Cesarean Child in Hindi Women Focused by S Sinha books and stories PDF | सीजीरियन बच्चा

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सीजीरियन बच्चा


कहानी - सिजेरियन बच्चा


“ छाया कहाँ है , उसे जल्दी से बुलाओ . “ वर्माजी ने पत्नी उमा को फोन पर कहा


“ क्या बात है मुझे बताएं , छाया ऊपर छत पर धुले कपड़े डालने गयी है . “


“ नहीं , पहले मुझे उसी से बात करनी है . छाया को बुलाओ , मैं फोन पर हूँ . “


उमा ने अपनी छोटी बेटी माया को पुकार कर कहा “ माया , दीदी को बुलाओ . पापा का फोन है . उनको उसी से जरूरी बात करनी है . “


दो मिनट के अंदर ही छाया ने फोन पर कहा “ हाँ पापा , पापा आप इतने घबराये क्यों हैं ? “


“ मैं घबराया नहीं हूँ बल्कि ख़ुशी से फूला न समा रहा हूँ . “


“ हाँ बोलिये , ऐसी कौन सी बात है ? “


“ बेटे तेरा पी एम टी का रिजल्ट मैंने ऑफिस के कंप्यूटर पर देखा है . बधाई हो . तुम्हें बहुत अच्छा रैंक मिला है , तुम्हें अच्छा मेडिकल कॉलेज मिल जायेगा . “


“ रिजल्ट तो चार बजे नेट पर आनी थी , अभी तो दो ही बजे हैं . आपने ठीक से देख लिया है न पापा . मैं तो अपनी सहेली के घर रिजल्ट देखने जाने ही वाली थी . पर मुझे तो इतने अच्छे रैंक की उम्मीद न थी , आपने देखा है न . “


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“ अगर दो घंटे पहले अगर नेट पर रिजल्ट आ गया तो इसमें बुरा क्या है ? अब तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है , मैंने कम से कम दस बार देखा है तब तुम्हें फोन किया है . अपनी मम्मी और माया को भी बता देना . मैं फोन रखता हूँ . “


मम्मी उमा और माया दोनों पास ही खड़ी थीं . फोन की बातें सुन कर उन्हें रिजल्ट का अंदाजा तो लग गया था . दोनों ने छाया को बधाई दी . छाया ने माँ के पैर छू कर कहा “ मम्मी ,यह आप लोगों के आशीर्वाद , सहयोग और मार्गदर्शन का नतीजा है . “


“ ये सब तेरी मेहनत का फल है बेटे . “ माँ ने कहा . फिर माया की और देख कर कहा “ अब तेरी बारी है . मुझे पूरी उम्मीद है तुम हमें निराश नहीं करोगी . “


छाया ने माया को गले लगाते हुए कहा “ मम्मी यह तो पढ़ाई में मुझसे भी अच्छी है . जरूर कम्पीट करेगी . “


छाया और माया वर्माजी की दो बेटियां थीं . उनका परिवार मध्यम वर्ग का था . वर्माजी अपनी पुश्तैनी मकान में रहते थे . नौकरी भी साधारण थी , घर में कोई कंप्यूटर नहीं था , बस दो साधारण मोबाइल फोन थे , उस समय स्मार्ट फोन आया भी नहीं था . एक फोन वे खुद अपने साथ रखते थे और दूसरा घर पर रहता था जिससे बाकी लोगों का काम चलता था . वर्माजी को अपनी दोनों बेटियों पर गर्व था , दोनों पढ़ने में तेज थीं .


छाया का एडमिशन अच्छे मेडिकल कॉलेज में हो गया . फर्स्ट ईयर पूरा होने पर गर्मी की छुट्टी में घर आई थी . माया के टेंथ बोर्ड का रिजल्ट आया था , उसने काफी अच्छे मार्क्स लाये थे . एक रात दोनों बहनें पलंग पर लेटे बातें कर रही थीं . माया ने कहा “ दी , आपने क्या सोचा है , मेडिसिन में जाएंगी या पीडिएट्रिक्स में . “


“ मैं तो गायनाकोलॉजिस्ट बनना चाहूंगी . अभी तो काफी समय है . पहले MBBS तो पूरा होने दे . पर तू बता मैंने तुम्हारे मार्क्स देखे हैं , बायो और मैथ्स दोनों में ही तुम्हें 92 परसेंट मार्क्स आये हैं . “ . तुमने क्या सोचा है , आगे बायो पढ़ेगी या मैथ्स ?


