ADHA MUDDA-SABSE BADA MUDDA - 9 in Hindi Women Focused by DILIP UTTAM books and stories PDF | आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय ९.

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आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय ९.

----अध्याय ९."जरा सी गलती माफ नहीं |"-----

जरा सी बात पर पत्नी पर हाथ उठाना, गाली देना, क्रोध करना कहां तक जायज है?

सब्जी में मिर्च ज्यादा हो गया या नमक ज्यादा हो गया है, इस बात के लिए न जाने कितनी महिलाएं रोज पिटती है/ डांट खाती हैं? वहीँ पति के क्रोध की ज्वाला तब बढ़ जाती है, यदि पत्नी किसी रिश्तेदार से ज्यादा हंसकर बोलकर बात कर ले/या थोड़ा सा ज्यादा भी फ्रेंडली होकर बात कर ले |इसके लिए भी न जाने कितनी पत्नियां अपने पति के क्रोध को और मार-पीट को सहती हैं?

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पीटने का अधिकार पुरुष को किसने दिया, जरा सी बात पर पति, पत्नी को पीट देता है वही शाम को रोज पति शराब पीकर आता है तो कुछ नहीं, रोज आकर बिना मतलब के गाली गलौज करता है तो कुछ नहीं, ऐसी सोच किसने बनाई, ऐसा भेदभाव किसने बनाया, पुरुषों से गलतियां नहीं होती क्या? पुरुष परफेक्शन के साथ ही कार्य करते हैं क्या? पुरुषों के लिए कोई नियम नहीं है क्या? वो कुछ भी कर सकता है क्या?

वहीँ एक शराबी पति को कैसे सहती है नारी?

साधारण सी बात है कि शराबी नारी को क्या पुरुष, पत्नी के रूप में देख सकता है?

जैसे वह पीने के बाद जो गुस्ताखियां करता है, क्या उसकी पत्नी करे तो क्या वह सह पाएगा? नहीं केवल मैं शराब पी सकता हूं नारी नहीं, ऐसी सोच किसी निष्कर्ष तक नहीं ले जाएगी, ऐसी सोच से किसी का भला नहीं होगा, पत्नी को दासी मानना/ नौकरानी समझना जब तक ये चलेगा परिवार खुश न रहेगा|

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नारी की हालत कुछ ऐसी है :-----

"उसको सहना है, सहना है, सहना हैं |

फिर भी उसको रहना है, रहना है, रहना हैं |

ऐसे घर में रहना है -

जहां कभी भी तोड़ा जाता |

जहां कभी भी मोड़ा जाता |

हर पल उसका अपना न हैं |

हर पल उसका अपना न हैं |

ऐसी है महान नारी |

ऐसी है महान नारी |

इतनी सहनशील है, इतनी आशावादी है |

कि इक दिन पति सुधरेगा |

कि इक दिन पति सुधरेगा|

इसी आस में जीती रहती|

इसी आस में जीती रहती|

उसकी मार में प्यार ढूंढती |

उसकी मार में प्यार ढूंढती |

उसकी मार को भी न समझती|

ऐसी है नारी भाई|

ऐसी है नारी भाई |

फिर भी न समझता ये पुरुष |

फिर भी न समझता ये पुरुष |

ऐसा नादान है पुरुष, ऐसा बदमाश है पुरुष |

ऐसा नादान है पुरुष, ऐसा बदमाश है पुरुष |

क्रोधी तू ,अभिमानी तू ,स्वार्थी तू ,अहंकारी तू |

फिर भी मार खाये नारी |

फिर भी मार खाये नारी |

ये अत्याचार क्यों है?

ये दोहरापन क्यों है?

जवाब चाहिए नारी को, अब ऐसे न चलेगा |

अधिकार चाहिए नारी को, अब ऐसे न चलेगा |

स्वतंत्रता चाहिए नारी को, अब ऐसे न चलेगा |

सच्चा प्यार चाहिए नारी को, अब ऐसे न चलेगा | "

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"नारी में बारे में बातें, नारी के नजरिये से |"
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