aarushi - 4 in Hindi Fiction Stories by Ashish Jain books and stories PDF | आरुषि भाग - 4

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आरुषि भाग - 4

"मोह्हबत में बुरी नियत से कुछ सोच नही जाता,
बेवफ़ा कहा तो जाता है, मगर समझा नही जाता..!"
(वसीम बरेलवी)

ऐसा ही कुछ हो रहा था मेरे साथ उस समय..! दोस्तों की मंडली बैठती थी.. सब मिल कर मेरा मजाक उड़ाते थे..! यार.. काट गयी वो तेरा.. देख कैसा छोड़ गई वो तुझे.. बहुत बोलता था न वो ऐसी है, वो वैसी है.. पता चल गया न कैसी है..!
मैं भी वहां कह देता था, हां यार.. बेवफ़ा निकली वो..! छोटी सी बात पर चली गयी..!
लेकिन ये सिर्फ होंठ कह रहे थे, दिल मे तो तब भी वो पूरी तरह से समर्पित वो प्यार वाली आरुषि थी.. और शायद ये दिल के किसी कोने में पड़ी hope ही थी जिसने कारण आज आरुषि फिर वापिस आ गयी थी..!
उसकी जैसी छवि मेरे दोस्त बना रहे थे अपने मन में, वो गलत साबित कर दी उसने..! हां..! मानता हूं मैं भी कम गलत नही था उसके लिए.. दोस्तो से ज्यादा तो मैं गलत था.. क्योंकि उन्होंने तो कभी आरुषि को जानना तो दूर देखा भी नही था, तब उनके मन मे ये छवि बनी..! पर मैं.. मैं तो उसे जानता भी था, मिला भी था फिर भी मैंने कैसे उसके लिए अपने होंटो से गलत बोल दिया..!

वो:- अरे..! कहाँ खो गए आप..?
मैं:- कहीं नहीं..! अच्छा सुनो..!
वो:- हां..! बोलो ना..!
मैं:- सॉरी..!
वो:- क्यों..?
मैं:- बस ऐसे ही..!
वो:- ठीक हो ना आप..!
मैं:- बिल्कुल फिट..!
वो:- खाओ मेरी कसम..!

कसम..! हमे मालूम होता है कि इन कसम से कुछ फर्क नही पड़ता..! लेकिन एक डर जो शायद हमें परम्परागत मिला है वो हमेशा झूठ बोलने से रोक देता है कि कहीं हम उसे खो न दे..!

मैं:- सुन ना..!
वो:- हां..! बोलो..!
मैं:- एक गाना सुना दे अच्छा सा..!

Recording audio...

(कहीं दबी, दबी सी कहीं छुपी
छुपी सी थी, तेरी मेरी लव स्टोरी
कहीं बारिशो में भीगी तो महक उठी
तेरी मेरी लव स्टोरी..)

मैं:- बहुत अच्छी आवाज है तेरी..!
वो:- अच्छे से बदल लेते हो बातों को..!
मैं:- मतलब..!
वो:- मेरी कसम खाने के लिए बोली थी मैं..!
मैं:- मैं नही मानता कसम-वसम..!
वो:- झूठ मत बोलिये, नही बताना तो मत बताइए.. जब मन करे तब बता देना..!
मैं:- एक और song प्लीज..!

Recording audio..

(कुछ वादें जहाँ मैं और तू है
चंद लफ्जों की ही गुफ्तगू है..)

मैं:- ये तो मेरा ही है..!
वो:- तो अब क्या copyright का केस करेंगे..!
मैं:- नही जी..! सोच रहा हूँ आपकी आवाज पर copyright ले लूं..!
वो:- इतनी भी अच्छी नही है, ज्यादा चने के झाड़ पर मत चढ़ाओ मुझे..!
मैं:- अच्छा तुझे पता चल गया क्या..😂😂!
वो:- बहुत गंदे हो आप..👿👿!

【After some month..!】

[ कॉल पर आरव की आरुषि से कैब में बात ]

हैलो..! कहाँ पर हो..? मैं अभी clint से मीटिंग करके free हुआ हूँ, तुम फ्री हो गयी हो तो तुम्हे पिक कर लूं..?

