Beta hi hoga in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | बेटा ही होगा...

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बेटा ही होगा...

दोस्तों, कभी कभी मेरे दिमाग मे कई बार सवाल आते हैं, जिनका जवाब मैं समाज से पूछना चाहता हूं |

दोस्तों आज मैं अपने इन प्रश्नों और विचारों को कहानी का रूप देकर आप लोगों के साथ शेयर कर रहा हूं, तो आइए चलते हैं.....

रोहित - "अरे सीमा सुनो, क्या तुमने कोई हमारे बच्चे के लिए नाम सोचे हैं" ?

सीमा ने मेज पर चाय रखते हुए कहा, "हां मैंने बहुत नाम सोचे है, तुम चाहो तो डायरी में पढ़ सकते हो, कुछ लड़की के और कुछ लड़के दोनों के नाम मैंने लिख रखे हैं, तुम्हें जो पसंद आए उन पर टिक कर दो " |

रोहित सीमा को घूरते हुए बोला, " लड़की के नाम का क्या होगा? हमारा लड़का ही होगा लड़का नहीं " |

सीमा ये बात सुनकर दुखी हो गई और बोली," अगर लड़की हुई तो"

रोहित सीमा की बात काटते हुए बोला," लड़की कैसे होगी, लड़की होगी तो तुम अबॉर्शन करवा लेना, मेरा दोस्त डॉक्टर है, तुम्हें कोई परेशानी भी नहीं होगी, कल चलो मैं सोनोग्राफी करा कर आते हैं "|

सीमा दुखी होकर अपने कमरे में चली गई और भगवान से प्रार्थना करने लगी कि रोहित को सद्बुद्धि दें, बेटियां ही नहीं होंगी तो संसार आगे कैसे चलेगा |

अगले दिन रोहित सीमा को अपने दोस्त के हॉस्पिटल ले गया, सोनोग्राफी के बाद पता चला कि गर्भ में लड़की है, रोहित ने तुरंत अबॉर्शन कराने को कहा लेकिन सीमा नहीं मानी, रोहित के दोस्त ने भी काफी समझाया पहला बच्चा है अबॉर्शन कराना ठीक नहीं |

सीमा और रोहित में झगड़ा हो गया, अस्पताल में भीड़ लग गई कई लोग इकट्ठा हुए, सब लोग रोहित को घूर घूर कर देख रहे थे कि कैसा आदमी है, आजकल के नए जमाने में लड़का लड़की में फर्क करता है | अरे आजकल तो लड़कियों की शिक्षा दीक्षा पर सरकार भी कितना प्रयास कर रही है |

लोग तमाम बातें कर रहे थे और रोहित को यह सब सुन सुनकर गुस्सा आ रहा था, वह तेजी से चिल्लाया और बोला, "चुप रहो तुम सब.. जो आज तरह-तरह की बातें कर रहे हो, वो कल मूक बधिरो की तरह सामने खड़े रहेंगे, जब मेरी इस बेटी को सड़कों पर बेइज्जत किया जाएगा, तुम में से कोई आगे नहीं आएगा, जब इनको बसों ट्रेन और हर जगह भेड़िए की भूखी नजरों से देखा जाएगा, अरे मैं बेटी से नहीं घबराता बेटियां तो घर की लक्ष्मी होती हैं लेकिन उनकी सुरक्षा का जिम्मा कौन उठाएगा? मैं हर वक्त अपनी बेटी के साथ नहीं रह सकता लेकिन कोई ना कोई तो रहता है |

समाज में हमारे चारों और हम बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन किसी भी बेटी पर जब अत्याचार होता है खुलेआम तो हम सिर्फ वीडियो बनाते हैं, सोशल मीडिया पर लाइक और कमेंट के लिए, ना कि उनके लिए आगे बढ़ते हैं उनकी सुरक्षा की ना बात करते हैं | अरे मैं कैसे इस बेटी को जन्म लेने दो जिसका पता नहीं कि 6 महीने बाद कोई उसका रेप कर दे, अरे मुझे सोच कर ही शर्म आती है 6 महीने की बच्चियों के साथ रेप होता है, छोटी-छोटी बच्चियों के अंग काट दिए जाते हैं, मैं अपनी बेटी को क्यों पैदा करूं इसीलिए उसके छोटे से शरीर के कई टुकड़े हो जाएं मांस के चिथड़े हो जाएं, उस दर्द से अच्छा है, मैं अभी इसको विकसित होने से पहले ही हमेशा के लिए मुक्त कर दूँ, क्योंकि मैं अपनी बच्ची के साथ ऐसा अत्याचार नहीं देख सकता क्योंकि मैं जिस समाज में जी रहा हूं वो इंसानों का नहीं है, भूखे वहशी भेड़ियों का है और जब तक इस समाज में ऐसे भूखे वहशी भेड़िए घूम रहे हैं, मैं इस बेटी को जन्म नहीं लेने दूंगा |

