Nakaam ya asahaay prashasan in Hindi Short Stories by NR Omprakash Saini books and stories PDF | नाकाम या असहाय प्रशासन

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नाकाम या असहाय प्रशासन

बात सितम्बर माह की हैं। जब एक 12वी पढ़ने वाली 15 वर्षीय लड़की समाज और परिवार के किसी भी सदस्य से मदद नहीं मिली तो प्रशासन से ही मदद कि एक मात्र आखरी उम्मीद लगा बैठी। उसको लगा अब इस बेरहम समाज में एक मात्र प्रशासन ही है जो मेरा साथी बन सकता है। इसी उम्मीद को लेकर वो बच्ची पाबंद दीवारों को तोड़कर अपने करीबी दोस्त के जरिए। संभागीय जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अपने नवजीवन और सपनों की उड़ान के नाम की एक चिट्ठी भेजवा दी।

पूरा मा म ला - 15 वर्षीय बच्ची की इच्छा के विरुद्ध घर वाले 27 वर्षीय लड़़के के साथ शादी करवा रहे थे। इस से घुस्साएं लड़की अपने करीबी दोस्त के जरिए जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक को अपने बचाव पक्ष ने अर्जी दाखिल करवा दी। जिसमे माता पिता के सहित ससुराल वाले और अन्य समाज के पांच लोगो के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नाम लिखें गए। लड़की के ससुराल जाने के 15 दिनों बाद प्रशासन हलचल में आई। वह भी लड़की के द्वारा सम्बन्धित पुलिस थाने में कॉल करके अपनी अर्जी की सूझबूझ लेने और महिला विभाग हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके शिकायत करने के बाद।

लड़की द्वारा कॉल करने के 1 घण्टे के मध्यान पुलिस प्रशासन लड़की के घर ओर ससुराल पहुंचकर शिकायत सम्बन्धित लोगो के साथ लड़की को लेकर पुलिस चौकी पहुंची।

चौकी में पहले लड़की के घर, ससुराल ओर समाज के अन्य पांच लोगो से पूछताछ की गई।
जिसमे समाज के लोगो ने मां बाप के गरीब होने की स्थिति बताते हुए बच्ची का बालविवाह करने की बात की गई।
लड़की के मां बाप ने लडके वालो की तरफ से बन रहे निरन्तर दबाव का कारण बताकर अपने बचाव के पक्ष में बात रखी।
तकरीबन 1 घण्टे की पूछताछ में लड़की आपबीती बताती हुई अपनी पढ़ाई को जारी रखने, बालिग होने तक उसके ऊपर कोई भी ससुराल जाने का दबाव ना बनाने की इच्छा जाहिर की थी।
पुलिस ने लड़की से केस करने के हिम्मत ओर साथ देने वाले का नाम पूछने पर उसने बताया कि - किस कदर उसके दोस्त ने उसका हौसला अफजाई करते हुए उसकी मदद की थी। पुलिस द्वारा उस दोस्त का नाम पता बताने की स्थिति में लड़की ने नाम बताने से इंकार कर दिया।
सभी पक्ष की बात सुनकर पुलिस प्रशासन ने लड़की के घर ओर ससुराल वालो को समझौता करने की राय देकर दो दिन बाद वापस बुलाया।
दो दिन में परिवार ओर ससुराल वालो के साथ समाज के लोगो ने लड़की को केस वापस लेकर ससुराल जाने के लिए समझाया, डराया, दबाव बनाने की नाकाम कोशिशें की। मगर लड़की सिर्फ एक ही ब्यान पर काबिल थी मुझे पढ़ना है अभी घर परिवार ओर ससुराल के चक्कर में नहीं पड़ना है।

जब लड़की के तरफ से नकरात्मक परिणाम मिले तो सभी ने प्रशासन को ही अपनी बात मनवाने का तरीका निकालने का प्रयास करने लगे आखिरकार ये फॉर्मूला काम आ ही गया। बहुत कुछ कम रकम में ही पुलिस वाले केस रफादफा करने को राजी हो गए। लड़की के ससुराल वालो की भी राजनैतिक नेताओं से अच्छी खासी जान पहचान होने के कारण प्रशासन पर दबाव बनाया गया ।
आखिरकार नाकाम ओर घुस के आगे असहाय प्रशासन के सामने लड़की को हार का सामना करना पड़ा।
लड़की की इस अदृश्य हिम्मत को देखते हुए समाज के लोगों द्वारा भविष्य में ऐसी हरकत ना करने ओर घटित होने वाली घटनाओं की जिम्मेदार स्वयं होने के अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाकर एक समझौते के तहत ससुराल भेज दिया।