Chintu - 20 in Hindi Fiction Stories by V Dhruva books and stories PDF | चिंटू - 20

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चिंटू - 20

रमादेवी की चेतावनी सुमति को समझ आ गई थी। इन लोगो ने जानबूजकर हमे अलग रखा है ताकि हम यहां से इकदुजे के बिना भाग न सके। क्या चाहते है ये लोग? बेला और रमादेवी के बाहर जाने के बाद सुमति कपड़े बदल देती है और अपने कपड़े सुखाने के लिए रख देती है। बाहर बारिश होने लगी थी। ठंड भी बढ़ रही थी। इवान ने उनपे ध्यान रख रहे एक आदमी से कहा- डाकू भाई साहब, आपको कोई परेशानी न हो तो हमे ओढ़ने के लिए कम्बल मिलेगा? बहुत ठंड लग रही है।क्यू
वह आदमी उससे कहता है- अभी ठंड कहा पड़ी है जो तुझे कम्बल चाहिए?
इवान- क्या बात कर रहे है डाकू भाई साहब, मौसम ठंडा तो हो गया है।
वह आदमी- हमे नहीं लगती ठंड तो तुझे कहा से लगी?
तब चिंटू कहता है- देखिए, आप यही माहौल में पले बड़े है तो आपको यहां का वातावरण सूट कर गया है। हम तो यहां के लिए नए है तो...।
वह आदमी कहता है- हा हा, ठीक है। अभी मंगवाता हुं।
फिर वह आदमी किसीको आवाज देकर कम्बल मंगवाता है।
तब इवान कहता है- साथ साथ गद्दे भी मंगवा ही लीजिए।
तो वह आदमी भड़क जाता है- बे साले, दावत पे आया है क्या को गद्दे मंगवाऊ। यही चट्टाई पे पड़े रहो वरना वह भी नसीब नहीं होगी।
चिंटू इवान को चुप रहने के लिए कहता है। और इवान अपने जीजस को याद करने लगता है और उस आदमी से फिर से पूछता है- आपके यहां किडनैप किए लोगो को खाना मिलता है?
चिंटू उसे फिर से चुप रहने को कहता है। साले तेरे चक्कर में मुझे भी भूखा रहना पड़ेगा। चुप नहीं रह सकता कुछ देर?
इवान- माफ़ करना पर जब मुझे भूख लगती है तब मै अपने आप ही बाते करने लगता हुं।
चिंटू- क्या विचित्र आदमी है तु!
इवान सिर्फ मुस्कुरा देता है। फिर से अपने साथ वाले आदमी से पूछता है- डाकू भाई साहब, खाना...?
वह आदमी चिल्लाकर किसी को बुलाता है और कहता है- अरे रामू देख तो खाना बन गया के नहीं। नहीं तो ये चक्रम मेरा दिमाग खा जाएगा।
कुछ ही देर में वह आदमी खाना लेकर आ जाता है और कहता है- ले मोटे, ठूस ले। अब बकवास की तो गोली से उड़ा दूंगा।
चिंटू और इवान देखते है कि खाने के लिए ज्वार की रोटी और आलू की सब्जी के साथ एक प्याज दिया गया था। उसे देख इवान कहता है- मै आपको मोटा कहा से लगता हुं? सिर्फ अस्सी किलो वजन है मेरा। और यार आलू खाने से मुझे गैस हो जाती है। कुछ दूसरा मिलेगा?
तो सामने बैठा आदमी फिर भड़क गया- दावत में आया है क्या साले? तेरे लिए छप्पन भोग मंगवाए? जो है खाले वरना भूखा रखूंगा अबकी बार बोला तो।
इवान ने चिंटू की तरफ देखा तो उसने आधी रोटी तो ख़तम भी कर दी थी। उसे देख इवान भी खाने लगता है। एक निवाला खाते ही खाने की तारीफ भी करने लगता है- अरे वाह! इतना स्वादिष्ट! यार चूल्हे पर बने खाने का मजा ही कुछ और है।
उसकी बात पर अब कोई ध्यान नहीं देता। यह देख वह चुपचाप खाने लगाता है।

