Stokar - 13 in Hindi Detective stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | स्टॉकर - 13

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स्टॉकर - 13




स्टॉकर
(13)



इंस्पेक्टर अब्राहम कई दिनों से मेघना पर नज़र रखे हुए था। उसने उसकी कॉल डिटेल्स निकलवा कर उसकी कॉपी एसपी गुरुनूर को भिजवा दी थी। एसपी गुरुनूर उस लिस्ट का गौर से मुआयना कर रही थी। वह शिव टंडन की हत्या वाले दिन से अब तक मेघना की जिन जिन नंबरों पर बात हुई थी वह देख रही थी।
शिव टंडन की हत्या वाले दिन मेघना की रॉबिन घोष से बात हुई थी। यह कॉल रॉबिन घोष द्वारा शिव को फोन करने से दस मिनट पहले की गई थी। उसके बाद रॉबिन के नंबर से मेघना के साथ कोई संपर्क नहीं हुआ था।
शिव की हत्या के बाद एक नंबर था जिस पर मेघना के फोन से सबसे अधिक संपर्क किया गया था। एसपी गुरुनूर ने सब इंस्पेक्टर गीता को बुला कर उस नंबर का पता लगाने को कहा।

मेघना की कार शहर से बाहर जगदंबापुर गांव के पास एक फार्म हाउस के अंदर दाखिल हुई। उसका पीछा कर रही कार कुछ ही दूरी पर आकर रुकी।
मेघना ने मेन डोर पर लगी कॉलबेल दबाई। कुछ ही क्षणों में दरवाज़ा खुला। मेघना अंदर चली गई।
दरवाज़ा खोलने वाला रॉबिन घोष था। उसने मेघना को अपनी बाहों में कस लिया। उसने मेघना से पूँछा।
"कब तक और ऐसे ही छिप कर रहना पड़ेगा ? अब बर्दाश्त नहीं होता है। जी करता है कि मैं और तुम कहीं दूर जाकर आराम से रहें।"
मेघना ने खुद को आहिस्ता से रॉबिन की बाहों से निकाला। पास पड़े सोफे पर बैठते हुए कहा।
"रॉबिन प्लीज़....कितनी बार समझाया है कि धीरज रखो। मैं कोशिश कर रही हूँ कि सब कुछ समेट लूँ। अभी शिव की हत्या का मामला गरम है। पुलिस अपनी जाँच कर रही है। अगर अभी मैं तुम्हारे साथ गई तो पुलिस मुझ पर शक करेगी। कुछ महीने बीत जाने दो। सब शांत हो जाएगा। फिर हम और तुम अपनी पसंदीदा जगह पर चल कर ज़िंदगी बिताएंगे।"
रॉबिन घोष मेघना के पास जाकर बैठ गया।
"कब तक धीरज रखूँ ?"
"तुम्हें तकलीफ क्या है यहाँ ? आराम की सब चीज़ें हैं। तुम जो कहते हो मैं लाकर देती हूँ।"
"तकलीफ क्या है ? मैं रात दिन यहाँ कैद रहता हूँ। इस फार्म हाउस की चारदीवारी के बाहर जा नहीं सकता हूँ। ऊब गया हूँ मैं यहाँ रहते रहते।"
"मैंने तुम्हें बताया था कि एसपी गुरुनूर तुम्हारे बारे में पूँछताछ कर रही थी। उस दिन जब तुम्हारा फोन आया था तो वह मेरे सामने ही खड़ी थी। ज़रा सी गलती हमारा खेल बिगाड़ सकती है। जहाँ इतने साल धैर्य रखा कुछ दिन और रख लो।"
रॉबिन कुछ नहीं बोला। मेघना उठ कर गई। दरवाज़े के पास रखा बैग लाकर उसे थमा दिया।
"देख लो जो तुमने कहा था सब है।"
रॉबिन बैग खोल कर देखने लगा। तभी कॉलबेल बजी। मेघना और रॉबिन दोनों ही सचेत हो गए। रॉबिन ने नौकर को बुला कर कहा कि उनके ऊपर जाने के बाद दरवाज़ा खोले। पूरी कोशिश करे कि जो भी हो उसे बाहर से ही वापस कर दे। कोई पूँछे तो कह दे कि मालिक नहीं हैं। वह यहाँ अकेला रहता है। मेघना और रॉबिन सीढ़ियों से ऊपर चले गए।
नौकर ने दरवाज़ा खोला। इंस्पेक्टर अब्राहम दो कांस्टेबल के साथ उसे परे हटा कर भीतर घुस गया। नौकर रुरिए रुकिए करता रह गया। इंस्पेक्टर अब्राहम ने नौकर से पूँछा।
"मेघना टंडन कहाँ है ?"
