Ek pyali chaay aur shoukilal ji - 1 in Hindi Comedy stories by Krishna manu books and stories PDF | एक प्याली चाय और शौकीलाल जी - भाग-1

Featured Books
Categories
Share

एक प्याली चाय और शौकीलाल जी - भाग-1




किस्सा उन दिनो का है जब बिल्ली के भाग से सिकहर टूटा था। कम्पनी के एक कर्मचारी को लम्बी अवधि के लिए अवकाश जाने के कारण रिक्त हुए स्थान पर छह महीने की अस्थायी नौकरी पर हमारे शौकीलाल जी का पदास्थापना हुआ था। कहते हैं-एक दिन घूरे के दिन भी फिरते हैं, शौकीलाल जी के भी दिन फिरे।

जब से दफ्तर का इजाद हुआ होगा शायद तभी से बाबू, फाइल और चाय की तिकड़ी जमी होगी। यही कारण है कि शौकीलाल जी बाबू बनते ही चाय के शौकीन हो गए। उत्पत्ति से लेकर चाय की अद्यतन स्थिति की जानकारी यदि आप को चाहिए तो हमारे शौकीलाल जी से सम्पर्क कीजिए। चाय से सम्बंधित छोटी से छोटी जानकारी आप को फ्री में मिल जाएगी। अगर आप चाय पर शोध-वोध कर रहे हैं तो अब दुनियाभर की किताबें खघालने, पुस्तकालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। सीधे शौकीलाल जी से सम्पर्क साधिए और मिनटों में शोध प्रबंध प्रस्तुत कीजिए। उन दिनो चाय पीने का नूतन शौक शौकीलाल जी पर बुरी तरह सवार था।

उस दिन कड़ाके की ठण्ड थी। शायद मौसम का सबसे ठंडा दिन रहा होगा। हवा के सर्द झोंके गरम कपड़े को भेदकर हड्डी तक को गलाये जा रहे थे। आफिस से घर आते आते शौकीलाल जी के हाथ पांव सुन्न पड़ गए थे। कान बहरे हो गए थे। जैसे तैसे घर पहुँच कर अकड़े हुए हाथों को मलते हुए घर के अंदर प्रवेश किया। दरवाजा बंद करने बाद उनकी जान में जान आई।

घर आने और श्रीमती को करीब पाने के बाद सबसे पहली जरूरत जो उन्हें महसूस हुई वह थी एक प्याली गरमागरम कड़क चाय की। शौकीलाल जी के शौक के साथ आज मौसम का भी मेल था। इसलिए रसोई घर में काम कर रही पत्नी को उंची आवाज में निवेदन किया-' निम्मो, एक प्याली चाय देना प्लीज, बिल्कुल कड़क बनाना।' फिर कपड़े चेंज करने लगे।

हालाकि रोज की तरह- जी अच्छा जी, आप फ्रेश होइए मैं अभी लाती हूं या फिर बस अभी चाय हाजिर है जी, जैसी आवाज उधर से नहीं आई ताकि आश्वस्त हुआ जा सके फिर भी शौकीलाल जी निश्चिंत थे, नमकीन न सही एक कप चाय तो मिलेगी ही। ठंड के कारण शरीर की जकड़न अभीतक कायम थी इसलिए भाप छोड़ती गरमागरम कड़क चाय पीने की तलब तीव्र से तिव्रतर होती जा रही थी। जैसे तैसे शौकीलाल जी सोफे पर बैठ गए। आंखें बंद कर आफिस की थकान झटकने की कोशिश करने लगे।

आंख बंद करते ही शौकीलाल जी को नासिका छिद्रों से चाय की सोधी सोधी खुश्बू घुसने का एहसास होने लगा। चाय की प्याली से उठते भाप की गरमाहट उनकी आंखों ने भी महसूस किया लेकिन चाय........! चाय तो इतनी देर में भी नहीं आई थी।

आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। शौकीलाल जी को चाय की तलब बढ़ती जा रही थी। वे थोड़ा झुंझला उठे। बोले-' श्रीमती जी, चाय का क्या हुआ? न आप आ रही हैं, न चाय की खुश्बू आ रही है । आखिर हुआ क्या? इस बेरूखी का माजरा तो बताइए।' शौकीलाल जी किचेन की ओर झांकते हुए उंची आवाज में गुहार लगाई ताकि बर्तनों के वाद्ययंत्रों से खन्न खन्न की धुन निकालती पत्नी के कानों तक आवाज चली जाए।

कुछ देर बाद आंचल से हाथ पोंछती हुई श्रीमती जी हाजिर हुईं लेकिन खाली हाथ। शौकीलाल जी ने सवालिया नजर पत्नी पर डाली। वे और कर भी क्या सकते थे! छह महीने की सर्विस लगने पर बड़े मान मनौवल के बाद पत्नी साथ रहने को राजी हुई थी। कहीं फिर रूठ कर मायका चली गई तो? चौबीसो घंटा मन आशंकित रहता था।

शौकीलाल जी की सवालिया नजर को शायद श्रीमती ताड़ गई थी तभी तो सामने की कुर्सी पर आसन जमाती हुई बोली-' क्यों जी आजकल आप अखबार नहीं पढ़ते? रेडियो नहीं सुनते? टीवी नहीं देखते?'

असमय अलापी गई भैरवी का मतलब शौकीलाल जी को समझ में नहीं आया। वे भौंचक हो ताकते रह गए।

-' मतलब? आप कहना क्या चाहती हैं? वैसे आप को बता दूँ, मैं नियम से अखबार बांचता हूं, आकाशवाणी भी सुनता हूं और दूरदर्शन के सामने बैठता हूं तो जल्दी उठता ही नहीं। यह तो आप भी भलीभांति जानती हैं।' शौकीलाल जी ने सफाई दी और पत्नी का मुंह देखने लगे।

शौकीलाल जी की बात सुनते ही श्रीमती तमक उठीं-' अजी, आप खाक अखबार बांचते है, जैसे मैं कुछ जानती ही नहीं। जनाब पेपर उठाएंगे तो ढूंढना शुरु करेंगे बलात्कार की खबरें, तलाश करेंगे फिल्मी हीरोइन की अर्द्धनंगी तस्वीरें। बहुत हुआ तो क्रिकेट की हेडलाइन पढ़ ली बस।'

बात सौ फीसदी सच थी इसलिए शौकीलाल जी चुप रहने में ही भलाई समझी। उधर श्रीमती का प्रलाप जारी था-' और रेडियो में आप की दिलचस्पी रसमंजरी, आप की पसंद से आगे नहीं बढ़ी। जहां समाचार का समय हुआ नहीं कि जनाब लम्बी जंभाई लेकर झट स्वीच आफ कर लम्बा लेट जाते हैं।
चित्रहार संग आप का चित्त एकाकार हो जाता है लेकिन खबरें आते ही श्रीमान को कोई खास काम याद आ जाता है।'

इस सत्युक्ति के आगे शौकीलाल जी बगले झांकने लगे। थोड़ा अंटकते हुए बोले-' बात तो सच है लेकिन चाय से इन बातों का क्या सम्बंध है?'☺( जारी है।)

✍कृष्ण मनु
9939315925