“ न बाबा , मुझसे चीर फाड़ नहीं होगा . वैसे भी मेडिकल में काफी समय लग जाता है . मैं इंजीनियरिंग पढूंगी , बस चार साल का कोर्स उसके बाद आई टी सेक्टर में आराम की नौकरी करुँगी . “


“ हाँ , यह भी ठीक ही रहेगा . एक बहन डॉक्टर और एक इंजीनियर . पापा मम्मी का दोनों शौक पूरा हो जायेगा . “

दो साल बाद माया ने इंजीनियरिंग के टेस्ट दिए . वह तो आई आई टी में पढ़ना चाहती थी पर JEE में उसका रैंक काफी नीचे था इसलिए उसे मनपसंद ब्रांच नहीं मिल रहा था . उसने दूसरे कॉलेज में कंप्यूटर साइंस में दाखिला लिया . देखते देखते करीब चार साल गुजर गए . माया अब इंजीनियरिंग फाइनल ईयर में थी . बंगलुरु के प्रसिद्ध मल्टीनेशनल में . उसका कैंपस सेलेक्शन हो गया था . उधर छाया का MBBS पूरा हो गया और वह पी जी का टेस्ट दे चुकी थी .संयोगवश उसके मेहनत से उसे अपनी पसंद का गायनेकोलॉजी ब्रांच भी मिल गया .

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पी जी के दौरान ही छाया को अपने सहपाठी विद्युत से प्यार हुआ और दोनों ने शादी का फैसला किया . उनके माता पिता को भी कोई आपत्ति न थी . दोनों की शादी धूमधाम से हुई . दोनों ने तय किया की जब तक नौकरी में सैटल नहीं कर जाते , कोई बच्चा न हो .


दो साल बाद छाया और विद्युत दोनों बंगलुरु के एक अच्छे प्राइवेट अस्पताल में डॉक्टर थे . उधर माया को भी अपने सहकर्मी चेतन से प्यार हुआ . शुरू में चेतन के माता पिता को माया पसंद नहीं थी , कारण उसका विजातीय होना था . पर उन दोनों के प्यार और दृढ़ निश्चय के आगे उन्हें झुकना पड़ा . उन दोनों की भी शादी हो गयी .


इधर छाया प्रेग्नेंट थी . उसके प्रसव का समय नजदीक था , वह छुट्टी में थी . उसकी माँ उमा देखभाल के लिए आयी थी . कुछ दिनों बाद छाया ने एक बेटे को जन्म दिया . उसकी सिजेरियन डिलीवरी हुई थी . जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ थे . एक महीने के बाद छाया ने अस्पताल जाना शुरू किया . अस्पताल के कैंपस में ही स्टाफ क्वार्टर में छाया का क्वार्टर था . वह बीच में आ जाती थी . बच्चे के लिए वह अपना दूध पम्प कर बोतल में फ्रिज में रख देती थी और समय होने पर उमा बच्चे को दूध पिला देती . तीन चार महीने बाद उमा लौट जाती तब छाया की सास आकर बच्चे की देखभाल करती . इसी तरह दोनों समधन की देखरेख में छाया का बेटा पल रहा था .

