सुबह सुबह , उत्तर प्रदेश के बरेलि जिल्ला पुलिस के हेडक्वार्टर से पुलिस की गाडिया रामनगर कि ओर जाने के लिये ते़जी से निकल चुकी थी । रामनगर बरेलि जिल्ला के आँवला तालुका का छोटा सा गाव है । हाल ही मे बरेली जिल्ला मे ट्रांसफर होकर के आए हुए पुलिस सुप्रि. अश्विन कपूर साहब को खबर मिली है की यूपी के अर्कियोलोजी डिपार्टमेंट के लखनौ सर्कल के सिनियर अधिकारी श्री किशनसिंह चावडा कि रात में हि वहा रहश्यमय रुप से मौत हो गई है। जिल्ला पुलिस वहा पहुँची तब वहा पहले से हि तालुका के पोलिस ओफिसर और मीडिया के रिपोर्टरों के साथ गाव वालों कि भी भीड़ मौजुद थी। एस. पि. साहब के आने से वहा मौजूद सभी ओफिसरो ने साहब को सैल्यूट की.। फिर पी.एस.आई. राणे ने ऐस. पि. कपूर साहब को कफन ढककर जमीन पे रखी हुई किशनसिंहजी की लास बताई और कहा ,सर मामला कुछ पेचीदा लगता है । पूरे शरीर पे एक खरोच तक नहीं आइ है । और दूसरी बात ये है की किशनसिंहजी के साथ उनका साथी कर्मचारी कुमार नाम का कोई आदमी था उसका भी कुछ पता नहीं है । ऐस.पि. कपूर साहब ने किशनसिंहजी की डेड बॉडी को देखा और फिर उसे पोस्ट मोर्टम के लिए भेज देने का ऑर्डर दीया । फिर कपूर साहब अपने ओफिसरो को आगे कुछ ऑर्डर दे उससे पहेले वहा खड़े सभी मीडिया वाले उसके आसपास जमा हो गये और सवालो की जड़ी बरसा दी। एक रिपोर्टर ने पूछा की किशनसिंहजी की मृत्यु कुदरती मौत है या उनकी ह्त्या हुई है? इस के बारे में पुलिस का क्या कहेना है ? कपूर साहब ने कहा की पूरी छानबीन किए बिना अभी से किसी नतीजे पे नहीँ पहुँचा जा सकता है । अभी पुलिस तपास जारी है । हम जल्द ही इस केस को सोल्व करेंगे। तभी दूसरे रिपोर्टर ने पूछा की क्या ये बात सच है की किशनसिंहजी यहा पे “पुराणकथा महाभारत” के सम्बंध में कुछ खोज करने आये थे ?कपूर साहब ने बताया कि, हा ये बात सही है । वो यहा पे अपने काम के सिलसिले में ही आये थे। एक अर्कियोलोजिस्ट होने के नाते पुराने इतिहास के बारे मे खोज करना ही उनका काम था। एक रिपोर्टरने कहा कि हमें जानकारी मिली है की किशनसिंह भारत सरकारके किसी गुप्त मिशन पे काम कर रहे थे । क्या ये बात सच है ? कपूर साहब अपनी टोपी ठीक करते हुए बोले , आप मीडिया वाले अधिकतम घटनाओ के साथ सरकार और गुप्तरहस्यो को जोडने मे इतने उतावले क्यों रहेते है ? फिर वो गंभीर होकर बोले देखिये अभी आप लोग जाइये । इस केस में पुलिस जैसे ही किसी नतीजे पर पहोचेगि की तुरंत सच्चाई आपके सामने पेस करेंगी ।