Hat Ja Tau Pacche Nae in Hindi Moral Stories by Vijay Vibhor books and stories PDF | हट जा ताऊ पाछै नै

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हट जा ताऊ पाछै नै

हरियाणा में 'ताऊ' मात्र एक शब्द भर नहीं है, बल्कि बहुत सम्मानजनक सम्बोधन और सामाजिक, पारिवारिक पदवी है। यहां तक किसी अनजान व्यक्ति से बात करनी होती है तो भी हमउम्र युवा “ताऊ आले” कहकर पुकारते हैं।

परंतु अब ताऊ की हालत पतली हो गयी है या कर दी गयी है| उन्हें क्या और कैसे सम्मान मिल रहा है| इसका हरियाणवी संस्कृति को जिंदा रखने वाले हरयाणवी पॉप गायक ज्यादा जिम्मा लेंगे या वह युवा जानता जिन्होंने ऐसे लेखकों, गायकों को सातवें आसमान पर बिठा दिया।

कुछ वर्ष पहले युवा लड़कों का एक गाना आया था ‘हट जा ताऊ पाछै नै’ हरयाणे के बुजर्गों के अपमान का पहला कदम था वह जो सबके सिर चढ़ कर बोला था। क्या बच्चे, क्या बूढ़े सबकी ज़ुबान पर चढ़ा हुआ था| क्या शादी, क्या अन्य कोई कार्यक्रम सब जगह नाचने वालों की डिमांड पर यह गाना धूम मचा रहा था| यहाँ तक की विदेशों में भी हरियाणा और हरियाणवी संगीत की पहचान इस गाने को मान बैठे थे लोग| यह रेलम-पेल यहीं नहीं थमी और चार कदम आगे बढ़ाते हुए मुंबइया फिल्म जगत ने हरियाणवी संस्कृति को चार चाँद लगाने में अपनी महत्ती भूमिका निभाई और मेल वर्ज़न का फिल्मी वर्जन बना डाला जिसको लड़कियों पर फिल्माया गया जिसमे छोरी टल्ली होकर नाचते हुए ताऊ को पाछै हटने के लिए कह रही है। इस भोंडे गाने को भी हरयाणवी लोगो ने यह कहते हुए एक्सेप्ट कर लिया कि पिछले कुछ समय से फ़िल्म नगरी में हरयाणवी संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है।

लेकिन जहाँ तक देखने में आता है हरियाणा का ग्रामीण युवा बस में बैठा हो और कोई बुज़र्ग बस में चढ़े तो वह खुद उठ कर ताऊ को सीट देता है| लड़कियां आपस में बात कर रही हों और उनके पास से कोई बुजर्ग गुजरे तो उसके सम्मान में चुप्पी साध लेती हैं| यह हरयाणवी संस्कृति है, जिसमें हर जातिवर्ग के अपने बड़ों का सम्मान किया जाता है न कि ताऊ को पाछै ने हटाने को कहा जाता है| क्या है यह सब? क्या इसे हरियाणा वालों की भाषा और ऐसे व्यवहार को हरयाणवी संस्कृति कहा जाए?
हद तो इस तरह के लेखकों ने कर दी, जिन्हें हरियाणवी बोली और हरियाणा के हसोड़ व्यव्हार का रत्ती भर भी ज्ञान और ख्याल नहीं है| अपने को हरियाणा के पॉप स्टार कहलाने वाले सेलेब्रेटी गाने लिखते हैं "बहु चाहिए ऐसी जो निक्कर पहर पानी नै जा"| कोई ऐसे लेखकों/गायकों से पूछने वाला है "क्या तू अपनी घर आली नै इस पोषक मै घर तै निकलने देगा?" किस आधार पर हरियाणवी संस्कृति, छोटे-बड़े की शरमो-लिहाज़ के चीथड़े बनाने पर तुले हो? अरे हरियाणा की लड़कियां खेत में कस्सी चला सकती हैं, कुँए से पानी ला सकती है वो इनसे भी आगे कलम पकड़कर सबकुछ कर सकती है, ओलिम्पिक में गोल्ड ला सकती हैं, एवरेस्ट पर चढ़ सकती हैं, हवाई जहाज उड़ा सकती हैं, लेकिन इन उचाईयों को चुने के बावजूद भी ताऊ को पाछै ने हटा कर टल्ली होकर नाचने का ऐलान कभी नहीं कर सकती।

हरियाणा और हरयाणे वालों की क्या छवि गढ़ना चाहते हैं ये हरयाणवी संस्कृति को बचाने वाले सोचने समझने का विषय है या फिर खुली आँखों से देखते रहे आज ताऊ को पाछै हटा कर टल्ली होने का ऐलान है कल को बाबू कै अड़ंगी मार कै हरयाणवी संस्कृति नै नई उचाईयों पर पहुचायेंगे….

कहते हैं न बुराई अपनी रंगत जल्दी दिखाती है तो इन तथाकथित हरियाणवी संस्कृति के गोभी खोद गायकों और लेखकों की कथनी रंगत लाने लगी है| अपने को एजुकेशन सिटी कहलाने वाले हरियाणा के बड़े शहरों में इक्का-दुक्का लड़कियां बार में शराब पीती नज़र आने लगी हैं| चाट-पकोड़ी खाती दिखने वाली लड़कियों की नस्ल अंडे की रेहड़ियों पर मलंगों की भांति खुलेआम अंडे खाती नज़र आने लगी हैं| यदि हरियाणवी अब भी ऐसे गानों, गायकों और लेखकों को सर पर बैठाते रहेंगे तो यह समस्या विकराल होने में समय नहीं लेगी और सामाजिक व पारिवारिक ढांचा संभाले नहीं संभलेगा