लगभग दो साल बाद माया प्रेग्नेंट हुई . छाया ने फोन कर उसे कहा “ मैं मौसी बनाने जा रही हूँ , जान कर बहुत ख़ुशी हुई . तुम्हें भी मुबारक हो . पर देख माया , प्रेग्नेंसी के दौरान एक्टिव रहना . थोड़ा बहुत व्यायायम या योगा या 15 - 20 मिनट रेगुलर वाक करती रहना , इससे प्रसव में आसानी होगी . “


माया की डिलीवरी में अभी एक महीना से भी कम रह गया था . वह अपनी बहन छाया के घर आयी थी प्रसव संबंधी बात करने के लिए . वह बोली “ दी , मैं सोचती हूँ मैं भी सिजेरियन डिलीवरी कराऊँ . बेकार का जानलेवा लेबर पेन क्यों बर्दाश्त करूँ ? “


“ नहीं माया , नार्मल डिलीवरी में दर्द जरूर होता है , पर यही बेहतर होता है . “


“ मैं लेबर पेन नहीं लेने वाली हूँ . डिलीवरी तुम ही कराओगी दी . “


“ तुम समझती क्यों नहीं हो , सिजेरियन के पीछे क्यों पड़ी हो . “


“ दी , मेरी कम्पनी का इंश्योरेंस पूरा खर्च उठाएगा . तुम्हारी पूरी फीस मिलेगी . “


“ माया तुम पागल हो गयी हो क्या ? तुम क्या समझती हो मुझे अपनी फीस की चिंता है . मैं अपने सभी पेशेंट्स को यही सलाह देती हूँ . “


“ फिर क्यों तुम रोज इतने सिजेरियन डिलीवरी किया करती हो .? “


“ कुछ महिलायें तो प्रेग्नेंसी का मतलब कम्प्लीट रेस्ट समझती हैं और पूरे दिन आराम करती हैं , जिसके चलते डिलीवरी सिजेरियन करना होता है . कुछ तुम्हारी तरह की सोच वाली मेरी बात नहीं मानती हैं . कुछ तो ज्योतिष

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के चक्कर में पड़ कर किसी ख़ास तिथि को ही प्रसव कराना चाहती हैं . प्राइवेट अस्पताल वाले तो चाहते ही हैं कि इस तरह के ज्यादा मामले मिलें और उनकी कमाई हो . वे इसके लिए एनकरेज करेंगे और किसी न किसी बहाने सिजेरियन को बेहतर कहेंगे . “


“ नहीं जो भी हो , मैं भी सिजेरियन ही कराऊंगी . दी ,तुमने भी तो यही किया था . अब मुझे लेक्चर देने लगी हो .”


“ मेरे बच्चे के गले में गर्भनाल फंस गया था , इसीलिए यह मेरी मजबूरी थी नहीं तो बच्चे की जान को खतरा था . “ इतना बोल कर वह खिड़की से बैकयार्ड की ऒर देखने लगी और उसके चेहरे पर एक मुस्कान पसर गयी . “


“ दी , उधर बैकयार्ड में ऐसा क्या है कि उसे देख कर मुस्कुराने लगी हो . “


“ अच्छा तू बैकयार्ड में चल , एक चीज दिखाती हूँ . “


छाया ने एक कैंची उठाई और वह माया को बैकयार्ड में एक पेड़ के पास ले गयी . कैंची देख कर माया हंसने लगी और बोली “ यहाँ किसकी डिलीवरी होनी है ? “


पेड़ की निचली शाखा के निकट जा कर उसने माया को गौर से देखने को कह खुद कैंची ले कर शाखा से सट कर खड़ी हो गयी . “ माया अब देख , मैं क्या कर रही हूँ . उस शाखा पर एक प्यूपा था जिसकी छेद से तितली का बच्चा बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा था . छाया ने अपनी कैंची से प्यूपा की छेद को काट कर बड़ा कर दिया और बच्चा बड़े आराम से बाहर आ गया .


छाया बोली “ देखा तुमने , मैंने इसका सिजेरियन डिलीवरी करवाया . “


“ हाँ दी , देखा तुमने कितने आराम से वह तितली प्यूपा से बाहर आ गयी . “


“ अब इसके आगे भी बच्चे को गौर से देखो . “


तितली बहुत देर तक रेंगती रही . उसने अपने पंख फड़फड़ाने की बहुत कोशिश की पर वह उड़ नहीं सकी सिर्फ रेंगती रही . माया ने पूछा “ यह उड़ क्यों नहीं रही है ? “


