adhuri havas - 13 in Hindi Horror Stories by Baalak lakhani books and stories PDF | अधूरी हवस - 13

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अधूरी हवस - 13

(13)

राज : ठीक थोड़ी देर चाय कॉफी पीके बाद मे निकलेंगे

मिताली : थक गए होंगे ना?

राज : नहीं तो मुजे आदत है, तो कोई फर्क़ नहीं पड़ता. वेसे भी रास्ता अच्छा है तो पता नहीं चलाता.

मिताली : हा तो खामखा हीरो गिरी झाड़ने मे मत रहना रास्ता अच्छा हे तो कर लिमिट मे चलाना, हा तो पता हें मुजे आप कितना तेज चलाते हैं हो इसीलिए मे कहीं भागे नहीं जा रही, यही पर हू इसी लिए बोल रही हू, जरा आकाश भैय्या को फोन दीजिए,

राज : क्यू क्या काम हे?
मिताली : आप दीजिए ना,
(राज आकाश को फोन देता है)
मिताली : आकाश जी कार की स्पीड क्या थी?
आकाश : जी वहीं जो नॉर्मल वोह चलाता है.

मिताली : मतलब 150km के ऊपर थी.

आकाश : नहीं नहीं.

मिताली : पाता हे मुजे आप उनकी तरफदारी ना करे, आप चला लेना कार वोह नहीं सुधरेंगे.

आकाश : ठीक हे ऎसा ही करूंगा.
(कहेके राज को फोन दे देता है)

राज : क्या उसको कहा?

मिताली : वोह हम दोना का सीक्रेट है, आपको नहीं बताऊंगी,

राज : ओह ऎसा क्या?

मिताली: हाँ, नहीं हम तो अब आईना हो गए हैं दोनों जो जेसा हे वैसा नजर आते हैं.

राज : नहीं अभी बहोत कुछ हे जो तुम शायद नहीं जानती.

मिताली : मुजे नहीं भी जानना जितना जानना था उतना आपको जान चुकी हू, और उतना काफी हे मेरे लिए.

राज : ठीक है जेसी तुम्हारी मर्जी, चलो अब सो जाओ, तो बाते बाद मे भी हो सकती है,

मिताली : हा सो जाती हू जब देखो तब चुप ही करा देते हो, लव यू बाइ

राज ओर आकाश ढाबे पे कॉफी का ओडर करते हैं, और बातों मे लग जाते हैं,

आकाश : आपको केसे पता कि गाड़ी रुकते ही मिताली का फोन आ जाएगा.

राज : पता नहीं पर उसे पता चल जाता है, મે घर से जेसे ही कदम बाहर निकालता हू तुरंत फोन आता है एक सेकेंड की भी कभी देर नहीं होती, जेसे ही ऑफिस के नीचे गाड़ी पार्क करता हू फोन आ जाता है पहुंच गए करके, ऎसा नहीं कि टाईम देख कर, कभी लेट निकला तो भी कभी कभी मे जान बुज कर जल्दी निकालूँगा तो तभी आ जाएगा, पता नहीं यार क्या जुड़ा हे हम दोनों का धड़कने जुड़ी हे या एक जिस्म हे.

आकाश : आपको भी एसा होता हे?

राज : में अगर सोच भी रहा होता हू ना कि वोह क्या कर रही होगी तो चलो फोन करके पूछलू तब उसका फोन सामने से आ जाता है. मुजे कुछ समज ही नहीं आ रहा कि इसके साथ क्या करू कभी कभी सोचता हूँ कि और कि तरह इसको भी इसका इस्तमाल कर के रिश्ता खत्म करदु, पर दिल मना करता हे, मेरा दिल उसके दिल को दुखाने को राजी ही नहीं है, और तूजे तो पता हें हमारे रिश्ते का कोई भविष्य नहीं हो सकता कितना भी हम कोशिस करले, थोड़े ही दिनों में तेरी भाभी को बच्चा होगा उन का भी तो सोच ना पड़ता है, एक तरफ मेरा दिल मिताली का साथ चाहता है, प्यार ना हो उसके साथ जीने से अच्छा जिसे प्यार करते हैं या जो आपसे प्यार करता है उसके साथ रहे, तू अच्छी तरह से जनता हे मेने शादी किस वजह से की ही, तूजे उसके बारे में बताने की जरूरत तो नहीं है, पर वोह मेरी जिम्मेदार हैं जो मुजे जिंदा रहू तब तक उठानी पडेगी,

आकाश : पर भाई जान उसकी भी तो मंगनी हो गई है उसका क्या?

