"कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले" के फर्स्ट पार्ट में हमने पढ़ा रोहन अपनी मेहनत और लगन से कैसे जॉब के लिए कई जगह अप्लाइ करता है और उसने कई कंपनी में इंटरव्यू दिए और वह इन सब में पूछे सवाल-जवाब को, अपने मन में अनॅलिसिस कर उन पर कन्सिडर कर खुद को इंप्रूव करने के कोशिश करता है।
दूसरा पार्ट शुरू करने से पहले मैं एक उद्धरण से शुरू करूँगा|
"सोच ही एक ऐसी सीढ़ी है,
जो इंसान को खुद से और दुनिया को
उससे जोड़ती है।"
रोहन की सोच खुद की अपनी है, वह जो कुछ भी करता है, सबसे पहले वह माइंड में प्लान बनाता है, वेसै भी हमे कोई काम को करने से पहले अपने मन उस काम के प्रति एक स्ट्रॅटजी "आसान शब्दों में कहूँ तो माइंड मे एक दिशा निर्धारित करने चाहिए।
एक दिन रोहन ऑफीस में बैठ कर काम रहा था, इतने मे अचानक उसका फोन रिंग हुआ,
फोन को आन्सर करते हुए रोहन-"हेलो, रोहन बॉस बोल रहा हूँ जल्दी से कॅबिन मे आ जाओ एक मीटिंग है, ऐसा बॉस ने रोहन को बोला और कॉल डिसकनेक्ट हो गया|
रोहन सब कुछ छोड़, बॉस के कॅबिन में गया और अचानक एच.आर मॅनेजर को वहाँ देख कर, मन ही मन सोच रहा है, अब क्या, किसने कुछ कांड कर दिया, सब बड़े-बड़े लोग एक साथ बैठे हैं।
इतने में अचानक एच.आर मॅनेजर- हेलो रोहन हाउ आर योउ?
रोहन - फाइन सर, थॅंक्स फॉर आस्किंग।
एच.आर मॅनेजर के हाल चाल पूछने के नज़रिए ने रोहन को और भी ज़्यादा सस्पेनस मे डाल दिया।
उसके बॉस ने रोहन की ओर देखते हुए, गहरी साँस ली। फिर एचआर मैनेजर, वैसे आप लोग सब कम्पनी के हालत से वाक़ीब हैं अभी जोशी जी (रोशन का बॉस) से डिस्कस कर ही रहे थे।
रोहन ओके सर, क्या बात है?
एचआर मैनेजर: वहाँ पर बैठे सभी लोगों से और रोहन से बोलने लगा, मैनज्मेंट ने कुछ १२ लोगों की लिस्ट निकाली है जिसमें रोहन आपका भी नाम है, आप लोगों को एक महीने का समय दिया जा रहा है आप कल से ऑफ़िस ना भी आयें चलेगा, आप अपने लिए कोई और जॉब सर्च करें, ये और आने महीने की सैलरी आप लोगों को कम्पनी पे करेगी। ऐसा एचआर मैनेजर बोल कर कुछ देर के लिए शांत हो हुआ।
ये, सैलरी और पेमेंट, मैनेजर लोगों के मन को रखने के लिए बोल रहा था।
रोहन ये सब सुन कर कुछ पल के लिए अपनी सोच में खो गया, और कुछ बोल भी नहीं पाया, उसी समय उसके मन में सवालों का भँवर उमड़ने लगा और वह उदास मन से ऑफ़िस से बाहर चला गया।
जॉब के बारे में जान कर रोहन मन ही मन बहुत दुखी है, कुछ देर बाद और भी लोग वहाँ पर आते हैं, कुछ लोग रोहन मन जानने के लिए तरह तरह की बातें करते हैं क्यूँकि उन सभी के जॉब सेव है। उन सभी इग्नोर कर वह वहाँ से चला जाता है।
रोहन अपने जॉब के लिए बहुत ही ज़्यादा अभिलाषी है, इसलिए वह मन ही मन ज़्यादा दुःखी है।
लंच के बाद उसका एक दोस्त, तू परेशान मत हो मेरी एक फ़्रेंड है वह अभी एक जॉब प्लेस्मेंट कम्पनी में एचआर इग्ज़ेक्युटिव है, मैं तेरे लिए बात करता हूँ, रोहन उसका चेहरा देखते हुए उसे गहरे भाव से देखता है। अब ऐसे मत देख मैं तेरे मन रखने के लिए नहीं सच में बात करूँगा, चल आ जा अब सकल अच्छी कर ले, शालिनी आ रही है, बाई।
मोहित चला गया।
(वैसे शालिनी रोहन के ऑफ़िस में काम करती है उसको भी आज जॉब सर्च करने को बोला गया है, उसका नाम भी उसी लिस्ट पर है, और वह अभी जॉब में न्यू जोईन हुई है कुछ दो मन्थ्स पहले ही, एमबीए कम्प्लीट करने के बाद एक ऑफ़िस ट्रेनी पज़िशन पर)
तभी शालिनी: क्या यार अभी मिली जॉब और अभी ये सब होना था। ये सब रोहन से बोलने लगी, वैसे आपको तो काफ़ी इक्स्पिरीयन्स है कही मेरी जॉब का भी कोई सोर्स देखना, बोल कर कैबिन में चली गई, रोहन ने हल्की से स्माइल की और वही वह भी चला गया।
अगले दिन मोहित उसको मिला : गुड मोर्निंग बोल कर, पूछा कैसा है अभी भी उदास है क्या?
चल अब खुश हो, तेरे जॉब के बारे में बात की है अपनी फ़्रेंड से, उसने बोला है कि तुझ से बात करवाने को, ये सब सुन कर रोहन मन में उम्मीद भर कर, ख़ुशी भाव से,
ऐसा क्या?
मोहित उसकी पीठ थप-थफ़ाकर हाँ बोला।
रोहन अपने ऐम के लिए बहुत ही कोंसियस है, वह लाइफ़ में आगे बढ़ना चाहता है, सोसायटी में एक अच्छी इमिज बरकरार रखना चाहता है, वह हमेशा अपनी लाइफ़ में तीन बातों को ध्यान में रख कर आगे बढ़ता है।
जैसे
उसका अतीत कैसा था?
उसका आज कैसा है?
और आने वाला कल कैसा होगा?
इन सब में वह खुद को रख कर अपनी करेंट सिचूएशन को जज करता है। उसी के अकोर्डिंग वह अपने लाइफ़ के डिसिज़न लेता हैं । और वह एक बात हमेशा अपने मन में दोहराता है ,
वो भी एक दौर आयेगा जो मेरे वक्त को इस आज से बेहतर बनायेगा ।
उसकी और भी बहुत सी क्वालिटीज़ हैं , जो हम आगे धीरे-धीरे पढ़ेंगे।
रोहन की आगे की लाइफ़ के बारे में हम अगले भाग में जानेंगे।
— Dhirendra S. Bisht