Chuntu - 25 in Hindi Fiction Stories by V Dhruva books and stories PDF | चिंटु - 25

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चिंटु - 25

आधी रात में सुमति की आंखें खुल जाती है, वजह थी ठंड। बारिश के साथ तेज हवाएं अब भी चल रही थी। वह कुछ समय तक यूहीं घुटने सिन से चिपकाए कांपती रही। पर बाद में ठंड सहन न होने से वह चिंटू को उठाती है।
सुमति- चिंटू... चिंटू उठो।
चिंटू सुमति की आवाज सुनकर तुरंत उठ बैठा।

वह सुमति को देखकर पहले तो घबरा जाता है। फिर तुरंत ही अपनी रजाई उसके ऊपर डाल देता है। वह आसपास देखता है कुछ और मिल जाए सुमति को ओढ़ाने के लिए। पर वहा कुछ नहीं था। फिर वह कमरे में रखी एक पुरानी तिजोरी को देखता। वह उसे खोलने जाता है, शायद कुछ मिल जाए। पर तिजोरी खाली थी। उसमे थोड़े कपड़े पड़े हुए थे।

वह जल्दी से नीचे जाता है बेला के पास। बेला और रानी दरवाजा बंद करके सोए हुए थे। चिंटू ने दरवाजा खटखटाया पर वह दोनों गहरी नींद में थी तो दरवाजा नहीं खोला। चिंटू बड़बड़ाता है- हद है यार! कब से दरवाजा खटखटा रहा हुं, खोल ही नहीं रही है। पता है उन्हे, इवान उनके कब्जे में है तो हम भागेंगे तो नहीं यहां से। तो घोड़े बेचकर सो रही है दोनों। दरवाजा बंद करने की क्या जरूरत थी? अब क्या करू? एक काम करता हुं, गरम पानी करके ले आता हुं। उसे पीने से कंपन दूर हो जाएगी।

चिंटू किचन में जाता है। एक बर्तन में पानी रख के स्टव पे चड़ा देता है। भला हो मोदी जी का को घर घर गेस सिलिंडर पहुंचा दिए। वरना चूल्हा तो मुझे जलाना आता ही नहीं। वह जल्दी से ऊपर गरम पानी ले जाकर सुमति को पिलाता है। साथ ही साथ सुमति के पैर के तलवे घिस ने लगता है।
सुमति चिंटू से कहती है- ओढ़ने के लिए बेला से कहकर कुछ ले आओ न।
चिंटू- वहीं लेने तो गया था। वो तो कुंभकर्ण की तरह दरवाजा बंद करके सो गई है।
सुमति- दरवाजा क्यों बंद किया है उसने?
चिंटू- अब मुझे क्या पता? मै एक काम करता हूं, नीचे रखी चारपाई पर बिछाई हुई चद्दर ले आता हुं। उससे भी तुम्हे राहत मिलेगी।
सुमति- उसकी अब जरूरत नहीं है शायद। गरम पानी पीने से अब अच्छा लग रहा है।
चिंटू- दूसरा गरम पानी करके ले आऊ?
सुमति- हा, ले आओ। अच्छा लगेगा फिर।

चिंटू रसोईघर में जाकर दूसरा पानी गरम करता है और सुमति को पिला देता है। उससे सुमति की ठंड काफी हद तक कम हो जाती है। सुमति चिंटू से कहती है- एकबार खिड़की खोल के देखे बारिश कम हुई के नहीं।
चिंटू- आवाज तो काम आ रही है बारिश के पानी के गिरने की। पर अभी अभी तुम्हारी ठंड कम हुई है। खिड़की खोलने से ठंडी हवाएं आने लगेगी कमरे मे।
सुमति- घबराओ नहीं मै अब ठीक हुं। बस बाहर का नजारा देखना चाहती हुं। कैसा माहौल है बाहर।
चिंटू- देखकर क्या करेगी इतनी रात को? भाग थोड़ी न सकेंगे हम यहां से।
सुमति- जानती हु, इवान के बिना नहीं जा सकेंगे। वरना पता नहीं लोग उसके साथ क्या करे?
चिंटू- उस मोटी चमड़ी को कुछ नहीं होने वाला। मै तो कहता हुं यही चांस है भाग चलते है।
सुमति- कैसे आदमी हो तुम। किसीको बेसहारा छोड़कर भागने की बात कर रहे हो? क्या यही तुम्हारी यूपीएससी की एग्जाम में सीखे थे?
चिंटू- तुम्हे कैसे पता मैंने एग्जाम्स दिए है?
सुमति- ये मत भूलो मेरी बात पिया से होती रहती है।
फिर सुमति ने मौका देखकर सीधे चिंटू से पूछ लिया- शादी कब करने वाले हो?
चिंटू- जब तुम कहो?
सुमति- क्या?
चिंटू- अरे मेरा कहने का मतलब है, जब तुम करोगी। वैसे तुम पुनिश से शादी कब कर रही हो?
यह सुन सुमति का मुंह लटक जाता है। पर फिर वह स्वस्थ होकर कहती है- दो साल बाद। और तुम रिया से कब शादी कर रहे हो?

