Kahan Jana hai Kahan Ja rahe hain in Hindi Moral Stories by Vijay Vibhor books and stories PDF | कहाँ जाना है, कहाँ जा रहे हैं?

Featured Books
Categories
Share

कहाँ जाना है, कहाँ जा रहे हैं?

आधुनिक मध्यम वर्गीय परिवारों में इतनी-सी सम्पन्नता तो आ ही गयी है कि वह विज्ञापनों से प्रभावित होकर बाजार के हवाले हो जाते हैं और अपने बच्चों को हर वह चीज/सुविधा उपलब्ध करवाना चाहते हैं जिनसे वह बचपन में अछूते रह गए थे| अब इसे आधुनिकता का जनून कहे या आधुनिक और संपन्न होने का दिखावा, आज ढ़ाई-तीन साल के बच्चों को भी हमनें स्मार्ट फोन थमा रखा है| इसके पीछे के बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि वर्तमान आधुनिक माता-पिता में बच्चो की प्यारी जिद्द या उनके द्वारा बार-बार दोहराये जाने वाले प्रश्नो का सामना करने की क्षमता समाप्त होती जा रही है और सिर्फ इसलिए कि वह जिद्द करके माता-पिता जान न खा जाए, परेशान न कर दे उन्हें मोबाईल जैसा मीठा ज़हर परोसते जा रहे हैं| ऊपर से बच्चे की स्मार्टनेस के पीछे छुपाकर अपनी वाहवाही का बखान करना, "यह तो इतना तेज है पासवर्ड भी खोल लेता है। जिन चीजों का हमें नहीं पता यह उनको भी खोज लेता है।"


इतना ही नहीं महंगे-महंगे प्राइवेट स्कूल वालों ने भी अपने को अत्याधुनिक दिखाने के लिए बच्चों का होमवर्क मोबाइल पर ही भेजना शुरू कर रखा है। लेकिन एडमिशन के समय अभिभावकों पर स्कूल डायरी का खर्च/बोझ बांधना नहीं छोड़ा है। समय के साथ बदलाव होना लाज़मी है और जो प्राणी समय के साथ नहीं चलते वह इस अंधी दौड़ में पिछड़ भी जाते है|

लेकिन देखें ये सर्विस प्रदाता कंपनियां किस तरह से क्या-क्या परोस रही है इन मोबाईल के माध्यम से। सर्विस प्रदाता कंपनियों के द्वारा (ज्यादातर समलित है) मैसेज करके - 'मैं अकेली हूँ, फोन तो करो', 'अपने शहर की खूबसूरत लड़कियों से बात करने के लिए फलां नंबर पर एसएमएस करें'। जाने कितने ही अन्य ऐपस (जो युवाओं में पॉपुलर हैं) जिन पर कामुक विज्ञापन/शार्ट फ़िल्में भरी पड़ी है| ऑनलाइन अखबारों के पॉपुलर वेबसाइट पर ख़बरों के साइड में विज्ञापनों द्वारा अत्यधिक कामुक चित्रों व् समाचारों से भरे पड़े है| मेडिकल स्टोर्स पर चीज कसूती (महिलाओं के कामुक चित्रों द्वारा) न जाने कितने ही माध्यम हैं जिनके द्वारा मन मस्तिष्क में यह स्थापित किया जा रहा है। जब चारो तरफ से कामुकता को बढ़ावा देने वाले वातावरण को बढ़ावा दिया जा रहा है तो कैसे घिनोने अपराधों को रोका जा सकता है? फिर अब तो हमने अपनी आने वाली भावी पीढ़ी यानि बच्चों को भी मोबाईल थमा रखा है तो इसकी क्या गारंटी है कि बच्चा इन कामुक चीजों से अछूता रह जायेगा?

हाँ कुछ स्मार्ट मित्र यह कह सकते हैं, "आप फलां तरीके से 'अनवांटेड' चीजों को बंद कर सकते हैं।" लेकिन भारत में लोगों के पेट में रोटी और तन पर ढंग का कपड़ा मिले न मिले डबल सिम वाला एक स्मार्ट फोन (सस्ता/महँगा) जरूर मिल जाएगा। भले ही जिसको उन्हें ठीक चलना भी न आता हो। वैसे 99% स्मार्टफोन धारक इन फोन्स के पूरे फंग्शन नहीं जानते होंगे| मैं लगभग सारा दिन मोबाईल पर व्यस्त रहता हूँ लेकिन मुझे भी आज तक अपने फोन के सभी उपयोग नहीं पता।

विश्वगुरु बनने की दौड़ मैं लगे हुए भारत के युवाओं की जिस तरह से या जिस तरह की खबरें सामने आ रही है इनसे तो नहीं लगता की हमारी राह सही दिशा मैं जा रही है| बल्कि इससे तो यही लगता है वह दिन दूर नहीं जब कोई किशोर सड़क पर जली हालात में मिलेगा और आरोप में संलिप्त युवतियां मिलेंगी। सरकार को तुरंत प्रभाव से ऐसे ऐपस, ऐसी साइट्स, ऐसे विज्ञापन आदि पर रोक लगानी चाहिए। जिनसे कामुक मानसिकता को खाद-पानी मिले। लेकिन वह इस काम को कर नहीं सकती, क्योंकि कारपोरेट जगत की मुट्ठी में बंद है।

इसलिए धर्म, जाति पर उलझने से बचते हुए अपने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए अभिवकों को यह मुहिम चलानी पड़ेगी....

- विजय 'विभोर'

रोहतक (हरियाणा)
03/12/2019