भाग-2
सागर पहली बार बहुत बेचैन था । सुबह जल्दी ही जग गया, क्योंकि शशि से मिलने का उसे बेसब्री से इंतज़ार था । उससे क्या क्या कहना है , वह आएगी या नही , यदि नही आई तो क्या होगा, आदि बहुत कुछ सोंच रहा था । वक़्त बड़ी तेजी से गुजर रहा था । घड़ी की सूइयां 9 बजा रही थीं , उसने शशि को 11 बजे का समय दिया था । वह देर करके कोई गलती नही करना चाहता था, इसलिए तैयार होकर, समय से पहले ही पहुँच गया । नवम्बर - दिसम्बर के सर्द मौसम की सुबह और सूरज की मध्यम ताप वाली किरणे, फ़िज़ा को सुहाना बना रही थीं । सागर बीते हुए लम्हों में इस कदर खो गया कि समय का ध्यान ही नही रहा, सड़क के किनारे खड़े-खड़े 12:00 बज चुके थे , शशि नही आई । सागर बेचैन होने लगा , कभी सोंचता की हो सकता है घर के कामकाज में लगने की वजह से देर हो गई होगी , शायद कुछ देर में आ जायेगी । उम्मीदें उसके इंतज़ार को लम्बा कर रहीं थीं और उसके न आने का डर बेचैन कर रहा था । घड़ी की सूइयां अपनी गति से चलती जा रही थीं । काफ़ी वक़्त बीत गया शशि नही आई । अब सागर को यकीन हो गया था, कि शशि उससे प्यार नही करती और वह मायूस लौट आया । उसे गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन अपना हाल कहता तो किससे ? अपनी तकलीफों को वह पन्नो पर उतारते हुए भूल गया ।
अगले माह जनवरी में जब फिर से पोलियो उन्मूलन अभियान चला तो एक बार सागर और शशि फिर एक दूसरे के सामने थे ।
शशि:-हेल्लो सागर ! कैसे हो ?
न चाहते हुए भी सागर को सबके सामने बोलना पड़ा ।
सागर:- ठीक हूँ । उम्मीद है तुम भी ठीक ही होगी ।
शशि का जबाब स्वयं देकर वह बात को खत्म करना चाहता था । लेकिन शायद शशि बात को यहीं खत्म नही करना चाहती थी । उसने सागर से कहा.....
शशि:-अगर इस मौसम के फूल हर मौसम में इयूँ ही खिलते रहें तो कितना अच्छा होगा न सागर ?
सागर चुप रहा । शशि ने फिर से पूछा :- बताओं न सागर, तुम्हारा क्या खयाल है ?
सागर:- सबकी अपनी-अपनी सोंच होती है । तुम्हे अच्छा लगता है तो ठीक है ।
इतना कहकर सागर फिर चुप हो गया । शशि बात आगे बढ़ाए कि इससे पहले वीरू सर आ गए । हाय ! हेल्लो ! हुआ और वीरू सर ने टीम बनाना शुरू किया । सबसे पूछा गया कि कौन किसके साथ रहेगा । शशि ने सागर के साथ रहने के लिए कहा , लेकिन सागर ने मना कर दिया । वीरू सर को थोड़ा अजीब लगा उन्होंने पूँछा-......
वीरू :-क्या हुआ ? तुमको कोई परेशानी है ? तुम्हारी टीम में तो सब ठीक ठाक मेम्बर ही हैं !
सागर:-सर , आप कोई भी टीम दें, लेकिन शशि के साथ नही ।
सागर की नाराजगी वीरू सर को अजीब लगी ।
वीरू:- क्या हुआ ? इतने दिनों बाद मिले हो, आपस में मिलकर हँसी खुशी रहना चाहिए । आते आते कोई बात हो गई क्या ?
सागर वीरू को कुछ भी नही बताना चाहता था इसलिए उसने कहा । अच्छा ! ठीक है सर, आप चाहे जिसके साथ भेजें , मुझे कोई दिक्कत नही ।
वीरू सर सागर की आँखों की नाराजगी को पढ़ चुके थे, इसलिए उन्होंने सागर की टीम से शशि को बदल दिया । सभी टीमें अपने-अपने क्षेत्र में चली गईं ।
लंच से कुछ समय पहले वीरू सर सागर से कार्य क्षेत्र में मिलने आए ।
वीरू:-(टीम के अन्य सदस्यों को सम्बोधित करते हुए)..तुम लोग काम करो मैं सागर से कुछ बात करना चाहता हूँ ।
वह सागर को एक चाय की दुकान पर ले गए । चाय वाले से दो चाय देने की लिए कहा । तब सागर से कहने लगे .....
देखो सागर अभी तुम मुझसे बड़े नही हुए हो, कि मैं तुम्हरे मन की बात न जान सकूँ ।
तुम शशि को चाहते हो न ?
सागर:-(झिझकते हुए) ....नही । किसने कहा ?
वीरू:-झूठ मत बोलो । मुझे सब पता है । सच बताओ ।
सागर:-सर अगर कहूँ कि चाहता था , तो ?
वीरू:- तो क्या ? मैं तुम्हारे रिश्ते के लिए उसके घर वालों से बात कर लूंगा ।
सागर:-(अपने मन के क्रोध पर नियंत्रण खोते हुए) सर कहीं आप अपने फायदे की तो नही सोंच रहे ?
वीरू:-सागर तुम्हारी जगह कोई और होता तो इतना कहने की हिम्मत न कर पाता । लेकिन मैं तुम्हे अपना छोटा भाई मानता हूँ । इसलिए समझा रहा हूँ ...
तुमने मेरे बारे में जो भी सुना उसमें कुछ सच्चाई जरूर है, लेकिन तुम जो सोंच रहे हो वह सब सही नही है । शशि एक बहुत अच्छी लड़की है वह भी तुम्हे चाहती है । अगर मुझे पहले पता होता तो , जो हुआ शायद वह न होता । तुमने कभी बताया भी तो नही ।
सागर:-सर, छोड़िए यह सब । जो हुआ उसे यहीं पर खत्म कर देते हैं । मैं भी आपका बड़ा सम्मान करता था , और अब भी करता हूँ, लेकिन कभी कभी गुस्सा आ जाता है कि आप भी !!!
वीरू:- देखो सागर सबकी जिंदगी में कुछ न कुछ गलतियां हो जाती हैं । इसका मतलब यह नही की वह इन्शान बिल्कुल गलत है । शशि ने मुझे सब कुछ बताया है । अब गुस्सा थूक दो, अगर तुम उसे प्यार करते हो तो जिंदगी को नए सिरे से शुरू करो ।
सागर:- नही यह प्यार नही है । सर , यही बात अगर शशि ने मुझसे कही होती तो शायद कुछ और बात होती । उसने एक बार फिर मुझसे ज्यादा आप पर भरोसा किया । मेरे बुलाने पर आई भी नही मैं बेकूफों की तरह उसका इंतज़ार करता रहा, उसने मुझे धोखा दिया ।
नही यह प्यार नही हो सकता । शायद शशि और मैं यहीं तक साथ थे ।
नादान मोहब्बत की तीसरी कहानी बिखरते ख़्वाब अगले भाग में...