स्टॉकर
(15)
एसपी गुरुनूर, सब इंस्पेक्टर गीता और इंस्पेक्टर अब्राहम तीनों ही केस के बारे में सोंच रहे थे। अब तक मेघना और रॉबिन दोनों ने ही अलग अलग बात बताई थी। समझ नहीं आ रहा था कि कौन सच बोल रहा है। सब इंस्पेक्टर गीता ने कहा।
"मैम मुझे तो यह मेघना बहुत शातिर लगती है।"
इंस्पेक्टर अब्राहम ने कहा।
"मैम आपने भी देखा है कि ये रॉबिन भी बहुत घाघ है। कहा नहीं जा सकता कि कौन सही है और कौन झूठ बोल रहा है।"
उन दोनों की बात सुन कर एसपी गुरुनूर बोली।
"हो सकता है कि दोनों ही झूठ बोल रहे हों। ऐसा करते हैं कि अब दोनों को एक साथ बैठा कर पूँछताछ करते हैं।"
मेघना और रॉबिन एक ही कमरे में थे। एसपी गुरुनूर, इंस्पेक्टर अब्राहम और सब इंस्पेक्टर गीता तीनों उनके सामने बैठे थे। शुरुआत एसपी गुरुनूर ने की।
"देखो ये खेल बहुत हो गया। तुम दोनों अलग अलग बात कर रहे हो। सीधे सीधे सच बताओ।"
मेघना और रॉबिन दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा। रॉबिन ने एसपी गुरुनूर की बात का जवाब दिया।
"मैंने जो कुछ भी कहा सब सच कहा है।"
मेघना गुस्से से बोली।
"तुमने ये क्यों कहा कि शिव की हत्या वाली रात हम साथ थे।"
"क्यों ये गलत है क्या ? सिर्फ उसी रात नहीं हमने उससे पहले भी कई रातें साथ में बिताई हैं।"
मेघना उसकी बात काटने जा रही थी। पर इंस्पेक्टर अब्राहम ने उसे रोक कर कहा।
"झूठ बोलने की ज़रूरत नहीं है। दार्जिलिंग पुलिस ने हमें पहले ही सूचना दे दी है कि तुम रॉबिन की प्रेमिका रह चुकी हो। मैंने बताया भी था। तब भी तुमने मना किया था।"
सब इंस्पेक्टर गीता ने सख्त लहज़े में कहा।
"अब सच सच बताओ तुम दोनों एक दूसरे को कब से जानते हो ?" तुम सारा गोम्स से मेघना कैसे बन गई ?"
मेघना समझ गई कि अब सच छिपाने से कोई फायदा नहीं है। उसने अपनी कहानी बतानी शुरू की।
सारा गोम्स की उम्र बाइस साल थी। वह एक उभरती हुई ओडिशी नृत्यांगना थी। एक बार एक कार्यक्रम में नृत्य करने के बाद जब वह ग्रीन रूम में मेकअप उतार कर आराम कर रही थी तो उसके हेल्पर ने उसे एक बुके लाकर दिया। उसमें एक कार्ड लगा था। सारा ने कार्ड निकाल कर पढ़ा।
'आपका नृत्य अद्भुत है....आपका प्रशंसक....'
सारा ने अपने हेल्पर से पूँछा कि यह कौन दे गया। उसने बताया कि एक गाड़ी में एक साहब बैठे थे। उनका ड्राइवर बुके देकर बोला कि इसे सारा मैडम को मेरे साहब की तरफ से दे देना।
वैसे तो सारा के नृत्य की सदैव ही तारीफ होती थी। पर यह पहली बार हुआ था कि कोई प्रशंसक इस तरह उसकी तारीफ कर रहा था। सारा को अच्छा लगा। पर मन में उस प्रशंसक के बारे में जानने की इच्छा भी जागी। पर उसके बारे में जानने का कोई उपाय नहीं था।
तीन महीने बाद सारा एक बार फिर एक कार्यक्रम में नृत्य करने गई थी। नृत्य के पश्चात जब वह ग्रीन रूम में जा रही थी तब किसी ने उसे आवाज़ दी।
"सारा जी....."
