ONE NIGHT STAND IN KILA OF BHANGARH in Hindi Horror Stories by ADARSH PRATAP SINGH books and stories PDF | एक रात भानगढ़ के किले मे

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एक रात भानगढ़ के किले मे

मैं और मेरा दोस्त अमित बचपन से ही रात में बिना कहानियों को सुने हुए सोते नही थे। पिता जी हमको कहानिया सुनाते थे और अमित अपने घर को चला जाता था हमे भी कहानियों में दिलचस्पी दिन प्रति दिन बढ़ती चली जा रही थी। हम सुबह को उठकर रात वाली कहानी के बारे में सोंचते। हम कहानियों में इतना विलीन स हो जाते थे।कि हम उन कहानियों में अपने खुद के किरदार को पाने का एहसास करते थे।शनिवार की रात को पिता जी ने भानगढ़ की एक डरावनी सी कहानी सुनाई।वो बहुत डरावनी थी , उसको सुनने के बाद अमित घर को चला गया ।बाकी दिनों की तरह आज भी मैं खुद को और अमित को पिता जी द्वारा सुनाई गई कहानी में एक किरदार स समाज ही रह था कि मैंने देखा मैंने और अमित ने अपना greduation खत्म कर लिया है एक रात हमने फैसला किया कि हम एक रात भानगढ़ बिताएंगे ।पिता जी के कहानी के अनुसार ,हम दोपहर को भानगढ़ पहुच गए।हमने यह फैसला लिया कि हम रात को वहाँ स्तित किले में जायेगे। लेकिन वहाँ का गॉर्ड हमे जाने से रोक रहा था पर हमने उसको कुछ पैसे देकर एन्ट्री पा ली । हमने उस किले के दो चक्कर लगाए पर वहाँ हमें कहानियों जैसा कुछ डरावना नही लगा सिर्फ खंडरो को छोड़कर, मुझे कुछ जरूरी बात करनी थी तो नेटवर्क के लिए मैं किले से बाहर की ओर आया था कि मुझे किले के ऊपर वाले कमरे से अमित की आवाज आई ।मैं दौड़ते हुए ऊपर की ओर जा ही रहा था कि मुझे कुछ ऐसा लगा कि मेरे पीचे से कोई चल स रहा हो।लेकिन मैं जल्दी से उस कमरे में गया तो मैंने अमित को सामने खिड़की पर शांत खड़ा देखा एक पल के लिए मेरे सांस सी आयी और मैन आवाज लगाई अमित अमित लेकिन अमित ने कोई जवाब नही दिया मैंने अमित का हाँथ बहुत तेजी से पकड़ा ही था कि पीछे से अमित ने मुझे बुलाया मैं दहल स गया था की अमित मेरे पीछे है तो यह कौन? मैं वही पर बेहोस स हो गया था। अमित ने मुझे उठाया और बहुत तेजी से किले के दरवाजे तक ले आया।गॉर्ड ने मेरे ऊपर पानी की पूरी बोतल खाली सी कर दी थी।उसके बाद मैं बहुत घबराया स था ।अमित ने गाड़ी को निकाला और हम वापिस अपने घर को लौट आये।बाद में अमित ने मुझे बताया कि उसने भी एक लाल लहँगे में एक औरत को किले की झूमर पर देखा था।लेकिन तुम्हरी आवाज मुझे अमित अमित कर पुकार रही थी। तो मैं तुम्हारे पास पहुंचा तो तुम किसी और को ही अमित अमित बुला रहे थे।
लेकिन यह कहानी हमारे जीवन का एक असल बात थी जो कि 14 साल बाद हुई।
आज हमे समझ आ गया था कि कहानियां भी सच होती है और ये भी समझ आया कि हर एक बात का तालुख आपके अपने स्वयं के जीवन से ही होता है।
एक रात भानगढ़ के किले में । प्रेसक:- आदर्श प्रताप सिंह
Instagram :- bippu_rathaur
Facebook:-adarsh singh rathaur(bippu singh)

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