पापा की आवाज़ सुनकर सोनम को वहीँ ड्राइंग रूम में छोड़कर संकेत पापा की कमरे की तरफ भागा । अचानक गैलेरी की खिड़की का शीशा भड़ाक की आवाज़ के साथ टूटा । गनीमत थी कि संकेत खिड़की से 3 फ़ीट की दूरी पर था । एक पल में ही पापा, माँ और सोनम सब वहां इकठ्ठे हो गए ।
खिड़की सड़क की तरफ खुलती होती तो शायद पत्थर लगने का शक भी होता पर उस खिड़की का दूसरा सिरा स्टोर रूम में खुलता था । आखिर ये शीशा इस तरह कैसे टूटा यह एक रहस्य ही था ।
"तुझको लगी तो नहीं ।" माँ संकेत का चेहरा, हाथ और कन्धा परखते हुए बोली ।
"नहीं नहीं माँ ! आई एम क़्वाइट ओके...... वो पुराना हो गया था न तो टूट गया । कोई इम्पोर्टेन्ट बात नहीं है ।" संकेत ने कहा ।
"कैसी बात कर रहे हो संकेत । शीशा ऐसे नहीं टूट सकता । किसी ने तोडा है ।" सोनम ने रहस्यमयी अंदाज़ में बोला ।
"कौन तोड़ेगा ? पापा बेडरूम में थे माँ किचेन में और तुम वहां सोफे पर । छोड़ो इस बात को...." संकेत ने बात टाल दी और माँ की तरफ मुड़ कर बोला," माँ मौका भी है दस्तूर भी, कचौड़ी बना कर खिला दो आज ।
"चल ठीक है, मैं तैयार कर लेती हूँ ।" इतना बोल माँ किचेन की तरफ चल दीं ।
"पापा, सोनम यहीं रुकेगी 15 दिन ।" सबको नोर्मल कर दिया था संकेत ने पर पापा और संकेत एक दूसरे को जिन नज़रों से देख रहे थे दोनों को मालूम था कि यह अपने आप नहीं था ।
संकेत ने सोनम को उसके कमरे में छोड़ा और स्टोर रूम की दीवारें खंगालने लगा । अचानक लगा जैसे कोई खड़ा हो पीछे । संकेत झटके से पलटा तो पापा को पाया पीछे ।
"छोड़ दे, मैं पहले ही सब चेक कर चुका हूँ । कुछ नहीं है इस कमरे में शक करने लायक ।" पापा ने आश्वस्त किया संकेत को ।
"पर पापा ये शीशा टूटा कैसे?" संकेत ने सवाल किया ।
"पता नहीं ! अभी हम दर्शक हैं बेटा । देखते जाओ क्या क्या होगा ।" पापा बोले ।
"कहीं पापा सच में चुड़ैल ही तो नहीं..... !" संकेत बोला ।
"कुछ बोल नहीं सकता बेटा । अगर चुड़ैल भी हुई तो उसका भी सामना किया जायेगा । तू बिलकुल फ़िक्र न कर । तेरा बाप बड़ा कमीना इंसान हैं बेटा इतनी जल्दी किसी को जीतने नहीं देगा ।" पापा बड़े कॉन्फिडेंस में बोल रहे थे ।
संकेत को कुछ ज़वाब ही नहीं सूझा पापा की इन बातों का तो झटके से गले लग गया ।
"चलो चलो चलो, कचौड़ी रेडी हैं । अंकल, संकेत जल्दी आओ ।" सोनम थाली बजाकर चिल्ला रही थी ।
डाइनिंग टेबल पर इत्तेफाक से संकेत और सोनम आमने सामने बैठ गए । सोनम की तिरछी सी नज़र संकेत को टोहने में लगी थी और संकेत बार बार नज़र को चुराता फिर बाँधता और फिर हटा लेता ।
आँखों की ये गुस्ताखियां रात के दस बजे तक चलती रहीं । शायद माँ और पापा भी नोटिस कर रहे थे उन दोनों की यह लुकछिपी ।
"संकेत मुझे खाने के बाद वाक करने की आदत है , इफ यू डोंट माइन्ड, थोड़ी देर वाक करोगे मेरे साथ ।" सोनम ने चाशनी में डूबी ऐसी आवाज़ में संकेत से दर्ख्वास्त की कि वो मना ही नहीं कर सका ।
दोनों घर से बाहर निकल आये । ढेर सारी बातें, मुस्कराहटें, नज़ाकत और शोखियाँ, क्या नहीं शामिल था उस वाक में । कभी कभी गलती से संकेत और सोनम के हाथ लड़ जाते तो सोनम अदा से सॉरी बोल देती ।
दोनों को टहलते हुए आधा घंटा बीत चुका था,"चलो संकेत अब नींद आ रही है, चलते हैं ।" सोनम ने संकेत से बोला ।
जैसे ही दोनों घर की तरफ घूमे एक अनजान सी चीज़ तेज़ गति से दोनों के सामने आ कर गिरी । घबरा कर संकेत से लिपट गई सोनम । संकेत के हाथ काँप रहे थे । जेब से मोबाइल निकाला , फ़्लैश लाइट जलाई तो रूह तक हिल गई दोनों की । एक सर कटी बिल्ली की लाश दोनों के कदमों के ठीक नीचे पड़ी थी ।
सोनम भी इतनी डरी हुई थी कि शायद जम गई थी वहां । संकेत ने सोनम का हाथ थामा और घर के अंदर ले आया ।
"संकेत, मुझे अकेले नींद नहीं आएगी । आंटी से पूछ लो अगर उनके कमरे में सो जाऊं ।" सोनम वाकई बहुत डरी हुई थी ।
संकेत ने माँ के कमरे का दरवाज़ा खटकाया,"माँ ज़रा सोनम को सुला लेना अपने पास । पहली बार घर से बाहर निकली है तो अकेले थोड़ा डर गई है ।" संकेत ने माँ के दरवाज़े पर खड़े होकर चिल्लाया । "सोनम माँ को ये सब मत बोलना, प्लीज ।" और धीरे से सोनम को भी हिदायत दे दी ।
अकेले तो संकेत को भी नींद नहीं आने वाली थी तो पापा के कमरे की तरफ बढ़ लिया । पापा रोज़ की तरह अपना रीडिंग टारगेट पूरा करने में लगे थे ।
"पापा, आपाधापी में भूल गया, आपने आवाज़ लगाई थी शाम को...." संकेत दरवाज़े पर खड़े खड़े ही बोला ।
"हां......... ! आ भीतर आ । उस पर्स में एक अंगूठी में मैन्युफैक्चरर को नाम मिला है । 'एस जे जे' नाम की ज्वेलरी शॉप से खरीदा गया है उसे । कुछ तो सुराग मिलेगा ही उस दुकान से ।" पापा संकेत के हाथ में अंगूठी देते हुए बोले,"चल कल मिल के आते हैं उससे ।"
संकेत ने अपना सर पापा के सीने पर टिका दिया । जिस पिता से वो हमेशा दूर भागा करता था आज वो ही बाप सबसे मजबूती के साथ उसके साथ खड़ा था । संकेत को वाकई यकीन आ गया था कि पापा के रहते हुए कोई उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता ।
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