“ उड़ेगी , पर कुछ समय लगेगा . मेरी सर्जरी से इसका यह हाल हुआ है . “


“ वह कैसे ? “


“ प्यूपा से निकलने के दौरान बच्चा जो संघर्ष करता उसी से ताकत देने वाले तत्व बच्चे के पंखों में प्रवेश करता और वह सहज उड़ सकता था . पर मैंने दर्द से उसे जल्द छुटकारा दिलाने के लिए प्यूपा से बाहर निकाल दिया और उसका यह हश्र हुआ है . इसीलिए मैंने भी तुझे नार्मल डिलीवरी की सलाह दी है . “

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“ पर इसका मेरी डिलीवरी से क्या लेना देना है ? “


“ है , प्रकृति जो भी करती है सोच समझ कर करती है . जब नार्मल डिलीवरी में लेबर पेन होता है तो माँ को असह्य पीड़ा तो होती है और साथ में बच्चे को भी कुछ दर्द होता होगा . माँ के गर्भ में जो द्रव होता है वह बच्चे का सुरक्षा कवच है . प्रसव मार्ग से गुजरने के समय होने वाले दर्द और दबाव से शिशु के शरीर में केटोकोलामिन आदि रसायन का संचार होता है जिससे उसे अतिरिक्त शक्ति मिलती है और इसके चलते वह बाहर आकर विषम परिस्थितियों से लड़ने के काबिल बनता है . प्रसव पीड़ा के दौरान ब्रेन को सिग्नल मिलता है जिससे ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन हॉर्मोन्स बनते हैं जो माँ की पीड़ा और प्रसव मार्ग के संकुचन आदि क्रिया को नियंत्रित करते हैं . यही वजह है कि नार्मल डिलीवरी से जन्मा शिशु सिजेरियन की तुलना में बेहतर माना गया है . “


माया कुछ चिंतित दिख रही थी और कुछ सोच में पड़ गयी . यह देख छाया ने कहा “ देख मैं डॉक्टर हूँ इसीलिए तुझे इतना समझा गयी . मैंने शुरू से तेरे प्रेग्नेंसी पर नजर रखी है , चिंता की कोई बात नहीं है प्राइवेट अस्पताल वाले तो चाहते ही हैं कि सिजेरियन डिलीवरी करवायें , उन्हें मोटी रकम जो मिलती है . हाँ अगर प्रसव के समय कोई कंप्लीकेशन , बीमारी या अवरोध हुआ तब शिशु या माँ की जान के खतरे को देखते हुए सर्जरी बेहतर होता है . अगर ऐसी नौबत आयी तो मैं तुमसे पूछे बिना ही ऑपरेशन करूंगी . “


“ पर दी , फिर भी वो लेबर पेन . यह सोच कर ही घबराहट होती है . “


“ अच्छा तुम थोड़ा दर्द सहना बेहतर समझोगी कि बच्चे का आजीवन स्वस्थ रहना . “


“ बच्चा ठीक रहे , यही बेहतर है . “


“ तो सुन . हम हवा में सांस लेते हैं पर शिशु को हवा कहाँ से मिलेगी . बच्चे के फेफड़ों में पानी भरा होता है . वह माँ से प्लेसेंटा से जुड़ा होता है और इसी से सीधा खून उसके दिल को मिलता है और उसे सांस नहीं लेनी होती है . नार्मल डिलीवरी के दौरान होने वाले प्रसव मार्ग के दबाव और खुद शिशु की छाती पर पड़ते दबाव से फेफड़ों का पानी बाहर निकलता है . प्लेसेंटा काटने के बाद उसके अपने फेफड़े काम करने लगते हैं . सर्जरी से जन्मे शिशु के फेफड़े का पानी निकलने में 48 घंटे तक लग सकते हैं . कभी कुछ और समय भी लगता है , इसलिए ऐसे बच्चों में आगे चल कर दमे की आशंका रहती है . इसके अतिरिक्त मोटापे , ऑटिस्म आदि अन्य दिक्कतें भी आ सकती हैं . नार्मल डिलीवरी में आमतौर पर ऐसी संभावना नहीं होती है .


