Stoker - 1 in Hindi Detective stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | स्टॉकर - 1

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स्टॉकर - 1


स्टॉकर
(1)



नेशनल हाइवे के पास वाले जंगल में तीन दोस्त पिकनिक मनाने के लिए गए थे। उन्होंने एक जगह टेंट लगा रखा था। शाम होने वाली थी। उनका प्लान था कि वहाँ जंगल से लकड़ियां एकत्र कर बोन फायर किया जाए। इसके लिए वो तीनों जंगल में थोड़ा अंदर जाकर सूखी लकड़ियां बटोर रहे थे।
तीनों आपस में हंसी मज़ाक कर रहे थे। नमित ने अपने दोस्त करन से कहा।
"मान लो हमें जंगल में कोई भूतनी मिल गई तो ?"
करन कुछ जवाब देता उससे पहले ही मानव ने कहा।
"भाई डर तो हमें लगेगा। करन को तो दो साल का अनुभव है।"
मानव की बात सुन कर नमित खिलखिला कर हंस दिया। करन को गुस्सा आ गया।
"शटअप यू बोथ.....मेरे पर्सनल मैटर में मत घुसो।"
मानव और नमित दोनों चुप हो गए। मामला गंभीर होते देख कर मानव ने कहा।
"यार मज़ाक कर रहा था। तुम तो बुरा मान गए।"
करन का गुस्सा अभी कम नहीं हुआ था।
"ये मज़ाक नहीं है। तुम लोग दोस्त हो। जानते हो कि जो हुआ उससे मैं कितनी तकलीफ में हूँ।"
नमित ने करन के कंधे पर हाथ रख कर कहा।
"यार हम वही तो चाहते हैं कि तू उसे दिल से लगा कर मत रख। भूल जा और मस्त रह। वो तेरे लायक नहीं थी।"
मानव ने आगे बढ़ कर करन को गले लगा लिया।
"सॉरी यार....मेरा इरादा तेरा दिल दुखाने का नहीं था।"
नमित भी उन दोनों के गले लग गया। कुछ देर तीनों वैसे ही खड़े रहे। करन उन लोगों को हटाते हुए बोला।
"अच्छा ठीक है। अब अंधेरा होने से पहले लकड़ियां चुन लेते हैं।"
तीनों फिर लकड़ियां चुनने लगे। तीनों अलग अलग दिशा में चले गए। कुछ समय के बाद नमित ने करन को फोन किया। वह घबराया हुआ था।
"यार यहाँ एक गढ्ढे में लाश है।"
"क्या ?? तुम वहीं रहो हम आते हैं।"
कुछ ही देर में करन और मानव नमित के पास पहुँचे। नमित गढ्ढे से कुछ दूर खड़ा था। बहुत बदबू आ रही थी। तीनों ने नाक में रुमाल बांधा और गढ्ढे के पास गए।
पुलिस हेडक्वाटर में फोन करके करन ने बताया कि शहर के बाहर नेशनल हाइवे के पास जंगल में एक आदमी का शव मिला है। उसने बताया कि वह अपने दो साथियों के साथ जंगल में घूमने गया था तब उसके एक दोस्त ने गढ्ढे में पड़ी हुई लाश को देखा। वह बहुत घबरा गया। इसलिए अपने दोस्त की जगह वह फोन कर रहा है।
फोन पर सूचना मिलते ही पुलिस का एक दस्ता फौरन ही घटना स्थल पर पहुँच गया। लाश की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया।
एसपी गुरुनूर कौर को उसके वाट्सअप पर एक तस्वीर मिली। यह तस्वीर हेडक्वाटर से आई थी। साथ में मैसेज था।
'यह जंगल में मिली लाश की तस्वीर है। हुलिए से यह प्रसिद्ध कारोबारी शिव टंडन लगता है। तुम मिसेज़ टंडन को तस्वीर दिखाओ।'
दो दिन पहले कारोबारी शिव टंडन की पत्नी मेघना टंडन ने रिपोर्ट दर्ज़ कराई थी कि उनके पति लापता हैं। मेघना ने बताया कि उसने उन्हें तलाश करने की कोशिश की। पर उनका कोई पता नहीं चल रहा है। उनका मोबाइल भी स्विचऑफ है।
