स्टॉकर
(7)
अंकित छिपता छिपाता अपनी बिल्डिंग में आया। रात के आठ बजे थे। वह लिफ्ट लेकर अपने फ्लोर पर गया। उसके फ्लैट के बाहर स्टैंड पर एक गमला रखा था। उस गमले में एक पौधा लगा था। उसने फ्लैट की दूसरी चाभी टेप की सहायता से गमले के पेंदे पर चिपका रखी थी।
उसने फ्लैट का दरवाज़ा खोला और अंदर घुस गया। आज करीब दो हफ्ते के बाद वह अपने घर आया था।
वह अब तक उस कमरे में कैद था। वह कहाँ था ? किसने उसे कैद कर रखा था वह कुछ नहीं जानता। आज उसे मौका मिला तो वह वहाँ से भाग निकला। भागते हुए वह सिटी बस स्टेशन पहुँचा। वहाँ उसने एक आदमी से फोन लेकर अपनी बहन दीपा को फोन किया। पता चला कि उसे खोजती पुलिस उसके घर पहुँच गई थी।
वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। उसने सोंचा अपने फ्लैट पर चल कर रात में सोंचेगा कि आगे क्या करे। बचता बचाता वह अपने फ्लैट में पहुँच गया था।
उसे भूख लगी थी। उसने किचन में देखा तो इंस्टैंट नूडल्स का एक पैकेट और कुछ बिस्कुट थे। उसने फौरन नूडल्स बनाए। नूडल्स और बिस्कुट खाने के बाद उसे कुछ अच्छा लगा। उसने पाउडर वाले दूध से कॉफी बनाई और हॉल में बैठ कर पीने लगा।
वह सोंच रहा था कि अचानक ज़िंदगी कहाँ से कहाँ पहुँच गई। क्या इसी दिन के लिए घर छोड़ा था। उसने तो सोंचा था कि एक दिन अमीर बनेगा। अपना हर सपना पूरा करेगा। पर आज अपने ही फ्लैट में छिपते छिपाते आना पड़ा।
दीपा ने बताया था कि मेघना ने उस पर अपने पति के कत्ल का इल्ज़ाम लगाया है। उसका कहना है कि वह उस पर बुरी नज़र रखता था।
अंकित मन ही मन क्रोध में जल उठा। उसके मुंह से निकला।
"मक्कार औरत....मुझे अपने जाल में फंसा कर अब मुझ पर इल्ज़ाम लगा रही है।"
अंकित दो साल पहले के अतीत के बारे में सोंचने लगा।
जिम ट्रेनर का सर्टिफिकेशन कोर्स करने के बाद अंकित ने स्टेफिट जिम में काम करना शुरू कर दिया। अपने अच्छे काम से उसने सबका दिल जीत लिया था।
जिम के सभी क्लाइंट्स पैसे वाले थे। बड़ी गाड़ियों में जिम आते थे। जब भी अंकित उन्हें देखता था तो उसके मन में दबी अमीर बनने की इच्छा बलवती हो उठती थी। लेकिन वह मन मार कर रह जाता था। वह जो सपने देखता था उस समय उन्हें पूरा करने की स्थिति में नहीं था।
उसे जिम में काम करते हुए छह महीने ही हुए थे जब मेघना ने स्टेफिट जिम ज्वाइन किया। जिम ज्वाइन करने के कुछ ही दिनों के बाद उसने जिम के मालिक दिलशेर सिंह से कहा कि वह अंकित को अपना पर्सनल ट्रेनर बनाना चाहती है। दिलशेर सिंह ने उसकी बात मान ली।
अंकित मेघना को पर्सनल रूप में ट्रेन करना शुरू कर दिया। मेघना का व्यवहार बाकी क्लांइट्स से अलग था। वह अंकित से खुल कर बात करती थी। उसमें अमीरों वाला घमंड नहीं था। उसके खुले व्यवहार से प्रोत्साहित होकर अंकित भी उससे बिना संकोच बात करने लगा।
मेघना का पर्सनल ट्रेनर बने अंकित को केवल एक महीना ही हुआ था कि एक दिन मेघना उसके फ्लैट पर पहुँच गई। उसे सामने देख कर अंकित हड़बड़ा गया। मेघना ने हंसते हुए कहा।
"क्या बात है ? अंदर आने को नहीं कहोगे।"
"प्लीज़ कम इन...."