"साहब यहाँ कोई मेघना टंडन नहीं है।"
"अच्छा....तो बाहर कार किसकी खड़ी है ?"
"वो तो मालिक की है।"
"तो मालिक को बुलाओ।"
"वो तो अभी हैं नहीं। बाहर गए हैं।"
इंस्पेक्टर अब्राहम ने उसे घूर कर देखा।
"पुलिस को गुमराह करने का मतलब समझते हो। अगर सही सही नहीं बताया तो तुम्हें उठा कर ले जाएंगे।"
नौकर घबरा गया। उसने धीरे से ऊपर की तरफ इशारा किया।
"कमरा कहाँ है ?"
"तीसरा..."
नौकर ने धीरे से कहा। इंस्पेक्टर अब्राहम अपने एक कांस्टेबल के साथ सीढियों से ऊपर चला गया। कमरे पर पहुँच कर उसने दरवाज़ा खटखटाया।
"मिसेज़ टंडन मैं इंस्पेक्टर अब्राहम हूँ। दरवाज़ा खोलिए। हमें पता है कि आप अंदर हैं।"
इंस्पेक्टर अब्राहम ने दो तीन बार दरवाज़ा खटखटाया। कुछ देर बाद दरवाज़ा थोड़ा सा खुला। मेघना ने सर बाहर निकाल कर सख्त लहज़े में कहा।
"मैं शावर ले रही थी। आप नीचे जाकर बैठिए। मैं आती हूँ।"
इंस्पेक्टर अब्राहम नीचे जाकर बैठ गया। करीब पंद्रह मिनट के बाद मेघना नीचे आई। नौकर अभी भी वहीं खड़ा था। उसे देख कर डांट लगाई।
"तुम किसी को भी ऊपर तक आ जाने दोगे....बेवकूफ...."
नौकर ने सफाई देनी चाही। पर मेघना ने डांट कर उसे अंदर भेज दिया। फिर वह इंस्पेक्टर अब्राहम के सामने जाकर बैठ गई।
"ये क्या तरीका है इंस्पेक्टर.... आपके पास सर्च वारेंट है या मेरा अरेस्ट वारेंट है। आप इस तरह से ऊपर कैसे चले आए।"
इंस्पेक्टर अब्राहम को अपनी गलती समझ आ गई थी। वह उत्साह में बिना इजाज़त के ऊपर तक चला गया था। इंस्पेक्टर अब्राहम को चुप देख कर मेघना ने आगे कहा।
"आप दो कांस्टेबल के साथ मेरे घर में क्या कर रहे हैं। क्या मैंने कुछ गलत किया है ?"
अब तक इंस्पेक्टर अब्राहम संभल चुका था। उसने सधे हुए लहज़े में कहा।
"मिसेज़ टंडन....हमने जब आप से रॉबिन घोष के बारे में पूँछा था तब आपने कहा था कि आप उसे नहीं जानती हैं।"
"हाँ कहा था। अभी भी मेरा जवाब वही है। आप यही पूँछने के लिए दो कांस्टेबल लेकर यहाँ आए थे।"
जवाब देते हुए इंस्पेक्टर अब्राहम का लहज़ा सख्त था।
"हमने रॉबिन घोष के बारे में पता किया था। वह दार्जिलिंग का रहने वाला है। दार्जिलिंग के एसपी कमल गोरांग ने हमें उसके बारे में कुछ जानकारियां दी थीं। एक यह भी थी कि आप कई सालों तक रॉबिन की प्रेमिका रह चुकी हैं।"
मेघना गुस्से में तेज़ आवाज़ में बोली।
"ये क्या बकवास है...."
