Stoker - 5 in Hindi Detective stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | स्टॉकर - 5

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स्टॉकर - 5




स्टॉकर
(5)



टंडन सदन में कुछ लोग मेघना से मिलने आए थे। ये सभी शहर के एक अनाथालय से जुड़े हुए थे। उनकी मुखिया शीला जो अनाथालय की मैनेजर थीं वह शिव टंडन की मृत्यु पर दुख व्यक्त करते हुए बोलीं।
"ना जाने वो कौन बेरहम होगा जिसने शिव टंडन जी जैसे नेक इंसान की हत्या कर दी। कई सालों से वो हमारे अनाथालय की सहायता कर रहे थे। कितने बच्चे उनकी मदद से अपने जीवन में सफल हो सके हैं।"
मेघना शांत भाव से उनकी बात सुन रही थी। उसकी आँखों में नमी आ गई। मैनेजर शीला ने आगे कहा।
"मेघना जी हमने शिव टंडन जी को श्रृद्धांजली देने के लिए एक कार्यक्रम रखा है। मैं आपका दुख समझती हूँ। पर यदि कल सुबह दस बजे आप उस कार्यक्रम में शामिल होंगी तो सब बच्चों को अच्छा लगेगा।"
"शीला जी....आपने शिव को श्रृद्धांजली देने के लिए कार्यक्रम रखा है इसके लिए धन्यवाद। मैं कल सही समय पर आ जाऊँगी। साथ में सालाना सहायता का चेक भी ले आऊँगी।"
मैनेजर शीला ने धन्यवाद दिया। उनके साथ आए सभी लोगों ने भी हाथ जोड़ कर उनसे विदा ली। मेघना ने भी हाथ जोड़ कर सबको धन्यवाद दिया।
जब सब लोग जा रहे थे तब एसपी गुरुनूर बंगले में दाखिल हुई। उसे बैठाते हुए मेघना ने कहा।
"ये लोग अनाथालय से आए थे। शिव कई सालों से इन्हें आर्थिक सहायता देता था। कल इन लोगों ने उसकी याद में एक कार्यक्रम रखा है। उसी के लिए मुझे बुलाने आए थे।"
"मिस्टर टंडन बहुत भले इंसान थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।"
"हाँ....शिव दान पुण्य में यकीन रखते थे। अब मुझे उनकी यह परिपाटी आगे बढ़ानी है।"
"मिसेज़ टंडन ईश्वर आपको भी हिम्मत दें कि आप सब संभाल सकें।"
"धन्यवाद....मुझे शुभेच्छा की बहुत ज़रूरत है। मुझे शिव का बिज़नेस भी संभालना है।"
"मुझे उम्मीद है कि आप सब कुछ अच्छी तरह संभाल लेंगी।"
"धन्यवाद.... शिव के केस में कोई नई खबर मिली।"
"मिसेज़ टंडन मैंने आपको चेतन शेरगिल और रॉबिन घोष के बारे में बताया था। रॉबिन के फार्म हाउस में मिस्टर टंडन की कार मिली थी। उसमें चेतन की लाश थी।"
"हाँ.... ये तो आपने बताया था। मैंने भी कहा था कि मैं दोनों में से किसी को भी नहीं जानती हूँ।"
"मिसेज़ टंडन एक बात पता चली है कि मिस्टर टंडन ने ही रॉबिन घोष को कंट्री गोल्फ क्लब की सदस्यता दिलाई थी। कभी मिस्टर टंडन ने आपसे रॉबिन घोष का ज़िक्र नहीं किया।"
"अगर किया होता तो मैं पहले ही बता देती। मैं भी चाहती हूँ कि शिव का कातिल जल्दी ही पकड़ा जाए।"
"मिसेज़ टंडन एक बात और पता चली है। अंकित सिन्हा जन्नत अपार्टमेंट्स में किसी से मिलने जाता था। चेतन शेरगिल का फ्लैट उसी अपार्टमेंट में है।"
"मैं तो पहले ही कह रही थी कि शिव की हत्या अंकित ने ही की है। हो सकता है चेतन भी उसके साथ मिला हो। आपसे मैं फिर कहती हूँ कि आप इस अंकित को तलाश कीजिए।"
"पता चला है कि अंकित सिन्हा झांसी का रहने वाला है। क्या आप जानती हैं कि वह झांसी में कहाँ रहता है।"
"इस विषय में भी मैं पहले ही कह चुकी हूँ। मैं सिर्फ इतना जानती हूँ कि लंबे समय से उसका अपने परिवार से कोई संबंध नहीं था। यह उसने ही बताया था।"
"मिसेज़ टंडन आप चिंता ना करें। पुलिस मिस्टर टंडन के केस को सुलझाने का पूरा प्रयास कर रही है। जल्दी ही उनका कातिल पकड़ा जाएगा।"
एसपी गुरुनूर को और कुछ नहीं कहना था। वह चलने के लिए खड़ी हो गई। तभी मेघना के फोन पर एक कॉल आई। मेघना ने स्क्रीन को देखा। फिर एसपी गुरुनूर से बोली।
"मुझे पूरी उम्मीद है कि आप यह केस जल्द ही सुलझा लेंगी।"
एसपी गुरुनूर बाहर निकल गई। मेघना ने कॉल रिसीव कर फोन कान में लगा लिया। वह दूसरी तरफ जो व्यक्ति था उसकी बात ध्यान से सुन रही थी। अंत में बोली।
"जैसे ही मुझे मौका मिलता है मैं वहाँ आती हूँ।"