मेघना उसके फ्लैट में दाखिल हुई। अंकित अकेला रहता था। अतः कुछ भी व्यवस्थित नहीं था।
"ट्रूली बैचलर्स होम....."
"सॉरी मैम वो अकेला रहता हूँ। कोई टोकने वाला नहीं है।"
अंकित ने सोफे पर पड़ा सामान हटा कर कहा।
"आइए बैठिए...."
मेघना सोफे पर बैठ गई। अंकित सामने खड़ा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि मेघना अचानक यहाँ क्यों आ गई। उसकी मनोदशा समझ कर मेघना ने कहा।
"क्या हुआ ? परेशान हो कि मैं यहाँ क्या करने आई हूँ।"
अपनी चोरी पकड़े जाने से अंकित झेंप गया।
"नहीं मैम बस सोंच रहा था कि आप इतनी अमीर हैं। यहाँ इस बिल्डिंग में कैसे आ गईं।"
मेघना एक बार फिर हंस दी।
"क्यों अमीर अपने दोस्त के घर नहीं जाते क्या ?"
मेघना ने उसे अपना दोस्त कहा। यह सुन कर अंकित को आश्चर्य भी हुआ और उसे अच्छा भी लगा।
"मैम आप मुझे अपना दोस्त मानती हैं। शुक्रिया।"
"हम जिम में बात करते हैं ना। सोंचा तुम्हारे फ्लैट में आकर इत्मिनान से बात करूँ। उम्मीद है तुम्हें कोई ऐतराज नहीं है।"
"मैम कैसी बात कर रही हैं। यू आर मोस्ट वेलकम।"
"तो फिर तुम भी आराम से बैठ जाओ।"
अंकित भी कुर्सी खींच कर सामने बैठ गया। मेघना उसकी तरफ देख कर मुस्कुराई फिर बोली।
"अंकित मैं सीधी बात करना पसंद करती हूँ। बात को घुमाना मुझे पसंद नहीं। समझ तो तुम भी रहे हो कि मैं दोस्त की तरह बात करने नहीं आई हूँ।"
"मैम आपको मुझसे क्या काम है ?"
मेघना कुछ पलों तक चुप रही। अंकित परेशान था कि आखिर वो कहना क्या चाहती है। मेघना ने फिर से अंकित की तरफ देखा। पर इस बार उसके चेहरे पर गंभीरता थी।
"तुम कह रहे थे कि मैं अमीर हूँ। ठीक कह रहे थे तुम। पर अमीर होना ही इस बात की गारंटी नहीं है कि आपको कोई कमी नहीं है।"
अंकित को आश्चर्य हो रहा था कि मेघना क्या कह रही है। वह बोला।
"मैम....आपको क्या कमी है। मिस्टर टंडन शहर के अमीर लोगों में गिने जाते हैं। आप इतने बड़े बंगले में रहती हैं। फिर ?"
