suno aisha - 1 in Hindi Fiction Stories by Junaid Chaudhary books and stories PDF | सुनो आएशा - 1

Featured Books
Categories
Share

सुनो आएशा - 1

कल हिरा घर आ रही है।। अम्मी ने जब मुझे बताया तो सुन कर ही मेरा आधा खून ख़ुश्क हो गया।। मेने फट से सवाल दाग़ा के वो क्यो आ रही है ? अम्मी ने कहा उसकी एम एस सी पूरी हो गयी।अब वो एडमिशन होने तक घर ही रहेगी।में समझ चुका था कि अब दो तीन महीने मेरी वाट लगने वाली है।

हिरा मेरी बड़ी बहन है। यू कहने को तो वो मेरी बहन है लेकिन हम दोनो दुश्मन की तरह हमेशा लड़ते रहते है। इसी लिए घर वाले कभी मुझे बाहर पड़ने भेज देते है कभी हिरा को।

इस से घर की सुख शांति बनी रहती है।और ऊंट के मुंह मे ज़ीरे जितना प्यार भी हम दोनों बहन भाई में।। खेर अम्मी की बात सुन कर मेने गहरी सांस ली और अगले दिन से शुरू होने वाले वर्ल्ड वॉर के बारे में सोचते हुए सुकून से सो गया।


अगले दिन बहन को स्टेशन से लेने चला गया। आदत के खिलाफ आज उसने मुझे देखते ही गले लगा लिया।।और बोली छुटके अच्छा हुआ तू मुझे लेने आ गया। नही तो आधा घण्टा रिक्शे वालो से मच मच करनी पड़ती।। मेने कहा हां तो शुक्रया बोल मेरा।ओर छुटका मत बोला कर मुझे। बस एक साल ही तो छोटा हु में तुझसे।।

मेरी बात काट ते हुए बहन ने याद दिलाया "डेढ़ साल"

मेने कहा हां हां अब चल ओर कह के एग्जिट गेट की तरफ चलने लगा।।हिरा ने कहा छुटके लगेज कोन उठायेगा? मेने गुस्से में उसकी तरफ देखा और बैग कंधे पर डाल कर उसे बाइक पर बिठा कर घर ले आया।।


शाम को जब में लाइब्रेरी से पढ़ कर लौटा तो अचानक ही एक खूबसूरत चेहरे पर नज़र जा टिकी।। ये शायद हिरा की कोई फ्रेंड थी।। जो उसके दो साल बाद दिल्ली से लौटने की खुशी में उस से मिलने आयी थी। में अपनी नज़रे उसके मासूम चेहरे पर लिए घर मे दाखिल होकर अपने रूम की तरफ चलने लगा।।वो दोनों दालान में बिछे सोफों पर बैठी थी।।आदतन जब कोई आता है तो नज़रे आने वाले कि तरफ ही उठती है।इसी वजह से उसकी मेरी नज़रे टकराई तो मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई।।में ये भी भूल गया कि किसी लड़की को एक टक देखते हुए चलना अदब के खिलाफ है।।अभी नज़रे उसके चेहरे पर ही टिकी थी और क़दम धीरे धीरे रूम की तरफ बढ़ रहे थे।।लेकिन अब वो घबरा कर नज़रे बचा रही थी।।उसके इस ऑकवर्ड मोमेंट को भांप कर बहन ने कहा ये मेरा छोटा भाई जुनैद है।। मेरा भी ख्याल टूटा ओर में सलाम कर के बिना जवाब सुने खट से रूम में घुस गया।।


इस बात को 3/4 दिन बीत गए।।लेकिन मेरे दिल दिमाग मे हर टाइम वही चेहरा बसा था।। मेरा c.a का पहला साल था। दिमाग का पहले ही भुर्ता बना हुआ था।।ऊपर से उसका मासूम चेहरा बीच बीच मे आकर मेरा कंसन्ट्रेशन खराब कर रहा था। मेने सोचा जुनैद साहब ये चेहरा आपको पढ़ने नही देगा।। और बहन से इसके बारे में पूछा तो वो आपको जीने नही देगी। इसी कशमकश में बैठे बैठे दो घण्टे गुज़ार दिए। आखिरकार डर ओर प्यार के बीच मे प्यार जीता और मैने बुक्स बन्द कर के बैग में डाली ओर लाइब्रेरी से घर की ओर निकल गया।।।ये सोच कर के बहन से आज इसके बारे में पूछ कर ही रहूंगा ।