यह सवाल सुनकर चिंटू बिस्तर से उठकर खिड़की खोलकर खड़ा रह जाता है। सुमति को अजीब लगता है कि जो इंसान अभी अभी खिड़की खोलने से मना कर रहा था वह खुद ही वहा जाकर खड़ा रह गया? जरूर कोई बात है। वह चिंटू के पीछे जाकर खड़ी रहती है और उसके कंधे पर हाथ रखकर पूछती है- क्या बात है चिंटू? तुम उदास क्यों हो गए?
चिंटू कुछ भी नहीं बोलता। वह सोच रहा है की सुमति भी अब किसी और की हो चुकी है तो उससे बताने का कोई फायदा नहीं। मुजे मेरी जिंदगी रिया के साथ ही गुजारनी पड़ेगी? नहीं अब तो यह मुमकिन नहीं है। उस रात उसकी बाते सुनकर तो हरगिज नहीं।

सुमति फिर से चिंटू से पूछती है- क्या बात है चिंटू? अब इतना पराया कर दिया के अपनी बात भी नहीं बता सकते?
चिंटू- एसी बात नहीं है सुमति। मै अपने भाग्य को कोस रहा हुं। रिया मेरी जिंदगी में क्यों आई। जबकि तुम्हे आना...।

चिंटू आगे नहीं बोल पाता और उसकी आंखो में पानी आ जाता है। वह देखकर सुमति व्याकुल हो जाती है। वह चिंटू से लगातार पूछती है कि क्या हुआ, कुछ तो बोलो।
चिंटू के चेहरे पर गुस्सा आ जाता है। वह कहता है- धोखा हुआ है मेरे साथ।
सुमति- क्या? धोखा? किसने दिया?
चिंटू- रिया और उसके हरामजादे बाप ने।
सुमति- ये क्या भाषा का प्रयोग कर रहे हो तुम? तुम्हारे मुंह से गाली..??
चिंटू- हा, उस बाप बेटी ने मेरे पीछे जो खर्चा किया या मेरे साथ संबंध रखे वो यूहीं नहीं थे।
सुमति- तो?
चिंटू की आंखो से आंसू बहने लग जाते है और वह कहने लगता है- उनका स्वार्थ छिपा था इन सब के पीछे। वरना पैसेवाले लोगो को छोड़ मुज गरीब को क्यों अपना दामाद बनाने का सोचते? मै समझ ही नहीं पाया। कई बार मै तुम्हारे पास आना चाहता था। पर किस मुंह से आता। पैसे की चकाचौंध ने मेरा ध्यान भटका दिया था।
सुमति- ये सब क्या कह रहे हो मेरी कुछ समज मै नहीं आ रहा। खुलकर बताओ बात क्या है?

चिंटू कहने लगता है- रिया से जब मैने रिश्ता जोड़ा तब मुझे लगा था कि उसमे अभी बचपना है। समय रहते वह परिस्थिति समजकर संभल जाएगी। प्यार को वह सरलता से लेने के बजाय एक जुनून समजती थी। उसने मुझे पाने के लिए शर्त लगाई थी अपनी सहेलियों से। और मै पागल समजता रहा मै उसे पसंद हुं। उसके बाद वह मुजसे प्यार भी करने लगी पर वह इस रिश्ते में अपना शादी के बाद का स्टेट्स देख रही है। अगर मै आईएएस या आईपीएस बन जाता हुं तो वह एक अफसर की बीवी कहलाएगी। यह रिश्ता वह अपने बाप के कहने पर ही आगे बढ़ा रही थी।
सुमति- तो उसके पिता अच्छे ही है न जो उसे रिश्ता बनाए रखने की सलाह दे रहे है।
चिंटू- यही तो बड़ी बात है। जो मुझे यहां आने के बाद पता चली।
सुमति- वह क्या बात है?
चिंटू- उन्होंने मुजमे काबिलियत देखी। हर बार मेरा टोपर रहना यह बात उन्होंने नोटिस की थी। उन्होंने मेरे क्लास की फीस भी दी थी। पर मैंने वह पैसे उन्हे वापस लेने की शर्त पर ही लिए थे।
सुमति- इन सब बातो में वे कहा है?
चिंटू- यही बता रहा हुं। जब हम यहां आए तब एक रात में रिया के कमरे में जा रहा था। तभी बाहर से ही मैंने उसे मोबाइल पर बात करते सुना जिसका स्पीकर ऑन था।
सामने से आवाज आ रही थी- देखो रिया किसी भी कीमत पर ये लड़का हमारे हाथ से नहीं जाना चाहिए। मुझे पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है कि उसकी रुचि तुजमे कम हो रही है। अगर ऐसा हुआ तो हमने जो फ्यूचर देखा है वह कभी कामयाब नहीं होगा।
रिया- सच कहा, मेरे इशारे पर नाचनेवाला और मेरे नखरे उठानेवाला इसके जैसा दूसरा नहीं मिलेगा।
सामने से आवाज आईं- तो कुछ भी करके उसे अपना बना लो। ताकि वो तुम्हे छोड़ने की सपने में भी न सोचे। उसे एसा महसूस करा की गलती उसीसे हुई है और गिल्ट के मारे तुमसे शादी ही कर ले।
रिया- ऐसा ही होगा। और यह कोशिश आज से ही शुरू कर देती हुं।
चिंटू सुमति से आगे कहता है- रिया को पता नहीं था मैंने उसकी बातें सुनी है और रिया मेरे पास आई भी। उसने मुझे अपने रूम में रोकने के लिए बेहोश आने का नाटक भी किया। पर मुझे उसके इरादे पता चल गए थे तो मै वहा नहीं रुका।