"ये बकवास नहीं है मिसेज़ टंडन। सारा गोम्स आपका ही नाम है।"
मेघना के चेहरे का रंग उड़ गया। वह कुछ बोल नहीं पाई। इंस्पेक्टर अब्राहम ने कहा।
"बोलिए मिसेज़ टंडन.... आपका नाम सारा गोम्स है। आप एक ओडिशी नृत्यांगना हैं। आपका रॉबिन घोष के साथ संबंध रह चुका है।"
इंस्पेक्टर अब्राहम के सवालों से मेघना घबरा गई थी। पर उसने भी जल्दी ही अपनी घबराहट पर काबू पा लिया।
"हाँ मेरा नाम पहले सारा गोम्स था। मैं ओडिशी नृत्यांगना हूँ। पर रॉबिन से मेरा कोई संबंध नहीं है। यह सूचना गलत है।"
"चलिए मान लेते हैं कि रॉबिन घोष से आपके संबंध की बात गलत है। पर आपने यह क्यों छिपाया कि आपका नाम सारा गोम्स है।"
"मैंने कहा ना कि वह मेरा पुराना नाम था। मैंने अपना नाम व धर्म बदला है। कानून इसकी इजाज़त देता है।"
"सही कह रही हैं आप। पर जब सब कुछ कानूनी रूप से सही था तो छिपाने की क्या आवश्यक्ता थी।"
"क्योंकी इस बात का मेरे वर्तमान जीवन से या मेरे पति की हत्या से कोई लेना देना नहीं है। आज का सच ये है कि मैं मेघना टंडन हूँ। स्वर्गीय शिव टंडन की विधवा। ये मेरे पति का फार्म हाउस है। मैं यहाँ कुछ पल सुकून के बिताने आई थी।"
इंस्पेक्टर अब्राहम जानता था कि रॉबिन को लेकर मेघना झूठ बोल रही है। उसे इस बात की भी पूरी संभावना लग रही थी कि रॉबिन फार्म हाउस में ही है। पर उसके पास कोई सबूत नहीं था। बिना किसी ठोस कारण के वह तलाशी नहीं ले सकता था।
इंस्पेक्टर अब्राहम उठ कर खड़ा हो गया।
"ठीक है मिसेज़ टंडन हम लोग जा रहे हैं। अगर आपकी ज़रूरत होगी तो पुलिस स्टेशन बुला लेंगे।"
"मैं भी आपका पूरा सहयोग करूँगी।"
इंस्पेक्टर अब्राहम अपने दोनों कांस्टेबलों के साथ निकल गया। मेघना ने दरवाज़ा बंद किया। उसके बाद फौरन ऊपर की तरफ भागी। ऊपर कमरे से जुड़े ड्रेसिंगरूम में रॉबिन छिपा हुआ था। कमरे में पहुँच कर मेघना ने उसे आवाज़ दी। रॉबिन ने बाहर निकल कर पूँछा।
"क्या हुआ ? वह चला गया ?"
"हाँ चला तो गया है। पर उसे पूरा शक है कि तुम यहाँ हो। दार्जिलिंग पुलिस ने उन्हें बताया है कि मेरा नाम सारा गोम्स है। मेरा और तुम्हारा रिश्ता रहा है। सारा गोम्स वाली बात तो मैंने मान ली। पर हमारे रिश्ते की बात से साफ इंकार कर दिया।"
"अब क्या होगा ?"
"पता नहीं....पर हम मुसीबत में हैं।"
"तो चलो भाग चलते हैं।"
"वही करना पड़ेगा। पर मुझे लगता है कि वह इंस्पेक्टर फार्म हाउस पर नज़र रखे होगा। तुमने यहाँ से निकलने की कोशिश की तो दोनों पकड़े जाएंगे।"
"फिर उपाय क्या है ?"
मेघना कमरे में इधर उधर टहलते हुए सोंचने लगी। कुछ देर तक सारे पहलुओं पर विचार करने के बाद वह बोली।
"मैंने सोंच लिया। जो हालात अभी हैं उसके हिसाब से यही सही है कि मैं जैसे आई थी वैसे ही कुछ देर बाद यहाँ से चली जाऊँ। बाहर जाकर देखती हूँ कि तुम्हें यहाँ से कैसे निकालना है। फिर हम कहीं भाग चलेंगे। मैं जितना कैश, ज्वैलरी वगैरह समेट पाऊँगी साथ ले लूँगी।"
"पर मैं क्या करूँ यहाँ ?"
