Keshav Sharma - EP 071 - Pareshan pita in Hindi Moral Stories by The Real Ghost books and stories PDF | केशव एंड शर्मा - EP 071 - परेशान पिता

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केशव एंड शर्मा - EP 071 - परेशान पिता

शर्मा : कैसे हैं केशव जी

केशव : नमस्कार शर्मा जी मैं अच्छा हूँ आप अपनी सुनाइए

शर्मा : मैं भी अच्छा हूँ

केशव : आइये कुछ देर शतरंज खेली जाये

शर्मा : नहीं केशव जी आज वक़्त नहीं है

केशव : कुछ जरूरी काम से जा रहे थे शायद

शर्मा : जी है अपने दोस्त मुन्ना के पास चलना है आप भी क्यों नहीं चलते

केशव : मुन्ना वही न जो अपने साथ कॉलेज मैं था

शर्मा : जी हाँ वही

केशव : उनके यहां पर क्या है आज

शर्मा : उनके पुत्र एवं पुत्रवधु ने आत्महत्या कर ली है

केशव : हाँ मुझे पता चला थे और मैं पिछले महीने ही जा आया था

शर्मा : अच्छा मुझे कल ही पता चला

केशव : आपको भी ले जाना चाहता था परन्तु पर आप उस वक़्त शहर से बाहर थे

शर्मा : क्या आपको पता है उन दोनों ने आत्महत्या क्यों की

केशव : संसार मैं रहने के लिए उन दोनों को त्यार नहीं किया गया था

शर्मा : क्या बात करते हैं केशव जी

केशव : सही कह रहा हूँ

शर्मा : जहां तक मुझे पता है मुन्ना का लड़का तो शरीफ और पड़ा लिखा था

केशव : जी हाँ

शर्मा : उसकी पत्नी भी अच्छी और पढ़ी लिखी थी

केशव : जी हाँ परन्तु शरीफ और पढ़ा लिखा होना ही तो काफी नहीं है

शर्मा : लड़का तो अछि नौकरी कर रहा था न अमेरिका मैं

केशव : जी हाँ

शर्मा : उसकी कमाई तो सुना है बहुत अच्छी थी

केशव : जी हाँ

शर्मा : तो आप किस कमी की बात कर रहे है केशव जी

केशव : शर्मा जी आपको याद है मुन्ना ने अपने बच्चों को किस तरह से पाला था

शर्मा : जी हाँ मेरे विचार से उसने अपने बच्चों को बहुत ही बढ़िया तरीके से पाला था हर सुविधा जो मिल सकती थी उसे दी थी मुन्ना ने

केशव : बिलकुल सही और लड़के के बारे मैं आपका क्या ख्याल है

शर्मा : लड़का भी अच्छा था बहुत पड़ता था हर बार क्लास मैं टॉप करता था और आज तक उसकी कम्प्लेन सुनने को नहीं मिली

केशव : लड़का अपने मोहले मैं बड़ा हुआ था आपने लड़के को देखा या मुलाकात होती रही होगी

शर्मा : ज्यादा तो नहीं पर मुलाकात तो हुई ही थी अक्सर लड़का पड़ने मैं ज्यादा बिजी रहता था इसीलिए दिखाई नहीं देता था

केशव : कभी किसी बिल भरने की लाइन मैं या राशन की दुकान पर या रेलवे स्टेशन पर मुलाकात हुई हो

शर्मा : जी हाँ मुलाकात तो हुई ही थी पर ज्यादा नहीं

केशव : बिलकुल और मेरे विचार से समस्या यही से शुरू हुई

शर्मा : इसमें क्या समस्या है

केशव : देखिये आपने खुद खा की लड़के को हर सुविदा मिलती थी उससे कोई मुश्किल या आसान काम नहीं लिया जाता था बस वह पड़ता रहता था |

शर्मा : जी हाँ

केशव : इसका मतलब लड़के को मुश्किल काम के लिए त्यार ही नहीं किया गया था

शर्मा : कैसा मुश्किल काम

केशव : शर्मा जी ज़िंदगी आसान नहीं है इसमें कई परेशानियां है अगर आदमी उसके लिए त्यार न हो तो डिप्रेशन मैं जा सकता है

शर्मा : क्या कुछ उद्धरण देकर समझा सकेंगे

केशव : मुन्ना का लड़का एक्साम्प्ले है न

शर्मा : कैसे

केशव : देखिये मुन्ना के लड़के ने पढ़ाई अच्छे तरीके से की थी पढ़ाई ख़तम करते ही नौकरी लग गयी अमेरिका मैं फिर वहां की PR भी मिल गयी

शर्मा : वह सब मुझे पता है

केशव : जिस लड़की से शादी हुई वह भी तकरीबन लड़के के जैसी ही थी

शर्मा : जी हाँ मुझे पता है

केशव : तो शर्मा जी दोनों बढ़िया तरीके से ज़िंदगी गुजरते रहे जब तक की ज़िंदगी समस्या रहित थी

शर्मा : तो अब क्या समस्या आ गयी थी

केशव : लड़के को कैंसर हो गया था

शर्मा : ओह अच्छा मुझे पता नहीं था परन्तु कैंसर का इलाज तो है न क्या आखिरी स्टेज पर पहुँच गया था

केशव : नहीं सीरियस था परन्तु ऐसा नहीं है की इलाज़ नहीं हूँ सकता था परन्तु पति पत्नी दोनों डिप्रेशन का शिकार हो गए

शर्मा : ओह

केशव : और फिर लड़के को डॉक्टर ने चलने फिरने से भी मन कर दिया इसीलिए उसको नौकरी भी छोड़नी पड़ी जिसने आग मैं घी का काम किया

शर्मा : ओह

केशव : और दोनों मैं से कोई भी इन परेशानियों के लिए त्यार नहीं किया गया था इसीलिए दोनों ने डिप्रेशन का शिकार होकर ऐसा कदम उठा लिया

शर्मा : आप ठीक कह रहे है केशव जी आदमी को आसान ज़िंदगी पसंद है परन्तु उसे अपने बच्चों को मुश्किलों के लिए भी त्यार करना चाहिए

केशव : बिलकुल चलिए मैं भी चलता हूँ आपके साथ मुन्ना को हमारी जरूरत है

शर्मा : आइये चलते है