MIKHAIL: A SUSPENSE - 3 in Hindi Fiction Stories by Hussain Chauhan books and stories PDF | मिखाइल: एक रहस्य - 3

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मिखाइल: एक रहस्य - 3

'जोनाथन, मेरे साथ चलो।' रोबर्ट ने जोनाथन को ढूंढा और कहा। मिखाइल को ले जाने के बाद प्रेक्षकों की भीड़ ने अपना आपा खो दिया और शो में तोड़ फोड़ शुरू कर दी। जोनाथन अब अकेला था और उसे यह नही सूझ रहा था कि अब वो कहा जाएं।
मिखाइल के बाद रोबर्ट ही था जिस पर जोनाथन भरोसा कर सकता था और यही नही जब मिखाइल, मिखाइल नही बल्कि मुरली सिवाल बनकर अमरीका आया था तब रोबर्ट ही था जिसने उसे रहने के लिए ठिकाना और अपना गुजरान चलाने के लिए काम दिलवाया था।
कुछ ही सालो में अपने जादूगरी के हुनर के बलबूते पर मुरली ने अपनी एक अलग पहचान बनाली और अपना नाम मुरली सिवाल से बदलकर मिखाइल सिविक कर लिया। कुछ और सालो में तो जैसे मिखाइल जादूगरी की दुनिया का एक जाना माना चेहरा बन गया था और फिर उसने अपनी खुद की कंपनी 'धी ग्रेट म्युजिशन ऑफ शिकागो' की नींव रख दी।
मिखाइल के मुकाबले रोबर्ट कभी मिखाइल जैसा अमीर और लोकप्रिय नही बन सका लेकिन फिर भी, मिखाइल ने रोबर्ट का साथ कभी नही छोड़ा, क्योकि वो अच्छी तरह से जानता था कि जब उसे कोई नही जानता था तब रोबर्ट ही था जिसने उसको सहारा दिया था।
और आज भी रोबर्ट ही था जिसने मिखाइल के बाद जोनाथन को संभाला था।
'पुलिस डैड को कहा ले गयी अंकल जोनाथन?' सहमे से जोनाथन ने रोबर्ट से पूछा।
'सब ठीक हो जाएगा, मेरे बच्चे।' यह कहते हुए रोबर्ट ने उसे अपने गले से लगा लिया और उसे अपने साथ जब तक भीड़ का गुस्सा शांत नही हो जाता तब तक के लिए सलामत जगह पर ले गया।
'पैरी, जोनाथन का ख्याल रखना।' रोबर्ट ने जोनाथन को अपने एक लोते पुत्र पैरी के पास रखा और खुद मामला शांत कराने के लिए फिर से अपने स्टाफ के पास चला गया।
वैसे तो पैरी और जोनाथन दोनों हम उम्र के थे लेकिन हाल ही में हुए हादसों की वजह से जोनाथन पैरी के मुकाबले थोड़ा डरा और सहमा हुआ सा प्रतीत हो रहा था।
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एक रिपोर्ट के अनुसार मुग़ल शाशक शाहजहाँ द्वारा निर्मित प्यार के प्रतीक एवं दुनिया के सात अजूबों में से एक ताज महल को देखने वालों की दैनिक औसत १० से १५ हज़ार की है और सप्ताह के अंतिम दिनों में यह संख्या ५ से ६ गुना बढ़कर ६० से ७५ हज़ार तक हो जाती है।
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पुर्तगाल की लिस्बन में जन्मी अमांडा दा रोसा जो अपने सांठ के करीब थी और अमरीका के शिकागो शहर में अपने रिटायर्ड पति निक ओकले के साथ अपना निवृत जीवन यापन कर रही थी। आगे की अपनी जिंदगी दोनों पति-पत्नी ने अलग-अलग जगहों की यात्रा करते हुए बिताने की सोची थी। ताजमहल की यात्रा भी उनमें से एक थी।
लेकिन ताजमहल की यात्रा अमांडा ओकले ने कुछ अलग तरह से प्लान की थी। अमांडा चाहती थी कि वे लोग ठीक उसी तरह भारत तक पहुंचे जिस तरह पुर्तगाल के नाविक वास्को-डी-गामा ने साल १४९८ में की थी। मतलब केप ऑफ गुड होप से होते हुए मोज़ाम्बिक, और फिर मोम्बासा, मोम्बासा से मालिन्दी और फिर मालिन्दी से होते हुए कालीकट जो भारत के राज्य केरल में स्थित है। अमांडा ने यह भी पढ़ा था कि भारत आने के लिए वास्को डी गामा के साथ 170 लोगो का काफिला शामिल था और भारत पहुंचने तक उनमे से सिर्फ 55 लोग ही जीवित बचे थे। अमांडा को पता था कि भारत की यह यात्रा जिस तरह से उन्होंने प्लान की थी उस तरह से बहुत ही कठिन होनेवाली थी। खैर अब किसी युद्ध या और जान हानि का जोखिम नही था लेकिन फिर भी यात्रा को सहल बनाने के हेतु उनको किसी एक अच्छे से गाइड की आवश्यकता थी जो उनको उनकी यात्रा सुखद एवं यादगार बना सके।
