तुमसे कोर्ट में मिलूंगी . कांटेक्ट में रमन ने सिर्फ फ्रेंड नाम से ही उसका नंबर सेव किया था .”


तभी बेयरा ने नॉक कर लंच ला कर टेबल पर रखा .मैंने कहा “ अब हमें और कुछ नहीं चाहिए . आधे घंटे के बाद दो कॉफ़ी दे जाना .”


फिर शोभना से कहा “ उसके बाद क्या हुआ ? “


“ हमारी शादी से पहले करीब एक साल तक रमन एक अमेरिकन लड़की के साथ लिव इन रिलेशन में उस लड़की के घर में रहता था . वह तो उससे शादी के लिए तैयार था . पर उसके मम्मी पापा इसके लिए तैयार न थे .अभी रमन की नयी नौकरी थी और कुछ दिनों बाद वह ले ऑफ हो गया था . उनका ब्रेकअप हो गया . कुछ दिनों तक वह अपने मम्मी पापा पर निर्भर था और उन्हीं के साथ रहने लगा . इसी बीच उस लड़की ने रमन को बताया कि वह प्रेग्नेंट है और अबो्र्ट नहीं करने वाली है . रमन ने सोचा कि उसका पिंड उस लड़की से छूट गया पर उस लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया और कुछ महीनों के बाद रमन को कोर्ट से नोटिस भेजा .”


तब तक बेयरा कॉफ़ी लेकर आया . उसके जाने के बाद मैंने शोभना को आगे की कहानी बताने को कहा .


वह बोली “ उस लड़की ने रमन से बच्चे की परवरिश के लिए दो लाख डॉलर्स मांगे थे . हालांकि रमन को जॉब मिल गया था पर वह इतनी रकम देने की स्थिति में नहीं था .उसके मम्मी पापा भी इतनी बड़ी रकम देने की स्थिति में नहीं थे . रमन के वकील ने आउट ऑफ़ कोर्ट समझौता करने की सलाह दी .रमन अपनी एक्स से मिला तो उसने कहा अपनी पत्नी को तलाक देकर मेरे पास आ जाओ वरना हर्जाना देना होगा . रमन के माता पिता ने भी उसे मुझसे तलाक लेने की सलाह दी . कैलिफ़ोर्निया का तलाक नियम बहुत सॉफ्ट और लचीला है . “


“ क्या मतलब ? “


“ कैलिफ़ोर्निया डिवोर्स लॉ कहता है - नो फॉल्ट डिवोर्स .मतलब पति पत्नी बिना किसी की गलती के तलाक दे सकते हैं और इसके लिए किसी को कुछ प्रूफ देने की जरूरत नहीं है - सिंपल ,अब साथ नहीं रहना चाहते , तलाक के लिए इतना ही काफी है .

नियम के अनुसार प्रॉपर्टी का बंटवारा उनके बीच बराबर होता है या फिर आपसी समझौते के मुताबिक . रमन के पास तो अपना कुछ था ही नहीं , उसको मुझे ही कुछ देना पड़ता अगर मैं तलाक मांगती . रमन ने तलाक फाइल किया और प्रॉपर्टी का समझौता आउट ऑफ़ कोर्ट हुआ - जो जिसके पास है उसका रहेगा .इस तरह हमारा तलाक हुआ . अपनी शादी को लेकर मेरे मन में जो सपनों का महल था वो चूर चूर हो गया . इसके बाद मेरा दिल टूट गया और मुझे अमेरिका में रहने का एक पैसा मन न था और मैं वापस आ गयी .”

बेयरा बिल दे गया और पेमेंट कर हम दोनों बाहर आये . मैंने कहा “ चलो कुछ देर नेहरू पार्क में बैठते हैं .”


फिर मैंने कहा “ शोभना तुम जानती कि मैं तुम्हें चाहने लगा था . तुमने अपनी बहन की बात बता कर मुझे चुप कर दिया , आगे कुछ बोलने की हिम्मत ही नहीं रही .”