शिव टंडन के लापता होने का केस एसपी गुरुनूर ही संभाल रही थी। अब तक की जानकारी में जो बात सामने आई थी उसके हिसाब से शिव टंडन के पास कारों की डीलरशिप थी। उसका नाम शिव सेल्स एंड सर्विस सेंटर था। वह अपने ऑफिस से घर के लिए निकले थे। पर घर नहीं पहुँचे। उनका ड्राइवर दो दिनों से छुट्टी पर था। अतः उस दिन वह खुद ही अपनी कार ड्राइव कर रहे थे।
उनके फोन की आखिरी लोकेशन ऑफिस और घर के बीच ही दिखाई दे रही थी। मेघना का कहना था कि उन लोगों को एक पार्टी में जाना था। इसलिए रात करीब पौने नौ बजे उसने अपने पति शिव को फोन कर जल्दी आने को कहा था। ऑफिस में स्टाफ का कहना था कि शिव करीब नौ बजे ही ऑफिस से निकले थे।
शहर के पॉश इलाके शांतिविहार में शिव टंडन का आलीशान बंगला टंडन सदन था। एसपी गुरुनूर बंगले के हॉल में बैठी मेघना के आने की राह देख रही थी। कुछ ही समय बाद मेघना सीढ़ियों से उतर कर हॉल में आई।
मेघना की उम्र पैंतीस साल थी। पर वह अपनी फिटनेस का बहुत ध्यान रखती थी। इसलिए तीस से अधिक नहीं लगती थी। उसने आते ही सवाल किया।
"आपको शिव के बारे में कुछ पता चला।"
एसपी गुरुनूर ने उसे बैठने का इशारा किया। जब वह बैठ गई तो उसने अपने मोबाइल पर उसे जंगल में मिली लाश की तस्वीर दिखाई। तस्वीर देखते ही मेघना रोने लगी।
"नो...दिस कांट बी ट्रू.....शिव...."
एसपी गुरुनूर ने मेघना को संभालते हुए कहा।
"मिसेज़ टंडन हमें शहर के बाहर नेशनल हाइवे के पास के जंगल से यह लाश मिली है।"
"दिस इज़ शिव....ओ गॉड....ये क्या हुआ।"
"मिसेज़ टंडन प्लीज़ स्वयं को संभालिए।"
एसपी गुरुनूर ने पास खड़े नौकर को पानी लाने को कहा। मेघना ने पानी पिया। जब वह कुछ सामान्य हुई तो एसपी गुरुनूर ने पूँछा।
"आपका कोई रिश्तेदार है जिसे सूचना देनी है।"
"नहीं शिव के माता पिता कुछ साल पहले गुज़र गए थे। उसका कोई भाई बहन भी नहीं है।"
"और आपके कोई रिश्तेदार हैं जिन्हें मिस्टर टंडन की मौत की खबर देनी है।"
"नहीं मेरा भी कोई नहीं है।"
एसपी गुरुनूर ने मेघना के कंधे पर हाथ रख कर सांत्वना दी। मेघना ने पूँछा।
"मुझे मेरे पति का शव कब मिलेगा। लाश की हालत ठीक नहीं है। मैं जल्दी ही उनका अंतिम संस्कार करना चाहती हूँ।"
"पोस्टमॉर्टम के बाद आप मिस्टर टंडन का शव ले सकती हैं।"
"मिसेज़ टंडन आपको किसी पर शक है जो आपके पति की हत्या कर सकता है।"
मेघना इस सवाल को सुन कर रोने लगी। एसपी गुरुनूर को लगा कि यह पूँछताछ के लिए सही समय नहीं है। उसने कहा।
"मिसेज़ टंडन इट्स ओके...आप मिस्टर टंडन के अंतिम संस्कार कर लीजिए। फिर मैं आपसे बात करूँगी।"
एसपी गुरुनूर चलने के लिए खड़ी हुई। मेघना इस दुख की घड़ी में एकदम अकेली है। यह सोंच कर वह मन ही मन दुखी थी।
"मिसेज़ टंडन मैं आपकी कोई मदद कर सकती हूँ।"
"नो थैंक्यू.....मैं ठीक हूँ।"
"ओके टेक केयर...."
