Adha Mudda-Sabse Bada Mudda - 6 in Hindi Women Focused by DILIP UTTAM books and stories PDF | आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय ६

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आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय ६

-----अध्याय ६."मेरा भी वजूद है |"-----

पुरुष जाति, नारी जाति को कमजोर क्यों समझता है?

पुरुष जाति यह गलतफहमी में क्यों है, कि नारियां कमजोर होती है?

क्या जन्म से ही पुरुष पहलवान होता है?

क्या जन्म से ही नारी कमजोर होती है?

जन्म के समय चाहे वह लड़का हो या लड़की हो समान होते हैं तो फिर आखिर पुरुष अपने आप को पहलवान /ताकतवर कैसे मानने लगता है ,कैसे हो जाता है?

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क्या एक आम नागरिक /एक आम पुरुष जो दम भरता रहता है, जो पहलवान बनता रहता है, जो मर्द बनता रहता है वो क्या मैरीकॉम से बॉक्सिंग में जीत सकता है? क्या वह पहलवान गीता-बबिता से जीत सकता है? ,तो फिर मैं तो कहूंगा कि औरत को(नारी को) मौके ही पहलवानी /ताकत दिखाने के नहीं मिले वरना हर घर में मैरीकॉम, गीता- बबिता होती और पुरुष टक्कर नहीं ले सकता तो मौके तो दीजिए पहले, उल्टा नारी के टैलेंट को मार दिया जाता है तो वो जीतेगी कैसे? जीतेगी तभी जब वो मैदान में उतरेगी, किसी को मौका न देकर, कमजोर बना देना फिर कहना कि तुम कमजोर हो कहां का न्याय है? कहां की सोच है?कहां की सोच है? कैसी सोच है?कैसी ये बचपन से ही ऐसी परवरिश की गई है?ऐसे विचार दिमाग में भर दिए गए कि, यह पुरुष स्वीकार नहीं कर पाता की नारी बराबर की है |नारी अर्धांगिनी है | पुरुषों में इतना अहंकार भर दिया गया है की पुरुष जीते जी यह स्वीकार ही नहीं करते हैं |औरत कमजोर नहीं है, उसके अधिकारों का गला घोट कर उसे कमजोर बना दिया गया तो जरा एक बार उसके अधिकारों को/ उसको मौका देकर देखें फिर पता लगेगा कौन क्या है?,कौन क्या है? मैं यहां पर न नारी को महान कहना चाहता हूं न ही पुरुष को, दोनों ही महान है ,दोनों को समझना होगा चाहे वह नारी हो या पुरुष दोनों को एक दूसरे के प्रति सम्मान रखना ही होगा, प्यार रखना ही होगा, आदर भाव रखना ही होगा, प्रेम रखना ही होगा, तभी हम खुश रह सकेंगे क्योकि घर का एक सदस्य दुखी है तो पूरा घर खुश नहीं होगा |

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अरे वो मर्द अब तू सुन जरा मेरी कठोर वाणी (जो हर नारी की है |):-----

" हे मर्द ,अहंकारी मर्द ,स्वार्थी मर्द और खुद को महान समझने वाला मर्द |

हिम्मत है तो बराबरी देकर देख, हिम्मत है तो अधिकार देकर देख |

हिम्मत है तो संम्पति देकर देख, हिम्मत है तो आजादी देकर देख |

हिम्मत है तो सपने उन्हें साकार करने दे |

हिम्मत है तो उन्हें मनमर्जी करने दे |

फिर देख कौन कितना पानी में है?

फिर देख कौन कितना पानी में है?

तब तय होगा की, कौन कितना पानी में है?

तब तय होगा की, कौन कितना शानी है?

अपने स्वार्थ के लिए तू जीता |

अपने स्वार्थ के लिए तू मरता |

(न जाने कितने शराबी रोज शराब के कारण मर जाते है, न जाने कितने नशेड़ी रोज नशे के कारण मर जाते है और न जाने कितने मवाली रोज बवाल के कारण मर जाते है| )

फिर भी मेरे को ही दोष देता है |

फिर भी मेरे को ही कहता है |

बहुत हुवा तेरा बावँरापन |

बहुत हुवा तेरा अपनापन(खुद की चाहत बस|) |

अब ऐसा न चलेगा |

हर्गिश न चलेगा |

सम्मान देना ही होगा, मान देना ही होगा |"

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"नारी में बारे में बातें, नारी के नजरिये से |"
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