सारा ने घूम कर देखा। एक शख्स सामने खड़ा था। आज कार्यक्रम के दौरान सारा ने उसे पहली पंक्ति में बैठे देखा था।
"मेरा नाम रॉबिन घोष है। आप एक बहुत अच्छी नृत्यांगना हैं।"
कह कर उसने हाथ में पकड़ा हुआ बुके सारा को दे दिया। वही फूल थे जो उसे पिछली बार मिले थे।
"तो मेरे पिछले कार्यक्रम में बुके भिजवाने वाले आप ही थे मिस्टर घोष।"
"हाँ सारा जी....मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूँ। मैंने आपके पिछले कई कार्यक्रम देखे हैं।"
"आपका बहुत बहुत शुक्रिया मिस्टर घोष।"
कह कर सारा ग्रीन रूम में वापस जाने लगी तो रॉबिन ने फिर से उसे आवाज़ दी।
"सारा जी....क्या हम दोस्त बन सकते हैं।"
उसका यह प्रस्ताव सारा को कुछ अजीब लगा। उसने हंस कर कहा।
"आप मेरे फैन हैं। मेरी कला की कद्र करते हैं। यही मेरे लिए काफी है।"
"पर मैं तो आपको और भी जानना चाहता हूँ।"
सारा कुछ नहीं बोली। रॉबिन ने आगे कहा।
"देखिए मैं दार्जिलिंग के एक इज्ज़तदार परिवार से हूँ। एक टी स्टेट का मालिक हूँ। पर मेरा अपना कोई नहीं है। आपको देख कर अपनापन महसूस होता है। इसलिए दोस्ती करना चाहता हूँ।"
"मिस्टर घोष अगर आप मुझसे अपनापन महसूस करते हैं तो आप मेरे कार्यक्रम में आकर मुझसे मिल सकते हैं।"
"ठीक है जैसा आप चाहें। फिर मैं आपसे आपके अगले कार्यक्रम में मिलूँगा।"
कह कर रॉबिन चला गया। सारा ने एक बार फूलों की तरफ देखा। फिर हल्के से मुस्कुरा दी।
सारा का अगला कार्यक्रम कोलकाता में था। वह एक संस्था के लिए फंड जुटाने के लिए इस कार्यक्रम में नृत्य कर रही थी। उसके अन्य कार्यक्रमों से भव्य आयोजन था यहाँ।
जब सारा नृत्य करने के लिए मंच पर गई तो यह देख कर उसे आश्चर्य हुआ कि रॉबिन पहली पंक्ति में बैठा था। सारा की आज की प्रस्तुति पर लोगों ने जम कर ताली बजाई थी। लोगों को आटोग्राफ देते हुए जब वह ग्रीन रूम में पहुँची तो दरवाज़े पर रॉबिन उसकी राह देख रहा था। उसे देखते ही उसने आगे बढ़ कर बुके सारा को पकड़ा दिया।
"आज भी आपने कमाल कर दिया।"
"आप मेरा कार्यक्रम देखने कोलकाता आ गए।"
"तो....मैंने ऐसे ही तो नहीं कहा था कि मैं आपको अपना समझता हूँ।"
सारा को उसका जवाब अच्छा लगा। वह मुस्कुरा दी। रॉबिन ने कहा।
"दोस्ती ना सही। कम से कम आज मेरे साथ एक कप कॉफी तो पी ही सकती हैं।"
"ठीक है....पर आपको कुछ देर इंतज़ार करना होगा। मैं कपड़े बदल लूँ।"
रॉबिन ग्रीन रूम के बाहर उसका इंतज़ार करने लगा। कुछ देर बाद सारा जींस और टीशर्ट में बाहर आई। पहली बार रॉबिन ने उसे इस रूप में देखा था। इससे पहले सदा ही सारा अपने नृत्य के विशेष परिधान में ही होती थी। रॉबिन एकटक उसे देखता रह गया।
"क्या हुआ ?? आप ऐसे क्यों देख रहे हैं ?"
