Mister Bechara in Hindi Short Stories by Niyati Kapadia books and stories PDF | मिस्टर बेचारा

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मिस्टर बेचारा


सागर धीरे से घर में प्रवेश करता है और कमरे में अपनी पत्नी को ना देखते आराम से आके सोफा पर बैठ जाता है।
जरना (सागर की पत्नी): अरे तुम कब आये? बेल बजने की आवाज भी नहीं सुनी, मैंने दरवाजा भी नहीं खोला फिर तुम अंदर कैसे आ गए?
सागर : जानु... मेरे पास भी एक चाबी है ना।
जरना: अरे हाँ... वह तो में भूल गई।
दांत दिखाकर हँसती हुई वो आकर सागर के पास सोफा पर बैठ गई। उसकी शॉर्ट के नीचे के चमकते सुंदर पैर सागर के पैर को छु रहे थे। सागरने धीरे से उस पर हाथ फिराया और जरना के करीब जाकर उसे किस करना चाहा, तभी जरनाने उसे धक्का देते कहाँ,
"मेरी वाली टूट पेस्ट लाये?"
"कमाल है यार तुम मुजे जो भी काम दो वो तुम कभी नहीं भूलती।" सागरने चिढ़ कर कहा।
"बाते मत बनाओ टूट पेस्ट।" जरना ने अपना हाथ आगे करके कहाँ।
"में नहीं लाया।" सागरने आंखे बंध कर कह दिया।
"क्या.... तुम भूल गए? तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई? अपनी पत्नी के लिए तुम एक टूट पेस्ट भी नहीं ला शकते, उतने भी रूपिये नहीं छूटते, भिखारी जैसी हालत थी तो मुजसे शादी क्यों की?" जरना जोरों से चिल्लाकर बोलने लगी।
"गलती हों गई।"
"क्या.. क्या कहा..? मुजसे शादी कर के तुमने गलती की? अरे गलती तो मैंने की अपने मम्मी, पापा, छोटे भाई सब मुजे राज कुमारी की तरह रखते थे तुम्हारे यहाँ आके नोकरणी बन गई हूँ। सुबह शाम तुम्हारे लिए खाना पकाऊ, कपड़े धोऊ, तुम्हारा घर साफ करूँ... और बदले में तुम एक टूथपेस्ट भी खरीद कर नहीं लाते..." जरना बोलते रोनी शक्ल बनाए रही।
"जानु... आई एम सोर्री। मेरा वो मतलब नहीं था। में जानता हूँ तुम कितनी महेनत करती हों घर में कामवाली बाई तो यूंही घूमने के लिए आती है काम कहा करती है और वॉशिंग मशीन तो सिर्फ दिखावे के लिए कपडोको गोल गोल घुमाती है, कपड़ो में से मेल तो तुम्हारी आंखो से स्केन होकर निकलता है, कितनी थकावट का काम है! स्वीगी और ज़ोमेटो में से तो वीक में छे सात बार ही ऑर्डर आता है बाकी तो तुम घर पर ही मेगी बना लेती हों।" सागर खुन्नस में कह रहा।
जरना फिर से अपने दांत दिखाकर हसने लगती है। उसके दाँतो के साथ ही मुह से अजीब से मानो रावण हंस रहा हो वेसी “हुआ.. हाहा...हुआ.. हाहा..” करती आवाज आने लगी
“मुजे डर लगता है डार्लिंग प्लीज चुप हों जाओ!”