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पिछले कुछ दशकों के हिसाब से इस दशक में दुनिया काफी बदल गयी थी और हर नए दिन कोई न कोई बदलाव होते ही रहता था। ऑनलाइन सर्विसेज़ भी एक तरह का बदलाव ही था। और इन्ही ऑनलाइन सर्विसेज में एल.एस.डब्ल्यू. भी एक थी, जिसका सम्पूर्ण अर्थ, लेट्स सी धी वर्ल्ड होता था। एल.एस.डब्ल्यू ऑनलाइन तरीके से यात्रा करने के शौखिन लोगो के लिए गाइड प्रोवाइड कराती थी। और जिसके स्थापक रोनी डी रोबर्ट थे।
अमांडा चाहती थी कि उनकी भारत यात्रा सुखद रहे इसलिए उन्हें कोई भारतीय मूल का या फिर कोई भारतीय गाइड मील जाए तो अच्छा होगा। अमांडा ने इससे पहले कभी भी एल.एस.डब्ल्यू की ऑनलाइन सर्विसेज का फायदा नही उठाया था। वेबसाइट में आगे बढ़ने के लिए अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी उसमे दाखिल करके रेजिस्ट्रेशन करना ज़रूरी था।
'कृपया हमें बताएं आप कहा जाना चाहते है' कुछ इस तरह लिखा हुआ एक सर्च बॉक्स वेबसाइट सबसे ऊपर बना हुआ था। अमांडा ने ज़रा भी देर किए बिना ही उसमे इंडिया लिख दिया और कुछ ही क्षणों के बाद जो लोग भारत मे गाइड के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे उनकी एक सूची सामने थी।
वेबसाइट की एक और खूबी यह भी थी कि वो उसके यूज़र्स द्वारा उनके गाइड्स को दी हुई रेटिंग्स भी दिखाती थी जिससे लोगो को यह पता चल सके कि कौनसा गाइड अच्छी सर्विस देता है और कौन नही।
महेश अस्थाना, रूपेश झा, जय सिवाल, मीनाक्षी डे, प्रिया तनवानी और बहुत से गाइड की लिस्ट उनके प्रोफाइल पिक्चर के साथ अभी अमांडा के सामने थी।
सबसे ज़्यादा रेटिंग्स के साथ महेश अस्थाना ऊपर थे जिनकी सेवाएं १००७ लोगो ने ली थी और उनकी रेटिंग्स ४.८ की थी। उनके ठीक नीचे रूपेश जा जिनकी रेटिंग्स ४.५ की थी और जिनकी सेवाएं ९७८ लोगो ने ली थी। और उनके नीचे जय सिवाल था जिसकी रेटिंग्स ४.१ थी लेकिन उसकी सेवाएं ८,२५६ लोगो ने ली थी।
अमांडा चाहती थी कि गाइड को नियुक्त करने में उससे कोई गलती न हो जाये इस लिये वो सभी गाइड्स के रिव्यु को पढ़ रही थी। उसने गाइड को नियुक्त करने के लिए अपने पति ओकले की भी सलाह ली और दोनों के सर्व सन्मति से जय को अपना गाइड बनाने का फैसला लिया।
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लिस्बन छोड़े सालो हो गए थे और अब अमरीका के शिकागो से लिस्बन से भारत तक जानेवाले क्रूज को ढूंढना आसान बात नही थी। और ऊपर से वास्को डी गामा ने जिस तरह से भारत आने की यात्रा तय की थी ठीक उसी तरह के गंतव्य स्थानों वाला क्रूज मिलना मुश्किल ही नही ना मुमकिन था और फिर थक हार कर अमांडा ने अपना भारत क्रूज में आने का प्लान त्याग दिया।
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अमांडा ने ठीक २ महीने बाद कि अपनी फ्लाइट बुकिंग की। अमांडा ने पढ़ा था कि ताजमहल वैसे तो साल के किसी भी समय देखा जा सकता है लेकिन विदेशियों के लिए ताजमहल देखने का उत्तम समय नवंबर से फरवरी तक का ज़्यादा अच्छा रहता है। नवंबर से फरवरी के दौरान यहां का मौसम अन्य माह के मौसम के मुकाबले ठंडा और खुशनुमा होता है। और इसी के चलते अमांडा ने शिकागो के ओहर इंटरनॅशनल एयरपोर्ट से क़तार एयरवेज़ की फ्लाइट नंबर QR-728 जो क़तार की राजधानी दोहा से गुजरती हुई मुंबई को पहुंचाती थी उसके २ टिकेट्स बुक किये।
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