यूं ना इतरा अपने अच्छे वक़्त पर ऐ दिलनशी,
ये मेहरूम वक्त यूहीं किसी एक का नहीं रहता।
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ये रिश्ते जिस्मानी नहीं जो छोड़ दे हम,
रूह से रूह तलक है केसे छोड़ दे हम।
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कभी नई सुबह मिलेगी तो कभी ढलता सूरज मिलेगा,
जिंदगी दोस्तो संग चली खुशियोभरा मकाम मिलेगा।
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मुश्किल सफर है तो कुछ नया आयाम मिलेगा,
तुम साथ चलो जिंदगी को नया ही नाम मिलेगा।
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याद आती ही नहीं तुझे फिर ये जूठे दिलासे क्यों??
तुझे जाना ही है मुझसे दूर फिर इतने बहाने क्यों??
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टूटकर बिखरना मेरा नसीब था,
तुझे मिलकर बिछड़ना नसीब था,
खता इस बात की नहीं जुदा हुए,
अफसोस मुझे बस तेरे जूठ का था।
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आसान नहीं है दर्दे ए दिल को यू लफ्जो में बयां कर देना भी,
कलम से शब्दों को और आंखो से अश्क यूहीं निचोड़ देना भी।
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उसने मुझसे कहा था मै उसके वजूद में हूं,
आज पता चला मेरा ही कोई वजूद नहीं।
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अंजामे महोबत हमें भी सब मालूम था,
बस उसके इश्क ने पागल बना रखा था।
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तू अगर ख्वाब ना होती तो में सोना छोड़ देता,
तू अगर याद ना होती तो में जीना ही छोड़ देता,
तू वजूद है मेरे ये गुमनाम लफ्जो का बेनाम,
तू अगर इश्क ना होती तो मै दुनिया छोड़ देता।
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फिर फिजाओं में लिपटी हर शाम रहने दो,
छलकते है जाम से आंसू, वो जाम रहने दो;
मै तो आबाद कर लूंगा ये रुखसत जिंदगी भी,
एहसान है तुम्हारा थोड़ा भी तो एहसान रहने दो।
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गुलशन को हरबार यूहीं खिलाया तो नहीं जाता,
मुझसे तेरे आंगन में बेवक्त आया तो नहीं जाता;
तू है खुशनुमा चांदनी जहान की ये में जानता हूं,
पर अमास के दिन तो तुझे बुलाया तो नहीं जाता।
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