जरना और ज़ोर से आवाज करती हुई बिलकुल राक्षस की भांति हंसने लगती है,
“मुज से नहीं रोका जाता हा...हा...हा... तुम तो जानते ही हों एक बार मेरा हँसना शरू हों जाय फिर हा... हा... हा... जलदी नहीं... हा...हा... रुकता...रुकता।“जरनाने अपनी हंसी रोकने की कोशिस करते हुए मुश्किल से कहा।
“तुम बिलकुल पागल हों!” सागर को गुस्सा आ रहा था और उसने कहा, “बिलकुल राक्षशी लग रही हों! बड़े बड़े पीले दांतो वाली राक्षसी तुम्हें तो कोई धार्मिक सीरियल में काम करना चाहिए, राक्षशी का रोल आराम से मिल जाएंगा।“
“क्या कहा? पीले दांत? अभी के अभी जाओ और मेरी वाली टूथ पेस्ट ले कर आओ।“ अचानक ही जरना फिर से क्रोधित हो उठी।
“अरे यार में गया था लेने, अब तो यहा के सारे दुकानदार भी मुजे पहचानते है, देखते ही टूथपेस्ट निकालकर दे देते है। पहले में स्रोंग टीठ वाली लाता था, फिर तुमने कहा साँसो में ताजगी वाली लाओ में जेल वाली ले आया, तुमने कहा दांत कमजोर पड गए तो में जेल और स्ट्रॉंग टीठ दोनों एक साथ मिले वेसी ले आया, फिर तुमने कहा टूथपेस्ट में नमक होना चाहिए में नमक वाली टूथपेस्ट लाया, फिर उसके बाद नमक और लिंबू वाली लाया, उसके बाद बबूल के रस वाली, उसके बाद लोंग वाली, जड़ीबूट्टिओ वाली, कोयले वाली, चाक वाली, नीम वाली सारी तो ला चुका मेरी माँ अब मार्केट मे कोई नई नहीं बची!”
जरना फिर से हँसना चालू करे एसी संभावना देखते हुए सागर ने कहा, “देखो हसना मत,”
“तुम एसा मत कहो मुजे ज्यादा हसी आती है, जरनाने अपने हाथो से हसी दबाने की कोशिश की।“
“अब तुम न लोंग, मारी, इलायची, अदरक, आंवला जो जो तुम्हें ठीक लगे वो सब मिलाकर एक चटनी बना लो और सुबह ब्रश पर आधी टूथपेस्ट और आधी चटनी रख कर ब्रश करा लिया करो।“
“तुम भी बड़े मज़ाकिया हो...हो...हो...” फिर से जरना की हसी छुट गई। घर में मानो कोई टीवी सीरियल का राक्षस निकलकर आ गया हों वेसी आवाज़े आने लगी।
तभी दरवाजे पर ज़ोर ज़ोर से डोर बेल बजने लगी। “कौन आ गया?”
“एसी भयानक डोर बेल एक ही इंसान बाजा शकता है, तुम्हारा भाई।“
जरनाने भागकर जाके दरवाजा खोला, दरवाजे पर उसका चौदा साल का भाई खड़ा था। उसने अंदर आते ही अपने जीजाजी के पेर छूए और प्रणाम कहा।
सागर: कैसे हों विकास, सारा विकास तो यहीं हों रहा है।
जरना: सागर एक तो मेरा गोलु मोलु भाई तुम्हारे पेर पड़ रहा है और तुम उसे आशीर्वाद देने के बजाय ताने मार रहे हों।
विकास: जीजाजी को मत डांटो दीदी मुजे उनकी बातो का बुरा नहीं लगता। वैसे भी बड़ी दीदी माँ के समान और जीजाजी पिता के समान होते है।
जरना दोनों हाथो से अपने भाई की बलैया लेते हुए : वारी जाऊ वीरा, देखा कितनी संस्कारी बाते करता है मेरा भाई।
सागर: सिर्फ बाते ही करता है।
जरना: क्या कहा?
विकास: दीदी मम्मीने कहा हे की रातको वो मुजे लेने आएँगी तब तक जीजाजी मुजे तुम्हारे घर के पास जो मेला आया है वह घूमा लाये।
सागर: में नहीं जाऊंगा। तुम दोनों चले जाओ।
जरना: में नहीं जा शकती। मुजे खाना पकाना है तुम चले जाओ तब तक में एक दो कम निपटा लूँ।
विकास: हाँ दीदी तुम फिकर मत करो में जीजाजी के साथ चले जाऊंगा।
जरना: देखो न बिचरा कितने प्यार से कह रहा हे। तुम बस जाओ।
मन मारकर सागर उठा और विकास की और देखता हुआ बाहर निकाला। विकास एक प्यारीसी मुस्कान दे रहा था सागर ने कहा, में जानता हु इस प्यारी मुस्कान वाले, भोले चहेरे के पींछे कैसा भयानक राक्षस छिपा है!
दोनों मेले में पहुंचे ही थे के विकासने ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा, “सुगर केंडी... सुगर केंडी... में ये खाऊँगा।“
“अबे ठीक है चिल्ला मत।“ सागरने उसे एक खरीद के देदी। उसे खतम करके वो फिर से चिल्लाने लगा, “सुगर केंडी... सुगर केंडी...में ये खाऊँगा!”