राज : वही तो दिक्कत हे मुजे, मिताली भी उससे परिवार के खातिर शादी कर रही है, वोह सूरज के साथ खुश नहीं है, और मेरे उसकी लाइफ आने के बाद तो और वोह पक्का हो गई है, मिताली की बातों से कभी कभी मेरे दिल मे एक डर सा लगा रहेता है, कहीं वोह कुछ गलत ना कर बेठे, हमेशा मुजे ये डर खाए जा रहा है, हाँ मेंने अभी तक मिताली को लव यू का रिप्ले भी नहीं दिया ओर वोह कहती है मुजे जरूरत भी नहीं की आप मुह से बोल कर अह्सास कराए, वोह कहती है मुजे आपको गले लगाते ही अह्सास हो गया था कि आप के दिल में मेरे लिए कितना प्यार हे, आप भले ही मुजे ना बताये, अगर मे उसे कहेदु की हाँ मे भी तुमसे बहोत प्यार करता हू और तुम्हारे साथ जीना चाहता हूं, तो बावल मचा देगी, खुशी के मारे तुम सोचो बिना कहे वोह मेरे साथ इतनी खुश हैं, तो अगर बोल दु तो क्या होगा.

आकाश : तो फिर किस नतीजे पर हे आप कुछ तो तय किया होगा ना?

राज : कुछ तय नहीं किया ऊपर वाले के भरोसे छोड़ दिया है, उसकी जो मर्जी होगी वोह होगा उसने मिलाया है तो कुछ तो सोचा होगा हमारे बारे मे वर्ना हमे मिलाता ही क्यू? इस हालातों में. कुछ तो तय किया होगा उसने.

आकाश : आप दोनों शादी करते हैं तो परिवार को माना के, आप को भी प्यार हे उनसे तो.
राज : मेरी आत्मा मुजे इजाजत नहीं देता, तीन तीन परिवार की बात है सब की जिंदगियां तबाह कर के कोन खुश रह पाएगा, मिताली के पापा नहीं है, और जिस लड़के से उसकी शादी होने वाली है, उसके भी पापा नहीं, और इधर मेरा बच्चा आने वाला हे जो अभी इस दुनिया मे आया भी नहीं है, सब की जिंदगी मे ज़हर घोल कर
हम हमारी सेज केसे सजाये तू ही बता.

आकाश : मे क्या आपको बताऊ मुजे कोई समस्या होती है तो आपके पास आता हू, वेसे वक़्त पे छोड़ कर अच्छा किया देखते हैं क्या रंग आता है आप लोगों के प्यार का.

(राज की आवाज थोड़ी भारी हो जाती है बाते करते करते, तभी मिताली का फोन आ जाता है )

राज : देख आ गया ना फोन उसका यह ही बात मुजे उससे जोड़े रखती है, तू सुन अभी
(राज फोन उठाता है और स्पीकर पर डालता है)

मिताली : हैलो कहा पहुंचे आप लोग? आप ठीक तो हे ना?

राज : हा मे ठीक हू तुम क्यू वापिस जाग गई?

मिताली : मेरा गला सुख रहा था थोड़ी बेचनी लगने लगी थी तो पानी पीने चली आई,

राज : अभी भी ढाबे पर ही हे.
(बीच मे ही रोकते हुवे)

मिताली : ये आपकी आवाज को क्या हुवा दबी दबी सी क्यू हे, आप ठीक नहीं है, क्या हुवा मुजे बताये?

