केशव : नमस्कार मिश्रा जी
मिश्रा : नमस्कार मिश्र जी
केशव : और सुनाइये क्या चल रहा है
मिश्रा : बस सब बढ़िया लड़के ने आर्मी जॉइन जॉइन कर ली है और लड़कियां अभी पड़ रही है
केशव : लड़कियों में भी कोई आर्मी में जाएगी
मिश्रा : नहीं आर्मी की नौकरी लड़के करते है
केशव : छोटे वाली तो बचपन में खिलौना घर बनाने में माहिर थी वो तो शायद मिस्ट्री बनेगी
मिश्रा : नहीं वो अपने लायक यानी की लड़कियों के करने लायक पढ़ाई कर रही है
केशव : क्या कर रही है
मिश्रा : ब.एड.
केशव : मतलब की टीचर बनेगी
मिश्रा : जी हां
केशव : और लड़की खुश है टीचर बनकर
मिश्रा : है बिल्कुल
केशव : और उसके घर बनाने के टेलेंट का क्या हुआ उसके बारे में वो खुद क्या कहती है
मिश्रा : खुश है वो कहती है की मिस्त्री जैसा ऊपर नीचे चढ़ने वाला काम लड़को के लिए है लड़कियां सॉफ्ट काम करती है
केशव : और बड़े वाली तो यकीनन MR बनेगी वो तो जब से देख रहे है इस काम की काबलियत रखती है
मिश्रा : कैसी बात करते है केशव जी बाहर धूप में भाग दौड़ लड़कियों के करने वाला काम नहीं है यह लड़के करते हैं वो तो IT सेक्टर में जाएगी जहां AC रूम में बैठ कर काम करना होता है
केशव : मिश्रा जी यह आपके विचार है या आपकी लड़कियां भी इसी तरह सोचती है
मिश्रा : दोनो लड़कियों ने अपनी मर्ज़ी से अपनी प्रोफेशनल लाइन चुनी है
केशव : बहुत बढ़िया यही होना चाहिए
केशव : मिश्र जी अपनी आखिरी मुलाकात याद है
मिश्रा : जी हां आखिरी बार अपने पब्लिक पार्क वाले धरने में मिले थे बहुत मज़ा आया था उस धरने में
केशव : हा बिल्कुल वैसे किस मसले पर था वो धरना
मिश्रा : gender equility पर
केशव : तो equility अपना रही है आपकी लड़कियां
मिश्रा : नहीं अपना रही क्या मेरी दोनो लड़कियां लड़के से काम नहीं है
केशव : तो फिर मिल्ट्री मिस्ट्री MR गटर सफाई आदि खतरनाक काम से दूर क्यों भाग गयी और ऐसे प्रोफेशन को क्यों चुना जो रिस्क फ्री था और लड़के को मिल्ट्री में भिजवा दिया
मिश्रा : दोनो लड़कियां अपने लायक प्रोफेशन में जा रही है
केशव : नहीं यह सही नहीं है जहां तक लायक होने की बात है तो छोटी लड़की मिस्त्री एवं बड़ी मार्केटिंग के लायक थी
मिश्रा : यह दोनो प्रोफेशन लड़कियों के लायक नहीं है
केशव : वही तो मैन कहा की ज्यादातर लोग gender equility का ढकोसला करते है जब अपनाने की बात आती है तब safe एवं आरामपसंद काम तलाश किये जाते हैं
मिश्रा : लड़को की पहली पसंद भी आरामपसंद जॉब रहती है
केशव : बिल्कुल रहती है परंतु वो किसी काम को भी ऐसा नहीं मानते जो उनके काबिल न हो
मिश्रा : लड़के खाना बनाना नहीं जानते
केशव : किसी ऐसे लड़के का नाम बता सकते है जो खाना नहीं बना पाने के कारण मर गया हो
मिश्रा : नहीं
केशव : क्यों
मिश्रा : थोड़ा बहुत बनाना तो सब जानते है
केशव : आपकी लड़की के हाथ का मोतीचूर का लडू एवं पनीर के परांठे कब खिला रहे है
मिश्रा : उनको बनाना कहा आता है उनकी मम्मी बनाती है और अभी दोनो पैड रही है
केशव : मतलब इस एरिया को भी आप लड़कियों के काबिल नहीं मानते या फिसड्डी है दोनो
मिश्रा : गरर गरर गरर
केशव : दुनिया का सबसे बड़ा शेफ एक आदमी है यह तो पता है
मिश्रा : हा
केशव : और देश का
मिश्रा : वो भी आदमी है
केशव : अपने राज्य का
मिश्रा : आदमी
केशव : अपने शहर का
मिश्रा : गोलू पहलवान
केशव : यानी की आदमी … और मोहल्ले का
मिश्रा : राजन बाबू
केशव : मतलब की ….
मिश्रा : समझ गया की वो भी आदमी है
केशव : शहर के फेमस होटल्स में शेफ आदमी ही है
मिश्रा : कहना क्या चाहते है
केशव : सिर्फ इतना की gender equility का ढकोसला छोड़िये और लड़कियों को बॉर्डर पर मारने के लिए ऊंची बिल्डिंग्स पर होने वाले एक्सीडेंट गटर की सफाई से होने वाली बीमारियों आदि के लिए तयार कीजिये
मिश्रा : यह सब खतरनाक काम तो लड़के कर लेते है
केशव : अभी हुम् एक ऐसी सोसाइटी में है जो हाइब्रिड है इस सोसाइटी मैं आपको हज़ारों लड़के मिल जाएंगे जो लड़कियों की बर्डन अपने सिर पर लेने को तयार मिलेंगे और पर्सनल लेवल में में कहूँगा की हज़ारों बेवकूफ लड़क मिल जाएंगे परंतु बहुत जल्दी यह सब खत्म हो जाएगा और फिर लड़कियों को अपनी हिफाज़त के लिए खुद ही मरना होगा अपनी गंदगी खुद साफ करनी पड़ेगी कोई उनको ऐश नहीं करवाएगा
मिश्रा : कोई बात नहीं जब तक ऐसे बेवकूफ है टैब तक तो ऐश करने देते है
केशव : मतलब की तब तक ढकोसले बाज़ी करते रहते है
मिश्रा : बिल्कुल