और फिर कपुर साहब मीडिया वालो के बिच से रास्ता करते हुए अपने ओफिसरो के साथ उस साइट पे गए जहां किशनससिंहजी खुदाई का काम करवाते थे। ईस पूरी साइट को पुलिस ने कॉर्डन कर लिया था । क्यूकी किशनसिंहजी की डेड बॉडी ईस साइट से ही बरामद हुई थी । डेड बॉडी जहा जीस हालत मे मिली थी पुलिस वालो ने वहा वैसी ही आउट लाइन अंकित कर दी थी । डेड बॉडी के पास मोबाईल और एक टूटा हुआ मटका पडा था । मटके का पानी नीचे बहे जाने से आसपास की मिट्टी अभी भी गीली थी । और जहां किशनसिंहजी की डैडबॉडी मिली थी उसके पास में पड़ें बड़े पत्थर पर टूटे हुए मटके के एक टुकडे से लिखा हुवा था “ अश्वत्थामा जिंदा है और वो.......” । ईस तरह ऐस पी साहब को साफ दिखाई पड़ता था की किशनसिंहजी अपनी पूरी बात लिख नहि पाए थे और वाक्य अधूरा रहे गया था | उसी वक्त वहा एक रिपोर्टर अपने केमरामेंन के केमरे के सामने वहा का न्यूज अहेवाल बयान कर रहा था । और वो बोल रहा था इस वक्त हम रामनगर गाव में खडे है । और फिर वो रिपोर्टर एम्ब्युलंस में रखी हु़ई किशनसिंहजी की डेड बॉडी की ओर ईसारा करता हुआ बोला यहा ईस वक्त आपके सामने जो डेडबॉडी दिखाई दे रही है वो उत्तर प्रदेश के आर्कियोलोजि डिपार्टमेंट के सीनियर आर्कियोलोजिस्ट ऑफिसर किशनसिंह चावडा की है ।जो मूल गुजरात राज्य के अहमदाबाद के वतनी थे । कल रात में ही उनकी रहस्यमय तरीके से अचानक मृत्यु हो गई है । और उनका एक आसीस्टंट कुमार नाम का आदमी लापता है । पुलिस अभी तक पता नहीं लगा पाई है कि इनकी ह्त्या कर दी गई है या किसी और कारण से इनकी म्रुत्यु हुइ है । हमारे सुत्रो से जानकारी मिलि है की किशनसिंह चावडा पौराणिक ग्रंथ महाभारत के पात्र अश्वत्थामा के बारे मे यहा पे रिसर्च कर रहे थे। अश्वत्थामा के बारे मे लोक मान्यता है की वो आज भी जिंदा है । और पुराने ग्रंथो मे भी अश्वत्थामा के चिरंजीवी होने की बात का अस्पस्ट उल्लेख हुवा है। महाभारत कथा के अनुसार उस काल (समय) में यहा (रामनगर) पे उत्तर पांचाल राज्यकि राजधानी बसी हुई थी । जिसका नाम अहिक्षत्र हुवा करता था । और ईस राजाधानी से एक समय मे अश्वत्थामा पूरे उत्तर पांचाल राज्य पे शाशन चलाते थे । कहानी के अनुसार गुरुद्रोणाचार्य कि इच्छा से पांडू पुत्र अर्जुन पांचाल राज द्रुपद को युद्ध मे हराकर पूरा पांचाल राज्य द्रोणाचार्य को सौप देते है । बाद में द्रोणाचार्य आधा राज्य महाराज द्रुपद को वापस लौटा देते है । और बाकी का आधा राज्य द्रोणाचार्य ने अपने पास रखा था । जिसे बादमे अपने पुत्र अश्वत्थामा को सौंप कर वो हस्तिनापूर चले गये थे । इस तरह हस्तिनापूर राज्य को आधीन होकर अस्वत्थामा यहा से राज्य साशन चलाते थे।“ फिर वो मीडिया रिपोर्टर अपने पीछे खड़े गाव वालो की ओर देखकर बोला “ यदी इस गाव वालो की बाते सुने तो ज्यादातर गाव वालो का कहेना है की किशनसिंहजी की मृत्यु का कारण अश्वत्थामा ही है । और जो भी उसके बारे में जानने की कोशिश करेगा वो अवश्य ही मारा जायेगा ।“ रिपोर्टर ने आगे कहा पुलिस ने इन गाव वालो की बातो को महज एक अफवा बता कर टाल दीया है । और उनकी इन्वेस्टीगेशन जारी है । रिपोर्टर ने अपनी बात खत्म करते हुवे कहा कि जैसे हि ईस केस के बारे मे कोइ नई जानकारी उपलब्ध होगी हम आपको तुरंत ही अवगत कराएंगे । अभि के लिये बस इतना ही । और फिर उस रिपोर्टर ने अपना स्पीकर ओफ् कर दीया ।