प्याजी फ्लेवर, प्याजी रंग, प्याजी हिट, प्याजी गोल, प्याजी अदाएं, प्याजी वफाएं, प्याजी दर्द, प्याजी....... वगैरह वगैरह......🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔 क्या सोच रहे हैं? कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे हैं कि ये प्याजी प्याजी ................🤔🤔🤔🤔
अगर आप भी यहीं सोच रहे हैं कि ये प्याजी प्याजी.......🤔🤔🤔 तो मैं क्या करूं 😜😜😜 सोचिए, खुब सोचिए, मेरा क्या जाता है😂😂😂😂😂
मैं भी सोच में पड़ गया था जब कल मैं और मेरे दोस्त यहां के बहुत हीं बड़े नामी मॉल में गया एक स्वैटर खरीदने। मुझे स्वेटर पसंद नहीं आ रहा था क्योंकि स्वेटर खरीदना तो एक बहाना था ..........😜😜😜😜😜😜 फिर भी हम लगातार बने हुए थे, तभी बगल से किसी की आवाज सुनाई पड़ी। सर ये देखिए ये है प्याजी फ्लेवर स्वेटर, नया माल है, आपके लिए परफेक्ट है, मैं तो कहता हूं कि ये आपके लिए हीं बन के आया है ...........।
माल तो वहीं पुराना हीं था लेकिन ये प्याजी फ्लेवर उसे नया कर रहे थे। हमलोग आगे कुछ बोलते कि तभी एक मैडम जी ने आते हीं प्याजी फ्लेवर की मांग कर दी। हमलोगो ने इसे गंभीरता पूर्वक न लेते हुए इग्नोर कर वहां से निकल लिए और सीधे रुम पे आ गये। रुम पर आने के बाद पता चला कि आज तो खाना भी नहीं बना है। चूंकि रविवार का दिन था और समय भी बहुत हो चुका था तो हमलोग पास के हीं एक रेस्टोरेंट्स में चले गए खाना खाने।
हमलोग खाना भी खा रहे थे साथ में दिवार पे लगे टीवी में चल रहे मैच के लाइव परफॉर्मेंस का आनन्द भी उठा रहे थे। हमलोग खाकर उठने हीं वाले थे कि तभी एक भाईसाहब जोर से चिल्लाते हुए बोले ये हुई न प्याजी साॅट, इसे कहते है प्याजी सिक्सर। 🤔🤔🤔🤔🤔🤔हमलोग एकबार फिर से टेंशन में आ गये थे। फिर हमलोग इधर उधर की बातें करते हुए वहां से भी निकल गये प्याजी को इग्नोर करते हुए।
मुझे पता है आप भी यहीं सोच रहे होंगे कि ये प्याजी आखिर कौन सा नया चीज आ गया है हमारे बीच 🤔🤔🤔
सोचते रहो ....😄😄😄😄😄
हमलोग भी यहीं सोच रहे थे कि आखिर ये प्याजी कौन सा नया प्रोडक्ट आ गयाहै मार्केट में। यहीं सोचते सोचते ट्युसन का वक्त हो गया और मैं चला गया ट्युसन। कुछ देर क्लास में बैठने के बाद सर की इंट्री होती कि उससे पहले किसी जानी पहचानी पैर की आहट कानों में पड़ी। पिछे मुड़ कर देखा तो पता चला कि कोई नहीं था। मैंने ध्यान आगे की ओर लगाते हुए काॅपी का पहला पन्ना ही उलटा रहा था कि मेरे बगल में किसी के बैठने का अहसास हुआ मैंने जैसे हीं नजर उठाया मेरी नज़र सीधे उस बालिका पे जाकर ही रुका जो फर्स्ट टाइम हमारे बीच पधारी थी । WOW, क्या प्याजी अदा है, ये मैंने बोला नहीं बल्कि अपने आप अंदर से निकल गया। शायद सुबह से हीं चल रही प्याजी प्याजी बातों का असर था जो अदाएं भी प्याजी हो गया था। अब मैं इसे और इग्नोर नहीं कर सकता था, इसलिए मैंने इसके बारे में जानना चाहा। कुछ देर इसपर गहन चिंतन करने पर पता चला कि ये नया प्रोडक्ट प्याज के वर्तमान हालात को देखते हुए मार्केट में लाया गया है।
हां, ये वहीं प्याज की बात हो रही है। वहीं का मतलब तो समझ हीं गये होंगे, जो कुछ दिन पहले तक 'यहीं' हुआ करता था आज वो वहीं कहलाने लगा है।
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शायद अब आप समझ गए होंगे कि तभी से ये प्याजी प्याजी क्या चल रहा था। मैं भी समझ गया परन्तु वर्तमान हालात की बात मेरे समझ में नहीं आ रहा था । लेकिन मैंने इसे इग्नोर करते हुए पढ़ाई पे ध्यान केंद्रित किया। क्लास खत्म होते हीं मैं सिधे रुम पे आ गया।शाम हो गया था , मैं बाज़ार आ गया सब्जी खरीदने । मैं सब्जी खरीद रहा था कि अचानक मेरा ध्यान शिशे की एक बंद पेटी पे गया, उसमें भारी मात्रा में प्याज कैद था, जिसे चाहकर भी मैं सभी प्याज को उस कैद से मुक्ति नहीं दिला सकता था। तभी मैंने देखा एक प्याज मानो कह रहा था कि 🤔🤔🤔 कब तक हम यहां कैद रहेंगे, आखिर कब तक हम लोगों की प्लेट से दूर रहेंगे......... .... तभी एक वरिष्ठ प्याज ने उसे टोका और कहा कि यहां पर इंसान, इंसान को नहीं समझ रहा तो हमें कौन समझेगा, इंसान खुद इंसानी जज़्बातों के साथ खेल रहा है फिर हमारी क्या......... यहां तो निर्भया भी भय में चली गई, हर पल जानवरों के दुःख दर्द को दूर करने में मसगूल प्रियंका भी इंसान रुपी जानवर को समझ न सकी और कोई भी उसकी आंसू पोंछने नहीं आया फिर हमारी आंसू को कौन देखेगा। न जाने और कितने प्रियंका , निर्भया है जो अभी भी भय में जी रही है,जिनकी बस एक ही चाहत है कि किसी भी तरह ये भय खत्म हो और ये भय उनपर हावी हो जो इंसान का रूप धारण किये हुए जानवरों से भी बदतर है। फिर भी कोई उनकी चाहत को नहीं समझता फिर हमारी चाहत को कौन समझेगा।उनकी इन बातों को सुनकर मैं भी न जाने कहां खो गया।सच हीं तो कह रहे थे वो प्याज ......
मैंने कोशिश करते हुए कुछ प्याज को उस कैद से आजाद कराया और अपने साथ रुम पे ले आया , फिर खाना बना कर प्याज के साथ प्याजी भुख का अंत किया और फिर खो गया प्याजी बातों में.......।।
- राहुल अविनाश