Udhde zakhm - 8 in Hindi Love Stories by Junaid Chaudhary books and stories PDF | उधड़े ज़ख़्म - 8

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उधड़े ज़ख़्म - 8



अचानक सुम्मी की सांसे तेज़ होने लगी और वो कांपने लगी,घबरा कर मेरी आँख खुली मेने देखा वो परेशानी में मुब्तिला है,

मेंने फ़ौरन नर्स को आवाज़ लगाई,नर्स और डॉक्टर दोनों भागे भागे आये,ब्लड प्रेशर चेक किया वो हाई हो रहा था,हार्ट बीट बढ़ रही थी,सिनियर डॉक्टर ने अपनी पूरी जी जान लगा दी लेकिन सुम्मी को बचा न सके, उसे हार्ट अटैक आया और वो दुनिया के सारे बन्धनों से आज़ाद हो गई,पहले उसके पैर हिले,फिर हाथ और फिर आंखे पथरा गयी,में उसे खड़ा बस देखता रहा।

किस से कहूं के एक सरापा वफ़ा मुझे

तनहाईयों में छोड़ कर तन्हा चली गयी।।

ये मेरे लिए बहुत बड़ा सदमा था, न मेरी आँखों से आंसू निकले न में अपनी जगह से हिला,बस बुत बना खड़ा उसे देखता रहा,घर की जितनी औरतें थी सबने रोना शूरू कर दिया, सुम्मी के पापा भी कुछ देर बाद आकर वहीं बैठ गए,मेरी मामी ने सुम्मी के पापा से कहा सुम्मी को ले चलो, तो सुम्मी के पापा ने कहा डॉक्टर कह रहा है जब तक पोस्टमार्टम नही हो जायेगा बॉडी नही मिलेगी, जब ये पोस्टमार्टम लफ्ज़ का गर्म शीशा मेरे कानों में पड़ा तो मुझे होश आया,और मैने कहा में सुम्मी के जिस्म पर अब एक घाव भी नही आने दूंगा,उसकी जान ले लूंगा जिसने इसे हाथ भी लगाया तो,मैने बाहर खड़े पापा के गले लगा लिया,और रोते हुए कहने लगा पापा ये लोग सुम्मी का पोस्टमार्टम करने को कह रहे है, इसे रोक लीजिये पापा,में सुम्मी के जिस्म पर अब एक ओर घाव भी नही चाहता,में नही चाहता कोई भी इंसान उसे छुए,उसे देखे,आप ज़िन्दगी भर जो कहोगे में करूँगा पापा, बस सुम्मी को इन दरिंदो से बचा लीजिये पापा।


पापा ने मेरे सिर पर हाथ रखा और कहने लगे फिक्र मत कर बेटा,कोई हाथ नही लगाएगा तेरी सुम्मी को,पापा ओर भाई ने अपने सभी बड़े कांटेक्ट को फ़ोन लगाना शुरू कर दिया,हॉस्पिटल में शहर के नामी वक़ील ओर नेता जुटने शुरू हो गए,इधर वो अधिकारी भी अपनी टीम के साथ आ पहुँचा जिसको मेने सुबह गिरेबान पकड़ के हड़काया था,उसने बॉडी लेने के लिए कागज़ बनवाने शुरू कर दिए,इधर वकीलों ओर नेताओ ने उस से पोस्टमार्टम टलवाने के लिये ज़ोर लगाना शुरू कर दिया,लेकिन वो मान ने को तैयार नही था,जब सोर्स से काम नही बना तो पापा ने उसे रिश्वत की पेशकश कर दी, उसने वो पेशकश भी ये कह कर ठुकरा दी कि क्या आप सब लोग ने इसे मिल कर मारा है जो इसका पोस्टमार्टम नही होने देना चाह रहे, पापा के ज़ोर लगाने और पैसों की पेशकश की मांग उसने अपने से बड़े अधिकारियों के सामने रख दी,क्योंकि पापा का रसूख़ काफी था जिसकी वजह से ये केस हाई प्रोफाइल हो गया,मीडिया भी इखट्टा हो गयी,और पोस्टमार्टम रुकवाने की कोशिश करने की वजह से आरोप भी पापा के ऊपर लगने लगे,के उनके बेटे से शादी न करने की वजह से उन्होंने ही जला कर मरवाया है उसे,और फिर ख़ुद ही हॉस्पिटल लेकर पहुँच गए,दबाव में आकर लड़की ने बयान नही दिए इनके खिलाफ।

