Nadan Dil - 3 in Hindi Fiction Stories by Divya Sharma books and stories PDF | नादान दिल - 3

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नादान दिल - 3


स्वप्निल मुझे डर लग रहा है अगर घरवालों को पता चल गया कि हम जिंदा है तो जिंदा जला देंगे हमें।"भयातुर हो लावण्या ने कहा।

"ऐसा कुछ नहीं होगा मुझ पर भरोसा तो है ना!"उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर स्वप्निल ने कहा।

"हाँ!"अपनी आँखों में चिंता को छिपाती वह बोली।

उसके चेहरे पर अपने चेहरे को झुका कर स्वप्निल ने माथे पर एक चुंबन दे दिया।दोनों की धड़कनें बढने लगी।होंठ दहक रहे।स्वप्निल के होंठ लावण्या के होंठों छूने लगे।वह शरमा कर हट गई।

"क्या हुआ लावण्या?"

"कुछ नहीं।"

"फिर ऐसे दूर क्यों चली गयी करीब आओ ना!"

"नहीं स्वप्निल।यह नजदीकी हमें रूसवा कर देगी।अभी हमारी शादी नहीं हुई है।पहले रस्मों में खुद को बांध तो ले।"

"तुम्हें प्रेम से ज्यादा रस्मों पर विश्वास है!क्या मेरा साथ होना मेरे प्यार की पाकीजगी को नहीं दिखाता?"

"ऐसी बात नहीं है स्वप्निल।डरती हूँ खुद से ही।"

"क्यों डरती हो?मैं हूँ ना तुम्हारे लिए।या फिर यकीन नहीं मेरी मोहब्बत पर?"मासूम सा हो वह बोला।

"ऐसा न कहो।खुद से ज्यादा तुम पर यकीन करती हूं।"

"झूठ!अगर ऐसा होता तो रूसवाईयों की बात न करती।क्या इतना भी अधिकार नहीं मेरा कि इन होठों की नमी अपने अंदर महसूस कर सकूं!"

"मेरे रोम रोम पर तुम्हारा अधिकार है।"कह कर वह उससे लिपट गई।

"कट..कट…!"तेज आवाज पार्श्व में गूंजी।

अचकचा कर मेघना अपने सहकलाकार से छिटक कर दूर हो गई।

जोर से तालियों की गड़गड़ाहट सुन वह भीड़ को देखकर मुस्कुरा दी।

अपने इतने नजदीक एक सुपरस्टार को देखकर भीड़ अनियंत्रित हो रही थी।वह लोगों के नजदीक गई और हाथ मिलाने लगी।

खुशी से चित्कार लगाते हुए लोग उसे छूने की कोशिश करनें लगे।वह बेपरवाह सी बस मुस्कुरा कर निकल गई।

"मैड़म!आज रात केवल कुमार के घर पार्टी है और आपको वहाँ जाना है।"सेक्रेटरी ने आकर अपडेट दिया।

"ओह.. गॉड!मन नहीं है मेरा।"सोफे पर निढाल हो मेघना ने कहा।

"मैम,यह जरूरी है आपकी अपकमिंग फिल्म के लिए यह वेलकम पार्टी है।आप नहीं जाओगे तो गॉसिप बन जायेगा।"सेक्रेटरी ने समझाते हुए कहा।

"तुम...तुम..ना बहुत खराब हो।"बच्चों की तरह मेघना ने कहा और कुशन मुँह पर रखकर लेट गई।

उसके इस बचपने पर सेक्रेटरी बस मुस्कुरा दी।

आलीशान बंगले और दौलत की ढेर पर बैठी मेघना अकेली थी बिल्कुल अकेली।एंक्टिग में नित नए आयाम छूती पर जिंदगी जैसे रूक सी गई थी।

कौन कह सकता था कि उसका दिल प्यार के लिए तरसता है।


...रात के आठ बजे होंगे।वह पार्टी के लिए तैयार थी।व्हाइट शोल्डर कट गॉउन में बला की खूबसूरत लग रही थी।चमकदार गुलाबी त्वचा की मल्लिका जिसे कोई लिपापोती की जरूरत नहीं थी।

उसकी सुंदरता के करोड़ों दिवाने ...लेकिन वह तो किसी और की ही दीवानी थी..वह भी इतनी कि उसकी बेवाफाई को भी वफा से निभा रही थी।

शीशे में खुद पर नजर डालकर वह रूम से निकल गई और कुछ देर में पार्टी वेन्यू पर थी।

गाडी से कदम बाहर निकालते ही चकाचौंध रोशनी उस पर पड़ने लगी।

उसका दूधिया लिबास आस पास की सारी रौनक को निगल गया।

साथी कलाकारों की ईर्ष्या भरी निगाहों का शिकार होती वह फोटोशूट करवाने लगी।

सबको होड़ मची थी सिर्फ मेघना की तस्वीर उतारे।

इस भीड़ में कहीं दो निगाहें भी उसे घूर रही थी।जाने क्या बेचैनी मेघना को हुई कि वह अपनी नजरों से किसी को तलाशने लगी।

"मेघना जी..वेलकम.. आइए प्लीज।"तभी केवल कुमार ने आकर मेघना को गले लगाकर वेलकम किया।

अपने को संभालते हुए मेघना अंदर चली गई और वह दो निगाहें उसके पीछे पीछे…


क्रमशः


दिव्या राकेश शर्मा