“ हाँ , मैं जानती हूँ तुम मुझे प्यार करने लगे थे .”


“ और तुम ? “


“ मैं भी तुम्हें चाहने लगी थी .मैंने दादी और मम्मी से कहा भी था . ताज्जुब की बात तो यह थी कि दादी पुराने ज़माने की थीं फिर भी उन्हें हमारा रिश्ता मंजूर था पर पापा इसके लिए किसी कीमत पर तैयार नहीं थे . और मुझमें घर से भाग कर शादी करने की हिम्मत नहीं थी .पापा और मम्मी के मन में था कि शादी सजातीय हो . इसके अलावा उनकी सोच के अनुसार मोहल्ले में पहला एन आर आई दामाद होने से समाज में उनका रुतवा बढ़ जाएगा और साथ में मैं और दामाद दोनों मिल कर डॉलरों की वर्षा कर देंगे उनके आंगन में . अंत में न चाहते हुए भी मेरी शादी हुई और रमन के साथ मुझे अमेरिका जाना पड़ा . मेरे डिवोर्स के बाद पापा मम्मी को भी इस बात का पछतावा हुआ कि झूठी शान और डॉलर की लालच में उन्होंने हमदोनों के रिश्ते की बात न मान कर गलती की थी . “


“ अब आगे क्या सोचा है ? “


“ अभी क्या कहूं , जस्ट वेट एंड वाच .” शोभना ने ने हंस कर कहा


“ कमाल करती हो कब तक वेट और वाच करूँ . अब और वेट करने का साहस नहीं है मुझमें .”


“ साहस और तुम में ? “


“ क्यों , मुझे कायर समझती हो ? “


“ और नहीं तो क्या .”


“ कैसे ? “


“ ये भी मुझे बताना होगा . जंगल में मेरे साथ पांच दिन बिताये तुमने . एक पलंग पार करने का साहस नहीं कर सके . और तो और ट्रेन में एक कंबल के अंदर रात भर सिर्फ अपनी टाँगे लड़ाते रहे . मैं कुछ भी नहीं भूली हूँ . अगर तुम कुछ हिम्मत दिखाते और पहल करते तो शायद मैं भी तुम्हारे साथ हो लेती और दीदी की तरह फैसला ले सकती थी . इसे तुम्हारी कायरता नहीं तो और क्या कहूं मैं ? “


“ अच्छाजी , तुमने मेरी शराफत को कायरता का नाम दिया है . ”

मैंने पार्क में ही उसे आलिंगन में दबोच लिया . उसने छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा “ अरे , पब्लिक प्लेस में क्या कर रहे हो ? अब घर चलो , वहां सब हमारा इंतजार कर रहे होंगे . “


“ तब कहो मैं कायर नहीं हूँ .”


“ ओके बाबा , मान लिया . अब तो छोड़ो .”


मैं शोभना के साथ उसके घर गया . तब तक उसके मम्मी पापा भी आ चुके थे . पापा ने कहा “ हमने एन आर आई दामाद की लालच में तुम दोनों के रिश्ते को नजरअंदाज कर दिया जिसके लिए मैं शर्मिंदा हूँ . पर क्या शोभना के पास्ट को देखते हुए अभी भी तुम उसे स्वीकार करने को तैयार हो ? “


“ मुझे उसके बीते कल से कोई परेशानी नहीं है , उसके आनेवाले कल में खुद को शामिल कर अपने को खुशनसीब समझूंगा . मैं झारखंड का मुंडा आदिवासी हूँ , आपको पता है न . अगर आप लोगों को कोई आपत्ति नहीं तो मैं तैयार हूँ . “


“ अब जात पात का नाम लेकर मुझे और शर्मिंदा न करो . “


शोभना ने शरमा कर सर झुका लिया . दादीजी ने हुक्मनामा जारी किया “ मैंने अगले सप्ताह तुम दोनों की सगाई का दिन तय किया है .”


किसी की तरफ से ना की कोई गुंजाइश नहीं थी .