“ सच दी . “


“ हाँ , तो क्या मैं तुमसे गलत कहूँगी ? देख बिना फीस लिए इतनी सारी लेबर की बातें मैंने तुम्हें बतायी हैं . अब आगे दिमाग से काम लेना तुम्हारा काम है . “


तीन सप्ताह के बाद माया के प्रसव का समय आया . वह छाया के अस्पताल में लेबर रूम में थी . छाया ने उसे एक्जामिन कर कहा “ बच्चा बिलकुल स्वस्थ और सुरक्षित है . मैं लेबर की तैयारी करती हूँ , नार्मल डिलीवरी कराने जा रही हूँ . डरना नहीं , चिंता की कोई बात नहीं है . “

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छाया ने ड्यूटी नर्सों को कुछ निर्देश दिए . माया बोली “ दी , बहुत दर्द हो रहा है . ऑपरेशन कर निकाल दो न . “


“ बेकार की बात मत करो , सर्जरी की कोई जरूरत नहीं है . मैं हूँ न , मैं सब ठीक कर दूंगी . बस कुछ और प्रयास करो . मैं जो भी कर रही हूँ अपनी बहन और होने वाले बच्चे दोनों के भले के लिए कर रही हूँ . “


दर्द से माया पसीने पसीने हो रही थी . माया ने प्रयास करते हुए कुछ और जोर लगाया फिर एक चीख के बाद वह शांत हो गयी , कुछ पल के लिए उसने आँखें बंद कर ली . उसकी बेटी ने नयी दुनिया में कदम रखा था .


छाया ने कहा “ आँखें खोल माया , देख कितनी प्यारी बेटी आयी है , बधाई हो . “


माया ने आँखें खोल कर बच्ची को बड़े प्यार से देखा और उसके सर पर हाथ फेर मुस्कुरा कर कहा “ तेरी मौसी ने तुझे दुनिया में लाने के लिए मुझे बड़ा दर्द दिया है . “


छाया ने बच्ची को लेकर नर्स को दे कर कहा “ इसे नहला कर माँ को सौंप देना और बाकी सारी बातें समझा देना . अच्छा माया , मैं चलती हूँ , दूसरे ऑपरेशन थियेटर में मुझे सिजेरियन डिलीवरी के लिए जाना है . “


“ दी , मेरे लिए तूने मना किया था और अब तुम वही करने जा रही हो . “


“ तुम्हारे लिए जो सही था , मैंने वही कहा था . मगर जो औरतें प्रेग्नेंसी में शारीरिक श्रम नहीं करती हैं उनकी मांशपेशियां शिथिल पड़ जाती हैं और लेबर पेन के लायक जोर नहीं लगा पाती हैं . ऐसे में ऑपरेशन करना पड़ता है . पर फ़ॉर्चूनट्ली तुम्हारे केस में ऐसा नहीं था क्योंकि तुम प्रेग्नेंसी के दौरान एक्टिव रही . इसीलिए मैंने तेरा नार्मल डिलीवरी कराया है .क्या मैं गलत बोल रही हूँ ? “


“ नो , दी . तुमने तो प्यूपा की सर्जरी कर उसी समय मेरी आँखें उसी समय खोल दी थी . “


फिर घड़ी देख कर छाया बोली “ मगर अभी जो डिलीवरी कराने जा रही हूँ वह भी एक अनोखा केस है , इलेक्टिव डिलीवरी . सिजेरियन की आवश्यकता नहीं है . पर पेशेंट और उसके धनी सेठ पति ने ज्योतिष के कहने पर आज के दिन एक खास समय शुभ नक्षत्र में प्रसव कराने का निर्णय लिया है . आखिर अपने शरीर की मालकिन जो ठहरी , उसका शरीर , उसका निजी मामला है , तो हक़ भी उसका ही बनता है . मेरा अस्पताल भी खुश और पेशेंट भी खुश . अच्छा चलती हूँ , अब शाम को मिलूंगी . “


इतना बल कर डॉ . छाया ऑपरेशन थियेटर की ओर चल पड़ी .


- शकुंतला सिन्हा -

( बोकारो , झारखण्ड )

currently in the USA

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यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है और इसके किसी पात्र , घटना या स्थान का किसी और से कोई संबंध नहीं है . .