“अभी तो खाई।“
“में खाऊँगा, में खाऊँगा,” वो चिल्लाने लगा।
सागरने उसे दूसरी दिलवाई। उसे खतम करा के उसने फिर से वही नाटक किया और एक और केंडी मांगी,
‘मेरे छोटे हाथी कितनी केंडी खाएगा बे, खा खा के मर जाएगा!’
“छि छि छोटे बच्चे से कोई इस तरहा बात करता है? कैसा राक्षस जैसा बाप है!” एक औरत ने वहाँ से गुजरते हुए सागर को सुनाई पड़े वैसे कहा। विकास अपनी मासूम शक्ल लिए मुस्कुरा रहा था।
सागरने इस बार दो केंडी खरीदी और विकास को देते हुए कहा, इसके बाद एक भी नहीं मिलेंगी।
विकासने जपट कर दोनों केंडी लेली और दोनों में से एक एक बाइट लेने लगा।
“जीजाजी में उस जायंट व्हील में बेठुगा।“
“अबे तेरे वजन से वो राईड टूट जाएगी।“
“नहीं में बेठुगा।“ विकास फिर से चिल्लाने लगा।
“देखोना कैसा बाप हे दो दो सुगर केंडी कोई अपने बच्चे को देता है भला! उसकी मम्मी साथ में होती तो कभी एसा नहीं होता। बच्चेकी सेहत का खयाल कौन करता है।“ सागर के बाजू मे खड़ी एक महिलाने कहा।
सागरने मुह फुलाकर विकास का हाथ पकड़ा और उसे ले जाकर राईड में चढ़ा दिया, उसकी टिकट भी बाद में खरीदी। वो राईड में बेठा बेठा जीजाजी... जीजाजी... चिल्ला रहा था। सागर को थोड़ी शर्म आ गई पर कोई और कुछ सुना के न चला जाए इसीलिए वह चुप खड़ा अपना हाथ हिलाते रहा। एस राईड पर भी वह तीन बार बेठा। आखिर सागरने अपना खाली बटवा उसे दिखते हुए कहा अब उसके पास रुपये नहीं बचे है तब वह मुह लटकाकर घर चलने राजी हुआ।
घर आते ही विकासने उदास होते हुए कहा, “दीदी जिजा के बटवे में पैसे ही नहीं थे। मुजे नूडल्स, आइसक्रीम कुछ भी नहीं दिलाया।“
“अबे गेंडे की दुम कितना जूठ बोलेंगा,” सागर अब अपना आपा खोने ही वाला था की,
“अरे सागर छोटा बच्चा है वो, एसे बेड वर्ड्स हमारे घर में नहीं बोले जाते। वैसे मेरी ही गलती थी मुजे विकास को रुपये देकर भेजना चाहिए था। अब मुजे क्या पता तुम इतने कड़के होंगे।“
सागर को गुस्सा आ रहा था पर वह जानता था की यहा उसकी बात सुनने वाला कोई नहीं था, जरना भी उसकी और तीखी नजर से देख रही थी। उसने चुप रहना ही मुनासिब समजा तब विकासने कहा,
“मम्मी मत डांटो मेरे जीजा को, उन्होने मुजे चार केंडी खिलाई और तीन बार राईड में भी बैठाया।“ आज पहली बार सागर को अपने साले पर प्यार उभर आया उयसका जी चाहा उसकी एक पप्पी लेले... पर उसने एसा सिर्फ सोचा किया नहीं,
बहोत ही पतली आवाज में खिहाते लगाती हंसी हँसते हुए मम्मीने कहा, “ओह माय गोद, सागर को बच्चे सँभलना जरा भी नहीं आता, तीन बार राईड और चार सुगर केंडी!”
मम्मिके साथ साथ अब उनकी बेटी की भी हसी छुट गई... मोटा विकास भी अपने आज शाम के कारनामे सुना सुना कर दोनों को और हसता गया... में बिचारा गरीब इंसान जीते जी राक्षस लोक में आ गया हु एसा महसूस करते मुह लटकाये खाना खाता रहा।
घर जाते जाते विकासने मुजसे लिपट कर कहा, “आई लव यू जीजाजी में कल फिर से आऊँगा!”
नियती कापड़िया।