A SECRET LETTER - 2 in Hindi Short Stories by Hardik Chande books and stories PDF | A SECRET LETTER - 2

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A SECRET LETTER - 2

जैसे कि आपने पहले पार्ट में देखा,जीवा को एक अंजाना खत मिलता है जिसमे एक खंजर होता है और उसमें मिले एक कागज़ में एक शायरी भी लिखी हुई होती है। जीवा के पापा जीवा की मम्मी को फ़ोन लगाते है लेकिन हेल्लो बोलने के बाद फ़ोन कट हो जाता है। तो चलिए चलते है अब एक नये सफर पर!

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जीवा की मम्मी का फ़ोन कट हो जाता है और इस तरफ जीवा की मम्मी सोचती है,"ये फ़ोन की बैटरी को भी अभी खत्म होना था! पता नहीं क्या काम था जीवा को? उसने कोई चीज़ लाने को तो नहीं कहा था... फिर क्या बात होगी? इस भैया से ही फ़ोन कर लेती हूं।"

सब्जी वाले भैया से जीवा की मम्मी कहती है,"ओ भैया! आप अपना जरा फ़ोन देंगे!? वो क्या है मेरे फ़ोन की बैटरी खतम हो गयी है, और एक फ़ोन करना है।"

"हाँ!हाँ! ये लीजिए फ़ोन।" सब्जी वाले ने जीवा की मम्मी से कहा।

जीवा की मम्मी मन में सोचते सोचते जीवा को फ़ोन लगाती है,"सुक्र है कि मैंने अपनी फ़ोन के नंबर वाली डायरी साथ रखी है, वरना मुझे तो जीवा का नया नंबर याद ही नहीं रह रहा।"

फ़ोन की रिंग बज रही है, जीवा ने फ़ोन उठाया और एकदम फटाफट गुस्से से बोलने लगी,"ये तुम ही बोल रहे हो ना जिसने मेरे घर पर ये खत छोड़ दिया है..!? में पुलिस में कम्प्लेंट कर दूंगी देखना!"
"क्या कह रही है जीवा!? में तेरी मम्मी बोल रही, ऐसा क्या हो गया है तुझे और एक खत के लिए सीधा पुलिस को कम्पलेंट करोगी?" जीवा की मम्मी आश्चर्य होकर बोली!

"मम्मी ये बात बाद में, आप जल्दी से जल्दी घर आ जाओ बस! दूसरा कुछ टेंशन मत लो। में और पापा आपका घर पे इंतेज़ार कर रहे।" जीवा अपनी मम्मी को समजाते हुए बोली।

"बेटा! ये मैंने किसी दूसरे के फ़ोन से फ़ोन किया है, तो इस पर वापिस फ़ोन मत करना। और में जल्दी घर आ रही हूँ।" जीवा की मम्मी जीवा से कहती है।

"ओके, मम्मी। बस कहीं पर भी रुके बिना घर आ जाओ।" जीवा थोड़े से गीले आवाज़ में बोली।

"आपका धन्यवाद!" कह कर जीवा की मम्मी रिक्शा स्टैंड की तरफ जाने लगी।

"भैया! A.G.Road चलोगे?" जीवा की मम्मी ने रिक्शा वाले से पूछा।

"30 रुपए होंगे।" रिक्शा वाले ने कहा।

"20 रुपए में तो सब ले जाते है और आप 30 रुपए कह रहे हो!? (जीवा का खयाल मन में आता है और वो रिक्शा वाले से कहती है।) ठीक है भैया, 30 रुपए ले लेना, पर रिक्शा को कही भी रोकना मत! थोड़ा सा अर्जेंट है।" जीवा की मम्मीने रिक्शावाले से कहाँ
इस तरफ जीवा अपने पापा के लिए चाय बनाने के लिए जाती है, किचन की खिड़की के बाहर में उसे अपना दोस्त दिखता है और उससे कहने लगी,"यहाँ भी आ गए तुम? तुम्हें कोई काम नहीं क्या!? यार अभी मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा। में तुम्हे बाद में मिलती हूँ। अभी पापा के लिए चाय बनानी है।"

"लो बोलो! दोस्त से मिलने का भी टाइम नहीं है, डायन को तो!" नीरव जीवा को कहते कहते ज़ोर ज़ोर से हँसने लगता है।

"यार! दिमाग काम नहीं कर रहा, आज कोई मजाक नहीं प्लीज!" जीवा एकदम दुःख से भरे आवाज़ से नीरव को कहती है।

"चलो ठीक है, आज डायन को पूनम लगा है शायद! बाद में मिलता हूँ।" इतना कहके नीरव चला जाता है।

थोड़ी देर बाद जीवा चाय बनाके अपने पापा के पास चाय लेकर आती है। "पापा, चाय!" कहकर वो भी चाय का एक कप उठा लेती है।

थोड़ी देर बाद डोरबेल बजती है। जीवा दरवाजा खोलने जाती है। door-eye में देखती है तो सामने उसकी मम्मी खड़ी हुई होती है। वो फटाफट दरवाजा खोलती है और अपनी मम्मी को जल्दी से घर के अंदर ले आती है।

"बेटा! क्या हुआ है, मुझे जल्दी जल्दी बिना कही पे रुके आने के लिए क्यों कहा था!?" जीवा की मम्मी बड़े आश्चर्य के साथ जीवा और उसके पापा के सामने देखकर बोलती है।
"मम्मी! किसी ने एक खत के साथ पुराने जमाने का खंजर हमारे घर में रख दिया है और साथ में एक शायरी भी है। जिससे पढ़के तो में ओर डर गई हूं।"जीवा डरते डरते बोलती है।

तभी जीवा के फ़ोन में उसके भाई का फ़ोन आता है।
जीवा अपने पापा से कहती है,"पापा भाई का फ़ोन है। उठाऊ या रख दूँ?"