****
इधर बेला भी सुमति के लिए खाना ले आती है। बेला सुमति का अच्छे से खयाल रखती है तो सुमति को लगता ही नहीं के वह किडनैप हुई है। और बेला के कपड़ों में वह बहुत खूबसूरत भी लग रही थी। बाहर बारिश बंद हो गई थी। कुछ लोग सुखी लकड़ियां लाकर उसे सभी तंबुओं के बिचो बीच जला रहे थे। बेला सुमति से कहती है- बाहर आसमान में बादल अब छंट गए है। तुम चाहो तो बाहर बैठ सकती हो। यह जगह पत्थरीली है तो सारा पानी नदी में चला जाता है। जमीन सुखने में देर नहीं लगेगी।
सुमति को चिंटू और इवान कि चिंता खाए जा रही थी। वह बेला से पूछती है- क्या चिंटू और इवान को खाना मिला? वे दोनों कैसे है?
बेला- हा चिरैया, दे दिया है। और दोनों वैसे ही है जैसे आए थे।
सुमति- ये चिरैया क्या होता है?
बेला हंसते हुए कहती है- चिड़िया, तुम्हे भी एक दिन यहां से चिड़िया की तरह उड़ ही जाना है।
सुमति- तुम्हारा मन नहीं करता यहां से बाहर निकलने का?
बेला- बाहर की दुनिया देख चुकी हुं। अकेली लड़की का जीना दुश्वार कर देती है दुनिया।
सुमति- तुम कभी न कभी शादी तो करोगी न? अच्छा यह बताओ तुम्हे कोई लड़का पसंद है यहां?
बेला फिर हसने लगती है- मै कभी किसी डाकू से शादी नहीं करूंगी। वरना मां की तरह मुझे भी भटकते हुए जिंदगी बितानी पड़ेगी।
बातो बातो में सुमति का खाना भी ख़तम हो जाता है। तो बेला उसे पूछती है दूसरा कुछ चाहिए तो। पर सुमति का पेट एक रोटी में ही भर जाता है। यहां वह अच्छे से रह रही है और वहा इवान और चिंटू को उसकी चिंता हो रही है। ये लोग ने उसे खाना दिया होगा या नहीं? टॉर्चर तो नहीं करते होगे न?

****
स्नेहा और राहुल कि आंखो से नींद ओज़ल हो चुकी है। स्नेहा राहुल से कहती है उन्होंने सौम्या को खाना दिया होगा या नहीं? उसके साथ कुछ गलत व्यवहार न किया हो।
राहुल उसे समझाते हुए कहता है- स्नेहा, दिग्विजय डाकू की छबि वैसे औरतो और बच्चो के मामले में अच्छी है। वह उन दोनों को कभी हानि नहीं पहुंचता। फिकर मत करो। इंस्पेक्टर जल्द से जल्द उन्हे ढूंढ़ लेगा।
स्नेहा- अगर सौम्या को कुछ हो गया तो?
राहुल- कुछ नहीं होगा, भगवान पर भरोसा रखो। सब ठीक हो जाएगा। हम इवान के घर फोन कर दे क्या?
तभी शोभना वहा आती है। दरवाजा खुला होने के कारण वह सीधे अंदर आकर कहती है कि हमें दो दिन राह देखनी चाहिए। क्या पता वे सब वापस आ जाए। खामखां उसके घरवाले टेंशन में आ जाएंगे।
स्नेहा- नहीं शोभना, हमे उन्हे बता देना चाहिए। कल को अगर कुछ हो गया तो...। हम इवान के घरवालों को क्या जवाब देंगे। तुम्हारे पास उसके घर का नंबर है?
शोभना- जी, उसके घर का लैंडलाइन नंबर है। इवान ने दिया था जब वह घर गया था तब। मै उसके घर फोन कर देती हुं।
स्नेहा- राहुल आपके पास पिया का नंबर है न? अगर ना हो तो मेरे पास है। हम उसके घर भी बता देते है।
राहुल- मेरे पास पिया का नंबर है। मै उसकी मां से बात कर लेता हुं।
शोभना और राहुल ने इवान और चिंटू के घर फोन कर दिया। हालांकि दोनों जगह बात राहुल ने ही की थी। और उन दिनों के घरवालों को तसल्ली भी दिलाई की जबतक वे हमे नहीं मिल जाते हम यही पर रुकेंगे। इवान के पापा ने तो वहां आने की जिद भी पकड़ ली। पर राहुल ने उन्हें दो तीन दिन के बाद आने के लिए कहा। शायद तब तक वे उन्हे छोड़ भी दें।
इवान के पापा- मेरे बच्चे को वो डाकू ले गए। मुझे कैसे यहां चैन मिलेगा?
राहुल- भाई साहब आप चिंता न करें। वे डाकू मासूमों पर अत्याचार नहीं करते। एक बार पता चल जाए उन्होंने ये किया क्यों है? फिर हम उनसे बात कर सकते है।
इवान के पापा- आप मुझे हर वक्त की अपडेट देते रहिएगा। मै और इवान कि मां दो दिन बाद वहा आ जाते है।
राहुल- आप चिंता न करें भाई साहब। इवान भी हमारे बच्चे जैसा ही है।

