एक 60 साल का एक आदमी एक घर के सामने थोड़े दिनों से आकर रोज बैठा रहेता ओर उस घर को देखता राहेता ओर उस घर में रहता एक आदमी उसे रोज देखता ओर वो अंदर जाकर अपना काम करने लगता ऐसे ही होते होते दो या तीन महीने हो गए वो 60 साल का आदमी रोज आता ओर उसी घर के सामने देखता रहेता उस घर् में रहेना वाला आदमी भी उसको हरदिन देखता ओर मन ही मन में सोचता रहेता के ये चाचा यहां आके इसी घर के सामने देखते है, क्या बात होगी ये घर देखने आते है या फिर कोई और बात है वो सोचता के उनसे जाके बात करू ओर पूछलु की आप यहां आके क्या देखते रहेते हो पर मन ही मन में कुछ उलझन होती के बात केसे करू
एक दिन वो चाचा घर के सामने बैठ कर रड़ने लगे और घर को देखने लगे, तो रहने वाले आदमी ने देखा तो वो घर से बाहर आया ओर उस चाचा पास गया और बैठा ओर उनसे बात करनी सरु की ओर पूछा की आप क्यों रड़ रहे हो और आप हरदिन यहां आके बैठते हो ओर इसी घर के सामने देखते हो में ये पिछले तीन महीने से देख रहा हूं ,
उतने में चाचा ने उनके सामने देखा ओर बोले ये जो तुम जिस घर में रहते हो ये घर कभी मेरा हुआ करता ता ओर में इसमें अपने छोटे से परिवार के साथ रहैता था मैने ये घर अपनी कमाई से बनाया था छोटासा है पर मेरे परिवार के लिए ठीक था इसके साथ काफ़ी यांदे जुड़ी है ओर मेरे बीवी की आखरी सांसे यही रुकी थी ,
तो आप अपनी बीवी की याद में रों रहे हो,
चाचा :- नहीं पर यही पर आज के दिन मेरे दो जुड़वा बेटे हुए थे और हम बहोट खुश थे ओर मैने सोचा था के ये घर अब पूरा हुआ है, पर ये खुशी तब तक रही जब तक वो बड़े ना हो जाए मैने सोचा कि अब ये घर इनके नाम करदू पर मुझे क्या पाता था कि जिसके लिए घर बनाया था ओर जिसके साथ मैने रहेने के सपने देखे थे वो सिर्फ सपने थे उन्होंने ये घर बेच दिया जिसमे उनकी बचपन कि यदि जुड़ी है मां का प्यार उन्होंने एक बार भी ना सोचा ओर इसी घर में उनके साथ रहेना था पर आज के पड़ोस वाले वृद्धा आश्रम में रहेत्ता हूं । पर मुझे इस बात दुख नहीं के उन्होंने मुझे छोड़ दिया पर उस बात का है कि कल अगर उसके साथ यही हुआ तो वो वो पसतावा करेगा मेरे लिए पर उसको सुनने के लिए में नहीं रहूंगा ओर वो खुद को कोसता रहेगा ओर न जाने उसे कैसा महसूस होगा ओर वो मेंंरी तराह रह पायेगा केे नही मुुजे उसका डर है ओर कही वो भी इस तरह जियेगा जैसे में जी रहा हु तो, बेटा तुमने तो अपने माँ बाप को तो वृद्धाश्रम में नई छोड़ दिया ना ये पूछते है वो बुजुर्ग वो कहता है नई चाचा वो में जब चोट था तभी चल बसे थे , ओर कहता है चाचा अब आप जब चाहे तब मेरे घर आ जाना बस अब रोना मत चलो में जाता हूं मुजे कुछ काम है चलो आप भी चाय पीने।ओर दोनों घर में जाते है और बात करते है और अब वो बुजुर्ग हर महीने उस के वहा जाता है चाय पीने ।