हां..! मैं भी बस फ्री हो गयी आप मेरे office के नीचे आ जाओ..!

[Office के पास]

और बताओ कैसा रहा तुम्हारा दिन..?

वैसा ही जैसा रोज रहता है..! ( बेरुखे अंदाज़ में)

【अच्छा आप लोग सोच रहे होंगे ये सब क्या चल रहा है, तो आपको बता दूं, बहुत दिन long distance relationship में रहने के बाद आरव ने एक new स्टार्टअप की नींव रखी और वो आरुषि के साथ देहली में शिफ्ट हो गया, और आरुषि भी एक अच्छी मल्टी-नेशनल compony से इंटर्नशिप करके वही job करने लगी।】

[ आरव और आरुषि कैब में]

नहीं खुश है उस job से तो छोड़ सकती है यार तू वो job..! खुद का ऑफिस खोल ले.. वहाँ तू ज्यादा खुश होगी..!(आरव)

नहीं छोड़ सकती यार मैं ये जॉब..! अभी अपन दोनों को जरूरत है इसकी.. जब तक कि तुम्हारा काम अच्छे से प्रोग्रेस नही कर ले..!(आरुषि)

जरूरतें तो जिंदगी भर लगी रहेंगी यार.. लेकिन ये टाइम वापिस नही आएगा.. तू मेरे लिए अपने सपनों को मत मार..! बाकी में देखता हूँ ना कोई पार्ट टाइम काम मिल जाये तो..!(आरव)

आपके और मेरे बीच मे मेरा तेरा कुछ बंटा हुआ नही है..! आप भी दिन भर दौड़-भाग करके एक-एक clint को जोड़ते है.. वो सब भी तो मेरे लिए ही कर रहे है ना आप..! तो मैं आपके लिए 9 से 5 तक की कुछ दिन तक job नही कर सकती..!(आरुषि)

【हर बार की तरह इस बार भी मैं आरुषि से बातो में नहीं जीत पाया..! दरअसल वो एक इंटीरियर डिज़ाइनर है और वो job छोड़ कर खुद का ऑफिस open करना चाहती थी, पर मेरे सपनों के कारण उसने अपने सपनों से सौदा कर लिया और 9 से 5 की जॉब में फंस गई।】

" sir, आपकी लोकेशन आ गयी..!"

Ohh, thnx sir..! I pay..!(आरव)

[घर के बाहर गेट ओपन करते हुए]

सुनो ना, जल्दी से फ्रेश हो जाओ तब तक मैं कुछ बना लेती हूं फिर बाद में अपन ऐसे ही बाहर घूमने चलेंगे..!(आरुषि)

क्यों परेशान हो रही है, बाहर ही कुछ खा लेंगे..! तू थक गई होगी..! तू भी आराम कर ले थोड़ा..!(आरव)

नहीं, मुझे आज घर का ही डिनर करना है, सो प्लीज आप जाइए फ्रेश हो जाइए.. मै सब मैनेज कर लूंगी..!(आरुषि)

【गॉड..! सच में इन लड़कियों के अंदर कुछ अलग ही पावर दे कर भेजता है। कहते है कि लड़के ज्यादा सहनशील होते है, क्या पता.. होते होंगे..! पर लड़कियों में भी कम क्षमता नही होती..! दिन भर office में mind पकाने के बाद भी घर पर आकर खुशी खुशी अपना घरेलू काम करना.. सेल्यूट है यार..!】

यार, बहुत टाइम लगाते हो आप.. पूरा खाना ठंडा हो रहा है..!(आरुषि)

हां.. आया बस..! अभी ढंग से नही नहाया तो बाहर तुम मुझसे दूर-दूर चलोगी..! दिन भर के पसीने के कारण..!(आरव)

फिर तो एक बार और नहा कर आओ..!(आरुषि)

नहा लिया..! चलो एक प्लेट में खाना लगाओ जल्दी से खा कर चलते है..!(आरव)

आप हमेशा एक ही प्लेट में खाना क्यों लगवाते हो..?(आरुषि)

क्योंकि तुम्हे दो प्लेट ना धुलनी पड़े..!(आरव)

To be continued...!

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