Stoker - 2 in Hindi Detective stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | स्टॉकर - 2

Featured Books
Categories
Share

स्टॉकर - 2



स्टॉकर
(2)




मेघना कुछ असहज हो गई। एसपी गुरुनूर ने समझाते हुए कहा।
"मिसेज़ टंडन आप परेशान ना हों। जो है खुल कर कहें। पुलिस आपकी सहायता करने के लिए है। ये अंकित सिन्हा कौन है ?"
"मैं अपनी फिटनेस पर बहुत ध्यान देती हूँ। मैं रोज़ जिम जाती हूँ। अंकित जिम में मेरा पर्सनल ट्रेनर था।"
"वो आपका पीछा क्यों करता था ?"
"अंकित एक अच्छा ट्रेनर था। खुशमिजाज़ था। उम्र में मुझसे कोई दस साल छोटा था। मैं उससे खुल कर बातें करती थी। कभी कभार हंसी मज़ाक भी कर लेती थी।"
मेघना कुछ देर के लिए रुकी। एसपी गुरुनूर ध्यान से सब सुन रही थी।
"मेरे कोई भाई बहन नहीं थे। मैं उसे अपने छोटे भाई की तरह समझने लगी थी। पर मेरे खुले व्यवहार को उसने दूसरे रूप में लेना शुरू कर दिया। उसे लगता था कि मैं उसकी तरफ आकर्षित हूँ।"
मेघना ने एसपी गुरुनूर से सवाल किया।
"मर्दों को हमेशा एक औरत का खुला व्यवहार गलत संदेश ही क्यों देता है ? क्यों वो हमारे शरीर से ऊपर सोंच नहीं पाते हैं ?"
एक औरत होने के नाते एसपी गुरुनूर इस सवाल में छिपे दर्द को समझ रही थी। मेघना ने आगे कहा।
"अपनी गलतफहमी के चलते अंकित ने गलत तरह से मेरी तरफ बढ़ने की कोशिश की। उसके इरादे समझते ही मैंने उसे ज़ोर से डांट दिया। उसे यह अच्छा नहीं लगा। मैंने कुछ दिनों के लिए जिम जाना बंद कर दिया। मुझे लगा था कि उसे अपनी गलती का एहसास हो जाएगा।"
एसपी गुरुनूर ने मेघना से कहा।
"पर उसे अपनी गलती का एहसास नहीं हुआ। मर्द अक्सर यह गलतफहमी रखते हैं कि थोड़ा ज़ोर देने से औरत मान जाएगी।"
"जी सही कहा आपने। जब मैं कुछ दिनों के बाद जिम पहुँची तो अंकित पहले के जैसे ही अपना काम करता रहा। मुझे लगा कि उसे बात समझ आ गई। कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। मैं सोंच रही थी कि बात आई गई हो गई। पर लगभग एक महीने बाद अंकित ने मुझसे कहा कि आज मेरा बर्थडे है। वह उस दिन की अपनी हरकत पर शर्मिंदा है। वह अपनी भूल को सुधारना चाहता है। उसने मुझे अपने घर बर्थडे सेलिब्रेट करने के लिए बुलाया।"
मेघना फिर रुकी। उसने अपने नौकर से पानी लाने को कहा। पानी पीकर उसने एसपी गुरुनूर से पूँछा।
"आप चाय कॉफी कुछ लेंगी।"
"नहीं....धन्यवाद...."
नौकर के जाने के बाद मेघना ने आगे कहा।
"अंकित पर यकीन करना मेरी भूल थी। उसने कहा था कि घर पर उसके दोस्त भी होंगे। पर जब मैं उसके फ्लैट पर पहुँची तो वहाँ कोई नहीं था। ना ही उस दिन उसका बर्थडे था। मैंने जब उसे लताड़ लगाई तो कहने लगा कि वह मुझे बहुत चाहता है। उसे पूरा यकीन है कि मैं भी उसे बहुत चाहती हूँ। मैंने वहाँ अधिक ठहरना ठीक नहीं समझा। उसे एक ज़ोरदार तमाचा मार कर मैं घर चली गई।"
"फिर क्या हुआ ?"
