टु गैदर वी...... मोटो और आये हुए लोगो को ढूंढने का सबसे पहला साधन संकेत के पास गूगल था । संकेत ने फोटो शॉप यूज़ करते हुए लोगो को पूरा किया और गूगल पर इमेज सर्च किया ।
उससे मिलते जुलते 4 लोगो संकेत के सामने आये, पर किसी भी लोगो का मोटो वो नहीं था जो उस आई कार्ड पर था । संकेत का पहला ट्राय फेल हो गया था ।
अब अगला निशाना था अनिवेश राजपुरोहित.... ।
अनिवेश को तलाशने का जरिया संकेत ने फेसबुक को बनाया, पर फेसबुक पर इस नाम का कोई शख्स मौजूद ही नहीं था । संकेत ने बारी बारी से ट्विटर और इन्स्टाग्राम पर भी उस व्यक्ति को तलाशा पर रिजल्ट जीरो था । संकेत निराश होकर बैठ गया ।
पर डिटेक्टिव पापा का पिटारा अभी बंद नहीं था,"संकेत बेटा ज़रा वो आई कार्ड लेकर आ ।" पापा बोले । संकेत ने जेब में पड़ा आई कार्ड पापा के हाथ पर रख दिया । पापा ने ड्रार से एक मैग्निफाइंग ग्लास निकाला और आई कार्ड के ऊपर रख दिया ।
संकेत आश्चर्यचकित था, लोगों के बच्चों के टैलेंटेड होने पर गर्व होता है पर आज संकेत को अपने पिता पर हो रहा था । आई कार्ड का बैकग्राउंड छोटे छोटे अक्षरों के वाटर मार्क से मिलकर बना था और उस पर नाम लिखा था आशा देवी अनाथ आश्रम ।
जैसे ही संकेत ने ये नाम बोला खुद ब खुद वो कार्ड अपनी जगह पर हिला, जैसे हवा का कोई झोंका उस पर पड़ा हो और पलट गया । कार्ड के पीछे की तरफ पेन से लिखा था कॉटेज नंबर 22 ।
पापा अचानक खिड़की की तरफ देखते रह गए । संकेत उनको ही देख रहा था । पापा ऐसे देख रहे थे जैसे कोई हो वहां और कुछ कह रहा हो उनसे ।
कुछ सेकण्ड्स बाद पापा का ध्यान टूटा और संकेत से बोले ज़रा मैट्रिमनी साइट खोल और उसमे अनिवेश राजपुरोहित को ढूंढ । संकेत ने वैसा ही किया और अनिवेश सामने था और शायद जिस अनिवेश को वो तलाश रहे थे ये वही था क्योंकि डिस्प्ले पिक्स में एक फोटो ऐसी थी जिसके बैकग्राउंड में एसजेजे ज्वेलर शॉप थी और एड्रेस था करापक्कम चेन्नई का ।
पापा ने दोनों पहेलियाँ हल कर दी थीं । संकेत ने तुरंत अनिवेश को फ़ोन मिला दिया, हेलो क्या मैं अनिवेश से बात कर सकता हूँ ?"
"जी, बोल रहा हूँ, बताइये ।" सामने से आवाज़ आई ।
"जी मैं संकेत बोल रहा हूँ और मुझे आपकी मदद की बहुत ज़रूरत है ।" इतना बोल संकेत ने अनिवेश को सारी परिस्थिति समझा दी । सब जानने के बाद अनिवेश ने कुछ बताया तो नहीं पर हाँ मिलने का समय ज़रूर दे दिया । काम के सिलसिले में जल्दी ही अनिवेश संकेत के शहर में आने वाला था ।
अब रहस्य की कड़ियां सुलझने लगीं थीं । शाम होने को थी और संकेत घर के बाहर सीढ़ियों पर बैठा था । सोनम धीरे से आई और बगल में आ कर बैठ गई ।
"तुम वो औघड़ की बातों को इतना सीरियस मत लेना । मुझे पता है तुम आज भी रेनू को उतना ही प्यार करते हो ।" सोनम दूसरी ओर देख कर बोल रही थी । "और डोंट वरी, तान्त्रिक वान्त्रिक नहीं हूँ मैं । बस इंटरेस्ट रहा है पैरा नोर्मल में तो पढ़ा था कहीं, सोचा नहीं था कभी यूज भी करुँगी पर इससे अच्छी बात क्या हो सकती है कि वो तुम्हारे काम आया ।"
"क्या तुम शादी करोगी मुझसे?" संकेत ने सोनम से वो बोल दिया जो शायद वो कई साल से सुनना चाहती थी ।
सोनम हलके से बोली,"पहले ये केस सोल्व कर लो फिर बात करेंगे ।" और वहां से उठ के चल दी । आज शाम की वाक बड़ी साइलेन्ट थी ।
वाक के बाद संकेत अपने कमरे में आ गया । अगले दिन का टारगेट था आशा देवी अनाथ आश्रम ।
PTO