"मजबूरी है पर तुम्हें यहाँ रहना ही पड़ेगा। मेरे जाने के बाद तुम बेसमेंट में जाकर छिप जाना। इंस्पेक्टर अब्राहम मेरे जाने के बाद यहाँ की तलाशी लेने की कोशिश करेगा। पर वह बेसमेंट तक नहीं पहुँच पाएगा।"
मेघना इस बात की राह देखने लगी कि कुछ समय बीत जाए तब वह यहाँ से निकले।

फार्म हाउस से कुछ दूर इंस्पेक्टर अब्राहम अपने दोनों कांस्टेबलों के साथ ऐसी जगह खड़ा था जहाँ से फार्म हाउस पर नज़र रख सके। उसने एसपी गुरुनूर को फोन कर सारी बात बता दी थी। एसपी गुरुनूर ने उसे उस नंबर के बारे में बताया था जिस पर शिव टंडन की हत्या के बाद मेघना से सबसे अधिक संपर्क हुआ था। इंस्पेक्टर अब्राहम ने एसपी गुरुनूर से कहा कि वह पता करके बताएं कि इस नंबर की लोकेशन क्या है। वह अभी एसपी गुरुनूर के फोन की प्रतीक्षा ही कर रहा था। कुछ समय बाद एसपी गुरुनूर का फोन आया। इंस्पेक्टर अब्राहम ने फोन उठाया तो खुशी से चहक उठा।
"मैम पंछी यहीं है। आप मुझे वह नंबर वाट्सअप पर भेज दें।"

मेघना ने एक बार फिर रॉबिन को एहतियात बरतने को कहा। उसे आश्वासन दिया कि वह पूरी कोशिश करेगी कि उसे यहाँ से निकाल ले। रॉबिन ने कहा कि वह कुछ देर बेडरूम में आराम करने के बाद बेसमेंट में चला जाएगा।
"देखो ज़रा भी लापरवाही मत करना। मैं जा रही हूँ। मेरे जाने के कुछ देर बाद ही बेसमेंट में चले जाना। इंस्पेक्टर अब्राहम चुप नहीं बैठेगा।"
"हाँ ठीक है....मुझे भी फिक्र है। तुम जाओ और जल्द से जल्द कुछ करो।"
मेघना सीढ़ियां उतर कर नीचे आई। नौकर को हिदायत दी कि उसके जाने के बाद अगर कोई दरवाज़े पर आए तो एकदम से दरवाज़ा मत खोलना। पहले ऊपर जाकर साहब को आगाह कर देना।
मेघना का मन अनहोनी से आशंकित था। पर इस समय जोखिम लेने के अलावा कोई और चारा नहीं था। उसने बाहर निकलने के लिए दरवाज़ा खोला ही था कि सामने इंस्पेक्टर अब्राहम अपने दोनों कांस्टेबलों के साथ खड़ा था। उन्हें सामने देख कर मेघना सकपका गई।
"आप फिर आ गए ?"
"जी....पर आप कुछ जल्दी में लगती हैं। कहाँ जा रही हैं ?"
"मेरे ऑफिस से कॉल आया था। कुछ ज़रूरी काम है। प्लीज़ आप जाइए।"
इंस्पेक्टर अब्राहम दोनों कांस्टेबलों के साथ अंदर आ गया। उसने मेघना से कहा कि वह उसे अपना फोन दे।
"क्यों ?? मैंने कहा ना कि मुझे जाना है।"
"मिसेज़ टंडन आपने सहयोग की बात की थी।"
"जी....पर मेरा फोन लेने का क्या मतलब है ?"
"मुझे एक कॉल करनी है। मेरे पास बैलेंस नहीं है। लाइए अपना फोन दीजिए।"
मेघना ने झिझकते हुए फोन दे दिया। इंस्पेक्टर अब्राहम ने फोन से एक नंबर मिलाया। फोन स्पीकर पर डाल दिया।
"क्या है मेघना....अभी कोई निर्देश बाकी रह गया है क्या ?"
रॉबिन की आवाज़ सुन कर मेघना डर कर कांप रही थी। इंस्पेक्टर अब्राहम ने फोन अपने पास लाकर कहा।
"बहुत कुछ कहना सुनना है घोष बाबू। अब आप नीचे आने का कष्ट करें। नहीं तो हम आ जाएंगे।"
कुछ ही क्षणों में रॉबिन घोष सीढ़ियों से नीचे उतर कर आ गया।