आप लोग नहीं समझते की जब एक बेटी पे अत्याचार होता है तो एक बाप के कलेजे पे क्या बीतती है" |


रोहित की बात सुनकर सब शांत हो गए, सब सोच में पड़ गए क्योंकि रोहित की बात बिल्कुल सच थी, रोहित ने फिर से चिल्लाकर कहा," क्या मेरी इस बेटी के जन्म बाद तुम लोग उसकी सुरक्षा का जिम्मा उठाओग?, क्या उसका हर पल साथ दोगे ? उसे अपनी बेटी मानोगे?

अगर तुम मुझे वचन दो तो मुझे इस बेटी को जन्म देने में कोई परेशानी नहीं, मैं इस बेटी को बेटे की तरह पालूंगा, लेकिन क्या तुम सब इसे बेटे की तरह समझोगे, ये बेटी महज कोई खिलौना नहीं, जिसे खेल कर तोड़ दिया जाए, इसमें भी भावनाएं होती हैं, इसे भी सिर उठा कर जीने का अधिकार है, माँ - बाप के लिए बेटा और बेटी दोनों बराबर होते हैं, आजकल के इस गंदे समाज मे अगर कोई बाप अपनी फूल सी बच्चियों को ना जाने कैसे बड़ा होने तक संभाल भी ले तो शादी के बाद क्या जिम्मेदारी है कि वह बेटी सुरक्षित रहेगी? वह दहेज प्रताड़ना का शिकार नहीं होगी? वह घरेलू हिंसा का शिकार नहीं होगी?


अगर आप सब लोग मुझे यह वचन दे कि हां यह इसका शिकार नहीं होगी तो मुझे कोई परेशानी नहीं है इस बच्ची को जन्म देने में"|

सारे लोग हैरान और चुप थे, यह सोचकर की बात तो रोहित सच्ची कह रहा था तभी रोहित ने डॉक्टर से कहा," डॉक्टर साहब आप अबॉर्शन की तैयारी कीजिए"|

डॉक्टर ने रोहित की बात समझ कर अबॉर्शन की तैयारी करनी शुरू करदी |

सीमा रोए जा रही थी तभी एक नौजवान युवक आगे बढ़ा और उसने रोहित का हाथ पकड़कर कर कहा, "मैं आपको वचन देता हूं कि मैं आपकी बेटी की रक्षा करूंगा" |

उसको देख कई सारे लोग प्रेरित होकर आगे आए और सब ने वचन दिया कि हम आपकी बेटी की रक्षा करेंगे और हम समाज की हर बेटी की रक्षा करेंगे उनपर होने वाले जुर्म के खिलाफ आवाज उठाएंगे, ऐसे करके अस्पताल में मौजूद सारे लोग रोहित को वचन देने लगे, यह बात पूरे शहर में फैल गई और शहर से पूरे समाज में सभी ने एक दूसरे की बेटियों की सुरक्षा के लिए एक दूसरे को वचन दिया और बेटियों पर होने वाले अत्याचार को मुंहतोड़ जवाब देने का संकल्प लिया |

कुछ महीनों बाद रोहित के घर में एक फूल सी नन्ही प्यारी बेटी हुई जिसके जन्म लेने से रोहित सीमा और सभी लोग बहुत खुश थे | रोहित ने उस घटना के बाद फिर कभी नहीं कहा कि, "बेटा ही होगा..." |

दोस्तों ये थे मेरे कुछ विचार, जिन्हें मैंने कहानी का रूप देकर प्रस्तुत किया, उम्मीद है आप लोगों को
पसंद आयेगा |
धन्यवाद |