जीवा के पापा फोन उठाते है और थोड़ा गुस्सा होकर बोलते है,"क्यों फोन किया आज? आज ही तुझे परिवार की याद आयी। 3 साल हो गए है तुझे नहीं देखा --" रजत बात काटके बोलने लगता है,"क्या चाचा! हर बार मुझसे ऐसे ही बात करते हो, आपकी तबियत तो ठीक है ना!? चाचा I'm so sorry, मैंने बात करने की कोशिश नहीं कि, और अगर इतनी ही चिंता हो रही थी तो एक बार मुझे फोन कर लिया होता।"

"तुम्हारे नए नंबर थे हमारे पास, की फ़ोन कर लेते? सुक्र है तुम्हारे दोस्त के पास तुम्हारा नया नंबर था। तो उसने दिया हमें। पुराने नंबर का तो तुम्हारा सिम कार्ड ही बंद हो पड़ा है। तुझे कल ही फ़ोन किया था, उठाया तो नहीं था तुमने!" जीवा के पापा रजत से कहते है।

"अंकल! कल में busy था काम में, तो भूल गया।" रजत कहता है।

"आप अपना गुस्सा काबू में रखिये जी। सुक्र है आज उसने फ़ोन किया हमें।" जीवा की मम्मी जीवा के पापा के कंधे पर हाथ रखके एक दम धीरे से कहती है।

जीवा भी कहती है,"हाँ। पापा। गुस्सा शांत रखिये।"

जीवा के पापा अपना गुस्सा शांत करते हुए रजत से कहते है,"अच्छा ठीक है, कोई काम था क्या बेटा? आज अचानक फोन क्यों किया?"

रजत कहता है,"महेश्वर चाचा! देखिए। मैंने घर पे एक पुराने जमाने का खंज़र भिजवाया था, आपको मिल गया ना?"
"अरे उस खंज़र ने तो हमारा सिर उठा के रखा है। साथ में कोई शायरी भेजी थी?"
"नहीं, अंकल! शायरी क्यों भेजूंगा? सिर्फ खंज़र ही था। क्यों क्या हुआ उस खंज़र को लेकर?"
"अरे बेटा! इस खंज़र के साथ एक शायरी भी आई है, और तू कह रहा है वो तूने नहीं भेजी। देख ऊपर से जीवा जब अकेली थी घर पे तब एक लड़का आया था, उसका पूरा शरीर कीचड़ से गंदा हो गया था, पर चहेरा थोड़ा सा साफ दिखाई दे रहा था। तो जीवा को लगता है ये सब उसी लड़के की करतूत है।"
"अरे अंकल! टेंशन मत लीजिये, आप अभी अभी ऑफिस से आये होंगें, थोड़ा सा रिफ्रेश हो जाइए। मुझे पता है आप लोगो पर टेंशन सवार हो गया है। पर जितना शांत रहोगे उतना अच्छा feel होगा। किसी का कोई मजाक होगा।"
"ठीक है, अब तुम कह रहे हो तो ठीक है। हम भी रिफ्रेश हो जाते है। अगर ये मजाक भी हो पर मुझे FIR लिखवानी ही है।" जीवा के पापा रजत से कहते है।
"अगर किसी का मजाक निकला और खामखा पुलिस के साथ हमारा time भी बरबाद होगा वो अलग और आपको तो पता है, मजाक निकला तो पुलिस यही कहेगी की खामखा हमारा time बर्बाद किया! आपको ये सुनना अच्छा लगेगा?"
"ठीक है बेटा! Bye bye! खयाल रखना।" इतना बोलकर फोन रख देते है।
"मुझे कुछ अजीब लग रहा है। जीवा बेटा एक और चाय बना देना।"
"ठीक है पापा! अभी बनाके लायी।"
तभी डोरबेल बजती है,
"अरे रुको रुको! में जाता हूं। वरना तुम फिर से डर जाओगी।" जीवा के पापा दरवाजा खोलने के लिए खड़े होते होते बोलते है। जीवा और उसके पापा दोनों हँस पड़ते है।

जीवा के पापा ने दरवाजा खोला और देखते है तो सामने पुलिस !

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आखिर पुलिस क्यों आयी होगी? आखिर क्यों रजत ने पुलिस में कंप्लेंट लिखाने से मना कर दिया होगा? क्या सच में ये किसी का मजाक होगा? जानिए अगले पार्ट में।