चाँदनी से तुम हसीनन देखा तुमसा कहीं,खोयी मेरी रूह कहीं|
देख कर तुम्हे ये लगता, चाँदनी से तुम हसीन|
ख्वाबी आँखे मेरी, भूल ना पायी तुम्हे कभी|
मैं अँधेरी रात तो, चाँदनी से तुम हसीन|
रोको ना हमें यूँ , तकते तुम्हे हम न थके कभी|
नयनों को सुहाए तुम, लगे चाँदनी से तुम हसीन
लगे प्यार तुम्हारा मुझे, जैसे मिला अमृत कहीं|
चाँदनी लगती है फीकी, चाँदनी से तुम हसीन|
न झुठ है मेरे अल्फाज, लिखा वही जो है सही|
तेरे नाम की चमक है कहती, चाँदनी से तुम हसीन|
क्या लिखुँ तेरे लिये, जज्बातों की नही कमी|
शायर मन बस यही गाए, चाँदनी से तुम हसीन|
क्यों एेसा होता हैं?
क्यों ऐसा होता है?
जब हम तुमको पाते हैं,
बस खिलखिला जाते हैं|
क्या इश्क कहते इसे ही?
या फिर भ्रम है कहीं?
क्यों ऐसा होता हैं?
जब हम तन्हा होते हैं,
सब कुछ यूं खोते हैं|
क्या दर्द इसे ही कहते हैं?
या फिर आशिकी यही?
क्यों ऐसा होता है?
जब हम खामोश रहते हैं,
लोग हमको पढ लेते हैं|
क्या एहसास इसे ही कहते हैं?
या फिर तन्हाई है यही?
क्यो ऐसा होता हैं?
जब हम आँसू बहाते हैं,
बस हम चुपके से रोते हैं|
क्या इश्क है यही?
या कुछ है अनकही|
पल जो बीतेपल जो बीते तेरे साथ,
भूल ना पाता मेरे यार|
प्यार करता तुझे इतना,
रब भी था तुझसे जलता|
पल जो बीते तेरे साथ,
जीता था मैं इक ख्वाब|
ताकता था तुझे इतना,
आँखे भूली कभी थकना|
पास आकर दे अहसास,
पुरी कर दे मेरी अरदास|
पल जो बीते थे तेरे साथ,
घिर आया हर पल आज|
फिर कभी मुडकर तो देखना,
कैसा हुआ है तेरे बिन ये सजना|
मेरी जिंदगी मैं तु है खास,
साँसो को फिर देना साँस|
पल जो बीते तेरे साथ,
वो पल तेरे बिन है कहाँ?
क्यों तु इतना रूठा है सजना?
क्यों ये दूरी ? रब से है पूछना|
आ जा भर आलिंगन आज,
पुरी कर लो ना मेरी दरख्वास्त|
तेरी शिकायतों मैं सुन रहा
तु मुझसे है खफ़ा हम वाकिफ़ हैं।
तुमको माना खुदा हम काफिर हैं।
तेरी शिकायतों मैं सुन रहा
तेरी दुआओं पर हूँ जी रहा।
तु मेरी साँस है हालांकि आस है
महबूब मेरे तुझ पर मैं मर रहा।। ×2
यादों की खान पल जो थे बीते।
ख्वाबो की गिनती कर ले जो थे देखे।
तेरी परछाई को पकड़ रहा
तेरी तस्वीर से बातें कर रहा।
तेरी हस्तियां और मस्तियाँ
महबूब मेरा यादों में है जिंदा।। तेरी शिकायतों...।।
जयपुर की गलियाँ जहाँ हम थे घूमें।
वो रामबाग था जो है कई यादें समेटे।
उन सब पलों को याद कर रहा
मौत तेरी पर अब भी रो रहा।
सच्ची मोहब्बत के थे वो पल
जो याद आते हैं मेरे यार सदा।। तेरी शिकायतों...।।
सजदा मेरे यार का
तेरे दीदार को
आया तेरे द्वार पर
तेरी इक झलक को
तरसा मेरे यार में
खुदा भी मिलता है
जब होता सजदा मेरे यार का|
चल आए हैं देख
न जाने कहाँ हम
पसंद करते हैं
रहना तेरी छाँव में
खिल जातें हैं फूल भी
जब होता सजदा मेरे यार का|
आँखों में तेरी देख
बस यूँ जी रहा मैं
खो जाता में यूँ ही
जब ख्याल आता मेरे यार का
जग जाता मेरा वजूद भी
जब होता सजदा मेरे यार का|
कर लेता हूँ सदा
बातें तेरी मेरे यार मैं
मुस्करा देता हूँ थोडा
जब आता तेरा नाम हैं
थम जाता वक्त भी
जब होता सजदा मेरे यार का|
सोचुँ खुदा फूल बरसाएगा
जब होगा मिलन हमारा
क्या दूँगा तुम्हे तब
ये सोच दिन बिताता हूँ
कायनात भी सँवर जाएगी
जब होगा सजदा मेरे यार का|
अंत है ये
न सोचा कि कभी ऐसा होगा,
प्यार मेरा मुझे यूँ छोड़ना होगा।
कभी लब्ज़ मेरे यूँ बोलते थे,
पर न सोचा था कि खामोश होना।।
मिटा देना तो मुमकिन नही यह,
पर छोड़ना ही उचित होगा।
लिखता था बड़ी शिद्दत से,
पर यह अब मुकद्दर न होगा।।