The Author Rajesh Kumar Follow Current Read मैं अंधेरे में हूँ। By Rajesh Kumar Hindi Motivational Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books आखेट महल - 7 छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक... Nafrat e Ishq - Part 7 तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब... जिंदगी के रंग हजार - 15 बिछुड़े बारी बारीकाफी पुराना गाना है।आपने जरूर सुना होगा।हो स... मोमल : डायरी की गहराई - 37 पिछले भाग में हम ने देखा कि अमावस की पहली रात में फीलिक्स को... शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 23 "शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -२३)डॉक्टर शुभम युक्ति... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share मैं अंधेरे में हूँ। (6) 1.9k 9.2k "मैं अंधेरे में हूँ" एक ऐसी वास्तविकता है जो आज कल 90% लोगों के साथ घटित हो रही है अंधेरे का आशय यहाँ उन परिस्थितियों से है जब हम अपने भविष्य को लेकर इतने उलझ जाते है कि हमें ध्यान ही नही रहता कि हमें अब करना क्या है घोर निराशा में जकड़ कर एक जिंदा लाश बन जाते हैं ये वो स्थिति होती है जहाँ से निकलकर व्यक्ति सफलताओं की सीढ़ियों को चड़ता है या फिर अच्छी खासी जिंदगी को नरक बना लेता है और हर समय दुखी मन के साथ बस जिंदा भर बना रहता है। इस प्रकार की स्थिति आजकल युवाओं में देखने को बहुत मिल रही है। इस लेख में हम बात करेंगे आखिर ये परिस्थितियां क्यों आती है? इनका सामना कैसे करें ?इनसे बाहर कैसे निकल सकते है? आजकल जिसके पास जितना पैसा है वह उतना ही सफल माना जाता है क्योंकि सब कुछ पैसे के इर्द गिर्द ही घूमता है जिनके पास पहले से ही पैसा है वो और अधिक कमाने के चक्कर में लगे रहते है लेकिन यहां बात केवल मिडिल क्लास लोगों की बात कर रहे हैं, जब अविभावक अपने बच्चों को पढ़ता है तो बच्चे को पहले ही ये अहसास दिला दिया जाता है कि उसे खूब मेहनत करनी है अच्छे मार्क्स लाने है और कॉम्पटीशन क्लियर कर एक अच्छी सी नौकरी करनी है बस शुरू होती है जिंदगी की उधेड़ बुन जब तक लड़का या लड़की स्नातक या परास्नातक कर रहे होते है वो नौकरी की तलाश करने लगते हैं जबकि सभी जानते है कि आज 1 पद के लिए लाखों लोग होते है ऐसे में केवल एक का भविष्य होता है बाकी यूं ही डिग्री लेकर दर दर की ठोकरें खाते है उधर बढ़ती उम्र परिवार की ज़िम्मेदारी आगे क्या होना है ये सब चिंता उसे लगने लगती है और एक अच्छा खासा व्यक्ति फंस जाता है दुख अंधकार में अब यहां से उसके लिए सारे रास्ते धूमिल नज़र आते हैं अगर वो छोटी मोटी नौकरी कर भी ले तो खर्चे इतने कि जिंदगी ठीक से जी नही सकते कई बार तो देखने में आता है लोग आत्महत्या भी कर लेते हैं। इस सब के लिए जिम्मेदार है आज कल की शिक्षा नीति, जो आप को नौकरी पा सकने का रास्ता भर दिखा सकती है योग्यता प्रदान नही कर सकती। अगर किसी व्यक्ति को बी टेक की पढ़ाई कराइये जिसमें 30-35 लाख रुपये खर्च होते है वही काम एक बिना पढ़े व्यक्ति को सिखाइये तो वह केवल 1 वर्ष में उससे ज्यादा जानकर व्यक्ति साबित होगा फिर क्यों पैसा और समय बर्बाद किया जा रहा है। यदि आजकल युवा पढ़ाई के साथ साथ अपने आस पास की डिमांड के अनुसार कार्य सीखे तो वो एक सफल व्यक्ति बन सकते है। सबसे ख़ास बात हर व्यक्ति में एक विशेष योग्यता होती है जैसे लिखने, गाने, लीडरशिप, खाना बनाने, मैनेजमेंट, हंसाने आदि आदि उसी विशेषता को प्रोफेशनल बनाने पर ध्यान दिया जाए तो इन सब दलदलों से निकलना आसान है आधुनिक युग में हमें अपनी योग्यता दिखाने व उसी के बल पर पैसा कमाने का सबसे बड़ा हथियार है सोशल मीडिया। जिसके बूते लाखों लोगों ने आसपास ही नही बल्कि दुनिया भर में नाम कमाया है। एक लेखक लेख, कविता लिखकर कमाता है, गायक गा कर कमाता है, कपिलशर्मा हंसाकर कमाता है, कोई प्रवचन से कमाता है कोई होटल खोलकर कमाता है तो कोई नेता बनकर कमाता है तो कोई लोगों को राह दिखलाकर कमाता है और इसमें व्यक्ति की पढ़ाई का नही उसकी खुद की विशेषता का योगदान होता है बस आवश्यकता है अपनी विशेषता को प्रोफेशनल बनाने की और हिम्मत के साथ खड़े होने की। आज दुनिया में जितनी भी नामी हस्तियां है वो सभी हम और आप की तरह है बस उन्होंने अपनी योग्यता को पहचान और बढ़ निकले कामयाबी की डगर पर, आज एक चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री पढ़ाई से नही अपनी नेतृत्व क्षमता से बना है। आज निकालने की कला एक सामान्य व्यक्ति को भारत का अभिनेता बना देती है जिसमें उसकी पढ़ाई का एक अक्षर भी इस्तेमाल नही हुआ क्रिकेटरों, अभिनेताओं,राजनेताओं, व्यापारियों को कौन नही जानता सब के सब अपने कौशल के दम पर बने है न कि पढ़ाई के दम पर हाँ उनके नीचे काम करने वाले हजारों लाखों पढ़े लिखे काम करते हैं। तो कभी भी निराश मत होइए जरूरत है अपनी विशेषता को प्रोफेशनल बनाने की फिर आप एक सफल व्यक्ति बन जाएंगे।। Download Our App