कह कर एसपी गुरुनूर चली गई।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार शिव टंडन को बहुत पास से दो गोलियां मारी गई थीं। हत्या लगभग 72 घंटे पहले हुई थी।
शहर के हर अखबार व न्यूज़ चैनलों पर मशहूर कारोबारी शिव टंडन की हत्या सुर्खियों में थी। पर जिस बात की सभी चर्चा कर रहे थे वह थी एक बड़े कारोबारी का बहुत ही सादगी के साथ दाह संस्कार किया जाना। शिव टंडन के शव को विद्युत शवदाहगृह में जलाया गया था। मेघना का कहना था कि यह उसके मरहूम पति की इच्छा के अनुसार ही किया गया है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पढ़ कर एसपी गुरुनूर सोंच में पड़ गई। जो जानकारी उसके पास थी उसके अनुसार शिव टंडन ऑफिस से घर के लिए निकले थे। लेकिन उसकी लाश एकदम विपरीत दिशा में शहर से दूर जंगल में पाई गई।
शिव टंडन शहर से इतनी दूर क्यों गए ? क्या उन्हें जबरन वहाँ ले जाकर मारा गया ? या फिर वह स्वयं ही इतनी दूर गए ? इसका अर्थ था कि जिसने उन्हें मारा वह उसे जानते थे।
इस समय एसपी गुरुनूर के पास केवल सवाल ही थे। उसे सही जवाब तलाश करना था। इस तलाश की शुरुआत मेघना से बात करके ही होनी थी।
शिव टंडन का चौथा हो जाने के बाद एसपी गुरुनूर एक बार फिर टंडन सदन पहुँच गई। नौकर ने उसे बैठाया और जाकर मेघना को सूचित किया। मेघना जब नीचे आई तो उसने हल्के रंग की एक साड़ी पहन रखी थी। चेहरे पर दुख झलक रहा था। उसे देख कर एसपी गुरुनूर खड़ी हो गई।
"मिसेज़ टंडन मैं जानती हूँ कि आप अपने पति की हत्या से बहुत दुखी हैं। पर हमें भी जल्द से जल्द मिस्टर टंडन के कातिल को गिरफ्तार करना है। इसलिए मैं आपसे कुछ सवाल करने आ गई।"
मेघना ने उसे बैठने को कहा। वह भी उसके सामने बैठ गई।
"मैं समझ सकती हूँ। मैं भी चाहती हूँ कि मेरे पति का कातिल पुलिस की गिरफ्त में आए।"
"थैंक्यू मिसेज़ टंडन...."
"उस दिन जब आपने पूँछा था कि क्या मैं किसी पर शक करती हूँ तब मैं कोई जवाब नहीं दे पाई। उस दिन मैं बहुत परेशान थी।"
"उस वक्त आप पर इतना बड़ा दुख आया था। ऐसे में बात बढ़ाना मैंने भी सही नहीं समझा था। पर आपने अकेले सब सहा। आप बहुत बहादुर हैं।"
"धन्यवाद.... बहुत समय से सब कुछ अकेले ही झेलने की आदत है। कुछ समय के लिए शिव का साथ मिला था पर....."
मेघना भावुक हो गई। पर जल्द ही उसने अपने आप को संभाल लिया।
"शिव के चौथे के बाद जब मैं शांत हुई तो मैंने आपके उस दिन के सवाल के बारे में सोंचना शुरू किया। बिज़नेस में शिव की किसी के साथ कोई आदावट नहीं थी। ना ही व्यक्तिगत जीवन में उसका कोई दुश्मन था।"
"मिसेज़ टंडन फिर उनकी हत्या किसने की होगी ?"
"मैं भी यही सोंच कर परेशान थी। शिव बहुत सुलझा हुआ व्यक्ति था। लेकिन कल रात मुझे एक बात याद आई।"
एसपी गुरुनूर आराम के साथ सोफे पर बैठी थी। कोई सुराग मिलने की उम्मीद से तन कर बैठ गई।
"क्या याद आया आपको ?"
मेघना ने थोड़ा संकोच के साथ कहा।
"एक लड़का अंकित सिन्हा कुछ महीनों पहले मेरा पीछा करता था।"
एसपी गुरुनूर और भी सावधान हो गई। एक नई कहानी सामने आने वाली थी।