****
एक दिन जैसे तैसे बीत गया। दूसरे दिन एक आदमी पुलिस के पास पहुंचता है। वह उसे दिग्विजय का मैसेज देने आया था। थाने में इंस्पेक्टर हाज़िर था उसी से बात करने चला गया। उस आदमी ने इंस्पेक्टर से कहा- साहब मुझे एक आदमी मिला था रास्ते में। उसने बताया कि वह डाकू दिग्विजय का आदमी है। और उसने आपको मैसेज देने के लिए कहा है।
इंस्पेक्टर- कौन था वह आदमी और तुम्हें क्या बताया उसने?
उस आदमी ने कहा- साहब, मेरी साइकल रीपेरिंग और पंक्चर की दुकान है। दोपहर को खाना खाने के लिए घर जा रहा था तभी एक आदमी मेरे पास आया। उसने मुझे कहा कि थाने मै इंस्पेक्टर से कहना हमारे सरदार दिग्विजय के बेटे को रिहा कर दे। अगर ऐसा नहीं किया तो जो बच्चो को वह उठा ले गए है उसकी लाश मिलेगी। मै पहले तो घबरा गया पर जब किसी के बच्चे की बात आई तो मै तुरंत यहां आ गया। इतना कहके वह आदमी कहा चला गया वह पता नहीं मुझे।
इंस्पेक्टर- उसका हुलिया बता सकते हो? और वह किस दिशा में गया था?
उस आदमी ने बताया- वह तो बीहड़ों की तरफ चला गया और उसका हुलिया... उसकी दाढ़ी मूंछ बढ़ी हुई थी और आंखो पर बड़ा सा काला चश्मा पहने हुए था तो ठीक से चेहरा पता नहीं चला।
इंस्पेक्टर तुरंत ही दो कॉन्स्टेबल को लेकर उस दिशा में जाता है जहां इस आदमी ने डाकू को देखा था। जंगल के अंदर मोबाइल नेटवर्क न होने के कारण सुमति, चिंटू या इवान के मोबाइल भी ट्रैक नहीं कर पा रहे थे। काफी अंदर तक इंस्पेक्टर गया पर कहीं कोई नजर नहीं आया। तब वह जल्लाकर बोला- कहा गया कमिना? धरती खा गई या आसमान निगल गया? वैसे उसने अपने आदमी भी बेजे थे जंगल में। पर कोई खबर नहीं मिली थी डाकुओं की। गुस्सा करते हुए बोलते जाता है- पता नहीं ये साले जाते कहा है? एकबार एक भी दिग्विजय का आदमी हाथ आ जाए तो चीर दूंगा साले को।