राज : अरे बाबा कुछ नहीं हुवा, ठंडी हवा चल रही है, तो तुम खामखा दूसरा दूसरा मत सोचों.

मिताली : आप आकाश जी को दो तो, क्या हुवा हे ये ठीक तो हे ना ए जूठ बोल रहे हैं मुजसे अभी सही सही नहीं बताते, सच क्या है आप बताये.

आकाश : अरे कुछ नहीं हुवा हवा ठंडी चल रही है खुले मे बेठे है शायद इस लिए आवाज दबी हुई आपको लगी.
(उनको दीजिए)

मिताली : आप थक गए हों तो वहीं कहीं होटल मे रुक जाइए, आराम होने के बाद चलना.

राज : तुम बात को इतना सीरियस कर देती हो ना कुछ भी तो नहीं हुवा, तुम आराम से सो जाओ बार बार उठ जाती हो फोन बंध करके सो जाओ, वर्ना मे बंध कर देता हूं,

मिताली : नहीं नहीं आप फोन ऑफ मत करना मे सो जाती हू आपको परेशान नहीं करूंगी, आप ख्याल से आइए आराम से कार तेज मत चला ना, याद रखना कोई इंतजार मे हे आपके.

राज : हा बाबा चलो अच्छे बच्चे बड़ो की बात मानते हैं,

मिताली : ओह पापाजी आ गए, जी जो आप कहे, सम्भाल कर आना, पक्का कुछ नहीं हुवा आपको?

राज : अरे तुम को कहा इतनी बार समाज नहीं आता सीधी तो बात बता रहा हू.

मिताली : गलती हो गई गुस्सा मत करो मे सो जाती हू बाय बाय.

आकाश तो अचम्भे मे चला जाता है क्या कनेक्शन हे आप लोगों का कुछ समज नहीं आता मुजे इधर आप उसकी फिक्र कर के परेशान हो रहे थे और वोह वहा महसूस कर रही थी ग़ज़ब रिश्ता बनाया है ऊपर वाले ने आपका मान गए भाई,

राज : इसी लिए तो मे फिक्र भी करू तो वोह वहा तड़प महसुस करती हे, इसलिए मुजे हर हाल मे खुश रहना पड़ता है, और रहेता भी हू
वर्ना रो रो कर बुरा हाल कर देती ये तो तुम साथ थे तो जल्दी मान गई वर्ना मुह से बुलाए बिना छोड़ती ही नहीं वोह जान कर ही दम लेती, चल चलते हे धीरे धीरे अभी तो 300km की दूरी तय करनी हे वहा जा के ही आराम करेंगे.

आकाश : भाई सिगरेट और पानी की बोतल ले लू ना

राज : हा लेलो वर्ना नींद आने लगेगी.

दोनों निकल जाते हैं ढाबे से मिताली के गाव की ओर गजल सुनते सुनते 150km की रफ्तार से रास्ता कट रहा होता है, ढाई घंटे मे मिताली के गाव के पास वाले टाउन आ जाता है दोनों वहीं रूम बुक कर के कमरा ले लेते हैं, और सो जाते हैं वहा पर और साथ ही मिताली के फोन पे एसएमएस छोड़ दिया कि हम पहुच गए हैं और होटल मे कमरा ले लिया है और सो ने जा रहे हैं तुम 11am बजे से पहेले हमे उठाना मत प्लीज़ सोने देना
मेरी प्यारी पगली लिख कर भेज दिया और दोनों सो गए.

क्रमशः..........

देखते हे आगे कहानी मे राज मिताली से मिलता है और क्या खिचड़ी पकती है दोनों मे, राज दिल की सुनेगा या दिमाग की मानेगा

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मेरी भाषा मे परफेक्शन नहीं होगा पर कहानी को आपको पढने मे रूचि बने रहे वहीं कोशिश मेरी रहेगी, और आप के सुझावों से सुधार भी करने की कोशिश रहेगी
मेरी कहानिया पढ़ने के लिए आप लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करता हू