अब कोई रास्ता नही बचा था,मेंने जाकर उस अधिकारी के पैर पकड़ लिए और कहा तुम्हारी बेज़्ज़ती का बदला तुम मुझसे ले लो, मुझे मार लो पीट लो, मुझे पीटते हुए हर चौराहे पर घुमा लो, लेकिन मेरी सुम्मी के साथ ऐसा मत करो,उसके जिस्म को नुकसान न पहुँचाओ, उसकी अस्मत को रेज़ा रेज़ा न करो, पर न जाने इन सरकारी लोगो का दिल किस मिट्टी का बना होता है, वो ज़रा भी न पिघला,और कागज़ात ओर सुम्मी की बॉडी लेकर पोस्टमार्टम हाउस की तरफ एम्बुलेंस से निकल गया।



अस्पताल के पिछले गेट से निकल कर ज़रा से फासले पर ही पोस्टमार्टम हॉउस था,रोते रोते में भी गाड़ी के पीछे पीछे भागता हुआ वहां पहुँच गया, वहाँ एक सीमेंट से बने चबूतरे पर सुम्मी को लेटा दिया गया,और हम में से किसी को भी उसके पास जाने की इजाज़त नही थी 5 पुलिस वाले गन के साथ उसके आस पास खड़े थे, आधा घण्टा इसी तरह बीत गया,उसके बाद पोस्टमार्टम करने वाला डॉ० दो नकाब पॉश आदमियों के साथ आया,ऊन दोनों नक़ाब पोशों ने शराब पी रखी थी,जिसकी बदबू उनके पास से गुज़रते ही महसूस हो गई,मेंने वहां हंगामा खड़ा कर दिया कि ये कैसे डॉ० है जो शराब के नशे में धुत्त हो कर आये है,में इन शराबियों को हाथ नही लगाने दूंगा,में बिखर कर पोस्टमार्टम हाउस में जाने लगा,जहाँ मुझे पुलिस वालों और मेरे घर वालो ने रोक लिया, में अपना पूरा ज़ोर लगा रहा था,लेकिन 5 लोगो की ताकत के आगे में पतला दुबला लड़का कहा तक टिकता,मुझसे एक पुलिस वाले ने कहा बेटे ये भंगी है,बिना शराब पिये पोस्टमार्टम नहीं किया जा सकता,डॉ० खड़े हो के बस बताता है,चीर फाड़ सब ये भंगी ही करते है।

कितनी आसानी से कह दिया था उसने ये चीर फाड़ का लफ्ज़, जो गर्म अंगारो से जलता हुआ मेरे दिल मे जा घुसा था, ये सुनते हुए भी न जाने कैसे मेरी सांसे चले जा रही थी,इतना सुन ने के बाद भी दिल ने धड़कना क्यो नही बन्द किया था,में उन पांचो की गिरफ्त में ज़ोर लगा लगा कर थक कर ज़मीन पर गिर गया,पुलिस वालों ने भी अब मुझे छोड़ दिया,मेरा भाई मेरे साथ ज़मीन पर बैठ गया,में भाई से कहने लगा और कितनी ज़लालत लिखी है भाई सुम्मी के नसीब में, और कितनी लाचारी लिखी है मेरे नसीब में,आख़िर क्यों हम इतने मजबूर हैं कि हमारी सुम्मी के मरे हुए जिस्म को भी चीरा जा रहा है,उसके मरने के बाद भी उसके दो टुकड़े किये जा रहे है,हाए मेरी किस्मत भाई,में ज़ारो कतार रोये जा रहा था,मेरी दहाड़े चारो तरफ गूंज रही थी,आँखो से आंसू खत्म हो चुके थे ओर आंखे खून रोने को तैयार थी,रोते रोते मेरी सांसे तेज़ हो चुकी थी,जिसकी वजह से बाहर खड़े सब लोग सुम्मी को भूल कर मेरी हालत सुधारने में लगे थे,खलेरे भाई नोमान ने मुझे पानी लाकर दिया,उसके ज़बरदस्ती इसरार करने पर एक घूंट पानी पीते ही मुझे फंदा लग गया, इतने में मामा भी आ गए,और आने के बाद मेरी कमर पर हल्के हल्के हाथ से सहलाने लगे,कहने लगे चुप हो जा,और मेरी बात सुन,जब तेरे पापा ओर में सुम्मी के यहाँ गए थे उस वक़्त आधी कच्ची पक्की रोटी मेने ही बनाई थी,तेरे पापा तो मुझे ऐसे बात समझा कर चले गये थे,लेकिन मेंने वहाँ हर चीज़ को टटोल कर देखा,वहां मुझे कोने में एक पर्चा मुड़ा हुआ रखा मिला,उसे मेने खोला तो वो खत तेरे नाम लिखा हुआ था,और ये कहते हुए मामा ने वो खत मुझे पकड़ा दिया।