Sabreena - 26 in Hindi Women Focused by Dr Shushil Upadhyay books and stories PDF | सबरीना - 26

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सबरीना - 26

सबरीना

(26)

दानिकोव काफी अदब से मिला

जारीना ने डा. मिर्जाएव को गेट की ओर देखने का इशारा किया। वे अभी तक उनींदे-से लग रहे थे, लेकिन गेट की ओर देखते ही सचेत हो गए। सबरीना ने डाॅ. मिर्जाएव को फुसफुसकार कर कुछ कहा और फिर वो जारीना के साथ होटल से बाहर की ओर निकली। डाॅ. मिर्जाएव ने सुशांत की तरफ देखा, ‘ आज नई भूमिका के लिए तैयार हो जाइये प्रोफेसर!‘ सुशांत कुछ समझ नहीं पा रहा था, लेकिन उसे महसूस हो रहा था कि कुछ तो असामान्य है। डाॅ. मिर्जाएव ने बैग से कुछ पेपर निकाले और उन पर कुछ लिखने लगे। वे अपने आपको को आसपास से बेखबर दिखाना चाह रहे थे। उन्होंने सुशांत को भी ऐसा ही करने को कहा।

इसी दौरान 20-22 लड़कियों का एक समूह होटल में घुसा और वे सभी रिसेप्शन के पास इकट्ठा हो गई। होटल के सिक्योरिटी कर्मचारी उनके आसपास ही थे। सभी लड़कियों को लाॅबी के पास बने एक बड़े रूम में, जो संभवतः कान्फ्रेंस आदि के लिए इस्तेमाल किया जाता होगा, बैठा दिया गया। डाॅ. मिर्जाएव ने सुशांत की ओर फिर इशारा किया। सुशंात ने देखा कि कुछ लोग सीढ़ियों से उतर उस बड़े कमरे की ओर जा रहे हैं, जहां लड़कियां बैठी थी। सीढ़ियों से लोगों के आने और उनके लड़कियों के रूम में जाने का सिलसिला काफी देर तक चला और फिर उसने देखा कि वे सभी एक या दो लड़कियों को साथ लेकर सीढ़ियों से ही वापस जा रहे हैं। करीब आधे घंटे में यह क्रम में पूरा हो गया। डाॅ. मिर्जाएव अब भी बार-बार गेट की ओर देख रहे थे, वे सबरीना और जारीना के आने की इंतजार कर रहे थे। उन्होंने अपने बैग से दो बैज निकाले और एक बैज सुशांत की जेब पर लगा दिया-’मानव तस्करी और महिला खरीद-फरोख्त संबंधी अंतरराष्ट्रीय निगरानी समिति के मानद सदस्य।’ दूसरा बैज उन्होंने अपनी जेब पर लगाया-‘देह व्यापार नियंत्रण संबंधी राष्ट्रीय आयोग के माननीय सदस्य।’ सुशांत ने डाॅ. मिर्जाएव की ओर सवालिया निगाहों से देखा। डाॅ. मिर्जाएव ने अभी चुप रहने का इशारा किया। तभी गेट से जारीना और सबरीना आती हुई दिखी। उनके चेहरे से लग रहा था कि काम हो गया है। सबरीना ने सुशांत की तरफ देखा, ‘ वाह, तो अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि भी हमारे साथ हैं! तब तो किसी बात का डर नहीं है।‘

सबरीना फिर डाॅ. मिर्जाएव के कान में कुछ फुसफुसाई और दोबारा बाहर चली गई। जारीना होटल रिसेप्शन के आसपास ही मौजूद रही। वहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड ने उन सभी को अपने रूम में जाने को कहा। इस पर सुशांत ने जवाब दिया, ‘ देखिए, हमारे दो लोग अभी रास्ते में हैं, वो पहुंचने वाले हैं, हम लोग उनके साथ ही रूम में जाएंगे। आप चाहें तो तब तक लगैज पहुंचवा दीजिए।‘ गार्ड कुछ सशंकित सा हुआ, लेकिन उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उसने एक बार फिर सुशांत की ओर संदेह से देखा। सुशांत ने उसका ध्यान बंटाने के लिए कहा, ‘ थोड़ा पानी भिजवा दीजिए।‘ गार्ड ने वेटर की ओर संकेत किया और वहीं आसपास मंडराने लगा।

सुशंात ने देखा कि अचानक होटल में भगदड़ जैसी स्थिति मच गई। गेट पर पुलिस और सुरक्षा बलों का बड़ा समूह दिख रहा था। जारीना उन्हें अंदर लेकर आ रही थी। रिसेप्शन पर खड़ी जारीना ने रिसेप्शनिस्ट को उसके केबिन से बाहर निकाला और चिल्लाकर होटल के सभी कर्मचारियों से लाइन लगाकर खड़े होने को कहा। सिक्योरिटी गार्ड ने सीढ़ियों से होकर उपर जाने की कोशिश की। सबरीना ने अपने हाथ का बैग उसके पैरों की ओर फेंका और वो उसमें उलझकर गिर गया। सुशांत मुस्कुरा पड़ा, जो तरकीब उसके होटल में काम नहीं आई थी, वो यहां काम आ गई। डाॅ. मिर्जाएव ने पुलिस अधिकारी सुजात दानिकोव को अपना परिचय दिया और फिर सुशांत का परिचय कराया। उनकी बातों में इतना आत्मविश्वास था कि दानिकोव की हिम्मत नहीं हुई कि वो सुशांत और मिर्जाएव से उनके परिचय-पत्र मांगकर देख सके। डाॅ. मिर्जाएव ने शिक्षक होने के गुणों का इतनी खूबी से इस्तेमाल किया कि पुलिस की शंका-प्रवृत्ति भी कुछ वक्त के लिए बौनी हो गई।

दानिकोव काफी अदब के साथ सुशांत से मिला और उन्हें आश्वस्त किया कि वे पुलिस की कार्रवाई से हर प्रकार से संतुष्ट होंगे। सुशांत ने वैसे ही आत्मविश्वास से जवाब दिया, ‘ देखिए, ये मामला केवल देह-व्यापार और तस्करी का नहीं है, ये मानव अधिकारों के संरक्षण और उज्बेकिस्तान की वैश्विक प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है। ऐसे में, आपका नैतिक दात्यिव मुझ से भी बड़ा है।’ सुशांत के भारी-भरकम शब्दों का और अधिक असर दिखाई दिया। दानिकोव ने अपनी टीम को संक्षेप में ब्रीफ किया और फिर रिसेप्शनिस्ट से उन कमरों की सूची ले ली, जहां पर यूएई से आए हुए लोग ठहरे हैं। उन्होंने होटल के पीछे के गेट को भी लाॅक करा दिया। डाॅ. मिर्जाएव लगातार ये कामना कर रहे थे कि इस बीच कोई ऐसी बात न हो जाए, जिससे पुलिस को उनकी असली पहचान का पता चल जाए। हालांकि, उन्होंने प्रोफेसर तारीकबी के साथ ऐसे कई आॅपरेशन नकली राष्ट्रीय प्रतिनिधि बनकर अंजाम दिए हैं। फिर उन्होंने मन ही मन सोचा आज प्रोफेसर तारीकबी की प्रतिष्ठा का भी सवाल है। उन्होंने सबरीना की ओर देखा, वो पूरी तरह आश्वस्त लग रही थी। होटल का पूरा स्टाफ एक लाइन में खड़ा था। पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने एक-एक करके रूम खाली कराने और वहां मौजूद लड़कियों और विदेशियों को नीचे लाना शुरू कर दिया था।

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