बधाई से आर आई पी तक
यशवंत कोठारी
इन दिनों सोशल मीडिया पर जिन शब्दों का सब से ज्यादा मिस यूज हो रहा है उन में इन शब्दों का रोल सबसे ज्यादा है.सुबह उठते ही फेस बुक , वाट्स एप या कोई अन्य साईट खोलो इन शब्दों की झंकार कानों में बिना पड़े नहीं रहती .हालात ऐसे हैं पाठकों कि कहीं भी किसी का भी निधन हो जाये बस आर आई पि को चिपकाइए और आगे चल दीजिये. इस बात का कोई मतलब नहीं की मरने वाला कोन था, दाग कब है,उसकी मौत केसे व् कब हुई , उसके घर परिवार की क्या स्थिति है ,क्या उसे किसी मदद की जरूरत है? ये सब बाते गौण है. रिश्तेदार भी नमन शब्द से का म चला लेते हैं. बहु त हुआ तो जरूर आता मगर बाहर हूँ.बस आर आई पी...आर आई पी.कुछ मामले तो मैंने ऐसे भी देखे की एक ने गलती से किसी अन्य पोस्ट पर आर आई पी लिख दिया बाद वालों ने बिना समय गवाएं इस शब्द को फोलो कर दिया. मन में कुछ भी हो विश तुरंत कर दो,याने विष वमन में देर न करो.
ऐसा ही एक और शब्द है बधाई.
कोई मामला हो तुरंत बधाई हाज़िर, हर मौके की बधाई फेस बुक पर उपलब्ध है. जन्म दिन की बधाइयों का तो ये हा ल है की मेल बॉक्स भर जाता है, किसी को नहीं पता जिसे वे बधाई दे रहे हैं वो कौन है क्या करता है, बस बधाई का बटन दबाओ का म खत्म .
फिर शादी की साल गिरह की बधाई, धर्म पत्नी व् गर्ल फ्रेंड बॉय फ्रेंड के जन्म दिन की बधाई . बधाई है की खत्म ही नहि होती .
कभी किसी खास अवसर पर बधाई ली और दी जाती थी उसका महत्व भी था, मगर अब मान न मान मैं तो बधाई दूंगा, ले बधाई. और पाठकों आगे हालत ये की इस शब्द को ही लाईक करने वालों की लम्बी लाईन, यह लाईन इस उम्मीद से की आप हमें भी जल्दी से जल्दी हमारी बधाई व् लाईक का चुकारा करेंगे.सोशल साइट्स पर ये उधारे कवे ज्यादा दिन नहिं चल ते, आप चूके तो आपको अन फ्रें ड किया जा सकता है, अत:जल्दी से जल्दी इस का चुकारा करते जाये.यदि ज्यादा समय निकल जाये और कोई आपको उधार के कवे नहीं चुकाए तो समझ जाइये मामला गड़बड़ है और यदि सामने वाला जी ऍफ़ बी ऍफ़ है तो तुरंत संभल जाइये.
शोक व्यक्त करना एक स्वस्थ भारतीय परम्परा है और बधाई देना भी जन्म सिद्ध अधिकार की तरह है .लेकिन अति सर्वत्र वर्जते .
इन साइटों पर फर्जी ,अफवाहें भी खूब चलती है. आप ने किसी की पोस्ट पर नमन या आर आई पि लिख दिया और वो जिन्दा निकलता है तो बड़ी तकलीफ होती है , इसी प्रकार आप बधाई दे देते है की आपको पुरस्कार मिला या सम्मान मिला ,मगर बाद में पूरा मामला अफवाह सिद्द्ध होता है तो बड़ी दुखद स्थिति का सामना करना पड़ता है . मेरे साथ ऐसे हादसे हो चुके है. एक सज्जन को बधाई दी की आप मंत्री बन रहे है, उन्होंने बंद गले का कोट बनवा लिया , मगर अंत समय मे उनका नाम कट गया वे मुझ्से आज तक नाराज है. एक गंभीर बीमार को मैंने आर आई पि लिख दिया उनका परिवार आज तक मेरे से नाराज है वेसे वे कुछ समय और जी भी लिए तो क्या नो के तेरह कर लिए , लेकिन हमारी परम्परा ऐसी नहीं है .
दोस्तों बधाई में तो कंजूसी न करे मगर आर आई पि का जरूर ध्यान रखे. पूरा लेख पढने के बाद आप की इच्छा मुझे आर आई पि कहने की हो रही होगी ,मगर मेरी और से लेख पढने की बधाई .०००००००००००००००००००००००
यशवंत कोठारी
८६,लक्ष्मी नगर ,ब्रह्मपुरी जयपुर-३०२००२
मो-९४१४४६१२०७