"मैंने जिम के मालिक से उसकी शिकायत कर दी। उसे खूब फटकार लगी। चेतावनी दी गई कि अगर वह नहीं माना तो नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। मैंने वह जिम छोड़ दिया। दूसरा जिम ज्वाइन कर लिया। लेकिन अंकित पर कोई असर नहीं हुआ। उसने मेरा पीछा करना शुरू किया। मैं जिम, क्लब, मॉल कहीं भी जाती मेरे पीछे चला आता था। उसने सोशल एकाउंट पर भी मुझे तंग करना शुरू कर दिया।"
एसपी गुरुनूर ने टोंका।
"इतना सब हुआ तो आपने पुलिस की मदद क्यों नहीं ली ?"
मेघना इस सवाल पर शर्मिंदा हुई।
"यहीं मुझसे गलती हो गई। मुझे लगा कि अगर बात पुलिस में जाएगी तो हो सकता है कि मीडिया को पता चल जाए। फिर तो आप जानती हैं कि कितनी बातें होतीं।"
"आपका ऐसा सोंचना ठीक नहीं था मिसेज़ टंडन। हम गोपनीयता का ध्यान रखते हैं।"
"मैं खुद कह रही हूँ कि मुझसे गलती हो गई। पहले मैंने स्वयं मामले को निपटाना चाहा। पर अंकित का हौंसला बढ़ता जा रहा था। मैंने सारी बात शिव से कही। उसने भी पुलिस में जाने की बात कही। पर मैंने वही तर्क देकर उसे रोक दिया। उसके बाद उसने खुद ही अंकित को धमकाया। शिव उसके साथ बहुत सख्ती से पेश आया। उसके बाद अंकित ने मेरा पीछा करना बंद कर दिया। हमें पता चला कि अंकित शहर छोड़ कर चला गया है। उसके बाद छह महीने हो गए थे। उसका कोई पता नहीं था। हम निश्चिंत हो गए थे।"
"तो फिर अब आपको लगता है कि अंकित ने मिस्टर टंडन को मारा है।"
"जी..."
"पर क्यों ? आप ऐसा क्यों सोंचती हैं ?"
"वैसे शिव बहुत शांत किस्म का व्यक्ति था। पर अंकित मुझे तंग कर रहा था। इस बात से उसे बहुत गुस्सा आया। उसे सही तरह से समझाने के लिए शिव ने गुंडों से उसकी पिटाई कराई। उसे खुद धमकी दी थी कि अगर वह बाज़ नहीं आया तो अंजाम बहुत बुरा होगा। अब शिव की किसी और से तो लड़ाई थी नहीं। फिर उसके अलावा और कौन हो सकता है।"
"क्या वह इतनी हिम्मत कर सकता है कि मिस्टर टंडन की हत्या कर दे ?"
"मैं दावे के साथ कुछ नहीं कह रही हूँ। आपने मुझसे पूँछा था कि मुझे किसी पर शक है तो मुझे उसका नाम याद आया। बाकी आप पता लगाइए।"
मेघना की बात सुन कर एसपी गुरुनूर ने कहा।
"आपका धन्यवाद मिसेज़ टंडन। हम इस जानकारी के आधार पर आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे। पर क्या आप बता सकती हैं कि ये अंकित सिन्हा कहाँ का रहने वाला था। उसके परिवार के बारे में कुछ बता सकती हैं।"
"जी नहीं मुझे कुछ भी नहीं पता। एक बार उसने बताया था कि उसका अपने परिवार से कोई संबंध नहीं है। उन्हें उसके जीने का तरीका पसंद नहीं है। इसलिए उसने छोटी उम्र में ही घर छोड़ दिया था।"
"ठीक है मिसेज़ टंडन मैं चलती हूँ। अगर आपकी ज़रूरत पड़ी तो सूचना दूँगी।"
"आपसे अनुरोध है कि आप मेरे पति की हत्या का केस जल्द से जल्द सुलझा लें।"
"आप बिल्कुल परेशान ना हों। हम आपके पति के कातिल को छोड़ेंगे नहीं।"

