ADHA MUDDA-SABSE BADA MUDDA - 10 in Hindi Women Focused by DILIP UTTAM books and stories PDF | आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय १०.

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आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय १०.

-----अध्याय १०."काहे की स्वतंत्रता/नाम मात्र की स्वतंत्रता|"-----

पुरुष कहीं भी घूम सकता, कभी भी घूम सकता है, रात-बिरात कभी भी परंतु नारी नहीं घूम सकती| वह भी पुरुषों के कारण ही तो नहीं घूम सकती, क्योंकि घूरते पुरुष है, छेड़छाड़ पुरुष करते हैं और रेप भी पुरुष ही करते हैं और स्वतंत्रता नारी की खोती है, इज्जत नारी की जाती है, बदनाम नारी होती है, दोष नारी पर मढ़ा जाता है और धिक्कारी नारी जाती है क्यों? जबकि पुरुष अपना मानसिक संतुलन ठीक रखें, नारी को काम की वस्तु न समझे, नारी की आजादी का सम्मान करें, नारी को अकेला देखकर मौका न माने, नारी के अकेले का फायदा न उठाये | और उसके अकेले के लिए मौका न ढूंढो तो नारी कभी भी, कहीं भी घूम सकती है |नारी के स्वतंत्रता का अधिकार का हनन पुरुष ही करते हैं |सदियों से समाज नारियों को ही को सुधारने का प्रयास कर रहा हैं परंतु चीजें नहीं बदली, छेड़छाड़ नहीं रुके, रेप नहीं रुके, मैं १००% विश्वास के साथ कहता हूं कि पुरुषों को सुधारने का समय आ गया जो-जो पाबंदियां नारियों पर लगाते आये हैं यदि पुरुष खुद पर लगा ले तो उसी दिन से छेड़छाड़, रेप १००% (पूरी तरीके से) रुक जाएंगे क्योंकि पाबंदियां लगते ही पुरुष को अपनी सोच बदलनी होगी, अपने ईगो को खत्म करना होगा, अपने दृष्टि को (आंखों को) सही करना होगा/रखना होगा तो सब सुधर जाएगा, सब संवर जाएगा, ऐसा अपराध जो नारी करती ही नहीं है परंतु अपराधी करार दिया जाता है तो अपराध कैसे रुकेगा? कैसे थमेगा? हम गलत रास्ते पर हैं बिना शर्माए काम करना होगा और सोच-विचार,आंखों की दृष्टि को सही करना होगा जिससे पुरुष अपनी इच्छाओं पर काबू कर पाएगा और इसी से अपराध रुकेंगे इसी से हम सुधरेंगे इसी से समाज सुधरेगा इसी से देश सुधरेगा |

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"हे पुरुष अपनी दृस्टि(आँखों को) सही रख तू |

हे पुरुष अपने मन को शांत रख तू |

हे पुरुष अपने बावलेपन को काबू रख तू |

हे पुरुष अपनी सोच-विचार सही रख तू |

हे पुरुष अपनी सोच-विचार सही कर तू |

हे पुरुष अपने खुद को सही कर तू |

हे पुरुष पहले खुद को सही कह तू |

हे पुरुष सही को सही कह तू |

तभी नारी को समझ सकेगा |

तभी नारी को उसका हक़ मिल सकेगा |

तभी नारी को उसका स्वाभिमान मिल सकेगा |

तभी नारी को उसका अभिमान मिल सकेगा |

तभी नारी को उसकी स्वतंत्रता मिल सकेगी |

तभी नारी को उसकी पहचान मिल सकेगी |

तभी नारी कंधे से कन्धा मिला सकेगी |

तभी नारी अर्धांगिनी बन सकेगी |"

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किताब/ बुक-----आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा)
"नारी में बारे में बातें, नारी के नजरिये से |"
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लेखक परिचय :-----

नाम-दिलीप उत्तम

योग्यता-कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग

कार्यस्थल-पब्लिक सेक्टर बैंक में ब्रांच मैनेजर

ईमेल-d.uttam88@gmail.com

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