जब वह वापस थाने आया तो स्नेहा और राहुल थाने में बैठे हुए थे। इंस्पेक्टर ने उन्हें अपने केबिन में आने का इशारा किया। जब दोनों वहा जाकर बैठे तब उसने अभी का सारा किस्सा सुना दिया। उनकी बात खत्म होते ही स्नेहा बोल पड़ी- तो आप उसके बेटे को छोड़ दीजिए। उस एक आदमी के सामने हमारे तीन बच्चे उसके पास है। देखिए अबतक हमने मीडिया को भी नहीं बताया है। अगर कोई हल न निकला तो हमे न्यूज चैनल में देना पड़ेगा। ताकि ऊपर तक यह बात जाए और ज्यादा फोर्स भेजकर हमारे बच्चो को ढूंढा जाए।
इंस्पेक्टर को पता था अभी एक मां अपना गुस्सा दिखा रही है जो के जायज़ था। वह स्नेहा और राहुल को शांत होकर ही जवाब देता है- आपका का गुस्सा करना बनता है मैडम। पर मै भी कल से चुप नहीं बैठा हुं। मैंने अपने आदमी कल से ही उन बीहड़ों में भेजे हुए है। आप मान रही है उतना छोटा एरिया नहीं है उसका। जो आदमी गए है वह अबतक वापस नहीं आए है। वे सब आप ही के बच्चो के लिए गए है। हम पूरी कोशिश कर रहे है आपके बच्चो को ढूंढ़ ने कि। आप फ़िक्र न करे। मै आपसे वादा करता हुं, मै उन्हे ढूंढ़कर ही लाऊंगा।

राहुल और स्नेहा पुलिस थाने से वापस अपने होटल जाते है। वहा पहुंचते ही उन्हे रिया और उसके बाकी फ्रेंड्स मिलते है। रिया स्नेहा से कहती है- आंटी क्या हुआ, पुलिस ने कोई जवाब दिया?
स्नेहा दुखी स्वर में कहती है- वे तहकीकात कर रहे है। जल्द ही सब मिल जाएंगे।
रिया उन्हे कहती है- आंटी हम आपसे मिलने आए थे। दरअसल हम सब वापस जा रहे है। मैंने पापा को बता दिया है यहां जो कुछ भी हुआ। उन्होंने हमे तुरंत यहां से वापस आने के लिए कहा है। और चिंटू और सबको वह बड़े पुलिस अफसर से बात करके छुड़वा लेंगे।
राहुल- तुम अभी अपने पापा को मना कर दो, वह अभी किसी से कोई बात न करे। बात बढ़ने से बच्चो पर कोई आंच न आए। यहां का अफसर होशियार है। किसी न किसी तरह वह उन्हे ढूंढ़ ही लेगा। तुम अभी फोन करके अपने पापा को मना कर दो की वह यह बात कही फैलाए नहीं।
रिया तभी अपने पापा को फोन करके सब बात कर लेती है। उसके पापा बात मान जाते है और साथ ही साथ कहते है- दो दिन में कोई नतीजा न निकला तो मजबूरन उन्हें यह बात ऊपर तक ले जानी होगी।
स्नेहा शोभना को भी रिया के साथ वापस भेज देती है।