मेघना शिव सेल्स एंड सर्विस सेंटर के ऑफिस में बैठी थी। इससे पहले वह सिर्फ दो बार ही यहाँ आई थी। एक बार अपनी शादी के बाद जब शिव टंडन उसे अपने स्टाफ से मिलाने लाया था। दूसरी बार अभी छह महीने पहले जब शिव सेल्स एंड सर्विस सेंटर के बीस साल पूरे हुए थे। तब शिव टंडन ने अपने कुछ पुराने कर्मचारियों को उनकी ईमानदारी व अच्छे कार्य के लिए सम्मानित किया था। कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र व ग्यारह हजार रुपए के चेक मेघना ने ही दिए थे।
आज उसके आने का कारण था कि उसे खबर मिली थी कि शिव टंडन की हत्या के बाद शिव सेल्स एंड सर्विस सेंटर के कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित थे। अतः वह उन्हें आश्वस्त करने आई थी कि वह पहले की तरह ही काम करें। उनका भविष्य यहाँ सुरक्षित है। स्टाफ के लोग एक जगह एकत्रित थे। मेघना अपनी कुर्सी से उठी और गंभीरता से बोली।
"दोस्तों आप जानते हैं कि शिव सेल्स एंड सर्विस सेंटर के मालिक और मेरे पति श्री शिव टंडन की कुछ दिनों पहले हत्या कर दी गई है। पुलिस उनके कातिल को खोज रही है। जल्दी ही वह सलाखों के पीछे होगा।"
मेघना ने रुक कर वहाँ मौजूद कर्मचारियों पर नज़र डाली। वह लोग भी उपस्थित थे जिन्हें उसने सम्मानित किया था।
"शिव के लिए उनका स्टाफ उनके परिवार की तरह ही था। जब शिव सेल्स एंड सर्विस सेंटर के बीस साल पूरे हुए तो आपमें से कुछ को मैंने ही उनके अच्छे काम के लिए सम्मानित किया था। आज शिव सेल्स एंड सर्विस सेंटर एक कठिन दौर से गुज़र रहा है। पर मैं आपको यह आश्वासन देने आई हूँ कि आप ज़रा भी चिंता ना करें। मैं कुछ ही दिनों में यहाँ की व्यवस्था संभाल लूँगी। तब तक आप अपना सहयोग बनाए रखें।"
कर्मचारियों को तसल्ली देने के बाद मेघना एकाउंट्स सेक्शन में गई। कुछ ही दिनों में स्टाफ की सैलरी का समय होने वाला था। उसने निर्देश दिया कि व्यवस्था की जाए ताकि सही समय पर लोगों को सैलरी मिल सके। कोई समस्या होने पर उसे सूचित किया जाए। कुछ देर और ठहर कर मेघना ने इतने दिनों में बिज़नेस कैसा रहा उसके बारे में बातचीत की।
सबको तसल्ली हो गई थी कि शिव सेल्स एंड सर्विस सेंटर के संचालन में कोई बाधा नहीं आएगी।