रास्ते मे से बहन की पसंदीदा चॉक्लेट बबली भी लेली जब घर पहुंचा तो वो मोबाइल पर बिंदास गेम खेलने में बिजी थी।मैने उसकी गोद मे चॉक्लेट फेंकते हुए कहा ले मोटी खा ले।। हर टाइम गेम खेलती रहती है कभी पढ़ भी लिया कर।हिरा ने हैरत से पहले मुझे देखा फिर चॉक्लेट देखा।।फिर बिना कुछ कहे गेम में बिजी हो गयी।।में भी उसके पास जाकर बैठ गया।।


इरादा तो पक्का था लेकिन समझ नही आ रहा था कि बात कैसे करूँ।।कुछ देर बाद मेने ही कहा दिल्ली में कैसे रहे दो साल।। हिरा ने आंखे स्क्रीन में गड़ाए गड़ाए ही कहा "बिंदास"।।में बोला वहाँ कोई परेशान तो नही करता था ? हिरा कहने लगी तुझे क्या परेशानी है वो बता।।में बोला मुझे क्या परेशानी हो सकती है।।कुछ भी तो नही।। ओर में कहकर उठने लगा।। बहन ने कहा " उसका नाम आयशा है.. ओर तुझसे बड़ी है वो फट्टू। उसके चक्कर मे मत पड़ना।।

इस बार हैरानी से देखने की बारी मेरी थी।मेने कहा क्या ? किसका नाम आयशा है ? क क कोन बड़ी है ?

बहन ने कहा वही जिस से तीन दिन पहले नैन मटक्का लड़ गए थे आपके।उसी की वजह से ये चॉकलेट की रिश्वत भरी जा रही है ना ...


में अब ओर नही छुपा सकता था मुस्कुराहट मेरे चेहरे पर फेल गयी।। में फिर से हिरा के पास बैठ गया। और कहने लगा अच्छा वेसे वो उस दिन कुछ कह तो नही रही थी।।

हिरा कहने लगी कहती क्या उसे मेने बताया था कि छुटका मेरा भाई है।तो पूछने लगी के क्या पढ़ रहे है।। मेने बता दिया कि c, a कर रहा है तो इम्प्रेस हो गयी।। इम्प्रेस लफ्ज़ सुनते ही मेरे मुंह से "अरे वाह" निकल गया।। बहन बोली खुश मत हो।ये आर्ट साइड वाली इम्प्रेस भी कुछ ज़्यादा ही जल्दी हो जाती है।। मेने कहा अच्छा और क्या क्या पूछ रही थी मेरे बारे में?

हिरा बोली पूछा तो इतना ही। फिर उसने भवें चढ़ाते हुए शैतानी सी मुस्कान के साथ कहा "पर में तुम दोनों की मीटिंग करा सकती हूं"।। मेने कहा मेरी प्यारी बहन।।तू दुनिया की सबसे प्यारी बहन है।। बहन बोली प्यार नही एक जीन्स ओर टीशर्ट चाहिए।। जब इंतेज़ाम हो जाये पेसो का आकर बता देना।। मेने कहा यार चॉकलेट लाया तो हु।। हिरा बोली इतने में बस इतनी इन्फो ही मिलती है।।मिलना है तो जीन्स टीशर्ट से कम में काम नही चलेगा।। मेने कहा चुड़ैल लूट ले भाई को। बताऊंगा तुझे वक़्त आने पर।।

हिरा बोली "ओये " में नही करा रही मीटिंग.. जा मिल ले खुद।।

में बोला अरे मेरी प्यारी बहन आज ही चलेंगे शाम को कपड़े लेने।।

शाम को बहन को कपड़े दिलाने में आधी पॉकेट मनी हवा हो गयी।।

और जब उन्हें पता लगा कि कपड़े मेने अपने पेसो से दिलवाए है तो उन्होंने फ़टाफ़ट वुज़ू कर के दो रकात शुक्राने की नमाज़ पढ़नी शुरू कर दी।। और अम्मी को नमाज़ पढ़ते देख हम दोनों का हस्ते हस्ते बुरा हाल।।
माँ ने जब दोनों बहन भाई को इस तरह साथ मे हँसी खुशी कपड़े लाते देखा तो उनकी हैरानी की इंतहा न रही।


अगले पार्ट में देखते हैं हिरा जुनैद और आएशा को मिलवा पाती है या नही।