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सुबह सुबह इवान और चिंटू को एक आदमी आकर उठा देता है। वह उन्हे अपने नित्यक्रम निपटाने के लिए बुलाने आया था। साथ में कहता है- तुम दोनों को नहाना है तो नदी में जाना पड़ेगा। तो तैयार होकर बाहर आ जाओ।
इवान- इसमें तैयार होने जैसी क्या बात है? चलो हम चलते है साथ मै।
धीरे से चिंटू को कहता है- शादी की दावत में बुलाने आया हो ऐसे तैयार होने को कहता है ये तो।?
चिंटू- अभी चुपचाप चलना भाई। क्या अभी से दिमाग की चटनी बना रहा है।
वे बाहर निकले तो सुमति बेला के साथ ही बाहर बैठी हुई थी। उसे देखकर चिंटू को पहले तो तसल्ली हुई के वह ठीक है। पर जब उसके कपड़े देखे तो उसे देखता ही रह गया। आज तक सुमति को कभी ऐसे कपड़ों मै नहीं देखा था। वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। मन कर रहा था कि अभी गले लगा ले उसे। पर मिले भी तो कैसे! चिंटू अपने ख़यालो में था तो इवान बेला को देखे जा रहा था। उसके मन में भी खयाली पुलाव पक रही थे- ' यार ये लड़की बहुत ही खूबसूरत है। डाकुओं की लड़कियां इतनी खूबसूरत होती है पता ही नहीं था।' जरा उससे बात करके आता हुं। इवान सुमति और बेला जहा बैठी थी वहा चलने लगता है। चिंटू भी उसके पीछे पीछे चलने लगाता है। उन दोनों को देख जो आदमी उनके साथ चल रहा था वह उन दोनों को नदी की तरफ चलने को कहता है। तो इवान कहता है- भाई ठहरो जरा, हमारी साथी को बंदी बना रखा है। जरा उसका हालचाल तो पूछने दो।
इवान सुमति के पास पहुंचकर उसे ठीक है कि नहीं पूछता है।
सुमति इवान के बदले चिंटू की तरफ नज़र करके बोलती है- मै ठीक हुं, और तुम? तो चिंटू भी उसे देखकर कहता है- मै ठीक हुं।
इवान महाशय बेला से पूछते है- आप कैसी है? बेला सिर्फ इवान के सामने देखती है कोई जवाब नहीं देती। तो इवान बातें करने के लिए पूछता है- वैसे मेरा नाम इवान है और आपका?
बेला के बदले सुमति जवाब देती है- इसका नाम बेला है। हमे सुरेश ने जिस लड़की के बारे में बताया था न जिसे दिग्विजय डाकू ने उन दो बदमाशों से बचाया था। यह वही लड़की है।
इवान- तभी मै सोचू ये डाकू की लड़की इतनी सुन्दर कैसे है?
बेला इवान के बोलने पर शरमा जाती है। फिर सुमति उन दोनों को फ्रेश होकर आने को कहती है। यहां नहाने के बाद ही चाय मिलती है। चाय पीनी है तो नहाकर आओ।

