Dalit ek soch - 1 in Hindi Moral Stories by ADARSH PRATAP SINGH books and stories PDF | दलित एक सोच - 1

Featured Books
Categories
Share

दलित एक सोच - 1

इस पुस्तक में उपयोग सभी किरदार सिर्फ शब्दो को बया करने के लिए उपयोग किये गए है उपयोगी किरदार का तालुख किन्ही मतभेदों को उत्पन्न करने के लिए नही किया गया है उपयोगी जानकारी काल्पनिक है जो मनुष्यो की सोच में प्रभाव उत्पन्न करने का प्रयत्न है जिससे दलितों के प्रति उनका स्वभाव परिवर्तन हो।


पारंपरिक, पौराणिक मान्यताओं वाला एक कुँआ है। जिसमे कई वर्गों के लोग प्रवास करते हैं। इन सभी को देखने के लिए नजरिया भी निर्धारित किये गये है। छत्रिय, ब्राह्मण, दलित,..!इस कुएं में सिर्फ उच्च वर्ग वाले लोग को ही पानी मे उतारने का ही मौका मिलता है दलित के प्रति लोगों की सोच एक समस्या है। जो दलित वर्ग को कीड़े मकौड़े स होना स्पष्ट करती है जिनको मनुष्य अपने बल के तले दबा कर रख भी सकता है और मार भी सकता है
यह सोच हमे वर्गो में अन्तर करना स्पष्ट करती है यह धारणा मनुष्य को मनुष्य न होकर एक कागज के नोट स है जो होते तो है सभी कागज के पर उनके दाम उन्हें अलग होने का अर्थ बताते है। मान्यताये हमे ये भी बताती है कि जमीदार का बेटा तो जमीदार हो सकता है लेकिन जमादार(दलित) का बेटा कभी जमीदार नही बन सकता है। यह सोच दलित को अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करने योग्य होने के बावजूद उसे कमजोर होने का एहसास कराती है जिससे वह उसका संवाहन कभी नही कर पाता है और लोगो को इस दौरान एक बार फिर से उन्हें दलित घोषित करने का मौका प्राप्त होता हैं। इस वर्ग के भीतर सभी पीड़ित,शोषित,खिन्न,उदास मनुष्य आते है जो दलित व फलित में अंतर स्पष्ट करते है हालांकि सोच मनुष्य की अपनी सोच होती है लेकिन इस तरह की सोच का न होना जरूरी है ।

समय देश की बेड़ियों के बांधे जाने से पहले का है जिस वक्त बेड़ियाँ तो खुली हुई है लेकिन बेड़ियाँ पैरो में है जो कभी आजाद होने का एहसास नही कराती है आसमान तो खुला है पर शालाखे बन्द है देश की सारी सत्ता छत्रिय वंशो के पास है इन्ही सत्तो में से शिवपुर की सत्ता राजा उदयभान सिंह के पास थी जिन्हे सूर्यवीर ,सूर्यवंशी होने का प्रमाण उनकी प्रजा के समक्ष उनकी दुश्मनो के प्रति हुई लड़ाइयां बताती है शिवपुर में उदयभान सिंह की प्रजा में से राम कुमार का परिवार भी आता है रामकुमार एक दलित समाज से तालुख रखता हैं रामकुमार का एक बेटा रुद्र है जिसके साथ वह शिवपुर में रहता है राज घराने में नए युवराज रुद्र सिंह के जन्मदिन के अवसर पर शिवपुर में एक विशाल भोज का आयोजन होता है शिवपुर की सारी प्रजा भी आमंत्रित होती है रामकुमार भी अपने बेटे रुद्र के साथ शाम को राज घराने में आयोजित कार्यक्रम में जाता है रामकुमार अपने बेटे को वहां पर उपलब्ध कई तरह के पकवानो का स्वाद दिलाने के लिए वहाँ उपस्थित काउंटर पर जाता है तो वहां उपस्थित भोज वितरण हेतु कर्मचारियों ने रामकुमार से कहा कि हो दलित तुम लोगो के लिए यहाँ नही वहाँ अलग काउन्टर लगाया गया है वहां जाहो यहां से भागो ।रामकुमार इस लहजे के विषय मे कुछ विचार नही करना चाहता था इस लिए वह शांति से सामने दलित समाज को भोज कराने के लिए काउंटर पर जाता है जहाँ उन्हें उच्च समाज के लोगो से भिन्न भोजन प्रदान किया जा रहा था लेकिन वह इन परिस्थितियों से वाकिब था इस लिए वह प्राप्त भोजन को ग्रहण करता है लेकिन उसका बेटा रुद्र अपने पिता के साथ हुए दुर्व्यवहार से खुश नही था
रुद्र ने वहां पर हो रहे खेलो में भाग लिया हुआ है जिसमे वह प्रतम स्थान प्राप्त करता है जिससे उसे राजा द्वारा परुस्कार भी प्राप्त होना है परुस्कार वितरण के दौरान राजा को ज्ञात होता है कि एक दलित के बेटे का नाम शिवपुर के होने वाले राजकुमार का नाम है जिससे TO BE CONTINUE