संकेत वापस अपने कमरे में गया दराज खोली और उसे खंगालने लगा । रेनू की चिट्ठी को पूरे 2 साल बाद हाथ लगाया था संकेत ने । आज उसे रेनू बहुत याद आ रही थी । चिट्ठी हाथ में लेते ही बिजली की ज़ोर की गड़गड़ाहट हुई और संकेत की खिड़की का कांच टूट गया ।
बाहर झांक कर देखा तो आसमान बिलकुल साफ़ था, तारों की टिमटिम को बहुत दिन बाद संकेत ने इतने ध्यान से देखा था । रेनू को तारे देखना बहुत पसंद था । ठंडी हवा को महसूस करते संकेत को लगा कि अचानक कोई कपडा़ शायद दुपट्टा उसके चेहरे पर से गुज़र गया ।
उस सन्नाटे में कोई मौजूद भी नहीं था पर मौजूदगी का एहसास बहुत पुख्ता था । संकेत ने सर भीतर खींच लिया, पलटते ही देखा तो कोई साया उसके बिस्तर पर बैठा हुआ था । डर से संकेत चीख भी न सका और वहीँ बेहोश हो गया ।
आँख सीधे सुबह खुली तो सोनम को सामने पाया । एक पल के लिए तो संकेत को उसमें रेनू की ही सूरत नज़र आई थी पर पलक झपकी और शक्ल बदल गई ।
संकेत को साफ़ लगने लगा था कि शायद यह रेनू की ही आत्मा है जो उससे बदला लेने वापस आई है । पर कड़ियां आपस में मिलती नहीं दिख रहीं थीं, 12 साल पहले की वो हड्डी, चाचा की 12 के श्राप की भविश्यवाणी, चुड़ैल वाला मोड़, वो लड़की जो ज़िंदा थी अब तक, एक्सीडेंट, सुशान्त का सुसाइड अटेम्प्ट, घर में होने वाली भूतहा घटनाएं और रेनू के होने का एहसास, सब कुछ बिखरा हुआ सा लग रहा था ।
दरवाज़े पर एक दस्तक हुई, माँ ने दरवाज़ा खोलते ही सहमी सी आवाज़ में संकेत को बुलाया । एक औघड़ था दरवाज़े पर पर जाना पहचाना ।
"तुम तो वही औघड़ हो जिसने बचपन में वो बदले वाली बात बताई थी, पहचाना तुमने मुझे ?" संकेत अचरज में था ।
"बच्चा, मैं तुझे भी जानता हूँ और उसे भी जो यहाँ मौजूद है ।" इतना बोल बाबा ने घर के भीतर कदम रखा । उसका कदम रखना ही था कि घर का मौसम बदल गया । बवन्डर सा बन उठा उस बंद कमरे में ।
माँ पापा और सोनम सब वहीँ खड़े इस अजीब सी घटना को देख रहे थे और यह भी कि खिड़की के दूसरी तरफ हवा बिलकुल शान्त थी । घूमती हवा ने बाबा के कदम थाम लिए और वो कदम वापस लेकर दरवाज़े के बाहर खड़ा हो गया । उसके कदमों ने जैसे ही देहलीज़ के उस तरफ पाँव रखे हवा भी शान्त हो गई ।
"इस लड़की से शादी कर ले, नहीं तो तेरा पूरा खानदान मरेगा ।" सोनम की तरफ इशारा करते हुए वह बोला और डर से काँपता हुआ भाग गया ।
डरा तो संकेत भी था क्योंकि अभी तक होने वाली घटनाएं लॉजिक को झूठलाती नहीं थीं पर आज जो हुआ उसको कोई भी एक्सप्लेन नहीं कर पा रहा था ।
और रह रह कर उस औघड़ की कही बात उसके कानों में घूमने लगी थी । पर उसने तो कसम ली थी रेनू की, कि कभी किसी और को अपना नहीं बनाएगा ।
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