Horror castle - 1 in Hindi Horror Stories by Sanket Vyas Sk, ઈશારો books and stories PDF | भूत बंगला - भाग-१

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भूत बंगला - भाग-१

"मैं उस बंगले में कभी भी रहने नहीं जाऊँगी। मेरे साथ वहाँ पर बहुत ही बुरी और अविश्वसनीय घटना घटी जिस पर तुम विश्वास ही नहीं करोगें" घबराते हुए प्राची ने अपने पति चेतन को कहा। चेतन उसे पूछने लगा "ऐसा तो तेरे साथ क्या हुआ जो तुम उस बंगले में आने का मना कर रही हो, हमने हमारे रहने के लिए तो वो खरीदा है, तो वहां हम रहने नहीं जाएँगे तो क्या वहां शैतान रहने जाएँगे ?" प्राची तुरंत ही चेतन से कहने लगी "हाँ वहां पर शैतान ही रहेंगे, रहेंगे नहीं बल्कि वहां वो रहते ही है। तुम मेरी ये बात नहीं मानोगे इसीलिए मैं वो तुम्हें नहीं बताती थी। अब ये बात निकली ही है तो तुम्हें उस दिन की घटना बताती हूँ।
हम जब वहां रहने गए उसके दूसरे ही दिन तुम जब जॉब पर गए थे ना, तब मेरे साथ यह हरकत हुई। ११ बजे तक तो मैं मेरी सहेलीयों के साथ में थी, वो सभी जब गई तो उनके जाने के बाद मैंने खाना बनाने स्टोव चालू किया तो उसकी ज्वालाओं में किसी मानव जैसा रुप दिखा तो मैंने सोचा की कोई भ्रम होगा और मैंने खाना बनाके खा लिया मगर पूरा नहीं खा पाई तो बचा खाना वहीं बरतन में रख दिया और मुझे नींद आ रही थी तो सो गई। मैं जब सो रही थी तब मुझे लगा की कोई दबे पाँव किचन में चल रहा है और उसके बाद किचन से किच.....किच....आवाज़ सुनने पर तो मेरी नींद ही उड़ गई और तुरंत ही उठकर किचन में गई और देखा तो सारे बरतन साफ-खालीचट हो गए थे। मैंने जब यह देखा तब सोचा की कोई बिल्ली आकर ये खाना खा गई होगी और वहां की खिड़की सब बंद करके अपने कमरे में सोने को चली गई। मुझे थोड़ी नींद आई ही होगी उस समय मुझे लगा की कोई मेरी ओर चलके आ रहा हैं।....." बात काटते हुए चेतन उसे कहने लगा,"अब वोही वाली भूत की कहानी शुरू मत कर देना।"
प्राची तब कहने लगी,"वो जो सुनते थे वो असली में कहानी थी मगर जो मैं बताती हूँ वो तो असल में मेरे साथ हुआ है उसे में कहानी क्यों बताउँ ? सुनो आगे क्या हुआ, मुझे जब लगा की कोई मेरी ओर आ रहा है ऐसा लगते ही मेरी आँख खुल गई और मैंने देखा की मेरे सामने ही एक विचित्र आकृति खड़ी है जो हुबहु ज्वाला में दिखी थी उस की ही तरह, इसका मुंह आधा जला हुआ था। तुम को मालूम है ना की उस दिन मुझे बहुत ही बुखार आया था उसका कारण यही था। तुम ये सब बातों को नहीं मानते इसलिए मैंने यह तुम को नहीं बताया मगर मेरे साथ यह हुआ है तभी मैं वहां बंगले में जाने को मना कर रही हूँ।" चेतन तब हँसते हुए प्राची को पूछने लगा "मगर तुमने यह तो नहीं बताया की वो विचित्र आकृति लड़की की थी या लड़के की थी ? उसने तुम्हारे साथ क्या किया ?" प्राची उसे कहने लगी "लड़की या लड़का कुछ मालूम नहीं पड़ रहा था और उसको देखने के बाद में तुरंत ही बेहोश हो गई थी फिर जब तुम आए तब होश में आई थी। आपको भी वो मालूम है मगर तुम ये मेरी बात सुन लो की मैं उस बंगले में हरगीज ही रहने वाली नहीं हूँ। तुम को जाना है तो जाओ, मैं मेरी माँ के पास चली जाउँगी।" चेतन सोचते हुए बोला "ऐसा है तो फिर हम उस बंगले में कुछ विधि-विधान करवाने चाहिए, नहीं तो उस कपड़ों को मैं फेंक दूँगा तो ऐसी हरकत ही नहीं होगी फिर तो तुम आओगी ना !?" यह सुनते ही प्राची चौंक कर बोली "कपड़े !? मतलब क्या तुमने उस समय मुझे डराने ऐसा नाटक किया था ? अब तो में हरगीज ही वहां नहीं आउँगी।" चेतन हँस के बोला "अरे वो मैं मज़ाक नहीं कर रहा मगर सच्ची में विधि-विधान करवाने को कह रहा हूँ और कपड़े जो उस समय तुमने पहने थे वो पुराने हो गए है तो उसे फेंकने की बात कर रहा हूँ या फिर हम उन्हें जला देंगे ऐसा कहना चाहता हूँ।" चेतन का जवाब सुनते प्राची ने कहा ऐसा है तो ठीक है मगर थोड़ा सोचने दो उसके बाद में तुम्हें कहूँगी। ".....क्रमश:
- संकेत व्यास (ईशारा)