My study - 1 in Hindi Biography by Neha books and stories PDF | मेरी पढ़ाई - 1

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मेरी पढ़ाई - 1

माफ़ कीजियेगा दोस्तों बड़े दिनों बाद फिर से एक कहानी आपको सुनाने जा रही हूं। उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी और नहीं भी आए तो पढ़ तो लेना ही। इन दिनों बड़ी ही परेशान हूं। जीवन से नहीं पर कुछ हद तक अपनी मेहनत से। मेरे पापा का एक सपना है कि मेरा जीवन यूं ही ना जाए, मुझमें उन्हें एक काबिल इंसान नजर आता है। मैं वो इंसान बनने के लिए मेहनत भी करती हूं। पर आज के इस प्रतियोगिता के दौर में खुद को साबित कर पाना नामुकिन तो नहीं पर एक मुश्किल काम है। मैं इस समय अपनी पी. सी. एस. की तैयारी में व्यस्त हूं। आज कुछ लिखने का मन किया तो सोचा कि लिख दूं, तो मातृभारती पर ही लिखना शुरु कर दिया। इतना समय तो नहीं मिल पाता, कि अपने सभी विचार आप सबको बता सकूं, पर फिर भी जब कभी लिखती रहती हूं। आजकल नींद जरा कम आती है। जिम्मेदारियां भी हैं, और पढ़ना भी है। बहुत मुश्किल होता है जिम्मेदारियां निभाते हुए पढ़ना, बहुत कुछ छूट जाता है। उम्मीद है अपने पापा के सपने को पूरा कर हक़ीक़त में बदल सकूं। मुझे एक साल हो चुका है मातृभारती पर आए हुए। यह बहुत ही उमदा मंच है, जिससे लाखों लोगों की आवाज़ एक उम्मीद बनकर आती है। यहां मेरी अच्छे बुरे सभी तरह के लोगों से बात हुई है। आज काफी फॉलोवर्स भी हैं मेरे। इस मंच ने मुझे लिखने को बेहतर तरीका दिया है। कुछ लोग तो इतने अच्छे हैं इस मंच पर कि उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। ये मंच मुझे जुनून देता है। लेखन शैली को बेहतर करने का। इससे ना केवल मुझे पढ़ाई में बल्कि जीवन को जीने में मदद मिली है। कहते हैं, अगर आप कोशिश करते हैं तो आप वो सब करने की हिम्मत कर पाते हैं जो आप करना चाहते हैं। अभी मैं एक बेहतर तो नहीं पर खुशनुमा इंसान जरूर बन गई हूं। इसमें मातृ भारती का बहुत बड़ा योगदान है। क्योंकि यहां मुझे लोगों से जीने की, खुश रहने की प्रेरणा मिली है। और ये मेरी पढ़ाई में बहुत मददगार साबित हो रही है इन दिनों। मैं मातृभारती टीम से आग्रह करूंगी कि वो ऐसे ही लोगों को जीने का हुनर दे। आजकल कोई भी काम मुश्किल नहीं है सिवाय खुश रहने के। आज लोगों के पास अच्छी घड़ी तो है पर वक़्त शायद बहुत कम लोगों के पास। सोशल नेटवर्किंग ने इंसान को इतना व्यस्त बना दिया है कि वो अपने सपने भी अब सोशल नेटवर्किंग में ही देखते हैं। परिवार जिसे जीवन का आधार कहा जाता है, उसके लिए इतना वक़्त ही नहीं मिल पाता कि साथ बैठकर सुकून का एक गरम प्याला चाय का पी सकें। टेक्निकल इस जमाने में सब कुछ टेक्निकल हो गया है। पर मातृ भारती ने खुद के अंदर झांकने का समय दिया है। ये वो समय है जब लोग सब कुछ अपने साथ घटित हुआ पूरी दुनिया को बता देना चाहते हैं, एक कहानी के जरिए। जैसे मैं कह देती हूं। इतना आसान नहीं होता है जिम्मेदारियां निभाते हुए भी पढ़ पाना, पर कोशिश की जाए तो मंजिल मिल ही जाती है। अब देखना ये है कि मेरी पढ़ाई की मंजिल मुझे इस दौर में कहां ले जाएगी। आगे जल्दी ही लिखूंगी क्योंकि अभी अपनी पूरी कहानी बता पाना संभव नहीं है समय के कारण। पढ़ते रहिए खुश रहिए अपनों के साथ, फिर मिलूंगी आगे की कहानी लेकर... धन्यवाद।