"इस रूप में आप और भी सुंदर लगती हैं।"
उस दिन से सारा और रॉबिन की दोस्ती शुरू हो गई। पर रॉबिन उसे मन ही मन चाहता था। दोस्ती की बात तो उसने सारा से नज़दीकी बढ़ाने के लिए की थी। सारा शुरू में तो सिर्फ एक दोस्त की तरह ही उसके नज़दीक आई थी। पर रॉबिन के प्यार की गर्मी ने उसके दिल को भी पिघला दिया था। वह भी उसे चाहने लगी थी।
दोनों एक दूसरे के प्यार में पागल थे। सारा अब उसके साथ घर बसाने के सपने देखती थी। उसके परिवार में केवल उसके पिता जैकब गोम्स ही थे। उन्हें उसके और रॉबिन के रिश्ते से कोई ऐतराज़ नहीं था।
सारा और रॉबिन का रिश्ते के दो साल हो गए थे। सारा जब भी रॉबिन से शादी की बात करती तो वह उसे कुछ दिन ठहर जाने को कहता था। पर सारा और अधिक ठहरना नहीं चाहती थी। वह उस पर शादी के लिए दबाव बना रही थी।
रॉबिन कई सालों से अकेला था। वह प्यार तो चाहता था पर बंधन नहीं चाहता था। सारा बार बार उस पर शादी के लिए दबाव डाल रही थी। यह बात उसे पसंद नहीं आ रही थी। उसने अपनी तरफ से कई बार उसे समझाया था कि दोनों का रिश्ता जैसा है बहुत अच्छा है। सारा उसे बंधन में बांधने की कोशिश ना करे। पर सारा का मानना था कि शादी का बंधन रिश्ते को और अधिक मजबूत बनाएगा।
सारा की ज़िद के कारण रॉबिन धीरे धीरे उससे दूर जाने लगा था। अब वह सारा से कम मिलता था। मिलता भी था तो पहले की तरह उस पर अपना प्यार नहीं लुटाता था।
रॉबिन में आए इन बदलावों को सारा समझ रही थी। पर इसकी वजह नहीं जानती थी। पर जब उसे रॉबिन की बेरुखी का कारण पता चला तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
रॉबिन अब किसी और लड़की को चाहने लगा था। सारा को जब यह बात पता चली तो वह गुस्से से पागल हो गई। वह रॉबिन के पास जवाब मांगने पहुँची कि उसने उसके साथ ऐसा क्यों किया। दोनों के बीच जबरदस्त झगड़ा हुआ। उनका रिश्ता खत्म हो गया।
सारा के लिए वह बहुत कठिन समय था। रॉबिन से उसका रिश्ता टूटने के दो महीनों के भीतर लंबे समय से बीमार चल रहे उसके पिता जैकब गोम्स की मृत्यु हो गई। सारा के लिए यह आघात बहुत भारी था। वह एकदम अकेली पड़ गई थी।
सारा के पिता जैकब गोम्स बहुत ही धार्मिक ईसाई थे। बाइबल पढ़ना, चर्च में जाकर प्रार्थना करना उनके जीवन के ऐसे नियम थे जिन्हें उन्होंने कभी नहीं तोड़ा। पर इसके साथ ही साथ जैकब को हिंदू धर्म और दर्शन में भी बहुत दिलचस्पी थी। उन्होंने कई हिंदू धर्मग्रंथों को पढ़ा था।
जैकब आचार्य दुर्गाशरण से बहुत प्रभावित थे। आचार्य का आश्रम कोलकाता के पास था। देश विदेश के कई लोग हिंदू दर्शन को समझने के लिए उनके आश्रम आते थे। जैकब भी कई बार आचार्य के आश्रम में जाकर रह चुके थे।
सारा भावनात्मक रूप से टूट चुकी थी। उसे एक सहारे की सख्त आवश्यक्ता थी। वह अपने दुख से उबरने के लिए आचार्य के आश्रम में रहने चली गई।