****
सुमति- पर रिया के साथ बात करने वाला कौन था?
चिंटू- उसका बाप...
सुमति- क्या ?? उसके पापा..??
चिंटू- हां, एक ऐसा बाप जो अपनी ही बेटी को उसके बॉयफ्रेंड के साथ सोने के लिए कह रहा था ?।
सुमति- ये सच है?
चिंटू- अपनी मां की कसम खाकर कहता हुं, यह सच है।
सुमति- पर उसके पापा ऐसा क्यों चाहते थे?
चिंटू- इस लिए के उसे आईएएस दामाद चाहिए था। जो उसके काले कारनामों पर पर्दा डाल सके।
सुमति- काले कारनामे?
चिंटू- हां, काले कारनामे। रिया का बाप मि. सहगल जिन्हें सब शरीफ मानते है। वह एक नम्बर का धोखेबाज आदमी है। वह मुझे अपना दामाद बनाकर गैरकानूनी जगहों को सस्ते दाम में खरीदकर उसमे अपना कंस्ट्रक्शन करवाना चाहता है। उसे यह लगता है कि उसके गैरकानूनी काम को में कानूनी तौर पर सही करके उसका साथ दू। उसका यह सपना कभी पूरा नहीं होगा।
सुमति- ये तो बहुत लालची निकले। आगे पीछे तो कोई है नहीं तो किसके लिए यह सब कर रहे है। और उस कैसे पता कि तुम पास होकर यही नौकरी करोगे। तुम्हे तो कहीं भी जाना पैड सकता है।
चिंटू- उसकी पहचान तो है इतनी की अगर मै पास हो गया तो मेरा तबादला यही करवाएंगे। और उसकी दौलत के लिए है न उसकी बिगड़ैल बेटी रिया। आगे जाकर वहीं इनकी मालकिन बनेगी न।
सुमति- तो तेरे लिए तो अच्छा ही है न। तेरा बड़ा आदमी बनने का सपना पूरा हो जाएगा। शारदा मौसी और पिया को तुम अच्छी जिंदगी दे पाओगे।
चिंटू- बड़े आदमी बनने का सपना देखा था मैंने। पर गलत तरीके से कमाई दौलत से नहीं। इससे अच्छा के वे लोग यही जिंदगी जिए जो जीते आ रहे है।
सुमति- मुजे तुम पर नाज़ है चिंटू के तुम गलत रास्ते पर नहीं चल रहे हो।
चिंटू- अब तक तो में गलत रास्ते पर ही था, अब जाके सही रास्ता दिखा है मुजे। मेरी एक गलती के कारण मै तुमसे और बाकी सबसे दूर हो गया। मुझे माफ़ कर दो सुमति और मेरा हाथ थाम लो।

चिंटू यह बोलते बोलते सुमति के गले लग जाता है। सुमति यही शब्द सुनने के लिए अबतक तरस रही थी। वह भी आंखे बंद करके चिंटू को कसके गले लगा देती है। इस वक्त दोनों भूल गए के उन दोनों का रिश्ता किसी और से तय हुआ है। वैसे पहला प्यार कभी भुलाए नहीं भुलाया जाता। कुछ वक्त तक दोनों ऐसे ही खड़े रहे एकदुसरे को गले लगाए। चिंटू धीरे से सुमति का माथा चूम लेता है। पर इससे आगे वह नहीं बढ़ा। क्या पता सुमति फिर से रूठ जाए तो? बहुत सालों बाद एक हुए है। फिर दोनों अपने बिस्तर पर आकर सो जाते है।

****
सुबह जब बेला उठाने आई तब दोनों को देख मुस्कुरा देती है। सुमति चिंटू की कमर पे हाथ रखकर सोई हुई थी। बेला मन ही मन कहती है ' दोनों की जोड़ी कितनी अच्छी लग रही है '। काश.. मुझे भी ऐसा प्यार करने वाला मिले। एक पल के लिए वह इवान को सोच लेती है। फिर अपने आप ही हस पड़ती है। कहा वह उल्लू मुजे कुछ कह पाएगा। और कुछ कहा भी तो बाबा मानेंगे?

क्रमशः