"अंकित.... सिर्फ पैसा, बड़ा बंगला, मंहगी गाड़ी ही तो जीने के लिए सब कुछ नहीं है। और भी बहुत सी ज़रूरतें होती हैं।"
अंतिम बात मेघना ने जिस तरह से कही थी उसे सुन कर अंकित झिझक गया। उसने अपनी आँखें नीची कर लीं पर कुछ नहीं बोला।
"मैंने जो कहा वह तुम समझ गए हो।"
अंकित ने अपनी आँखें मेघना पर टिका कर कहा।
"मैम....आप शादीशुदा हैं।"
"हाँ हूँ....पर मेरे पति मेरी उन्हीं ज़रूरतों को पूरा करते हैं जो पैसों से खरीदी जा सकती हैं। जो ज़रूरत वो पूरी नहीं कर सकते हैं उसके लिए मैं तुम्हारे पास आई हूँ।"
अंकित भौचक सा मेघना को देख रहा था। उसने बिना झिझक के अपनी बात उससे कह दी थी।
"मुझे पता है अंकित कि तुम्हारे कुछ सपने हैं। तुम अमीर बनना चाहते हो। ये दुनिया गिव एंड टेक पर चलती है। तुम मेरी ज़रूरत पूरी करो। मैं तुम्हारी ज़रूरत पूरी करूँगी।"
मेघना उठ कर खड़ी हो गई। सोफे पर पड़ा अपना हैंडबैग उठाया। चलने से पहले अंकित से बोली।
"आज रात सोंच लो। कल जिम में अपना फैसला सुना देना।"
मेघना बिना अंकित की तरफ देखे फ्लैट के बाहर चली गई।
अंकित सारी रात सो नहीं पाया। वह दुविधा में था। वह जिन संस्कारों में पला था उसके लिए यह सब अनैतिक था। पर दूसरी तरफ लालच भी था। अपने बचपने में उसने घर छोड़ दिया था। पर जब बाहरी दुनिया से सामना हुआ तो उसे समझ आ गया कि ज़िंदगी इतनी आसान नहीं है।
लेकिन वह हार कर घर वापस नहीं गया। उसने भी ज़िद पकड़ ली कि चाहे कितनी तकलीफ हो वह संघर्ष कर आगे बढ़ेगा। घर से निकलते समय उसने अपने सर्टिफिकेट व जमा किए हुए कुछ पैसे रख लिए थे।
शुरुआत में उसे एक नए खुले जिम में काम मिला। वहाँ वह ट्रेनर नहीं था। पर उसके गठीले शरीर व आकर्षक लुक्स के कारण जिम के मालिक फर्ज़ान मलिक ने उसे जिम के प्रचार के लिए रख लिया। अंकित कोचिंग सेंटर, स्कूल, कॉलेज रेस्टोरेंट के बाहर जाकर खड़ा हो जाता था। वहाँ आने वाले युवाओं को फिटनेस के फायदे बताते हुए वह अपना जिम ज्वाइन करने के लिए कहता था। इस तरह जिम को काफी प्रसिद्धि मिली।
जिम का मालिक फर्ज़ान उसके काम से खुश था। जब जिम में लोग कसरत करते थे तो कभी कभी अंकित उन्हें सलाह भी देता था। एक दिन फर्ज़ान ने उससे कहा कि अगर तुम्हें लोगों को ट्रेन करना है तो जिम ट्रेनर का सर्टिफिकेट कोर्स कर लो। कुछ फर्ज़ान की मदद से और कुछ अपनी बचत से अंकित ने वह कोर्स कर लिया।
कोर्स करने के बाद वह फर्ज़ान के जिम में ट्रेनर का काम करने लगा। पर अभी कुछ ही महीने वह काम कर पाया था कि फर्ज़ान को दुबई के एक जिम से अच्छा ऑफर मिल गया। वहाँ फर्ज़ान को बेहतर कमाई का ज़रिया मिल रहा था। अतः फर्ज़ान ने अपना जिम बंद कर वहाँ जाने का फैसला लिया। पर जाने से पहले उसने अंकित को स्टेफिट जिम में काम दिला दिया।
स्टेफिट जिम में सभी क्लाइंट्स पैसेवाले थे। उन्हें देख कर अंकित के मन में फिर से कुछ बड़ा करने की इच्छा ने जन्म लिया। वह अक्सर सोंचता था कि क्या करूँ जिससे जीवन में आगे बढ़ूँ। मिस्टर इंडिया बनने का सपना तो उसने छोड़ दिया था। अब उसकी इच्छा अपना स्वयं का जिम खोलने की थी।
पर अपना सपना पूरा करने के लिए उसे पैसों की ज़रूरत थी। मेघना उसे एक रास्ता दिखा गई थी। अतः सही और गलत के बीच झूलता अंकित बार बार मेघना के ऑफर की ओर खिंच रहा था।
सुबह होते होते वह लालच के फंदे में फंस चुका था।