एसपी गुरुनूर ने अंकित सिन्हा के बारे में पता करने के लिए इंस्पेक्टर अब्राहम जॉनसन को स्टेफिट जिम भेजा था। अंकित ट्रेनर के तौर पर यहीं काम करता था।
इंस्पेक्टर अब्राहम जिम के मालिक दिलशेर सिंह से मिला। दिलशेर ने बताया कि जब मिसेज़ टंडन ने अंकित की शिकायत की थी तभी उन्होंने उसे जिम से निकाल दिया था। वह अंकित के बारे में अधिक नहीं जानते थे।
इंस्पेक्टर अब्राहम जब निकल रहा था तो अंकित के साथ काम करने वाले दूसरे ट्रेनर से भी उसकी बात हुई। उस ट्रेनर का नाम मंजीत था। मंजीत ने बताया कि एक बार अंकित ने उससे कहा था कि जल्द ही वह अमीर बनने वाला है। एक दिन वह अपना खुद का जिम खोलेगा। उसके क्लांइट बड़े बड़े लोग होंगे। उसने मंजीत से कहा था कि वह उसे अपने जिम में नौकरी देगा।

सारी बात सुनने के बाद एसपी गुरुनूर ने कहा।
"इस अंकित को कौन सा कुबेर का खजाना मिलने वाला था कि वह ऐसी बातें कर रहा था।"
"मैम मंजीत कह रहा था कि उसे लगता था कि एक दिन वह मिसेज़ टंडन को अपने प्यार का यकीन दिला कर ही रहेगा। शायद उसे लगता होगा कि वह इसी बहाने अमीर बन जाएगा।"
"हो सकता है। वह सिरफिरा आशिक मालूम पड़ता है। पर अगर मिसेज़ टंडन मान भी जातीं तो भी उसके हाथ क्या लगता। मिस्टर टंडन की जायदाद तो उसे ना मिल पाती।"
"बात तो आपकी ठीक है मैम। पर आपने ही कहा कि वह सिरफिरा मालूम पड़ता है। तो वह कुछ भी सोंच सकता है।"
एसपी गुरुनूर ने गुस्से में कहा।
"एक बार ये अंकित हाथ लग जाए फिर इसकी सारी आशिकी निकालती हूँ।"
इंस्पेक्टर अब्राहम ने कहा।
"पर मैम उसके बारे में अभी तक कुछ ठोस पता नहीं चला। उसे खोजेंगे कैसे ?"
"अब्राहम अभी तो शुरुआत की है। तुम ऐसी बातें करने लगे। मत भूलो हम एक एक कड़ी जोड़ कर पहुँच ही जाते हैं।"
"नहीं मैम घबरा नहीं रहा था। बस एक बात कह रहा था।"
"मैं जानती हूँ अब्राहम कि तुम एक अच्छे पुलिस ऑफिसर हो।"
इंस्पेक्टर अब्राहम कुछ सोंच रहा था। उसे चुप देख कर एसपी गुरुनूर ने कहा।
"क्या हो गया अब्राहम ? क्या सोंच रहे हो ?"
"मैम....मैं सोंच रहा था कि उस दिन मिस्टर टंडन जब घर के लिए निकले थे तो फिर वह घर ना पहुँच कर जंगल कैसे पहुँच गए। मुझे लगता है कि वह पहले से ही वहाँ जाने के लिए निकले थे।"
"या हो सकता है कि कोई उन्हें जबरन ले गया हो।"
"रास्ते में तो उनका अपहरण करना संभव नहीं था। ये हो सकता है कि वो अपनी मर्ज़ी से कहीं और गए हों। फिर वहाँ से उन्हें जबरन जंगल ले जाया हो। या फिर पहले कत्ल कर बाद में लाश जंगल में फेंक दी गई हो।"
"गुड थिंकिंग अब्राहम....मुझे लगता है कि दूसरी बात अधिक सही लगती है। उन्हें पहले मारा गया होगा फिर लाश जंगल में फेंक दी गई होगी।"
"मैम एक बात है कि मिस्टर टंडन के फोन पर आखिरी कॉल मिसेज़ टंडन की थी। इसका मतलब उन्हें फोन करके किसी ने नहीं बुलाया था। पहले से ही उन्होंने वहाँ जाना तय कर लिया था।"
"हो सकता है। ऐसा करो अब्राहम कि मिस्टर टंडन के ऑफिस से उनके घर के बीच जितने सीसीटीवी कैमरे हैं उनकी उस दिन रात नौ से साढ़े नौ बजे की फुटेज निकालवाओ।"
"ओके मैम...."
कह कर इंस्पेक्टर अब्राहम अपना काम करने चला गया।