सब इंस्पेक्टर गीता अंकित के बारे में पता करने की पूरी कोशिश कर रही थी। वह एक बार फिर उस बिल्डिंग के गार्ड से मिलने गई जहाँ अंकित रहता था। यहाँ आने पर उसे एक बड़ी सफलता हाथ लगी।
अंकित ने गार्ड से कह रखा था कि उसके पीछे से कोई चिठ्ठी आए तो वह उसे रिसीव कर लिया करे। गार्ड उसकी अनुपस्थिति में चिठ्ठी लेकर उसके आने पर उसे दे देता था। इधर कई दिनों से अंकित अपने फ्लैट में नहीं आया था। इस बीच उसकी दो चिठ्ठियां गार्ड ने रिसीव कर अपने पास रखी थीं।
सब इंस्पेक्टर गीता जब पूँछताछ के लिए पहुँची तो गार्ड ने जिज्ञासा दिखाई कि वह अंकित के बारे में इतनी तहकीकात क्यों कर रही है। सब इंस्पेक्टर गीता ने पूरी बात बता दी। सब जान कर गार्ड ने दोनों चिठ्ठियां उसे देते हुए कहा कि देख लीजिए। इनसे शायद कुछ मदद मिले।
चिठ्ठियों में से एक पर भेजने वाले का पता बड़ागांव झांसी लिखा था।

दोनों चिठ्ठियां एसपी गुरुनूर के सामने टेबल पर पड़ी थीं। एसपी गुरुनूर ने सब इंस्पेक्टर गीता को आदेश दिया कि वह एक एक कर दोनों चिठ्ठियों को पढ़े।
"गीता....केस की तफ्तीश के दौरान हमें ऐसा करने का अधिकार है।"
सब इंस्पेक्टर गीता ने पहली चिठ्ठी खोली। उसमें अंकित द्वारा किए गए विनियोग पर मिलने वाले रिटर्न का चेक था। उसने दूसरी चिठ्ठी खोली। यह चिठ्ठी अंकित के घर से थी। सब इंस्पेक्टर गीता ने पढ़ना शुरू किया।
'प्यारे भाई....तुम जब से नाराज़ होकर गए मुड़ कर हमें नहीं देखा...पहले तो कभी कभार अपनी बहन से ही बात कर लेते थे....पर कई महीनों से तो तुम मुझसे भी नाराज़ लगते हो...मुझसे भी बात नहीं की....तुम्हें फोन किया तो पता चला कि नंबर मौजूद नहीं है...इसलिए चिठ्ठी लिख रही हूँ....मेरी शादी तय हो गई है...कम से कम मेरी शादी में तो आ जाना...तुम्हारी बहन दीपा...."

चिठ्ठी पढ़ते हुए सब इंस्पेक्टर गीता की आँखें नम हो गईं। एसपी गुरुनूर उठ कर उसके पास आई। उसके कंधे पर हाथ रख कर बोली।
"एक बेटा ना जाने क्यों अपने माता पिता से इतना नाराज़ हो गया कि उनसे सारे संबंध तोड़ लिए। अब बहन अपने प्यार का वास्ता देकर उसे बुला रही है। सचमुच कभी कभी इंसानी रिश्ते कितने उलझे हुए होते हैं।"
"हाँ मैम....अब सही बात तो इसके परिवार से मिल कर ही पता चलेगी।"
"गीता तुम फौरन झांसी जाकर अंकित के परिवार से मिलने की कोशिश करो।"
"जी मैम....मैं जितनी जल्दी हो सकता है झांसी जाने की कोशिश करती हूँ। मैम एक बात और है। चेतन शेरगिल वित्तीय सलाहकार था। अभी हमें अंकित के विनियोग से संबंधित एक चिठ्ठी मिली है। हो सकता है कि वह केवल एक क्लाइंट के तौर पर उससे जुड़ा हो।"
"ऐसा लगता नहीं है....चेतन के क्लाइंट्स अमीर लोग थे। अंकित उस श्रेणि में नहीं आता है। इसलिए ऐसा होने की संभावना लगती नहीं है।"
"मैम....मैंने सिर्फ एक संभावना जताई थी।"
"ओके.... मैं इस तरह से भी देखूँगी।"
सब इंस्पेक्टर गीता झांसी जाने की तैयारी करने के लिए चली गई।