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चिंटू और इवान जैसे पानी में पैर रखते है तो उन्हें पानी बहुत ठंडा लगता है। इवान उसके साथ आए आदमी से कहता है- डाकू भाई साहब, नहाने के लिए पानी गरम नहीं मिलेगा?
वह आदमी कहता है- ये कोई फाइव स्टार होटल नहीं है। जल्दी करो, नहा लो। अभी मेरा चाय नाश्ता भी बाकी है तुम दोनों की वजह से।
चिंटू- हमारी वजह से? हमने कब मना किया है आपको चाय पीने से?
वह आदमी कहता है- सरदार का हुक्म था तुम्हे नहाने ले जाने का तो चाय पीना ही रह गया। अब जल्दी करो, वरना भूखे रहना पड़ेगा।
चिंटू- आपके सरदार कहा है? हमसे अभी तक मिले क्यू नही?
वह आदमी कहता है- मिलवा दूंगा तुम्हे सरदार से। पहले नहा लो।
ना चाहते हुए भी दोनों किनारे पर कपड़े उतारकर नदी में डुबकी लगा देते है। पहले तो पानी ठंडा लगा फिर मजा आने लगा दोनों को। साथ आया आदमी मुंह बिगड़े बैठा हुए था साथ में। दोनों के नहाने के बाद वह वापस उसी जगह आए जहा बेला और सुमति थी। तभी पीछे के टेंट से रमादेवी बाहर आती है और उन दोनों के हाथो मै चाय और नाश्ते में चपाती देती है। इवान का मुंह बिगड़ जाता है। वह चिंटू के कान में कहता है- चाय के साथ चपाती? ऐसा भी कभी नाश्ता होता है? रमादेवी यह सुन लेती है और मुस्कुराकर कहती है- यहां ऐसा ही नाश्ता होता है। तुम क्या नाश्ते में खाते हो?
चिंटू कहता है- जी मै सिर्फ चाय ही पिता हुं।
इवान- मै ब्रेड टोस्ट, अंडे और चाय पीता हुं।
रमादेवी- माफ़ करना पर यहां वो सब नहीं मिलेगा। इसी से काम चला लो।
अनमने भाव से इवान नाश्ता करने लगा। वह सोच रहा था क्या पाता दोपहर में खाना मिलेगा या नहीं। बहेतर है अभी तो खा लूं। वह बेला को देखे जा रहा था और नाश्ता किए जा रहा था। यह बात रमादेवी से छुपी न रही पर उस वक्त वह कुछ नहीं कहती।
चिंटू सुमति के बाजू में ही बैठ गया था। वह सुमति से पूछ रहा था- तुम्हारा चाय नाश्ता हो गया?
सुमति- हा, कब का। इन्होने तुम्हे परेशान तो नहीं किया न?
चिंटू- इनसे ज्यादा तो मुझे इस लंगूर ने परेशान कर दिया है। कहा से पकड़कर लाई हो इसे?
उसकी बात पर सुमति हस पड़ती है। चिंटू को तसल्ली हुई कि चलो कहीं से तो शुरुआत हुई बात करने की। बेला उन दोनों की आंखो में एक दूसरे के लिए प्यार देख रही थी।

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राहुल ने अबतक पुनिश को नहीं बताया था कि सौम्या का किडनैप हो गया है। पर जब पुनिश ने सौम्या को फोन किया और उसका फोन नोट रिचेबल आ रहा था तो उसने स्नेहा को फोन किया। स्नेहा का फोन लगने पर पूछता है- आंटी सौम्या का फोन क्यों नहीं लग रहा। मै सुबह से ट्राय कर रहा हुं। उसका फोन न लगने पर आपको फोन किया।
स्नेहा की आवाज जवाब देते वक्त भारी हो जाती है। वह पुनिश को सच्चाई बता देती है। पहले तो पुनिश गुस्सा कर बैठा- इतना सब हो गया और आप लोगों ने मुझे बताया तक नहीं।
स्नेहा- यहां के इंस्पेक्टर ने अभी सबको कहने से मना किया था। पर तुम यहां आ जाओ बेटा। मेरी बच्ची को ढूंढ़ निकालो।
पुनिश- हा आंटी, मै जरूर आऊंगा वहा। जितना जल्दी हो सके उतनी जल्दी मै वहा पहुंचता हुं।

थाने में इंस्पेक्टर ने अपने ऊपरी अधिकारी से बात कर ली थी। और बच्चो को ढूंढने के लिए ज्यादा पुलिस फोर्स मंगवाई थी। उसके अफसर ने कहा- देखो इंस्पेक्टर, हमे उन बच्चो को कैसे भी करके ढूंढना ही है। वरना यहां जो टुरीझम शुरू हुआ है वह बंद हो जाएगा। मुश्किल से लोगो के मन से डाकुओं का खौफ दूर हुआ है वह फिर से डरने लगेंगे।
इंस्पेक्टर- सर, मै पूरी कोशिश करूंगा उन बच्चो को बचाने की। पर सर वह डाकू अपने बड़े बेटे को छोड़ने के लिए कह रहा है। क्या कर?
वह अफसर कहते है- बड़ी मुश्किल से वह हाथ लगा है। हमे कोई न कोई रास्ता निकालना ही होगा। सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
इंस्पेक्टर- जी सर ऐसा ही होगा। जय हिन्द सर।
सामने से जय हिन्द की आवाज के साथ फोन कट हो जाता है।

क्रमशः